माउंट एवरेस्ट पर भारतीय पर्वतारोहण टीम के साथ चढ़ाई एक राष्ट्रीय गौरव की बात

भारत की शीर्ष पर्वतारोहण संस्थानों — जवाहर पर्वतारोहण एवं शीतकालीन खेल संस्थान (JIM&WS), नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) और हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (HMI) — के प्रशिक्षकों की संयुक्त राष्ट्रीय पर्वतारोहण टीम ने 23 मई, 2025 को माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) पर सफल चढ़ाई कर एक नया इतिहास रच दिया। यह अभियान भारत की उच्च-शिखर पर्वतारोहण में बढ़ती नेतृत्व क्षमता, साहसिक भावना, एकता, और संकल्प को दर्शाता है।

क्यों चर्चा में?

  • भारत की तीनों प्रमुख पर्वतारोहण संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से माउंट एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई, 23 मई 2025 को।

  • रक्षा मंत्रालय के सहयोग से इस अभियान को रक्षा राज्यमंत्री श्री संजय सेठ ने 26 मार्च 2025 को रवाना किया था।

  • यह मिशन पर्वतारोहण के माध्यम से राष्ट्र की प्रतिष्ठा, संस्थानिक सहयोग, और रणनीतिक उपलब्धि को दर्शाता है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • पर्वतारोहण में राष्ट्रीय एकता और संस्थानिक सहयोग को बढ़ावा देना।

  • साहसिक खेलों में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और अत्यंत ऊंचाई एवं कठिन मौसम में भारत की क्षमता प्रदर्शित करना।

  • शीर्ष पर्वतारोहण प्रशिक्षकों को नेतृत्व और हाई-एल्टीट्यूड प्रशिक्षण का अनुभव प्रदान करना।

टीम संरचना

नेतृत्व में:

  • कर्नल अंशुमान भदौरिया, प्राचार्य, NIM उत्तरकाशी

  • कर्नल हेम चंद्र सिंह, प्राचार्य, JIM&WS पहलगाम

प्रमुख प्रशिक्षक:

  • हवलदार राजेन्द्र मुखिया (JIM&WS)

  • श्री राकेश सिंह राणा (NIM)

  • सूबेदार बहादुर पाहन (NIM)

  • श्री पासंग तेनजिंग शेरपा (HMI)

  • हवलदार थुप्स्तन त्सेवांग (HMI)

चढ़ाई विवरण

  • प्रस्थान तिथि: 26 मार्च 2025

  • पहला अभ्यास पर्वतारोहण: माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) – 18 अप्रैल 2025

  • मुख्य चढ़ाई: माउंट एवरेस्ट – 23 मई 2025

  • वापसी: सभी पर्वतारोही एवरेस्ट बेस कैंप लौट आए हैं और काठमांडू की ओर प्रस्थान कर चुके हैं।

महत्त्व

  • भारत की पर्वतारोहण प्रशिक्षण क्षमताओं और नेतृत्व का प्रमाण।

  • युवाओं को साहसिक खेलों और राष्ट्रीय रक्षा प्रशिक्षण की ओर प्रेरित करता है।

  • भारतीय पर्वतारोहण संस्थानों की वैश्विक मान्यता को और सशक्त बनाता है।

Harvard University में विदेशी छात्र-छात्राओं के दाखिले पर रोक, जानें भारतीयों पर क्या असर होगा

संयुक्त राज्य अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने हावर्ड विश्वविद्यालय की स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) के तहत मान्यता रद्द कर दी है, जिससे वह 2025–26 शैक्षणिक सत्र के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने में अयोग्य हो गया है। इस निर्णय को अन्य संस्थानों के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है और इससे हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों, विशेष रूप से भारतीय छात्रों के बीच चिंता और अनिश्चितता फैल गई है, जो अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए F-1 वीज़ा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पृष्ठभूमि और संदर्भ:

  • SEVP एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे DHS द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों की निगरानी के लिए SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) डेटाबेस के माध्यम से संचालित किया जाता है।
  • हावर्ड में 7,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं, जिनमें लगभग 800 भारतीय छात्र शामिल हैं।
  • यह कार्रवाई Ivy League विश्वविद्यालयों में चल रहे फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बाद की गई है, जिसमें ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया है कि यहूदी छात्रों के लिए “शत्रुतापूर्ण वातावरण” बना है और हावर्ड जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।

मुख्य घटनाक्रम:

  • हावर्ड ने SEVP प्रमाणन खो दिया, जिससे वह अब F-1 और J-1 वीज़ा दस्तावेज़ जारी नहीं कर सकता।

  • इससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कानूनी स्थिति संकट में आ सकती है; OPT या STEM OPT वर्क परमिट पर रह रहे छात्र भी प्रभावित होंगे।

  • DHS ने हावर्ड को 72 घंटे का समय दिया है, जिसमें उसे सर्विलांस फुटेज और प्रदर्शनकारियों का डेटा सौंपना है।

हावर्ड की कानूनी प्रतिक्रिया:

  • विश्वविद्यालय ने टेम्पररी रेस्ट्रेनिंग ऑर्डर (TRO) के लिए अर्जी दी है और कहा है कि यह कदम शैक्षणिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किए गए उसके प्रयासों के बदले प्रतिशोध है।

  • बयान में कहा गया: “बिना अंतरराष्ट्रीय छात्रों के, हावर्ड वह हावर्ड नहीं रह जाता।”

भारतीय छात्रों पर प्रभाव:

  • कई भारतीय छात्रों ने पहले से ही गैर-वापसी योग्य जमा राशि जमा कर दी है या अन्य विश्वविद्यालयों के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे।

  • कुछ छात्र Kennedy Fellowship और लोक नीति कार्यक्रमों के लिए चयनित हुए थे और अब उन्हें डिफरमेंट, वित्तीय हानि, या स्वप्न टूटने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

  • वर्तमान में नामांकित छात्रों को भी वीज़ा स्थिति या कार्य प्राधिकरण खोने का डर है।

कानूनी एवं आप्रवासन संबंधी पहलू:

छात्र निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं:

  • USCIS के माध्यम से स्थिति पुनर्स्थापन (reinstatement) – प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।

  • नया I-20 लेकर बाहर जाकर फिर से प्रवेश करने का प्रयास – इसमें छात्रवृत्तियों और दाखिला खोने का जोखिम है।

  • आप्रवासन वकीलों ने TRO के परिणाम की प्रतीक्षा करने की सलाह दी है, इससे पहले कि छात्र वीज़ा प्रक्रिया में आगे बढ़ें।

विश्वविद्यालय और संकाय का समर्थन:

  • हावर्ड के संकाय सदस्यों ने छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट की है और कहा है कि उन्हें राजनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

  • ऑनलाइन मंचों और ईमेल समूहों के माध्यम से छात्रों को जानकारी और समर्थन मिल रहा है।

छह अफ्रीकी देशों ने कालाजार उन्मूलन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

छह पूर्वी अफ्रीकी देशों — चाड, जिबूती, इथियोपिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सूडान — ने कालाज़ार (विसरल लीशमैनियासिस) को समाप्त करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह MoU विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अफ्रीकी संघ के सहयोग से 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के अवसर पर मई 2025 में जिनेवा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हस्ताक्षरित किया गया।

समाचार में क्यों?

यह समझौता उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (Neglected Tropical Diseases – NTDs), विशेषकर कालाज़ार, को समाप्त करने की वैश्विक पहल में एक महत्वपूर्ण कदम है। पूर्वी अफ्रीका में वैश्विक कालाज़ार मामलों के 70% से अधिक पाए जाते हैं, जिससे यह क्षेत्र इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित है। यह MoU निवेश बढ़ाने, निगरानी सुधारने और सीमापार सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में संयुक्त प्रयास को दर्शाता है।

क्या है कालाज़ार?

  • यह एक प्राणघातक रोग है, जो Leishmania परजीवी के कारण होता है। यह परजीवी बालू मक्खी (sandfly) के काटने से फैलता है।

  • लक्षण:

    • लंबे समय तक बुखार

    • थकान और कमजोरी

    • वजन घटना

    • यकृत और प्लीहा का बढ़ना

  • इलाज न होने पर लगभग हमेशा मृत्यु का खतरा होता है।

पूर्वी अफ्रीका पर विशेष ध्यान क्यों?

  • वैश्विक कालाज़ार मामलों के 70% से अधिक पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं।

  • 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

  • यह क्षेत्र कालाज़ार के मामलों में असमान भार वहन करता है।

MoU और हस्ताक्षरकर्ता देश

  • हस्ताक्षरकर्ता देश: चाड, जिबूती, इथियोपिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान

  • सहयोगी संगठन:

    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

    • अफ्रीकी संघ (AU)

    • उपेक्षित रोगों के लिए औषधि नवाचार पहल (DNDi)

  • लक्ष्य:

