विश्व एड्स दिवस 2025: भारत की जारी लड़ाई और भविष्य का रोडमैप

विश्व एड्स दिवस, जो हर वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है, एचआईवी/एड्स से निपटने में हुई प्रगति पर विचार करने और इस महामारी को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने की एक वैश्विक याद दिलाता है। भारत भी वैश्विक समुदाय के साथ इस दिन को राष्ट्रीय जागरूकता अभियानों, नीतिगत पहल के प्रसार और 2030 तक एड्स समाप्त करने के संकल्प के साथ मनाता है, जैसा कि देश के राष्ट्रीय एड्स एवं यौन संचारित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) में निर्धारित किया गया है — जिसे वैश्विक स्तर पर एक सफल मॉडल के रूप में माना जाता है।

साल 2025 की थीम

हर साल की तरह इस साल भी वर्ल्ड एड्स डे के लिए खास थीम चुनी गई है। इस साल की थीम है- Overcoming disruption, transforming the AIDS response। इस थीम को साल 2030 तक एड्स को खत्म करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए चुना गया है। यह थीम हमें चेताती है कि जब तक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, शिक्षा और अवसरों की खाई बनी रहेगी, तब तक एड्स का प्रसार रोक पाना मुश्किल होगा।

भारत की एड्स नियंत्रण यात्रा: संकट से संकल्प तक

भारत की एचआईवी के प्रति प्रतिक्रिया 1980 के दशक के मध्य में जागरूकता और शुरुआती पहचान के साथ शुरू हुई और धीरे-धीरे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के नेतृत्व में एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति में विकसित हुई। वर्षों के दौरान भारत ने अपनी रणनीति को आपातकालीन प्रतिक्रिया से बदलकर मानवाधिकारों और स्वास्थ्य समानता पर आधारित दीर्घकालिक, नीतिगत हस्तक्षेपों पर केंद्रित किया।

NACO की मजबूत नेतृत्व क्षमता और ठोस राजनीतिक समर्थन ने एक बहु-क्षेत्रीय, समावेशी और प्रभावी एड्स नियंत्रण ढाँचा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रभावी एचआईवी नियंत्रण कार्यक्रमों में से एक संचालित करता है।

01 दिसंबर का दिन क्यों चुना गया?

साल 1988 में पहली बार 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया गया। इसकी शुरुआत का एक बड़ा कारण यह भी था कि उस समय चुनावों और क्रिसमस की छुट्टियों से दूर यह तारीख एक ‘न्यूट्रल’ विकल्प मानी गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। 1996 में इस कार्यक्रम की बागडोर विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर संयुक्त राष्ट्र का विशेष संगठन, यूएनएड्स (UNAIDS) ने संभाल ली। तब से यूएनएड्स हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम तय करता है, जो वैश्विक प्रयासों की दिशा तय करती है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP): प्रगति के चरण

NACP-I (1992–1999)

भारत की पहली संरचित प्रतिक्रिया, जिसका उद्देश्य एचआईवी के प्रसार को धीमा करना और इसके स्वास्थ्य प्रभाव को कम करना था।

NACP-II (1999–2006)

एचआईवी के प्रसारण में कमी लाने और एक स्थायी राष्ट्रीय प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने पर केंद्रित।

NACP-III (2007–2012)

उच्च-जोखिम समूहों (HRGs) में रोकथाम और उपचार की पहुँच बढ़ाकर एचआईवी महामारी को रोकने और उलटने का लक्ष्य।
इस चरण में जिला-स्तरीय समन्वय के लिए जिला एड्स रोकथाम एवं नियंत्रण इकाइयाँ (DAPCUs) शुरू की गईं।

NACP-IV (2012–2017)

महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए गए —

  • नई एचआईवी संक्रमणों में 50% की कमी

  • एचआईवी के साथ रहने वाले व्यक्तियों (PLHIV) के लिए व्यापक देखभाल
    यह चरण 2030 तक एड्स समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप 2021 तक विस्तारित किया गया।

इस अवधि में प्रमुख पहलें शामिल थीं—

  • एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017: PLHIV के अधिकारों की रक्षा करता है, भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है और गोपनीयता सुनिश्चित करता है।

  • मिशन संपर्क: उपचार छोड़ चुके PLHIV को पुनः जोड़ने की पहल।

  • टेस्ट एंड ट्रीट नीति: एचआईवी की पुष्टि होते ही तुरंत ART उपचार की शुरुआत।

  • नियमित वायरल लोड मॉनिटरिंग: उपचार की निरंतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए।

NACP-V (2021–2026)

₹15,471.94 करोड़ के बजट के साथ शुरू किया गया।
यह चरण पिछले कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर आधारित है और व्यापक परीक्षण, उपचार और रोकथाम सेवाएँ प्रदान करता है।
इसका मुख्य उद्देश्य 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करना है।

मजबूत कानूनी और संस्थागत ढाँचा

भारत की एड्स प्रतिक्रिया को मजबूत कानूनों और नीतियों का समर्थन प्राप्त है:

  • एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 — PLHIV को भेदभाव से सुरक्षा देकर 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लोकपाल (Ombudsman) की नियुक्ति को अनिवार्य करता है ताकि शिकायतों का समाधान हो सके।

कानूनी प्रावधानों और नीतिगत नवाचारों के संयोजन ने एचआईवी देखभाल को अधिक सुलभ और न्यायसंगत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एचआईवी जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी

राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान

NACO द्वारा संचालित ये अभियान मल्टीमीडिया आउटरीच, सोशल मीडिया जागरूकता और जन-संचार के माध्यम से युवा एवं वंचित समुदायों को लक्षित करते हैं।

आउटडोर और सामुदायिक जागरूकता

  • होर्डिंग्स, बस विज्ञापन, लोक कला आधारित कार्यक्रम, IEC वैन

  • आशा कार्यकर्ताओं, स्वयं सहायता समूहों (SHGs), पंचायती राज संस्थानों के लिए प्रशिक्षण

