CSIR-CSIO ने वायरस का खात्मा करने के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक कीटाणुशोधन मशीन की विकसित

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वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, सीएसआईआर के वैज्ञानिक उपकरण संगठन, चंडीगढ़ ने एक इलेक्ट्रोस्टैटिक कीटाणुशोधन मशीन तैयार की है। इस नवीन तकनीक को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए प्रभावी कीटाणुशोधन और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है।
इलेक्ट्रोस्टैटिक कीटाणुशोधन मशीन इलेक्ट्रोस्टैटिक सिद्धांत पर काम करती है और सूक्ष्मजीवों और वायरस को ख़त्म करने के लिए कीटाणुनाशक की समान और बारीक स्प्रे बूंदों का उत्पादन करता है। इस प्रकार यह बहुत प्रभावी ढंग से कोरोनोवायरस और रोगाणुओं को खत्म कर देता है या उसे फैलने से रोकने में सक्षम है। इस तकनीक को सीएसआईआर-सीएसआईओ ने व्यावसायीकरण और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए नागपुर की एक कंपनी, राइट वाटर सलूशन प्राइवेट लिमिटेड, को हस्तांतरित कर दिया है।

COVID-19 को विघटित करने के लिए विकसित किया गया माइक्रोवेव स्टेरलाइजर “ATULYA”

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पुणे के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी, द्वारा “अतुल्य” नामक एक माइक्रोवेव स्टरलाइजर विकसित किया गया है। माइक्रोवेव स्टेरलाइज़र “ATULYA” 56 डिग्री से 60 डिग्री सेल्सियस तापमान में विभेदकारी हीटिंग की मदद से COVID -19 वायरस का विघटन करेगा।
माइक्रोवेव स्टेरलाइजर “ATULYA”, सिस्टम का वजन लगभग 3 किलोग्राम है और इसका उपयोग केवल गैर-मेटैलिक वस्तुओं के स्टरलाइजेशन के लिए किया जा सकता है। इस सिस्टम का मानव/प्रचालक सुरक्षा के लिए परीक्षण किया एवं इसे सुरक्षित पाया गया। इसे पोर्टेबल या फिक्स्ड इंस्टोलेशन में प्रचालित किया जा सकता है।

रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले जाने-माने कार्यकर्ता डेनिस गोल्डबर्ग का निधन

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रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध दक्षिण अफ्रीकी कार्यकर्ता डेनिस गोल्डबर्ग का निधन। वह दिवंगत दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के सहयोगी थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी मुक्ति संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के सैन्य विंग, उमाखंतो वी सिज़वे (Umkhonto we Sizwe) (MK) के एकमात्र श्वेत सदस्य थे।

डेनिस गोल्डबर्ग को रंगभेद के खिलाफ एएनसी की लड़ाई में शामिल होने के लिए 22 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी और वे 22 साल तक राजधानी प्रिटोरिया में जेल में रहने वाले एकमात्र श्वेत व्यक्ति थे। इसके अलावा श्वेत अल्पसंख्यक सरकार द्वारा जबरन उत्पीड़न की जातिवादी व्यवस्था थी। उन्हें 1985 में जेल से रिहा किया गया था।

वर्ल्ड ट्यूना डे: 2 मई

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हर साल 2 मई को विश्व स्तर पर वर्ल्ड ट्यूना डे (World Tuna Day) मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा ट्यूना मछली के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। इसे पहली बार साल 2017 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में कई देशो खाद्य सुरक्षा और पोषण दोनों ही के लिए ट्यूना फिश पर निर्भर है। वर्तमान में 96 से अधिक देशों में टूना मछली पालन किया जाता है, और इनकी क्षमता लगातार बढ़ रही है।
वर्ल्ड ट्यूना डे का इतिहास:
विश्व ट्यूना दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा दिसंबर 2016 में 71/124 के प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से अपनाने के बाद घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य संरक्षण प्रबंधन के महत्व को स्पष्ट करना और सुनिश्चित करना था कि ट्यूना स्टॉक को खराब होने से रोकने के लिए एक प्रणाली की आवश्यकता है। इसी कारण 2 मई 2017 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विश्व ट्यूना दिवस मनाया गया।

केंद्र सरकार ने 4 मई 2020 से दो और सप्‍ताह के लिए बढ़ाया लॉकडाउन, रेड, ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