    • निवेश में वृद्धि

    • उपचार की बेहतर उपलब्धता

    • सीमापार निगरानी प्रणाली

    • सार्वजनिक स्वास्थ्य समन्वय को मज़बूत बनाना

प्रमुख प्रतिबद्धताएँ और उपाय

  • क्षेत्रीय रणनीतियों का कार्यान्वयन

  • मौखिक उपचार विकल्पों का विकास

  • औषधि वितरण प्रणाली में नवाचार

  • एकीकृत रोग निगरानी और प्रतिक्रिया (आईडीएसआर) जैसे निगरानी प्लेटफॉर्म को मजबूत करना

  • कैमरून, नाइजर, नाइजीरिया, सेनेगल और तंजानिया जैसे देशों के साथ सीमापार NTD प्रबंधन के लिए सहयोग

प्रगति और स्थिर तथ्य 

  • अफ्रीका में 60 करोड़ से अधिक लोग NTDs से प्रभावित हैं।

  • 2025 तक 56 देशों ने कम से कम एक NTD समाप्त किया है।

  • टोगो ने अब तक 4 NTDs समाप्त किए हैं।

  • भारत, बेनिन और घाना ने 3 NTDs का उन्मूलन किया है।

  • हालिया उन्मूलन: मॉरिटानिया, चाड, गिनी, नाइजर (2024–25)

सारांश/स्थैतिक विवरण विवरण
समाचार में क्यों? छह अफ्रीकी देशों ने कालाज़ार उन्मूलन के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए
घटना कालाज़ार को समाप्त करने हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर
तिथि और स्थान मई 2025, जिनेवा (78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा)
हस्ताक्षरकर्ता देश चाड, जिबूती, इथियोपिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान
सहयोगी संगठन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अफ्रीकी संघ, DNDi
लक्ष्य रोग कालाज़ार (विसरल लीशमैनियासिस)
महत्त्व पूर्वी अफ्रीका में उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTDs) का प्रमुख बोझ; 70% मामले इसी क्षेत्र से
लक्ष्य निवेश बढ़ाना, सीमापार निगरानी मजबूत करना, उपचार में नवाचार

भारत ने गोवा में नए अत्याधुनिक केंद्रों के साथ ध्रुवीय एवं महासागरीय अनुसंधान को बढ़ावा दिया

भारत की ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान क्षमताओं को सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गोवा स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) में दो विश्वस्तरीय परिसरों — सागर भवन और पोलर भवन — का उद्घाटन किया। यह पहल बदलते जलवायु परिदृश्यों और वैश्विक महासागर राजनीति के संदर्भ में भारत की वैज्ञानिक भूमिका को नई ऊंचाई देने वाली मानी जा रही है।

समाचार में क्यों?

यह उद्घाटन NCPOR की सिल्वर जुबली (25वीं वर्षगांठ) के अवसर पर हुआ। इसका उद्देश्य ध्रुवीय और समुद्री अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिक ढांचे को मजबूती देना है। यह भारत की ब्लू इकोनॉमी, जलवायु परिवर्तन नियंत्रण, और विकसित भारत 2047 की रणनीति के साथ मेल खाता है।

मुख्य विशेषताएँ: नई सुविधाएँ

पोलर भवन

  • NCPOR परिसर का सबसे बड़ा भवन (11,378 वर्ग मीटर)

  • लागत: ₹55 करोड़

  • सुविधाएं:

    • अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं

    • वैज्ञानिकों के लिए 55 आवासीय इकाइयाँ

    • Science on Sphere (SOS) – जलवायु आंकड़ों का 3D विज़ुअलाइज़ेशन

    • भारत का पहला ध्रुवीय और समुद्री संग्रहालय (आगामी)

सागर भवन

  • क्षेत्रफल: 1,772 वर्ग मीटर

  • लागत: ₹13 करोड़

  • सुविधाएं:

    • -30°C तापमान पर बर्फ कोर भंडारण हेतु अत्यल्प ताप प्रयोगशालाएं

    • Class 1000 क्लीन रूम – ट्रेस मेटल और आइसोटोप अध्ययन के लिए

    • +4°C सैंपल संरक्षण यूनिट्स

    • 29 विशिष्ट अनुसंधान कक्ष

पृष्ठभूमि और रणनीतिक महत्त्व

  • NCPOR, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत भारत का प्रमुख ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान संस्थान है।

  • ये केंद्र सक्षम बनाएंगे:

    • भारत की भूमिका को वैश्विक समुद्री शासन में बढ़ाने में

    • मौसम और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में

    • ध्रुवीय क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहयोग और खोज को प्रोत्साहित करने में

नीतिगत और विधिक ढांचा

  • भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम, 2022

  • आर्कटिक नीति, 2022

    • ये भारत के ध्रुवीय अभियानों के लिए कानूनी और नैतिक ढांचा प्रदान करते हैं और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को बनाए रखते हैं।

भारत की ध्रुवीय उपस्थिति

  • अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र: मैत्री, भारती

  • आर्कटिक स्टेशन: हिमाद्रि

  • हिमालयन स्टेशन: हिमांश

  • हालिया अभियान: कनाडाई आर्कटिक, ग्रीनलैंड, केंद्रीय आर्कटिक महासागर

भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया

भारत ने एक ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अब 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर चुकी है, जिससे वह अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर आ गया है। यह उपलब्धि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की मजबूत आर्थिक गति और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदमों को दर्शाती है। यह सफलता “विकसित भारत 2047” के विज़न की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

समाचार में क्यों?