  • कार्यस्थलों और स्वास्थ्य संस्थानों में कलंक और भेदभाव को समाप्त करने के अभियान

लक्षित हस्तक्षेप (Targeted Interventions)

अक्टूबर 2025 तक, भारत उच्च-जोखिम समूहों (HRGs) के लिए 1,587 लक्षित हस्तक्षेप परियोजनाएँ संचालित कर रहा है, जो रोकथाम और उपचार सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करती हैं।

भारत का वैश्विक प्रभाव और नेतृत्व

एचआईवी/एड्स के प्रति भारत का दृष्टिकोण विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बन चुका है —
डेटा-आधारित नीति, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण और सामुदायिक नेतृत्व वाली रणनीतियों के लिए विश्व स्तर पर सराहना मिली है।

भारत में नई एचआईवी संक्रमणों में कमी और एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (ART) तक पहुँच बढ़ाने की गति वैश्विक औसत से तेज है।

भारत की राष्ट्रीय रणनीति संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3.3 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य 2030 तक एड्स समाप्त करना है — साझेदारी, नवाचार और समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से।

मुख्य बिंदु 

  • वैश्विक आयोजन: विश्व एड्स दिवस — हर वर्ष 1 दिसंबर

  • 2025 की थीम: “ओवरकमिंग डिसरप्शन, ट्रांसफॉर्मिंग द एड्स रिस्पॉन्स”

  • भारत की प्रमुख संस्था: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO)

  • कानूनी ढाँचा: एचआईवी/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017

  • मुख्य कार्यक्रम: राष्ट्रीय एड्स एवं यौन रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NACP)

  • वर्तमान चरण: NACP-V (2021–2026) — कुल बजट ₹15,471.94 करोड़

भारत की GDP में जबरदस्त उछाल, FY26 की दूसरी तिमाही में 8.2% की ग्रोथ

भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में मजबूत 8.2% जीडीपी वृद्धि दर्ज की है। यह आंकड़ा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया गया। यह वृद्धि पिछली वर्ष की समान अवधि Q2 FY25 के 5.6% की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक है, जो प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के पुनरुत्थान की ओर संकेत करती है।

क्षेत्रवार प्रदर्शन: उद्योग और सेवाएँ बनीं विकास की प्रमुख ताकत

मजबूत जीडीपी वृद्धि के पीछे माध्यमिक (Secondary) और तृतीयक (Tertiary) क्षेत्रों का तेज़ विस्तार प्रमुख कारण रहा, जो मिलकर भारत के आर्थिक उत्पादन का बड़ा हिस्सा बनाते हैं।

  • मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 9.1% वृद्धि दर्ज हुई, जो कारखाना गतिविधियों और औद्योगिक मांग में पुनरुत्थान को दर्शाती है।

  • निर्माण (Construction) क्षेत्र 7.2% बढ़ा, जिसे बुनियादी ढांचा विकास और रियल एस्टेट में सुधार का समर्थन मिला।

  • सेवाएँ क्षेत्र (Tertiary) ने 9.2% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफ़ेशनल सेवाओं ने प्रभावशाली 10.2% की वृद्धि प्राप्त की।

  • कृषि और संबद्ध क्षेत्र मात्र 3.5% बढ़े, जो मौसम की अस्थिरता के कारण सीमित रहे।

  • यूटिलिटी सेवाएँ (बिजली, गैस, जल आपूर्ति) क्षेत्र में 4.4% की वृद्धि देखी गई।

यह व्यापक और संतुलित वृद्धि उत्पादन आधारित तथा सेवा आधारित दोनों क्षेत्रों द्वारा संचालित एक सुदृढ़ आर्थिक पुनरुद्धार का संकेत देती है।

निजी उपभोग और माँग में सुधार

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताओं में से एक है प्राइवेट फ़ाइनल कंज़म्पशन एक्सपेंडिचर (PFCE) का पुनरुत्थान, जो Q2 FY26 में 7.9% बढ़ा, जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.4% था। यह उपभोक्ता भावना और घरेलू माँग में सुधार का संकेत देता है, जो मध्यम अवधि में सतत विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

घरेलू खर्च में यह बढ़ोतरी संभवतः नियंत्रित महंगाई, शहरी क्षेत्रों में स्थिर रोज़गार और त्योहारी सीज़न में बढ़ी खरीदारी से समर्थित रही।

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के वास्तविक आँकड़े: वास्तविक और नाममात्र दोनों में मजबूत वृद्धि

  • वास्तविक जीडीपी (Constant Prices) Q2 FY26 में ₹48.63 लाख करोड़ रही, जो Q2 FY25 के ₹44.94 लाख करोड़ से अधिक है।

  • नाममात्र जीडीपी (Current Prices) का अनुमान ₹85.25 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष यह ₹78.40 लाख करोड़ था — यानी 8.7% की वृद्धि।

FY26 की पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में,

  • वास्तविक जीडीपी वृद्धि: 8.0%

  • नाममात्र जीडीपी वृद्धि: 8.8%

ये आँकड़े भारत की अर्थव्यवस्था में व्यापक, स्थिर और बहु-क्षेत्रीय सुधार को दर्शाते हैं।

आर्थिक संकेतक और आधार वर्ष अपडेट

NSO ने जोर देकर कहा कि Q2 के आँकड़े कई वास्तविक समय के आर्थिक संकेतकों पर आधारित हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • कृषि उत्पादन लक्ष्यों से प्राप्त डेटा

  • औद्योगिक उत्पादन (कोयला, सीमेंट, स्टील आदि)

  • कॉरपोरेट वित्तीय परिणाम

  • परिवहन क्षेत्र के आंकड़े (रेलवे, उड्डयन, बंदरगाह)

