RBI 25,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बांडों की नीलामी करेगा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) 11 जुलाई 2025 को ₹25,000 करोड़ मूल्य की दो सरकारी बांडों की नीलामी आयोजित करेगा। यह नीलामी मुंबई स्थित आरबीआई कार्यालय में उसके ई-क्यूबर (e-Kuber) प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से की जाएगी। इन बांडों को “डेटेड सिक्योरिटीज़” (Dated Securities) कहा जाता है, जो सरकार द्वारा दीर्घकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किए जाते हैं। यह प्रक्रिया सरकार को पूंजी जुटाने में मदद करती है, जिसका उपयोग बुनियादी ढांचे, सामाजिक योजनाओं और विकास कार्यों में किया जाता है।

नीलामी का विवरण

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, इस नीलामी में निम्नलिखित शामिल होंगे:

  • एक नया सरकारी बांड (जिसे सरकारी प्रतिभूति या Government Security – GS कहा जाता है) जिसकी परिपक्वता तिथि 14 जुलाई 2032 है, और जिसकी कुल राशि ₹11,000 करोड़ होगी।

  • एक पुराने बांड का पुन: निर्गम — 7.09% GS, जिसकी परिपक्वता तिथि 25 नवंबर 2074 है, और जिसकी कुल राशि ₹14,000 करोड़ होगी।

सरकार इन दोनों बांडों के लिए ₹2,000 करोड़ अतिरिक्त सदस्यता भी स्वीकार कर सकती है, यदि मांग अधिक रहती है। नीलामी के लिए अंतिम निपटान (भुगतान और बांड जारी करना) 14 जुलाई 2025 को किया जाएगा।

डेटेड सिक्योरिटी क्या होती है?

डेटेड सिक्योरिटी एक प्रकार की सरकारी बांड होती है जिसमें निश्चित ब्याज दर (interest rate) और एक तय परिपक्वता तिथि (maturity date) होती है। सरकार इन बांडों के माध्यम से दीर्घकालिक (लंबी अवधि) के लिए धन जुटाती है। इन बांडों पर हर छह महीने में नियमित रूप से ब्याज का भुगतान किया जाता है, जिससे निवेशकों को सुनिश्चित आय मिलती है।

री-इश्यू (Re-Issue) किए गए बांड वे पुराने बांड होते हैं जिन्हें सरकार दोबारा बेचती है ताकि अतिरिक्त धन जुटाया जा सके। ऐसे बांडों की ब्याज दर और परिपक्वता तिथि पहले जैसी ही रहती है, यानी इन्हें नए बांड की तरह नहीं बदला जाता, बल्कि मौजूदा शर्तों पर ही दोबारा जारी किया जाता है।

नीलामी की प्रक्रिया और समय

इस सरकारी बांड नीलामी को मल्टीपल-प्राइस मेथड (Multiple Price Method) के माध्यम से किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि सफल बोलीदाता अपनी-अपनी बोली के अनुसार अलग-अलग मूल्य पर बांड प्राप्त करेंगे।

नीलामी के दो प्रकार होंगे:

  • नॉन-कम्पिटेटिव बोलियाँ: सुबह 10:30 बजे से 11:00 बजे तक

  • कम्पिटेटिव बोलियाँ: सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे तक

परिणाम उसी दिन घोषित किए जाएंगे, और सफल बोलीदाताओं को 14 जुलाई 2025 तक भुगतान करना होगा।

प्राइमरी डीलरों (Primary Dealers) के लिए विशेष प्रावधान है — वे सुबह 9:00 बजे से 9:30 बजे तक बोलियाँ जमा कर सकते हैं।

कौन भाग ले सकता है और कैसे

  • न्यूनतम निवेश राशि ₹10,000 है, और इसके बाद निवेश ₹10,000 के गुणकों में किया जा सकता है।

  • कुल राशि का 5% हिस्सा खुदरा निवेशकों और छोटे संस्थानों के लिए आरक्षित किया गया है, जो RBI का रिटेल डायरेक्ट पोर्टल (Retail Direct Portal) के माध्यम से भाग ले सकते हैं।

  • ये बांड “व्हेन इश्यूड” ट्रेडिंग के लिए 8 जुलाई से 11 जुलाई 2025 तक खुले रहेंगे।

  • यदि किसी तकनीकी कारण से ऑनलाइन बोली संभव नहीं हो, तो विशेष स्थिति में भौतिक फॉर्म (Physical Forms) के माध्यम से बोली स्वीकार की जाएगी।