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गृह मंत्रालय ने देश में 03 मई 2020 तक जारी लॉकडाउन को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत, 04 मई से दो और सप्‍ताह के लिए आगे बढ़ाने का आदेश जारी किया। इस प्रकार अब लॉकडाउन 17 मई तक जारी रहेगा।
इसके अलावा गृह मंत्रालय ने इस अवधि में विभिन्न गतिविधियों को विनियमित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए, जो देश में जिलों को रेड (हॉटस्पॉट), ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में बदलने के जोखिम पर आधारित होंगे।

MHA दिशानिर्देशों के अनुसार किन्हें कहा जाता है रेड (हॉटस्पॉट), ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन?

  • ग्रीन-ज़ोन, वे जिले होंगे जहां अब तक एक भी कोरोना मामले की पुष्टि न हुई हो या पिछले 21 दिनों में कोई मामला न आया हो.
  • किसी जिले को रेड जोन में तब्दील, संक्रमित मामलों की कुल संख्या, पॉजिटिव आए मामलों के दुगने होने की दर, जिलों की टेस्टिंग और निगरानी प्रतिक्रिया के आधार पर किया जाएगा.
  • ऐसे जिले, जिन्हें न तो रेड और न ही ग्रीन घोषित किया गया है, उन्हें ऑरेंज ज़ोन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा.
  • वर्गीकृत किए गए रेड , ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन को MoHFW द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के साथ साप्ताहिक आधार पर या पहले अथवा आवश्यकतानुसार साझा किया जाएगा.
  • हालाँकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इनके अलावा किसी भी जिले को रेड और ऑरेंज ज़ोन में शामिल कर सकते हैं, लेकिन वे MoHFW द्वारा सूचीबद्ध किए गए जिले के वर्गीकरण को रेड या ऑरेंज ज़ोन की सूची में शामिल नहीं कर सकते.

उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-

  • केंद्रीय गृह राज्य मंत्री: अमित शाह.

मणिपुर के काले चावल और गोरखपुर टेराकोटा को मिला जीआई टैग

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मणिपुर के काले चावल, जिसे चाक-हाओ भी कहा जाता और गोरखपुर के टेराकोटा एवं कोविलपट्टी की कदलाई मितई को भौगोलिक संकेत टैग (Geographical Indication tag) दिया गया है। चाक-हाओ के लिए आवेदन चाक-हाओ (काले चावल) के उत्पादकों के संघ द्वारा दायर किया गया था, जिसे मणिपुर सरकार के कृषि विभाग और पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (NERACAC) द्वारा सहायता दी गई थी। गोरखपुर टेराकोटा के लिए उत्तर प्रदेश के लक्ष्मी टेराकोटा मुर्तिकला केंद्र द्वारा आवेदन दायर किया गया था।

ब्लैक राइस या काला चावल:
इस चावल किस्म के चावल का रंग गहरा काला होता है और इसका वजन अन्य रंग के चावल की किस्मों की तुलना में अधिक होता है, जैसा कि भूरे चावल का होता है। चावल का अधिक वजन और इसका काला रंग मुख्य रूप से एंथोसायनिन एजेंट के कारण  होता है। यह चावल मिठाई, दलिया बनाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

गोरखपुर टेराकोटा:

गोरखपुर का टेराकोटा लगभग सौ वर्ष  पुराना है। हस्तशिल्पियों द्वारा प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली दोमट मिट्टी से तैयार की गई छोटी-बड़ी आकृतियों और मूर्तियों का पकने के बाद लाल रंग खुद ब खुद निखर कर सामने आता है। सबसे खास बात यह कि दीपदान हो या मोर, नक्काशी किए हुए झूमर, लैम्प और पंछियों की आकृतियां या फिर पांच फीट का हाथी बनाने में चाक या सांचे का उपयोग नहीं होता। शिल्पकार हाथों से इसे गढ़ते हैं।

कोविलपट्टी कदलाई मित्तई:
कदलाई मितई तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में बनाई जाने वाली मूंगफली कैंडी है। मूंगफली और गुड़ से कैंडी को तैयार की जाता है। इसमें विशेष रूप से थामीबरानी नदी के पानी का उपयोग किया जाता है।