  • GST संग्रह और बैंकिंग गतिविधि

  • सरकारी पूंजी एवं राजस्व व्यय

महत्वपूर्ण रूप से, भारत की GDP गणना का आधार वर्ष 2011–12 से बदलकर 2022–23 किया जा रहा है। यह संशोधित श्रृंखला 27 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी। नए आधार वर्ष में विस्तृत डेटा सेट और परिष्कृत पद्धतियाँ शामिल होंगी, जिससे आर्थिक गतिविधि का अधिक सटीक और आधुनिक मूल्यांकन संभव होगा।

मुख्य बिंदु 

  • भारत की Q2 FY26 GDP वृद्धि:

    • वास्तविक (Real): 8.2%

    • नाममात्र (Nominal): 8.7%

  • वास्तविक GDP: ₹48.63 लाख करोड़

  • नाममात्र GDP: ₹85.25 लाख करोड़

  • सबसे मजबूत योगदान देने वाले क्षेत्र:

    • मैन्युफैक्चरिंग: 9.1%

    • सेवाएँ (Services): 9.2%

    • निर्माण (Construction): 7.2%

  • PFCE में 7.9% की वृद्धि, जो उपभोक्ता भावना में सुधार दर्शाती है।

  • कृषि क्षेत्र अपेक्षाकृत कमजोर रहा, केवल 3.5% की वृद्धि के साथ।

  • GDP के आधार वर्ष को 2022–23 में बदला जाएगा (फरवरी 2026 तक लागू)।

  • डेटा NSO, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस 2025

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस हर वर्ष 29 नवंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया की सबसे प्रतीकात्मक बड़ी बिल्लियों में से एक — जगुआर (Panthera onca) — के संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। अमेरिका महाद्वीप में जैव-विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में जगुआर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह दिवस उनके संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। बढ़ते वनों की कटाई, अवैध शिकार और आवास विखंडन जैसी चुनौतियों को देखते हुए यह दिन जगुआर के भविष्य को सुरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देता है।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस क्यों बनाया गया?

जगुआर अमेरिका महाद्वीप का सबसे बड़ा वन्य बिल्ली प्रजाति है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शिकारी (बाघ और सिंह के बाद) माना जाता है। 1880 के दशक से जगुआर अपने ऐतिहासिक क्षेत्र का आधे से अधिक हिस्सा खो चुके हैं। इसका मुख्य कारण है:

  • कृषि और पशुपालन के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई

  • जंगलों में आग

  • खाल, हड्डियों और दाँतों के लिए अवैध व्यापार

  • किसानों के साथ मानव–वन्यजीव संघर्ष

इन चुनौतियों को देखते हुए जगुआर आवास वाले देशों ने एक साझा वैश्विक मंच के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस की शुरुआत की, ताकि संरक्षण, सतत विकास और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।

जगुआर से जुड़े प्रमुख तथ्य

  • वैज्ञानिक नाम: Panthera onca

  • संरक्षण स्थिति: संवेदनशील/निकट-थ्रेटेंड (Near-Threatened) — IUCN

  • मुख्य आवास: अमेज़न वर्षावन, घासभूमियाँ, सवाना

  • क्षेत्र: अमेज़न बेसिन, मध्य अमेरिका, ऐतिहासिक रूप से अर्जेंटीना से दक्षिण-पश्चिम USA तक

विशिष्ट विशेषताएं

  • जगुआर दिखने में तेंदुए जैसे होते हैं, लेकिन इनके रोसेट पैटर्न के भीतर काले धब्बे होते हैं।

  • अधिकांश बड़ी बिल्लियों के विपरीत, जगुआर बेहतरीन तैराक होते हैं और पनामा नहर जैसी मानव निर्मित संरचनाएँ तक पार कर चुके हैं।

  • ये कैपीबरा, हिरण, टैपिर, कछुए और यहाँ तक कि कैमन जैसे शिकारी भी खा सकते हैं।

  • दिन और रात—दोनों समय शिकारी के रूप में सक्रिय रहते हैं।

जगुआर के सामने प्रमुख खतरे

  • आवास विनाश: सोया खेती, पशुपालन और शहरीकरण

  • अवैध शिकार: पारंपरिक एशियाई चिकित्सा और अवैध वन्यजीव व्यापार

  • पशुधन संघर्ष: मवेशियों पर हमले के कारण किसानों द्वारा प्रतिशोध

  • जलवायु परिवर्तन: जंगलों में आग, मौसम बदलना, शिकार की उपलब्धता कम होना

  • वन्यजीव कॉरिडोर का टूटना: जिससे प्रजाति की जीन विविधता पर असर पड़ता है

संरक्षण प्रयास और वैश्विक सहयोग

  • CITES: जगुआर के अंगों का व्यापार प्रतिबंधित

  • राष्ट्रीय कानून: लगभग सभी जगुआर-क्षेत्र देशों में कानूनी संरक्षण

  • जगुआर कॉरिडोर: दक्षिण और मध्य अमेरिका में वन्यजीव मार्गों को पुनर्स्थापित करने के प्रयास

  • अंतरराष्ट्रीय संस्थागत सहयोग: UN SDGs के अनुरूप संरक्षण लक्ष्य

ब्राज़ील, मेक्सिको और कोलंबिया इस प्रयास में अग्रणी हैं, जो वैज्ञानिक मॉनिटरिंग, संरक्षण और समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस का महत्व

जगुआर एक कीस्टोन स्पीशीज़ हैं — इनके अस्तित्व पर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत निर्भर करती है। इस दिवस के ज़रिए:

  • पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा

  • वन-क्षरण वाले उत्पादों के प्रति जागरूकता

  • वन्यजीव–अनुकूल पर्यटन को प्रोत्साहन

  • अवैध वन्यजीव व्यापार पर रोक

आप क्या कर सकते हैं?