BMW इंडिया समूह ने हरदीप सिंह बरार को सीईओ किया नियुक्त

बीएमडब्ल्यू समूह इंडिया ने हरदीप सिंह बरार को अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी नियुक्त करने की घोषणा की। यह नियुक्ति एक सितंबर 2025 से प्रभावी होगी। बीएमडब्ल्यू इंडिया समूह की ओर से जारी बयान के अनुसार, किआ इंडिया के पूर्व कार्यपालक बरार, विक्रम पावाह का स्थान लेने जा रहे हैं। विक्रम पावाह अब बीएमडब्ल्यू ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पद का कार्यभार संभालेंगे।

BMW इंडिया में नेतृत्व में बदलाव

BMW ग्रुप इंडिया, जिसका मुख्यालय गुरुग्राम में है, ने एक आधिकारिक बयान में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की जानकारी दी है। हरदीप सिंह बरार, जो भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में 30 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं, 1 सितंबर 2025 से BMW इंडिया के नए अध्यक्ष और CEO के रूप में कार्यभार संभालेंगे। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब कंपनी भारत को अपने भविष्य के विकास के एक प्रमुख बाज़ार के रूप में देखते हुए अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है।

वर्तमान CEO विक्रम पवाह, जिन्होंने 2020 से 2025 तक BMW इंडिया का नेतृत्व किया, अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में BMW ग्रुप की ज़िम्मेदारी संभालेंगे, जहाँ वे पहले भी कार्यरत रह चुके हैं। उनके कार्यकाल में BMW इंडिया ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, डिजिटल सेवाओं और ग्राहक अनुभव जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की।

हरदीप सिंह बरार के बारे में

हरदीप सिंह बरार ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एक मजबूत पृष्ठभूमि के साथ BMW इंडिया में शामिल हो रहे हैं। वे हाल ही में किया इंडिया (Kia India) में सेल्स और मार्केटिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले उन्होंने मारुति-सुज़ुकी, फॉक्सवैगन, जनरल मोटर्स, निसान और ग्रेट वॉल मोटर्स जैसे प्रसिद्ध ब्रांड्स के साथ भी काम किया है। उनके अनुभव में बिक्री, विपणन, ग्राहक सेवा और व्यापार रणनीति का संचालन शामिल है।

उन्होंने थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की है और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सीनियर एग्जीक्यूटिव लीडरशिप प्रोग्राम भी पूरा किया है।

भारत में BMW ग्रुप की उपस्थिति

BMW ग्रुप इंडिया ने 2007 में अपने संचालन की शुरुआत की थी और इसमें तीन ब्रांड शामिल हैं: BMW, MINI, और BMW Motorrad। इसका भारतीय मुख्यालय गुरुग्राम में स्थित है। कंपनी चेन्नई में कार निर्माण संयंत्र, पुणे में एक वितरण केंद्र और गुरुग्राम में एक प्रशिक्षण केंद्र भी संचालित करती है। BMW ग्रुप के भारत में 80 से अधिक डीलरशिप हैं और यह 10 कार मॉडलों का स्थानीय निर्माण करता है।

कंपनी का उद्देश्य प्रीमियम कार बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखना है। नई नेतृत्व टीम के साथ, BMW इंडिया को उम्मीद है कि वह अपनी विकास यात्रा को जारी रखते हुए भारतीय ग्राहकों के साथ अपने संबंध और भी मजबूत करेगी।

RBI वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट – जून 2025

जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है, भारत स्थिरता और विकास का प्रतीक बनकर उभरा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जून 2025 में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report – FSR) देश की अर्थव्यवस्था की एक विस्तृत और सशक्त तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था न केवल तेजी से आगे बढ़ रही है, बल्कि वित्तीय क्षेत्रों में भी असाधारण मजबूती दिखाई दे रही है।

हालांकि भूराजनीतिक तनावों और वैश्विक व्यापार में व्यवधान जैसी बाहरी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन घरेलू मांग में मजबूती, कम होती महंगाई, और अच्छी तरह से पूंजीकृत बैंकिंग प्रणाली भारत को सुरक्षा कवच प्रदान कर रही हैं। यही कारण है कि भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक प्रदर्शन, वित्तीय संस्थानों की मजबूती और भविष्य की संभावनाओं का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य: बढ़ते जोखिमों का माहौल