भारत के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की आधिकारिक पुष्टि नीति आयोग के सीईओ बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में की। बैठक का विषय था – “विकसित राज्य से विकसित भारत 2047”। उन्होंने यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के आधार पर दी।

भारत की आर्थिक छलांग: मुख्य बिंदु

IMF की पुष्टि और वैश्विक रैंकिंग

  • IMF के अप्रैल 2025 वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) के अनुसार, भारत की नाममात्र GDP वित्त वर्ष 2026 में लगभग USD 4,187.017 अरब रहने का अनुमान है।

  • वहीं जापान की GDP USD 4,186.431 अरब रहने की संभावना है।

  • इस बदलाव के साथ भारत ने औपचारिक रूप से 5वें स्थान से 4वें स्थान पर छलांग लगाई है।

विकास दर और आर्थिक मजबूती

  • IMF के अनुसार, भारत आने वाले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

  • 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% GDP वृद्धि का अनुमान।

  • वहीं वैश्विक औसत वृद्धि दर 2025 में 2.8% और 2026 में 3.0% रहने की उम्मीद है।

  • यह तेज़ी भारत को वैश्विक आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन बनाती है।

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर

  • बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने विश्वास जताया कि यदि वर्तमान नीतियां और सुधार जारी रहे, तो भारत अगले 2–3 वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

  • तब भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे होगा।

विजन 2047: विकसित भारत

  • यह आर्थिक छलांग “विकसित भारत @2047” पहल के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित अर्थव्यवस्था बनाना है।

  • नीति आयोग की बैठक में राज्य स्तरीय योगदान, सुधारों, नवाचार, बुनियादी ढांचे के विकास, और समावेशी वृद्धि पर ज़ोर दिया गया।

पीएम मोदी ने 10वीं नीति आयोग बैठक की अध्यक्षता की: विकसित भारत @2047 के लिए रोडमैप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 24 मई 2025 को नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक का आयोजन भारत मंडपम, नई दिल्ली में हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक में 24 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री व उपराज्यपाल शामिल हुए। बैठक का विषय था “विकसित राज्य से विकसित भारत @2047”, जिसमें भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय व सहयोग को सुदृढ़ करने पर बल दिया गया।

समाचार में क्यों?

  • नीति आयोग की स्थापना (2015) के 10 वर्ष पूरे होने पर 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक आयोजित।

  • भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की रणनीति पर चर्चा (Viksit Bharat @2047)।

  • कई नई योजनाओं और पहलों की शुरुआत:

    • ₹60,000 करोड़ की कौशल विकास योजना

    • ₹1 लाख करोड़ का शहरी चुनौती कोष (Urban Challenge Fund)

    • राज्य स्तरीय निवेश चार्टर, नदी जोड़ परियोजनाएं, और वैश्विक स्तर के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा।

भारत की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश:

  • भारत शीर्ष 5 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल।

  • 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठाए गए

  • ऑपरेशन सिंदूर और Aspirational Districts Programme की सफलता।

मुख्य बिंदु:

विषय: विकसित राज्य से विकसित भारत @2047

स्थान: भारत मंडपम, नई दिल्ली

उपस्थित गण: 24 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश

विशेष श्रद्धांजलि: पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए मौन

प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य संदेश:

  • 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य: हर राज्य, ज़िला, गांव इस दिशा में योगदान दे।

  • आर्थिक विकास: भारत अब शीर्ष 5 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में है, परिवर्तन की गति और तेज करनी होगी।

  • निर्माण मिशन: घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल।

  • निवेश को प्रोत्साहन: नीति आयोग निवेश के अनुकूल चार्टर तैयार करेगा; राज्यों से UAE, UK, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ व्यापार समझौतों का लाभ उठाने का आग्रह।

कौशल विकास और युवाओं को सशक्त बनाना:

  • ₹60,000 करोड़ की कौशल विकास योजना को मंजूरी।

  • AI, 3D प्रिंटिंग, सेमीकंडक्टर जैसे आधुनिक क्षेत्रों पर ध्यान।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण हब की स्थापना।