  • जगुआर संरक्षण पर जागरूकता फैलाएँ

  • ऐसे उत्पादों से बचें जो वनों की कटाई बढ़ाते हैं

  • Jaguar Spirit जैसी डॉक्यूमेंट्री देखें और साझा करें

  • अवैध वन्यजीव पर्यटन और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाएँ

  • स्कूलों/समुदाय में पोस्टर, कला या प्रस्तुति तैयार करें

  • अमेज़न और मध्य अमेरिका में कार्यरत संरक्षण संगठनों को समर्थन दें

मुख्य निष्कर्ष

  • मनाया जाता है: 29 नवंबर

  • प्रजाति: जगुआर (Panthera onca) — दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बड़ी बिल्ली

  • स्थिति: Near-Threatened

  • मुख्य आवास: अमेज़न वर्षावन

  • मुख्य खतरे: वनों की कटाई, अवैध शिकार, आवास विखंडन

  • उद्देश्य: संरक्षण जागरूकता और UN SDGs के अनुरूप पर्यावरण रक्षा

भारत की पहली महिला पायलट कौन थी? उनका नाम जानें

शुरुआती दिनों में हवाई उड़ान को पुरुषों का पेशा माना जाता था। बहुत से लोग सोचते थे कि महिलाएँ विमानन की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकतीं। लेकिन एक साहसी महिला ने इन धारणाओं को गलत साबित किया। उन्होंने भारत में पहली बार विमान उड़ाकर न केवल इतिहास रचा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं के लिए विमानन क्षेत्र के द्वार खोल दिए।

भारत की पहली महिला पायलट: सरला ठकराल

सरला ठकराल भारत की पहली महिला थीं जिन्हें पायलट लाइसेंस मिला। वर्ष 1936 में केवल 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पायलट लाइसेंस हासिल किया और जिप्सी मॉथ विमान में अपना पहला एकल (solo) उड़ान सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने लाहौर फ्लाइंग क्लब से प्रशिक्षण लिया और लगभग 1,000 घंटे उड़ान भरी।

कई कठिनाइयों—पति की मृत्यु और द्वितीय विश्व युद्ध—के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और बाद में कला क्षेत्र में भी सफल करियर बनाया। उनका मजबूत संकल्प आज भी कई लोगों को प्रेरित करता है।

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म तिथि: 8 अगस्त 1914

  • जन्म स्थान: दिल्ली

1914 में जन्मी सरला ठकराल ने 1936 में मात्र 21 वर्ष की आयु में पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। उन्होंने जिप्सी मॉथ विमान में अकेले उड़ान भरी और लाहौर फ्लाइंग क्लब के विमानों पर लगभग 1,000 घंटे की उड़ान दर्ज की। सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने पी. डी. शर्मा से विवाह किया। शर्मा ऐसे परिवार से थे जिसमें नौ सदस्य पायलट थे। पति का सहयोग उनके सपनों को और मजबूती देता था।

विमानन उपलब्धियाँ

  • सरला ठकराल की कहानी साहस और दृढ़ निश्चय की मिसाल है। जहाँ उनके पति पी. डी. शर्मा भारत के पहले एयरमेल पायलट थे, वहीं सरला खुद विमानन क्षेत्र की अग्रणी महिला बनीं।
  • उस दौर में जब बहुत कम महिलाएँ उड़ान भरने का साहस करती थीं, सरला ठकराल ने इतिहास रचते हुए A-लाइसेंस पाने वाली शुरुआती भारतीय महिलाओं में जगह बनाई।

त्रासदी का समय

  • 1939 में सरला के जीवन में बड़ा दुःख आया। उनके पति पी. डी. शर्मा की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। यह उनके लिए अत्यंत कष्टदायक समय था।
  • उन्होंने कमर्शियल पायलट बनने का सपना देखा था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण नागरिक विमानन प्रशिक्षण रोक दिया गया, जिससे उनका सपना अधूरा रह गया।

नया मार्ग: कला की दुनिया

  • पति के निधन, बच्चे की जिम्मेदारी और आर्थिक आवश्यकताओं के चलते, सरला ने अपनी रचनात्मक क्षमता की ओर रुख किया।
  • वह लाहौर लौटीं और मायो स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिंग की शैली सीखी और उनकी कला निखरती गई।
  • कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा हासिल किया और कला क्षेत्र में एक सफल करियर बनाया।

विरासत

सरला ठकराल का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयाँ हमारे संकल्प को नहीं रोक सकतीं। उन्होंने दिखाया कि चाहे जीवन हमें किसी भी मोड़ पर ले जाए, दृढ़ता और सकारात्मकता हमें नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है। भले ही वह कमर्शियल पायलट बनने का सपना पूरा नहीं कर सकीं, लेकिन उन्होंने कला की दुनिया में नई उड़ान भरी। उनकी कहानी पीढ़ियों को प्रेरित करती है कि मंज़िल तक पहुँचने के रास्ते बदल सकते हैं—लेकिन हिम्मत और लगन हो तो कोई भी ऊँचाई असंभव नहीं।

भारत ने अफ़गानिस्तान के हेल्थकेयर को सपोर्ट करने के लिए 73 टन दवाइयां और वैक्सीन भेजीं

मानवीय एकजुटता के मजबूत प्रदर्शन में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के संघर्षग्रस्त स्वास्थ्य तंत्र को समर्थन देने के लिए काबुल में 73 टन जीवनरक्षक दवाइयाँ, टीके और आवश्यक पोषण-सप्लीमेंट्स भेजे हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा की गई इस घोषणा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे अफ़ग़ान नागरिकों के लिए भारत निरंतर मानवीय और चिकित्सीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या भेजा गया?