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR), जून 2025 की शुरुआत एक स्पष्ट चेतावनी से होती है—वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय स्थिरता पर अल्पकालिक जोखिम कई अहम कारणों से बढ़े हैं:

नीतिगत और व्यापारिक अनिश्चितता

अप्रैल 2025 में अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ ने वैश्विक व्यापार नीति में अस्थिरता पैदा कर दी है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती की परीक्षा हो रही है।

  • IMF, OECD और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं ने वैश्विक विकास दर के अनुमान घटाए हैं।

  • IMF का पूर्वानुमान: 2025 में वैश्विक विकास दर घटकर 2.8% रह सकती है।

बढ़ता सार्वजनिक ऋण 

रिपोर्ट में बार-बार यह चिंता जताई गई है कि वैश्विक सार्वजनिक ऋण (Public Debt) तेज़ी से बढ़ रहा है।

  • IMF के अनुसार, दशक के अंत तक वैश्विक सार्वजनिक ऋण GDP के 100% तक पहुंच सकता है।

  • यह स्थिति आर्थिक मंदी के माहौल में देशों को गंभीर वित्तीय जोखिम में डाल सकती है।

अस्थिर वित्तीय बाजार

वैश्विक वित्तीय बाज़ार अत्यधिक संवेदनशील और अस्थिर बने हुए हैं।

  • अप्रैल 2025 में बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि
    अचानक झटके (sudden shocks) कैसे पहले से मौजूद कमज़ोरियों को और गहरा कर सकते हैं।

  • कई बाजारों में एसेट वैल्यूएशन (Asset Valuations) पहले से ही असामान्य रूप से ऊंचे स्तर पर हैं।

इस भाग का सार यह है कि वैश्विक अस्थिरता और कमजोर विकास दर की पृष्ठभूमि में भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सतर्क रहने की ज़रूरत है, ताकि वे इन बाहरी झटकों से सुरक्षित रह सकें।

भारतीय अर्थव्यवस्था: घरेलू मजबूती की प्रेरक कहानी

वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था आज भी वैश्विक विकास की प्रमुख शक्ति बनी हुई है। इसके पीछे कारण हैं—मजबूत आर्थिक बुनियाद, विवेकपूर्ण नीतियां, और तेज़ी से बढ़ती घरेलू मांग।

मजबूत GDP वृद्धि दर
भारत की आर्थिक प्रगति मुख्य रूप से घरेलू मांग के बल पर कायम है, जिससे यह वैश्विक संकटों से अपेक्षाकृत अप्रभावित बनी हुई है।

  • 2024–25 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.5% रही, जो कि वैश्विक औसत से कहीं बेहतर है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अनुमान जताया है कि 2025–26 में भी यही दर बनी रहेगी,
    जिसे ग्रामीण मांग में तेजी, शहरी उपभोग की वापसी और निवेश गतिविधियों में वृद्धि का समर्थन प्राप्त है।

आर्थिक आकार में तेज़ विस्तार
पिछले एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज़ी से आकार बढ़ाया है

  • 2014–15 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ₹106.57 लाख करोड़ था।

  • 2024–25 में इसके ₹331.03 लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है—यानी लगभग तीन गुना वृद्धि

मुद्रास्फीति पर मजबूत नियंत्रण

भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता (macroeconomic stability) का एक प्रमुख स्तंभ है — मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट

रिकॉर्ड गिरावट:
मई 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित हेडलाइन मुद्रास्फीति 2.8% रही — यह पिछले छह वर्षों में सबसे कम स्तर है।

  • यह गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को मध्यम अवधि के 4% लक्ष्य के साथ स्थायी रूप से मुद्रास्फीति को संरेखित करने का आत्मविश्वास देती है।

अनुकूल भविष्य दृष्टिकोण:
रिपोर्ट के अनुसार:

  • खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) के मोर्चे पर दृष्टिकोण सकारात्मक है, क्योंकि फसल उत्पादन अच्छा रहा है।

  • आयातित मुद्रास्फीति (Imported Inflation) का जोखिम भी कम है, क्योंकि वैश्विक विकास में मंदी से कमोडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने की संभावना है।

वित्तीय क्षेत्र की मजबूती: भारत की स्थिरता का मूल आधार

भारतीय रिज़र्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR), जून 2025 के अनुसार, भारत का वित्तीय तंत्र (financial system) मजबूत, लचीला और संतुलित है। बैंक, गैर-बैंकिंग संस्थाएं और कॉर्पोरेट क्षेत्र—तीनों की संतुलित बैलेंस शीट इस मजबूती को समर्थन देती हैं।