शहरी विकास:

  • ₹1 लाख करोड़ का Urban Challenge Fund

  • द्वितीय व तृतीय श्रेणी के शहरों में नियोजित विकास।

  • शहरों में सतत विकास को प्राथमिकता।

पर्यटन:

  • प्रत्येक राज्य को 1 वैश्विक मानक पर्यटन स्थल विकसित करने का निर्देश।

  • G20 की मेज़बानी से मिले वैश्विक ध्यान का लाभ उठाने का सुझाव।

जल प्रबंधन:

  • बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए नदी ग्रिड की अवधारणा।

  • कोसी-मोची नदी जोड़ परियोजना (बिहार) को आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया।

नारी शक्ति (महिला सशक्तिकरण):

  • कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु कानूनी और प्रणालीगत सुधार

  • सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में कार्य स्थितियों में सुधार पर ज़ोर।

सिविल सुरक्षा और रक्षा:

  • ऑपरेशन सिंदूर की सटीक आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की सराहना।

  • दीर्घकालिक सिविल डिफेंस तैयारी को संस्थागत रूप देने का सुझाव।

कृषि:

  • विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत।

  • 2,500 वैज्ञानिक देशभर में रासायन मुक्त खेती और फसल विविधता को बढ़ावा देंगे।

स्वास्थ्य:

  • ई-संजीवनी के ज़रिए टेलीमेडिसिन पर बल।

  • कोविड जैसी आपात स्थितियों के लिए ऑक्सीजन संयंत्रों की तैयारियों की समीक्षा।

भारत ने दुनिया की सबसे उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली मौसम पूर्वानुमान प्रणाली – बीएफएस लॉन्च की

भारत में मौसम विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत सरकार ने 26 मई 2025 को भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) का उद्घाटन किया। इसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा विकसित किया गया है और यह हाई-स्पीड सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ की शक्ति से संचालित होता है। BFS का उद्देश्य विश्व की सबसे सटीक और स्थानीयकृत मौसम भविष्यवाणियां प्रदान करना है, जिसकी 6 किमी x 6 किमी की अभूतपूर्व ग्रिड रिज़ोल्यूशन क्षमता है। यह लॉन्च पहले के 12 किमी मॉडल की तुलना में एक क्रांतिकारी उन्नयन को दर्शाता है और भारत को उच्च-रिज़ोल्यूशन मौसम पूर्वानुमान की वैश्विक अग्रणी श्रेणी में पहुंचाता है।

समाचार में क्यों?

भारत सरकार ने 26 मई 2025 को भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) का औपचारिक शुभारंभ किया। इस प्रणाली को भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा विकसित किया गया है और इसे हाई-स्पीड सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ की शक्ति से संचालित किया गया है। BFS का उद्देश्य विश्व की सबसे सटीक और स्थानीय स्तर पर केंद्रित मौसम भविष्यवाणियां प्रदान करना है, जिसकी ग्रिड रिज़ोल्यूशन 6 किमी x 6 किमी है — जो अब तक की सबसे उच्च स्तरीय क्षमता है। यह प्रणाली पहले की 12 किमी मॉडल की तुलना में एक क्रांतिकारी उन्नयन है, जिससे भारत अब उच्च-रिज़ोल्यूशन मौसम पूर्वानुमान की वैश्विक अग्रणी पंक्ति में शामिल हो गया है।

मुख्य विशेषताएं एवं उद्देश्य

  • ग्रिड रिज़ोल्यूशन:
    अब 6 किमी x 6 किमी (पहले 12 किमी) – और अधिक सूक्ष्म और स्थानीय स्तर की भविष्यवाणी संभव।

  • सुपरकंप्यूटर अर्का (Arka):

    • गति: 11.77 पेटाफ्लॉप्स

    • भंडारण क्षमता: 33 पेटाबाइट्स

    • डेटा प्रोसेसिंग समय: अब केवल 4 घंटे (पहले प्रणाली ‘प्रत्युष’ में 10 घंटे लगते थे)

  • नाउकास्टिंग (Nowcasting) क्षमता:

    • अगले दो घंटों की तात्कालिक मौसम भविष्यवाणी प्रदान करता है।

    • 40 डॉपलर वेदर रडार से डेटा एकीकृत करता है (जल्द ही 100 तक विस्तारित होंगे)।

प्रभाव क्षेत्र और कवरेज

  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में प्रभावी – 30° उत्तर से 30° दक्षिण अक्षांश के बीच।