भारत द्वारा भेजे गए राहत पैकेज में शामिल हैं—

  • जीवनरक्षक दवाइयाँ

  • टीकाकरण अभियानों के लिए आवश्यक वैक्सीन

  • कुपोषण और सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को पूरा करने वाले आवश्यक पोषण व चिकित्सीय सप्लीमेंट
    कुल मिलाकर 73 टन का यह मेडिकल कंसाइनमेंट हाल के वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान को भेजी गई सबसे बड़ी मानवीय सहायता शिपमेंट्स में से एक है।

पृष्ठभूमि: अफ़ग़ानिस्तान के लिए भारत की निरंतर सहायता

भारत लंबे समय से अफ़ग़ानिस्तान के विकास में प्रमुख भागीदार रहा है—इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसी प्रमुख परियोजनाओं के ज़रिए।

2021 के बाद, अफ़ग़ानिस्तान में सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के कारण बुनियादी सेवाओं तक पहुँच प्रभावित हुई, जिसके बाद भारत ने मानवीय सहायता पर अपना ध्यान और बढ़ाया है।

पिछले दो वर्षों में भारत ने—

  • गेहूँ की आपूर्ति

  • वैक्सीन और दवाइयाँ

  • छात्रों व पेशेवरों के लिए छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रम

जैसी कई महत्वपूर्ण सहायता पहलें जारी रखी हैं।

इस मेडिकल सहायता का महत्व

यह 73 टन का मेडिकल कंसाइनमेंट कई मायनों में महत्वपूर्ण है—

1. मानवीय सहयोग

दवाइयों की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में बाधाओं से जूझ रही आबादी को सीधा राहत प्रदान करता है।

2. क्षेत्रीय कूटनीति

दक्षिण एशिया में भारत की छवि एक विश्वसनीय और संवेदनशील साझेदार के रूप में और मजबूत होती है।

3. सॉफ्ट पावर रणनीति

मानवीय सहायता के माध्यम से भारत अपनी शांति-प्रधान, सहयोगात्मक विदेश नीति को आगे बढ़ाता है।

4. जन-से-जन संबंध

ऐसी पहलें भारत और अफ़ग़ान लोगों के बीच विश्वास, सद्भाव और दीर्घकालिक दोस्ती को गहरा करती हैं।

मुख्य तथ्य 

  • भेजी गई सहायता: 73 टन दवाइयाँ, वैक्सीन, और मेडिकल सप्लाई

  • गंतव्य: काबुल, अफ़ग़ानिस्तान

  • किसके द्वारा: भारत सरकार (विदेश मंत्रालय के माध्यम से)

  • उद्देश्य: अफ़ग़ानिस्तान की सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों के लिए मानवीय समर्थन

  • लगातार चल रही सहायता का हिस्सा: भारत पहले भी गेहूँ, COVID वैक्सीन, दवाइयाँ, प्रशिक्षण व छात्रवृत्ति कार्यक्रम भेज चुका है

चीन का ‘आर्कटिक एक्सप्रेस’ मार्ग खुला — भारत को क्यों मज़बूत करने होंगे अपने समुद्री गलियारे

चीन द्वारा शुरू किया गया ‘आर्कटिक एक्सप्रेस’ मार्ग वैश्विक शिपिंग परिदृश्य को पूरी तरह बदल देने की क्षमता रखता है। यह नया समुद्री मार्ग उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route—NSR) के माध्यम से एशिया और यूरोप के बीच यात्रा समय को घटाकर सिर्फ 18 दिन कर देता है, जो परंपरागत मार्गों—जैसे स्वेज कालवा या केप ऑफ गुड होप—से कहीं तेज़ और अधिक सुरक्षित है। यह ‘Polar Silk Road’ की चीनी रणनीति का मुख्य हिस्सा है।

भारत के लिए यह बदलाव एक महत्वपूर्ण संकेत है कि उसे अपने समुद्री गलियारों को और मज़बूत करना होगा, रूस जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाना होगा, और वैश्विक व्यापार के नए नक्शे में अपनी जगह सुनिश्चित करनी होगी।

आर्कटिक एक्सप्रेस क्या है?

‘आर्कटिक एक्सप्रेस’ चीन की पहली वाणिज्यिक आर्कटिक शिपिंग सेवा है, जो Ningbo–Zhoushan बंदरगाह को UK के Felixstowe पोर्ट से जोड़ती है। यह मार्ग:

  • यात्रा समय को 40+ दिनों से घटाकर 18 दिन कर देता है

  • लॉजिस्टिक लागत व कार्बन उत्सर्जन में लगभग 50% कमी लाता है

  • रेड सी, होर्मुज़ जैसे अस्थिर या भीड़भाड़ वाले चोकप्वाइंट्स से बचाता है

  • स्थिर व ठंडे क्षेत्रों से गुजरता है, जिससे सुरक्षा व विश्वसनीयता बढ़ती है

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?

1. जोखिम: व्यापार मानचित्र से किनारे होने का खतरा

यदि आर्कटिक शिपिंग तेज़ी से लोकप्रिय होती है, तो पारंपरिक समुद्री मार्गों पर आधारित देश—जैसे भारत—को नुकसान हो सकता है, क्योंकि वैश्विक शिपिंग उनके बंदरगाहों को बाईपास कर सकती है।

2. रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव

▪ भू-रणनीतिक प्रभाव

उभरते व्यापार गलियारों पर भारत का नियंत्रण कमज़ोर पड़ सकता है।

▪ व्यापार प्रतिस्पर्धा में गिरावट

यदि भारतीय निर्यात पारंपरिक, धीमे मार्गों पर निर्भर रहे तो वे चीन, रूस या यूरोप की तेज़ Arctic-वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं से पीछे रह सकते हैं।

▪ ऊर्जा सुरक्षा

रूस के आर्कटिक क्षेत्र से LNG व कच्चे तेल की आपूर्ति भारत के लिए सुलभ हो सकती है—बशर्ते भारत Arctic नेटवर्क में सक्रिय भूमिका निभाए।

भारत की प्रतिक्रिया: समुद्री गलियारे क्यों महत्वपूर्ण हैं?