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक:

इतिहास में पहली बार इतनी मजबूती

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को अभूतपूर्व रूप से सशक्त बताया गया है, जहां

  • पूंजी भंडार रिकॉर्ड ऊँचाई पर है,

  • और गैर-निष्पादित ऋण (NPA) ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए हैं।

पूंजी पर्याप्तता (Capital Adequacy):

  • SCBs का पूंजी जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (CRAR) मार्च 2025 में बढ़कर 17.3% हो गया, जो अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है।

  • कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) अनुपात भी 14.7% तक पहुंच गया — यह दर्शाता है कि बैंकों की मूलभूत पूंजी स्थिति बेहद मज़बूत है।

एसेट क्वालिटी में सुधार:
बैंकों की ऋण गुणवत्ता (asset quality) में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।

  • एनपीए अनुपात अब मल्टी-डिकेडल लो (कई दशकों के न्यूनतम) पर है,

  • जिसका अर्थ है कि बैंकों की कर्ज वसूली और जोखिम प्रबंधन प्रणाली अब पहले से कहीं बेहतर हो चुकी है।

यह मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक वित्तीय झटकों से बचाने, ऋण प्रवाह बढ़ाने, और विकास को गति देने के लिए आधार प्रदान करती है।

बैंकों की ऋण गुणवत्ता में ऐतिहासिक सुधार

भारतीय बैंकिंग प्रणाली की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR), जून 2025 के अनुसार, बैंकों की ऋण वसूली क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और जोखिम प्रबंधन अब बेहद मजबूत स्थिति में है।

सकल एनपीए (GNPA) अनुपात

  • अब घटकर 2.3% पर आ गया है — यह कई दशकों का सबसे निचला स्तर है।

शुद्ध एनपीए (NNPA) अनुपात

  • केवल 0.5% रह गया है, जो दर्शाता है कि बैंक अब लगभग पूरी तरह सुरक्षित कर्ज दे रहे हैं।

प्रावधानीकरण कवरेज अनुपात (Provisioning Coverage Ratio)

  • मार्च 2025 तक यह 76.3% रहा, यानी बैंकों ने खराब ऋणों के लिए पर्याप्त धनराशि आरक्षित की है।

मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट: संकट में भी बनी रहेगी ताकत

भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह परखने के लिए बैंकों पर विभिन्न तनाव परिदृश्यों (stress scenarios) का परीक्षण किया, जिनमें गंभीर भूराजनीतिक जोखिम (geopolitical risk) भी शामिल थे।

  • परिणाम:
    सिस्टम-स्तरीय पूंजी पर्याप्तता (CRAR) सबसे खराब स्थिति में भी 14.2% बनी रहती है,
    जो कि नियामकीय न्यूनतम 9% से काफी ऊपर है।
    कोई भी बैंक CET1 (Common Equity Tier 1) की न्यूनतम पूंजी आवश्यकता से नीचे नहीं जाता।

B. एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थान

बैंकों के साथ-साथ भारत का पूरा वित्तीय तंत्र—जैसे कि एनबीएफसी, शहरी सहकारी बैंक और बीमा कंपनियाँ—भी अब पहले से कहीं अधिक मजबूत और लचीला हो गया है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs):

  • मार्च 2025 में सिस्टम-स्तरीय पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CRAR) 25.8% रहा — यह बहुत मजबूत पूंजी आधार को दर्शाता है।

  • हालाँकि आरबीआई द्वारा कुछ उपभोक्ता ऋण श्रेणियों पर जोखिम वज़न बढ़ाने के कारण ऋण वृद्धि में थोड़ी धीमी गति आई है, फिर भी यह क्षेत्र आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए अच्छी स्थिति में है।

शहरी सहकारी बैंक:

  • मार्च 2025 तक इन बैंकों की पूंजी स्थिति में सुधार हुआ है।

  • CRAR बढ़कर 18.0% तक पहुँच गया है, जो स्थिरता और नियामकीय अनुपालन का संकेत है।

बीमा क्षेत्र:

  • यह क्षेत्र भी मजबूत और वित्तीय रूप से सुरक्षित बना हुआ है।

  • दिसंबर 2024 तक:
    जीवन बीमा कंपनियों का औसत सॉल्वेंसी अनुपात: 204%
    गैर-जीवन बीमा कंपनियों का सॉल्वेंसी अनुपात: 166%

  • यह दोनों ही न्यूनतम आवश्यक सीमा 150% से काफी ऊपर हैं — यानी बीमा कंपनियाँ क्लेम और दायित्वों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

बाह्य क्षेत्र और प्रमुख नियामकीय पहलें

भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ाव मजबूती और आत्मविश्वास के साथ हो रहा है, जिसमें सक्रिय और दूरदर्शी नियामकीय उपायों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मजबूत विदेशी मुद्रा सुरक्षा कवच

  • विदेशी मुद्रा भंडार 20 जून, 2025 तक बढ़कर 697.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।

  • यह भंडार 11 महीने से अधिक के वस्तु आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

  • चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD) वर्ष 2024-25 में सिर्फ 0.6% GDP तक सीमित रहा — जो एक स्थिर और प्रबंधनीय स्तर है।

  • वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में CAD के स्थान पर अधिशेष (surplus) भी दर्ज किया गया।

प्रमुख नियामकीय पहलें (RBI द्वारा)

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय प्रणाली को अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए कई पहलें की हैं:

  1. उपभोक्ता ऋण पर जोखिम वज़न में वृद्धि
    विशेष रूप से गैर-सुरक्षित ऋण (personal loans, credit cards) में तेजी को नियंत्रित करने के लिए।

  2. प्रौद्योगिकी और साइबर जोखिम प्रबंधन ढांचे को मजबूत करना
    डिजिटल बैंकिंग और UPI के बढ़ते उपयोग को देखते हुए साइबर सुरक्षा नियमों को सख्त किया गया है।

  3. NBFC विनियमन को बैंकों के अनुरूप बनाना
    विशेष रूप से बड़े एनबीएफसी के लिए बैलेंस शीट पारदर्शिता और पूंजी पर्याप्तता सुनिश्चित करना।

  4. क्रेडिट जोखिम आधारित पूंजी रूपरेखा (Credit Risk-Based Capital Framework)
    वित्तीय संस्थानों की जोखिम समझने और प्रबंधन की क्षमता को बढ़ाने के लिए।

प्रमुख नियामकीय पहलें

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय प्रणाली को अधिक सशक्त, पारदर्शी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कुछ और अहम कदम उठाए हैं:

1. विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता (SRVA) ढांचा

उद्देश्य: भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना।
विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता एक ऐसा व्यवस्था है जिसमें विदेशी बैंक भारत में रुपये में खाता खोलते हैं, जिससे दो देशों के बीच बिना डॉलर के व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

इससे भारतीय निर्यातकों को रुपये में भुगतान मिलने लगता है और डॉलर पर निर्भरता घटती है

2. लिक्विडिटी कवरेज अनुपात (LCR) ढांचे में संशोधन

उद्देश्य: वित्तीय प्रणाली को तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण से उत्पन्न नए जोखिमों से सुरक्षित करना।
संशोधन के तहत बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे पर्याप्त तरल संपत्ति (liquid assets) रखें ताकि संकट के समय भी ग्राहकों की मांग पूरी की जा सके।

यह कदम डिजिटल लेन-देन में संभावित तेज निकासी या रन-ऑन के खतरे को कम करने के लिए है।

3. डिजिटल लेंडिंग से जुड़ी दिशा-निर्देशों का समेकन

उद्देश्य: पारदर्शिता बढ़ाना और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
अब डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म को स्पष्ट नियमों के तहत काम करना होगा—जैसे ब्याज दरों का खुलासा, ग्राहकों की सहमति, और डेटा गोपनीयता।

यह उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने और उचित ऋण प्रणाली को बढ़ावा देने का प्रयास है।

प्रणालीगत जोखिम का परिदृश्य

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा मई 2025 में किए गए सिस्टमेटिक रिस्क सर्वे (SRS) में विशेषज्ञों ने आगामी समय में भारत की वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करने वाले प्रमुख जोखिमों और संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए।

प्रमुख जोखिम

सर्वे में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने निकट भविष्य के लिए निम्नलिखित प्रमुख जोखिमों की पहचान की:

  1. भू-राजनीतिक टकराव (Geopolitical Conflicts)

  2. पूंजी का बहिर्गमन (Capital Outflows)