NCSTC और DST ने COVID -19 से निपटने के लिए लॉन्च किया “YASH” कार्यक्रम

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नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग  (DST) ने COVID-19 पर केंद्रित एक स्वास्थ्य एवं जोखिम संचार कम्युनिकेशन कार्यक्रम ‘Year of Awareness on Science & Health (YASH)’ शुरू किया है। यह स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में जमीनी स्तर पर बेहतरी और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई एक व्यापक विज्ञान और स्वास्थ्य संचार पहल है।
इस पहल का उद्देश्य सार्वजनिक सहभागिता को प्रोत्साहित करना और समुदायों को COVID -19 के प्रति जागरूकता की भावना को बढ़ाने में मदद करना है। इसके द्वारा, सरकारें जानकारी से संबंधित निर्णय ले सकेंगी और इससे संबंधित जोखिमों का प्रबंधन कर पाएगी। YASH कार्यक्रम जोखिम और इससे संबंधित चुनौतियों, समाधानों और इस परिस्थिति से जूझने वाले लोगों में साहस एवं आत्मविश्वास पैदा करने के साथ ही लक्षित समूहों के बीच व्यवहार में परिवर्तन लाएगा।
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री: हर्षवर्धन.

“रामायण” बना दुनिया का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला कार्यक्रम

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1980 के दशक की भारत की महाकाव्य पौराणिक गाथा, ‘रामायण’ धारावाहिक ने दुनिया भर में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले कार्यक्रम का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। 16 अप्रैल, 2020 को एक ही दिन में पूरी दुनिया में इस पौराणिक कार्यक्रम को 7.7 करोड़ दर्शकों द्वारा देखा गया है।
महाकाव्य पौराणिक गाथा “रामायण” को रामानंद सागर द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया था। इस कार्यक्रम ने साल 2003 में, “दुनिया में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली पौराणिक सीरिज” के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना दर्ज कराया था।

कोयला मंत्रालय ने कोयला खदानों के निरंतर परिचालन के लिए PMU किया स्थापित

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कोयला मंत्रालय द्वारा एक परियोजना निगरानी इकाई (Project Monitoring Unit-PMU) की स्थापना की गई है। इस परियोजना निगरानी इकाई को स्थापित करने का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा आवंटित की गई कोयला खानों के शीघ्र परिचालन को सुगम बनाना है। यह इकाई कोल खानों को खदानों के संचालन के लिए केंद्र/राज्य सरकार के अधिकारियों से जरुरी विभिन्न मंजूरी दिलवाने करने में मदद करेगी, जिससे कोयला उद्योग में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।
आवंटित कोयला खदानों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द कोयला उत्पादन फिर से शुरू करने के लिए अपने मुद्दों को हल करने में सलाहकार की सेवाओं का उपयोग करें। इसलिए, परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) कोयला उद्योग में उत्पादन के साथ-साथ कारोबारी माहौल को अनुकूल बनाने में भी मदद करेगी।

उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-

  • केंद्रीय कोयला मंत्री: प्रल्हाद जोशी.

प्रोफेसर टी. प्रदीप को दिया जाएगा साल 2020 का निक्केई एशिया पुरस्कार

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आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप को निक्केई एशिया पुरस्कार (Nikkei Asia Prize) 2020 के लिए चुना गया है। प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप को निक्की एशिया पुरस्कार 2020 ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ की श्रेणी में दिया जाएगा। उन्हें इस पुरस्कार से नैनो-प्रौद्योगिकी आधारित जल शुद्धिकरण (water purification) के उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा। 
अन्य पुरस्कार विजेता है:
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप (भारत)
  • संस्कृति और समुदाय: राम प्रसाद कदेल (नेपाल)
  • आर्थिक और व्यावसायिक नवाचार: एंथनी टैन (मलेशिया) और टैन होई लिंग (मलेशिया)
प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप ने नैनोटेक्नोलॉजी-सक्षम पानी फिल्टर विकसित करने के लिए किया है जिसे भारत में 2 पैसे प्रति लीटर की दर पर पीने योग्य स्वच्छ पानी मिल सकेगा। उन्हें हाल ही में भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
निक्केई एशिया पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने इस क्षेत्र के सतत विकास और एशिया के बेहतर भविष्य के निर्माण कार्यो में योगदान दिया हो। यह पुरस्कार हर साल तीन श्रेणी अर्थात् “आर्थिक और व्यावसायिक नवाचार”, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी”, और “संस्कृति और समुदाय” में प्रदान किया जाता है। 

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