  • भारत का पूरा मुख्यभूमि क्षेत्र कवर, जो 8.4°N से 37.6°N के बीच स्थित है।

वैश्विक तुलना में भारत की स्थिति

  • यूरोपीय मॉडल: 9–14 किमी

  • अमेरिकी और ब्रिटिश मॉडल: 9–14 किमी

  • भारत का BFS: 6 किमी — वैश्विक रूप से सर्वोत्तम रिज़ोल्यूशन।

पृष्ठभूमि और विकास

  • वैज्ञानिक पार्थसारथी मुखोपाध्याय और उनकी टीम द्वारा IITM पुणे में विकसित।

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा समर्थित।

  • 2024 में सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ की स्थापना से यह प्रणाली संभव हो सकी।

महत्व और उपयोगिता

BFS की सटीकता से अब जिला और पंचायत स्तर तक मौसम की सटीक भविष्यवाणी संभव है, जिससे यह प्रणाली निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साबित होगी:

  • कृषि और किसान परामर्श सेवाएं

  • जल संसाधन प्रबंधन

  • प्राकृतिक आपदाओं के लिए त्वरित चेतावनी प्रणाली

  • जनसुरक्षा और शहरी नियोजन

जनवरी 2026 में हैदराबाद में होने जा रहे विंग्स इंडिया 2026

विंग्स इंडिया 2026, जो भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र का द्विवार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है, 28 से 31 जनवरी तक हैदराबाद में आयोजित किया जाएगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और फिक्की (FICCI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह कार्यक्रम बेगमपेट हवाई अड्डे पर होगा और पूरे उड्डयन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करेगा। यह आयोजन वैश्विक स्तर पर एयरलाइनों, विमान निर्माताओं, निवेशकों, विक्रेताओं और नीति-निर्माताओं जैसे हितधारकों को एक साथ लाकर वाणिज्यिक, सामान्य, व्यावसायिक विमानन और उन्नत वायु गतिशीलता क्षेत्रों में वृद्धि और नवाचार को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।

समाचार में क्यों?

विंग्स इंडिया 2026 की हैदराबाद में होने वाली घोषणा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के तेजी से बढ़ते नागरिक उड्डयन क्षेत्र के महत्व को दर्शाती है। यह क्षेत्र बढ़ती हवाई यात्रा की मांग और तकनीकी प्रगति के कारण तीव्र गति से विस्तार कर रहा है। यह आयोजन नवाचारों को प्रदर्शित करने, निवेश को बढ़ावा देने और कौशल विकास को प्रोत्साहित करने का मंच प्रदान करेगा, जिससे यह उद्योग के सभी हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन जाता है। इसका कर्टेन रेज़र कार्यक्रम 23 मई 2025 को दिल्ली में आयोजित किया जाएगा, जिससे देश-विदेश के प्रतिभागियों में रुचि और उत्साह बढ़ा है।

उद्देश्य 

भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र की वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करने हेतु एक समग्र मंच प्रदान करना।

लक्ष्य 

  • वाणिज्यिक, सामान्य, व्यावसायिक विमानन और उन्नत वायु गतिशीलता सहित विभिन्न उपक्षेत्रों के हितधारकों को एकत्र करना।

  • निर्माताओं, एयरलाइनों, निवेशकों और नीति-निर्माताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।

  • उड्डयन में तकनीकी प्रगति और नवाचारों का प्रदर्शन करना।

  • निवेश के अवसरों को बढ़ावा देना और ज्ञान साझा करने की सुविधा देना।

  • बढ़ती श्रमिक मांग को पूरा करने के लिए कौशल विकास पहलों का समर्थन करना।

पृष्ठभूमि 

  • विंग्स इंडिया एक द्विवार्षिक (हर दो साल में एक बार) आयोजित होने वाला प्रमुख नागरिक उड्डयन प्रदर्शनी और सम्मेलन है।

  • इसका आयोजन नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और फिक्की (FICCI) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।

  • हैदराबाद के बेगमपेट हवाई अड्डे को इसके आयोजन स्थल के रूप में चुना गया है, जो अपनी रणनीतिक स्थिति और उड्डयन विरासत के लिए जाना जाता है।

  • यह आयोजन आम तौर पर प्रदर्शनी, संगोष्ठी, B2B बैठकों और नेटवर्किंग सत्रों को शामिल करता है, जिसमें वैश्विक भागीदारी देखी जाती है।

  • भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है, जिसे यात्री यातायात में वृद्धि, उड़ान (UDAN) जैसी सरकारी योजनाएं, और उन्नत वायु गतिशीलता की ओर बढ़ते कदम संचालित करते हैं।