  3. परस्पर शुल्क/व्यापार मंदी (Reciprocal Tariff and Global Trade Slowdown)

  4. साइबर जोखिम (Cyber Risk)

  5. जलवायु परिवर्तन से जुड़ा जोखिम (Climate Risk)

ये सभी जोखिम भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए संभावित चुनौती माने जा रहे हैं।

भारत में भरोसा बरकरार

हालांकि वैश्विक परिस्थितियाँ अनिश्चित हैं, लेकिन भारत की घरेलू स्थिति को लेकर विशेषज्ञों का भरोसा मजबूत है:

  • 92% उत्तरदाताओं ने भारतीय वित्तीय प्रणाली पर उच्च या समान स्तर का विश्वास जताया।

  • लगभग 80% प्रतिभागियों का मानना है कि आने वाले वर्ष में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति बेहतर होगी या स्थिर बनी रहेगी।

RCB बनी आईपीएल की मोस्ट वैल्यूएबल टीम

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ने इस वर्ष अपनी वैल्यू में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। हौलिएन लोकी (Houlihan Lokey) की रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल की एंटरप्राइज वैल्यू 12.9% बढ़कर 18.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। इस वर्ष की सबसे बड़ी खासियत रही कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने अपना पहला आईपीएल खिताब जीतने के बाद $269 मिलियन की वैल्यू के साथ सबसे मूल्यवान फ्रेंचाइज़ी बन गई। यह उपलब्धि न केवल टीम के प्रदर्शन को दर्शाती है, बल्कि ब्रांड और व्यवसायिक दृष्टि से भी उसकी ताकत को उजागर करती है।

RCB की जीत से ब्रांड वैल्यू को जबरदस्त बढ़त

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने आईपीएल 2025 के फाइनल में पंजाब किंग्स (PBKS) को हराकर 17 साल के लंबे इंतज़ार को खत्म करते हुए अपना पहला खिताब जीत लिया। यह ऐतिहासिक जीत न केवल टीम के लिए गौरवपूर्ण रही, बल्कि इसकी ब्रांड वैल्यू में भी जबरदस्त उछाल आया। आरसीबी की वैल्यू 2024 के $227 मिलियन से बढ़कर 2025 में $269 मिलियन हो गई, जिससे वह आईपीएल की सबसे मूल्यवान टीम बन गई, और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) को पीछे छोड़ दिया।

मुंबई इंडियंस (MI) ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए $242 मिलियन की वैल्यू के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, जो पिछले वर्ष की चौथी रैंकिंग से एक बड़ी छलांग है। सीएसके (CSK) की वैल्यू हल्की बढ़त के साथ $235 मिलियन रही और वह तीसरे स्थान पर खिसक गई। वहीं, पंजाब किंग्स (PBKS) ने लगभग 40% की सालाना बढ़त के साथ सबसे तेज़ ग्रोथ दर्ज की, जो उनकी मजबूत ऑन-फील्ड परफॉर्मेंस को दर्शाता है।

आईपीएल की बढ़ती लोकप्रियता

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की ब्रांड वैल्यू 13.8% बढ़कर $3.9 बिलियन (लगभग ₹32,500 करोड़) तक पहुंच गई है। अब यह लीग दुनिया के शीर्ष खेल आयोजनों में गिनी जाती है। प्रायोजन (Sponsorship) से होने वाली कमाई में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। बीसीसीआई (BCCI) ने ₹1,485 करोड़ की कमाई की, जब उसने चार एसोसिएट स्पॉन्सर स्लॉट्स—My11Circle, Angel One, RuPay और CEAT—को बेचा।

इसके साथ ही, टाटा समूह (Tata Group) ने ₹2,500 करोड़ की डील के तहत पांच साल के लिए आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप को आगे बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आईपीएल की सफलता का राज इसके क्रिकेट, मनोरंजन और मजबूत मीडिया कवरेज के अनोखे मेल में छिपा है। यह लीग न केवल दर्शकों को बांधकर रखती है, बल्कि निवेशकों और ब्रांड्स के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और विविध दर्शक वर्ग के कारण भी इसकी पहुंच लगातार बढ़ रही है।