1. चेन्नई–व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा (CVMC)

  • भारत–रूस पूर्वी क्षेत्र को जोड़ने वाला 10,300 किमी मार्ग

  • यात्रा समय 40 दिनों से घटकर 24 दिन

  • आर्कटिक बंदरगाहों तक संभावित कनेक्शन

2. INSTC (अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा)

  • भारत–ईरान–रूस–यूरोप को जोड़ने वाला 7,200 किमी कॉरिडोर

  • स्वेज मार्ग की तुलना में तेज़ और सस्ता

  • आर्कटिक व्यापार मार्गों तक भारत की रणनीतिक पहुँच मजबूत करता है

3. आईएमईसी (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा)

  • भारतीय, खाड़ी और यूरोपीय बंदरगाहों को जोड़ने वाला एक उभरता हुआ बहु-माध्यम कॉरिडोर

  • चीन की BRI और Arctic रणनीति का प्रतिस्पर्धी विकल्प

भारत की आर्कटिक सहभागिता

भारत 2008 से आर्कटिक में सक्रिय है:

  • Himadri Research Station (Svalbard)

  • आर्कटिक परिषद में स्थायी पर्यवेक्षक

  • India’s Arctic Policy (2022) के छह स्तंभ: अनुसंधान, जलवायु, खनिज, ऊर्जा, समुद्री मार्ग, रणनीतिक साझेदारी

  • ONGC Videsh की रूस के आर्कटिक LNG प्रोजेक्ट्स में रुचि

मुख्य बिंदु 

  • चीन का आर्कटिक एक्सप्रेस वैश्विक व्यापार के नियम बदल रहा है।

  • भारत को तुरंत अपने समुद्री गलियारों—CVMC, INSTC, IMEC—को गति देनी होगी।

  • आर्कटिक कूटनीति, बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर और जहाज़ निर्माण में निवेश अत्यंत आवश्यक है।

  • भारत की समुद्री दृष्टि 2030 और आर्कटिक नीति 2022 में दिशा स्पष्ट है—अब ज़रूरत तेज़ी से क्रियान्वयन की है।

भारत ने MH-60R नेवी हेलीकॉप्टर सपोर्ट के लिए US के साथ ₹7,900 करोड़ का सौदा किया

भारत ने अपनी नौसेना की क्षमता को और मजबूत करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ₹7,900 करोड़ का एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जिसके तहत MH-60R Seahawk हेलिकॉप्टर बेड़े के व्यापक रखरखाव और समर्थन की व्यवस्था की जाएगी। यह उच्च-मूल्य वाला करार Foreign Military Sales (FMS) कार्यक्रम के तहत औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित हुआ और भारतीय नौसेना के सबसे उन्नत रोटरी-विंग प्लेटफॉर्म के लिए दीर्घकालिक समर्थन सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस समझौते में रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी सरकार के बीच Letters of Offer and Acceptance (LOAs) पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। यह करार दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक रक्षा साझेदारी को दर्शाता है और यह भी संकेत देता है कि भारत अपनी अत्याधुनिक नौसैनिक परिसंपत्तियों का आधुनिकीकरण और सुचारू रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

समझौते में क्या शामिल है?

यह सपोर्ट पैकेज MH-60R हेलिकॉप्टरों को उच्च स्तर पर संचालन योग्य बनाए रखने के लिए तैयार किया गया है। इसमें शामिल हैं—

  • आवश्यक स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता

  • हेलिकॉप्टरों के लिए तकनीकी सहायता और प्रोडक्ट सपोर्ट

  • रखरखाव कर्मियों का विशेष प्रशिक्षण

  • प्रमुख घटकों की मरम्मत और पुनःपूर्ति

  • भारत में मध्य-स्तरीय मरम्मत और निरीक्षण सुविधाओं का विकास

इन सुविधाओं से हेलिकॉप्टरों की ऑपरेशनल रेडीनेस बढ़ेगी और विदेशी मरम्मत केंद्रों पर निर्भरता कम होगी।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

यह समझौता Aatmanirbhar Bharat पहल को और मजबूती देता है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार—

  • देश की MSMEs और घरेलू रक्षा कंपनियों को रखरखाव और लॉजिस्टिक्स में बड़ी भूमिका मिलेगी।

  • भारत में स्थानीय क्षमता निर्माण बढ़ेगा।

  • देश खुद अपनी रक्षा प्रणाली के रखरखाव में अधिक आत्मनिर्भर बनेगा।

MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर के बारे में

MH-60R, जिसे “Romeo” भी कहा जाता है, Lockheed Martin द्वारा विकसित दुनिया का सबसे उन्नत नौसैनिक मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर है। यह सक्षम है—

  • एंटी-सरफेस वॉरफेयर

  • सर्च एंड रेस्क्यू (SAR)

  • सर्विलांस और रिकॉनिसेंस

  • नेवल लॉजिस्टिक्स और कम्युनिकेशन सपोर्ट

भारत ने 2020 में 24 MH-60R हेलिकॉप्टर खरीदने का समझौता किया था, जिससे इसकी समुद्री निगरानी और युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।

रणनीतिक एवं परिचालन महत्व

यह डील ऐसे समय में हुई है जब भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी समुद्री शक्ति को मजबूत करने में जुटा है। इससे—

  • MH-60R बेड़ा पूरे जीवनचक्र में युद्ध-तैयार बना रहेगा

  • भारत की समुद्री प्रतिरोधक क्षमता और प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेगी

  • भारत–अमेरिका रक्षा सहयोग और गहरा होगा

  • भारत को उन्नत नौसैनिक अभियानों में निरंतर बढ़त मिलेगी

मुख्य बिंदु 

  • भारत ने MH-60R हेलिकॉप्टरों के रखरखाव हेतु अमेरिका से ₹7,900 करोड़ का समझौता किया।