मुख्य विशेषताएं 

  • 28 से 31 जनवरी 2026 तक हैदराबाद के बेगमपेट एयरपोर्ट पर आयोजित किया जाएगा।

  • प्रतिभागियों में एयरलाइंस, विमान निर्माता, निवेशक, विक्रेता, कार्गो ऑपरेटर, अंतरिक्ष उद्योग प्रतिनिधि, बैंकिंग संस्थान और कौशल विकास एजेंसियां शामिल होंगी।

  • ध्यान केंद्रित क्षेत्र: वाणिज्यिक विमानन, सामान्य विमानन, बिज़नेस जेट्स, एडवांस्ड एयर मोबिलिटी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां

  • राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने क्षेत्रीय विमानन पहल प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।

  • 23 मई 2025 को दिल्ली में होने वाले कर्टेन रेज़र कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और राज्य मंत्री विदेशी मिशनों और उद्योग हितधारकों को संबोधित करेंगे।

महत्व 

  • विंग्स इंडिया 2026 भारत को वैश्विक विमानन हब के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाता है।

  • यह आयोजन साझेदारियों को सशक्त करता है, निवेश आकर्षित करता है, और नवाचारों को प्रदर्शित कर उद्योग की प्रगति को गति देता है।

  • यह न केवल कुशल कार्यबल के निर्माण में मदद करता है, बल्कि सतत विमानन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित करता है।

  • क्षेत्रीय संपर्क को सशक्त कर यह आयोजन भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में योगदान देता है।

सऊदी अरब ने वैश्विक पर्यटन के भविष्य को आकार देने के लिए TOURISE की शुरुआत की

सऊदी अरब ने 22 मई 2025 को आधिकारिक रूप से TOURISE नामक एक वैश्विक मंच (ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म) लॉन्च किया, जिसे पर्यटन, प्रौद्योगिकी, निवेश और स्थिरता क्षेत्रों के वैश्विक नेताओं को जोड़ने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इस मंच की घोषणा पर्यटन मंत्री अहमद अल-खतीब ने की, जिसका उद्देश्य पर्यटन उद्योग में निवेश के नए अवसर खोलना, प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना, और सहयोग व नवाचार के माध्यम से भविष्य की यात्रा नीतियों को आकार देना है। TOURISE का शुभारंभ सऊदी अरब की वैश्विक पर्यटन नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जो रणनीतिक अवसंरचना निवेश और नीतिगत सुधारों पर आधारित है।

क्यों है यह समाचार में?

डिजिटल परिवर्तन, बदलते यात्रा रुझान और स्थिरता की मांगों के कारण वैश्विक पर्यटन क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। ऐसे समय में TOURISE का शुभारंभ एक रणनीतिक पहल है। यह लॉन्च उस समय हुआ है जब सऊदी अरब ने अपने Vision 2030 के अंतर्गत 2024 में ही 100 मिलियन पर्यटकों का लक्ष्य हासिल कर लिया — जो निर्धारित समय से 7 साल पहले है। TOURISE का उद्देश्य पर्यटन के भविष्य को दिशा देना है, साथ ही समावेशी, टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत पर्यटन को बढ़ावा देना है।

उद्देश्य (Aim)

  • पर्यटन क्षेत्र में सहयोग, नवाचार और निवेश को बढ़ावा देने वाला एक वर्ष भर सक्रिय वैश्विक मंच स्थापित करना।

मुख्य उद्देश्य

  • पर्यटन, तकनीक, निवेश और स्थिरता क्षेत्रों के वैश्विक नेताओं को जोड़ना।

  • पर्यटन सेवाओं और अवसंरचना में नए निवेश अवसरों को खोलना।

  • स्थिरता और डिजिटल परिवर्तन जैसी मुख्य चुनौतियों का समाधान करना।

  • भविष्य की पर्यटन नीतियों को विकसित करना और उनका मार्गदर्शन करना।

  • समावेशी और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना।

पृष्ठभूमि

  • Vision 2030 के तहत सऊदी अरब आर्थिक विविधता की दिशा में कार्य कर रहा है, जिसमें पर्यटन एक प्रमुख क्षेत्र है।

  • वर्ष 2024 में 100 मिलियन पर्यटकों का लक्ष्य प्राप्त किया गया, जिससे पर्यटन का योगदान अब GDP का लगभग 5% है।

  • मंत्री अहमद अल-खतीब ने TOURISE की घोषणा वर्चुअल माध्यम से की।

TOURISE की प्रमुख विशेषताएं

  • वैश्विक विशेषज्ञों की सलाहकार समिति, जिनमें पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी, प्रौद्योगिकी, मनोरंजन, और निवेश क्षेत्र के नेता शामिल हैं।

  • AI, नवाचार, यात्रा अनुभव और स्थिरता जैसे विषयों पर वर्किंग ग्रुप्स का गठन

  • अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी में श्वेत पत्र (white papers) और वैश्विक सूचकांकों का प्रकाशन।