रिकॉर्ड व्यूअरशिप और दर्शकों की जबरदस्त भागीदारी

आईपीएल 2025 ने दर्शकों की संख्या के मामले में नया इतिहास रच दिया। जियोहॉटस्टार (JioHotstar) पर ओपनिंग वीकेंड पर ही 1,370 मिलियन (137 करोड़) व्यूज़ मिले, जबकि फाइनल मैच को 67.8 करोड़ से ज़्यादा व्यूज़ मिले—जो इस साल के भारत-पाकिस्तान मैच से भी अधिक थे। वहीं, स्टार स्पोर्ट्स पर 253 मिलियन (25.3 करोड़) यूनिक व्यूअर्स ने मैच देखे और कुल वॉच टाइम 50 बिलियन मिनट्स तक पहुंच गया।

आरसीबी और पीबीकेएस के बीच फाइनल मुकाबला आईपीएल के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण बन गया, क्योंकि दोनों टीमें अपना पहला खिताब जीतने की होड़ में थीं। इस मुकाबले में भारी रुचि यह दर्शाती है कि आईपीएल दर्शकों के दिलों में कितनी गहराई से बसा हुआ है और यह केवल एक टूर्नामेंट नहीं बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव बन चुका है।

विश्व जैव उत्पाद दिवस: 7 जुलाई

दुनिया भर में 7 जुलाई 2025 को विश्व जैव उत्पाद दिवस (World Bioproduct Day) मनाया गया। इस विशेष दिवस का उद्देश्य सतत जैव उत्पादों (sustainable bioproducts) के प्रति जागरूकता फैलाना और हरित भविष्य व जलवायु कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है। पहली बार यह दिवस 2021 में आयोजित किया गया था और तब से यह वैश्विक स्तर पर जैव-अर्थव्यवस्था (bioeconomy) में हो रही प्रगति, उपलब्धियों और नए लक्ष्यों को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। भारत सहित कई देशों ने इस अवसर पर इको-फ्रेंडली नवाचारों को उजागर किया और सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

जैव उत्पाद क्या हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

जैव उत्पाद (Bioproducts) वे उत्पाद होते हैं जो पौधों, शैवाल (algae), कृषि अपशिष्ट और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से बनाए जाते हैं। पारंपरिक उत्पादों की तरह ये कोयला या पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर नहीं होते, जिससे ये पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल होते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

जैव उत्पाद सर्कुलर इकोनॉमी (परिपत्र अर्थव्यवस्था) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जहाँ संसाधनों का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण किया जाता है।

जैव उत्पादों के दो प्रमुख प्रकार:

  1. परंपरागत जैव उत्पाद (Conventional Bioproducts)
    जैसे – कागज, लकड़ी, भवन निर्माण सामग्री इत्यादि।

  2. नवोन्मेषी जैव उत्पाद (Emerging Bioproducts)
    जैसे – जैव ईंधन (biofuels), जैव प्लास्टिक (bioplastics), जैव ऊर्जा (bioenergy), और जैव-आधारित चिपकने वाले पदार्थ (bio-based adhesives)।

जैव उत्पाद क्यों आवश्यक हैं?

  • ये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करते हैं।

  • नवाचार को बढ़ावा देते हैं – जैसे पैकेजिंग, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में।

  • कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करते हैं।

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हैं और स्थायी विकास में योगदान देते हैं।

इसलिए जैव उत्पादों का उपयोग और विकास हमारे पर्यावरण की रक्षा, आर्थिक सुधार और हरित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

जैव उत्पाद क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका

भारत जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) के क्षेत्र में तेजी से एक वैश्विक अग्रणी बनता जा रहा है। भारत का बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र 2024 तक 130 अरब डॉलर का आंकड़ा पार करने की ओर अग्रसर है। यह क्षेत्र भारत की हरित विकास और सतत प्रगति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत की प्रमुख भूमिकाएं:

  • बायोफार्मास्यूटिकल्स (Biopharmaceuticals): भारत वैश्विक स्तर पर सस्ती दवाएं और टीके प्रदान करता है। साथ ही, यह बायोसिमिलर दवाओं के निर्माण में भी अग्रणी है।
  • जैव कृषि (Bio Agriculture): भारत की 55% से अधिक भूमि खेती में उपयोग होती है। यहां बीटी कॉटन (Bt Cotton) उगाया जाता है, और भारत ऑर्गेनिक खेती क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल है। यह क्षेत्र 2025 तक $20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
  • बायो इंडस्ट्रियल (Bio Industrial): भारत में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग उद्योगों में उत्पादन सुधारने और अपशिष्ट प्रबंधन को बेहतर बनाने में किया जा रहा है।
  • बायो आईटी और सेवाएं (Bio IT & Services): भारत अनुसंधान, क्लीनिकल ट्रायल्स और बायोइन्फॉर्मेटिक्स जैसे क्षेत्रों में विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करता है।