  • समझौते में स्पेयर पार्ट्स, मरम्मत, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता शामिल है।

  • यह करार Aatmanirbhar Bharat को बढ़ावा देता है और MSME सहभागिता को प्रोत्साहित करता है।

  • MH-60R एक उन्नत मल्टी-रोल नौसैनिक हेलिकॉप्टर है, जो ASW, SAR और निगरानी अभियानों में सक्षम है।

  • डील भारत–अमेरिका रक्षा साझेदारी और भारत की समुद्री सामरिक शक्ति को मजबूत करती है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $4.47 बिलियन घटकर $688.1 बिलियन पर आया: RBI

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में तेज गिरावट दर्ज की गई है। 21 नवंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के फॉरेक्स भंडार में 4.472 अरब डॉलर की कमी आई, जिससे कुल भंडार घटकर 688.104 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट पिछले सप्ताह के 5.543 अरब डॉलर की बढ़त के बाद दर्ज हुई है। भंडार में आई यह कमी मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) और सोने के भंडार के मूल्य में गिरावट के कारण हुई है।

गिरावट के मुख्य कारण 

1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ 

  • FCAs में 1.69 अरब डॉलर की गिरावट आई।

  • नई कुल राशि: 560.6 अरब डॉलर

  • इनमें यूरो, पाउंड, येन जैसी मुद्राएँ शामिल होती हैं, जिनका डॉलर मूल्य मुद्रा उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है।

2. सोने का भंडार 

  • सोने के मूल्य में 2.675 अरब डॉलर की भारी गिरावट।

  • कुल मूल्य घटकर 104.182 अरब डॉलर

  • इसका कारण वैश्विक सोना बाज़ार में गिरावट या RBI द्वारा पोर्टफोलियो का पुनर्संतुलन हो सकता है।

3. विशेष आहरण अधिकार 

  • SDRs का मूल्य 84 मिलियन डॉलर घटा।

  • नई कुल राशि: 18.566 अरब डॉलर

  • SDRs IMF द्वारा बनाए गए अंतरराष्ट्रीय रिजर्व एसेट हैं।

4. IMF में आरक्षित स्थिति 

  • IMF में भारत की स्थिति 23 मिलियन डॉलर कम होकर 4.757 अरब डॉलर रह गई।

पृष्ठभूमि: विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?

फॉरेक्स रिज़र्व वे बाहरी परिसंपत्तियाँ हैं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्राओं में रखता है। इनका उपयोग—

  • आर्थिक झटकों से सुरक्षा,

  • रुपये की स्थिरता बनाए रखने,

  • आयात के भुगतान,

  • निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने
    के लिए किया जाता है।

फॉरेक्स रिज़र्व के चार प्रमुख घटक:

  1. FCAs

  2. सोना

  3. SDRs

  4. IMF आरक्षित स्थिति

भारत के रिज़र्व 2025 में एक समय 700 अरब डॉलर से ऊपर पहुँच चुके थे।

इस गिरावट का महत्व 

हालाँकि भंडार अब भी मजबूत है, लेकिन हालिया गिरावट कुछ संकेत देती है—

  • वैश्विक मुद्रा बाजार और सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव।

  • सोने के भंडार में गिरावट या तो अंतरराष्ट्रीय कीमतों के गिरने या RBI की रणनीतिक कार्रवाई का संकेत।

  • SDR और IMF स्थिति में बदलाव भारत की बाहरी वित्तीय प्रतिबद्धताओं में समायोजन को दर्शाता है।

इसके बावजूद, भारत दुनिया के सबसे बड़े फॉरेक्स भंडार रखने वाले देशों में शामिल है और वैश्विक अनिश्चितताओं जैसे कच्चे तेल की कीमतों और पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है।

मुख्य स्थिर तथ्य 

  • कुल फॉरेक्स रिज़र्व (21 नवंबर 2025): 688.104 अरब डॉलर

  • साप्ताहिक गिरावट: 4.472 अरब डॉलर

  • पिछले सप्ताह का भंडार: 692.576 अरब डॉलर

  • FCAs: 560.6 अरब डॉलर

  • सोने का भंडार: 104.182 अरब डॉलर

  • SDRs: 18.566 अरब डॉलर

  • IMF रिज़र्व स्थिति: 4.757 अरब डॉलर

  • प्रबंधन: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

  • SDRs जारी करने वाली संस्था: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

भारत 2025 में 7 प्रतिशत GDP वृद्धि के साथ उभरते बाजारों में रहेगा अग्रणी: मूडीज

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अनुमान लगाया है कि भारत 2025 में उभरती अर्थव्यवस्थाओं और एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला देश रहेगा, जिसकी GDP वृद्धि 7% रहने की उम्मीद है। 2026 के लिए भारत की वृद्धि 6.4% अनुमानित की गई है, जो विकास की निरंतर मजबूत गति को दर्शाती है। मूडीज़ के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की वृद्धि 2025 में 3.6% और 2026 में 3.4% रहने का अनुमान है, जो 2024 के 3.3% से अधिक है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत की आर्थिक रफ्तार क्षेत्रीय औसत से कहीं अधिक है।

मजबूत घरेलू मांग से बना आर्थिक संतुलन

मूडीज़ भारत की मजबूती का श्रेय निम्न कारकों को देता है—

  • निरंतर निजी खपत

  • मजबूत निवेश गतिविधियाँ

  • सरकार का बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश

  • विस्तारित होता विनिर्माण और सेवाएँ क्षेत्र

ये घरेलू कारक भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं, भू-राजनैतिक तनावों और ऊर्जा बाज़ार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रखते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत और स्थिर बनी हुई है।