  • पहला TOURISE सम्मेलन 11-13 नवंबर 2025 को रियाद में आयोजित होगा।

  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की उभरती तकनीकों को प्रदर्शित करने के लिए इनोवेशन ज़ोन

  • स्थिरता, डिजिटल परिवर्तन, सांस्कृतिक संरक्षण, समावेशी पर्यटन, और कार्यबल विकास में नेतृत्व को सम्मानित करने के लिए पुरस्कार कार्यक्रम

  • पुरस्कारों के लिए नामांकन 2 जून से शुरू होंगे और विजेताओं की घोषणा सम्मेलन के पहले दिन की जाएगी।

महत्व

  • TOURISE, सऊदी अरब की वैश्विक पर्यटन नेतृत्व की दिशा में एक रणनीतिक पहल है।

  • तकनीक, निवेश और स्थिरता को जोड़कर यह मंच पर्यटन क्षेत्र में नवाचार और सहयोग को प्रेरित करेगा।

  • AI, समावेशिता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर फोकस करते हुए TOURISE वैश्विक यात्रा के भविष्य से सामंजस्य बिठाता है।

  • यह मंच वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी सहायक सिद्ध होगा।

RBI ने सरकार के नामितों सहित नए छह सदस्यीय भुगतान विनियामक बोर्ड को अधिसूचित किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 21 मई, 2025 को आधिकारिक तौर पर एक नए भुगतान विनियामक बोर्ड (PRB) की स्थापना की अधिसूचना जारी की, जो भारत में भुगतान प्रणालियों को विनियमित करने और उनकी निगरानी करने वाला छह सदस्यीय निकाय है। यह नया बोर्ड पहले के भुगतान और निपटान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड (BPSS) की जगह लेगा और इसमें पहली बार केंद्र सरकार के तीन नामित व्यक्ति शामिल हैं। PRB की अध्यक्षता RBI गवर्नर करेंगे, जो भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में केंद्रीय बैंक की निरंतर नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है।

क्यों है यह समाचार में?

RBI द्वारा PRB की अधिसूचना ऐसे समय आई है जब डिजिटल भुगतान और भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। PRB का गठन मजबूत नियामकीय निगरानी और समावेशी शासन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है, जिसमें RBI अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इससे भारत की भुगतान प्रणाली की निगरानी को सरल और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।

उद्देश्य

  • भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियों का नियमन और पर्यवेक्षण करना।

  • RBI और सरकार के प्रतिनिधियों की भागीदारी से एकीकृत शासन ढांचा तैयार करना।

  • भारत की भुगतान प्रणाली में विश्वास, सुरक्षा और नवाचार को बढ़ावा देना।

  • भुगतान से संबंधित नीतियों पर RBI और सरकार के बीच समन्वय को सुगम बनाना।

पृष्ठभूमि

  • PRB ने BPSS का स्थान लिया है।

  • 2018 में आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने एक स्वतंत्र भुगतान नियामक संस्था की सिफारिश की थी।

  • RBI ने यह तर्क दिया था कि भुगतान नियामक बोर्ड की अध्यक्षता गवर्नर को करनी चाहिए ताकि निगरानी प्रभावी हो सके।

  • अंततः सरकार और RBI के बीच सहमति बनी, जिससे सरकार के तीन प्रतिनिधि शामिल हुए, लेकिन नेतृत्व RBI के अधीन ही रहा।

संरचना और कार्यप्रणाली

  • 6 सदस्यीय बोर्ड, जिसकी अध्यक्षता RBI गवर्नर करेंगे।

  • सदस्य:

    • भुगतान और निपटान प्रणाली के प्रभारी RBI डिप्टी गवर्नर (पदेन)

    • केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामांकित एक RBI अधिकारी (पदेन)

    • केंद्र सरकार के तीन नामांकित प्रतिनिधि

  • बोर्ड को भुगतान, IT, कानून आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों को स्थायी या अस्थायी रूप से आमंत्रित करने का अधिकार होगा।

  • PRB को कम से कम वर्ष में दो बार बैठक करनी होगी।

महत्व

  • सरकार और RBI के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा।

  • RBI गवर्नर की अध्यक्षता से निरंतरता और विशेषज्ञता सुनिश्चित होगी।

  • भुगतान प्रणाली में नवाचार, उपभोक्ता संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

  • यह कदम भारत की तेजी से डिजिटलीकरण होती अर्थव्यवस्था में मजबूत शासन व्यवस्था की आवश्यकता को दर्शाता है।

Recent Posts

about | - Part 263_12.1