मुद्रा उतार-चढ़ाव का सीमित प्रभाव

हालाँकि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, लेकिन मूडीज़ का कहना है कि अधिकांश भारतीय कंपनियाँ विदेशी मुद्रा जोखिम को संभालने में सक्षम हैं। इसके कारण—

  • कंपनियों के पास अच्छी हेजिंग रणनीतियाँ मौजूद हैं।

  • इन्वेस्टमेंट-ग्रेड कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत है।

  • अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाज़ारों से भारतीय कंपनियों की पहुँच निरंतर बनी हुई है।

यह वित्तीय अनुशासन भारत को पूंजी प्रवाह में वैश्विक अस्थिरता के बावजूद स्थिर बनाए रखता है।

उभरते बाज़ारों में भारत की रणनीतिक बढ़त

मूडीज़ का दृष्टिकोण बताता है कि भारत वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच भी एक रणनीतिक रूप से मजबूत अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
भारत को बढ़त मिलती है—

  • बड़े बाज़ार आकार

  • जनसांख्यिकीय लाभ

  • संरचनात्मक सुधारों

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बढ़ती भूमिका से

IMF के 2026 के लिए 6.6% वृद्धि अनुमान और NSO द्वारा Q2 FY26 में 8.2% GDP वृद्धि जैसी सकारात्मक रिपोर्टें भी इस विकास कथा को मजबूत करती हैं।

मुख्य तथ्य 

  • मूडीज़ ने 2025 में भारत की 7% GDP वृद्धि का अनुमान लगाया—APAC और उभरते बाज़ारों में सबसे अधिक

  • 2026 में भारत 6.4% की दर से बढ़ता रहेगा।

  • APAC क्षेत्र में वृद्धि 2025 में 3.6% और 2026 में 3.4% रहेगी।

  • भारत की मजबूत घरेलू मांग, खपत और निवेश आर्थिक स्थिरता प्रदान करते हैं।

  • कमजोर होता रुपया बड़ा खतरा नहीं—भारतीय कंपनियों के पास प्रभावी विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन

  • भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत, और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास बना हुआ है।

जय शाह को “इंडियन ऑफ द ईयर 2025” से सम्मानित किया गया

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के चेयरमैन जय शाह को “इंडियन ऑफ़ द ईयर 2025” के Outstanding Achievement श्रेणी में सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार क्रिकेट प्रशासन में उनके परिवर्तनकारी नेतृत्व, ऐतिहासिक सुधारों और महिला क्रिकेट के उत्थान में उनकी निर्णायक भूमिका को मान्यता देता है।

संदर्भ

  • “इंडियन ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड्स” उन भारतीयों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने राष्ट्रीय या वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय प्रभाव डाला हो।
  • Outstanding Achievement पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने अपनी दूरदृष्टि, नवाचार और प्रभावशाली नेतृत्व से अपने क्षेत्र में परिवर्तनकारी कार्य किए हों।
  • जय शाह की यात्रा—BCCI सचिव (2019–2024) से ICC चेयरमैन (2024–वर्तमान)—प्रशासनिक सुधारों, विस्तार रणनीतियों और क्रिकेट के ढांचे में बड़े बदलावों की कहानी है।

जय शाह की प्रमुख उपलब्धियाँ

1. महिला क्रिकेट में ऐतिहासिक सुधार

  • विमेंस प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत।

  • पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीमों के बीच पे-परिटी लागू—भारतीय क्रिकेट इतिहास की बड़ी उपलब्धि।

2. क्रिकेट का आधुनिकीकरण

  • बड़े मीडिया राइट्स सौदों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

  • राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) के Centre of Excellence जैसे उच्च स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया।

3. ओलंपिक में क्रिकेट की पहल

  • क्रिकेट को ओलंपिक खेलों में शामिल कराने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे खेल की वैश्विक पहुंच बढ़ी।

4. फैन एंगेजमेंट और नई मार्केट्स तक विस्तार

  • विश्वभर में क्रिकेट प्रशंसकों के लिए नई डिजिटल और अनुभवात्मक रणनीतियों का विकास।

  • उभरती अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाने में योगदान।

5. महिला टीम का सम्मान

  • समारोह में भारत की महिला क्रिकेट टीम को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने ICC Women’s World Cup 2025 जीता।

  • इससे यह साबित होता है कि जय शाह द्वारा शुरू किए गए सुधारों ने मजबूत परिणाम दिए हैं।

यह पुरस्कार क्यों महत्वपूर्ण है?

  • खेल प्रशासन की भूमिका अब राष्ट्रीय पहचान और वैश्विक प्रभाव का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।

  • खेलों में समानता, समावेशिता और अवसर की दिशा में भारत की प्रगति को रेखांकित करता है।

  • भारत अब वैश्विक खेल नीति और क्रिकेट कूटनीति में प्रमुख स्थान रखता है।

जय शाह ने यह सम्मान हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी और मिताली राज को समर्पित किया, जो भारतीय महिला क्रिकेट के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता है।

अन्य प्रमुख विवरण

  • समारोह की तिथि: 28 नवंबर 2025

  • उपस्थिति: प्रमुख खेल हस्तियाँ, नीति-निर्माता और सांस्कृतिक जगत की प्रमुख शख्सियतें

  • अन्य पुरस्कार: भारतीय महिला क्रिकेट टीम को Sports Category में सम्मानित किया गया

मुख्य निष्कर्ष 

  • जय शाह को क्रिकेट प्रशासक के रूप में परिवर्तनकारी नेतृत्व के लिए पहचान मिली।

  • WPL, पे-परिटी और वैश्विक विस्तार जैसी पहलें मील का पत्थर मानी जा रही हैं।

  • क्रिकेट की दिशा तय करने में भारत की भूमिका अब पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली हो चुकी है।

  • यह सम्मान दर्शाता है कि बदलते युग में खिलाड़ियों के साथ-साथ प्रशासनिक नेता भी राष्ट्रीय गौरव के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।

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