यह तेज़ी से होता विकास भारत की पर्यावरण-अनुकूल नीतियों, नवाचार, और हरित अर्थव्यवस्था को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत है।

सतत जैव उत्पादों को बढ़ावा देने की वैश्विक पहल

वर्ल्ड बायोइकोनॉमी फोरम (World Bioeconomy Forum) ने हाल ही में एक नया डिजिटल टूल लॉन्च किया है: worldbiorefineries.com। यह वेबसाइट यूरोप की फॉरेस्ट-बेस्ड बायोरिफाइनरियों और नवीन जैव उत्पादों को प्रदर्शित करती है। इसका पहला प्रमुख फीचर है Biorefinery Map™, जो उपयोगकर्ताओं को विभिन्न सतत उत्पादों और जैव-उद्योग इकाइयों की जानकारी देता है। इस पहल का उद्देश्य है हरित नवाचार को प्रोत्साहित करना और दुनिया भर में पर्यावरण-अनुकूल उद्योगों को समर्थन देना।

नीरज चोपड़ा ने जीता ‘एनसी क्लासिक 2025’ का खिताब

भारत के गोल्डन बॉय और ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने बीते शनिवार को अपने नाम पर आयोजित पहले ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ टूर्नामेंट का शानदार आगाज करते हुए खिताब जीत लिया। बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में नीरज ने 86.18 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो कर पहला स्थान हासिल किया।

यह प्रतियोगिता वर्ल्ड एथलेटिक्स द्वारा मान्यता प्राप्त गोल्ड लेवल टूर्नामेंट थी, जो भारत में पहली बार जैवलिन थ्रो पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय आयोजन रहा। इसमें कुल 12 एथलीटों ने भाग लिया। केन्या के जूलियस येगो ने 84.51 मीटर के सीजन के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि श्रीलंका के रुमेश पथिरगे 84.34 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

नीरज चोपड़ा का पहला प्रयास

नीरज चोपड़ा का पहला प्रयास फाउल रहा, लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 82.99 मीटर की दूरी तय कर बढ़त बना ली। तीसरे प्रयास में उन्होंने 86.18 मीटर का थ्रो कर सभी को पीछे छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने क्रमश: 84.07 मीटर और 82.22 मीटर के थ्रो किए, जबकि एक थ्रो फिर से फाउल रहा।

नीरज चोपड़ा ने क्या कहा?

खिताब जीतने के बाद नीरज चोपड़ा ने कहा, “बेंगलुरु का बहुत-बहुत धन्यवाद। आज हवा का रुख हमारे लिए विपरीत था, जिससे थ्रो की दूरी प्रभावित हुई, लेकिन अनुभव बहुत अलग था क्योंकि इस बार मुझे केवल प्रतिस्पर्धा ही नहीं, कई अन्य आयोजन जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ीं। हम इस टूर्नामेंट में भविष्य में और स्पर्धाएं जोड़ने की कोशिश करेंगे। मैं बहुत खुश हूं कि मेरा परिवार भी आज यहां मौजूद था।”

युवाओं को प्रेरित करने के लिए भी एक बड़ा कदम

गौरतलब है कि ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ को जेएसडब्लू स्पोर्ट्स और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसे वर्ल्ड एथलेटिक्स ने आधिकारिक मान्यता दी थी। यह टूर्नामेंट न केवल भारत के खेल परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि युवाओं को प्रेरित करने के लिए भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

अडानी पावर ने 4,000 करोड़ रुपये में 600 मेगावाट की विदर्भ इकाई का अधिग्रहण किया

अडानी पावर लिमिटेड ने 4,000 करोड़ रुपये में दिवाला प्रक्रिया के जरिये 600 मेगावाट क्षमता वाली विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड का अधिग्रहण पूरा होने की मंगलवार को घोषणा की। अडानी पावर लिमिटेड (एपीएल) ने बयान में कहा कि 18 जून 2025 को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड (वीआईपीएल) के लिए उसकी समाधान योजना को मंजूरी दे दी है।

अडानी पावर ने पूरा किया विदर्भ पावर प्लांट अधिग्रहण

अडानी पावर लिमिटेड (APL) ने दिवाला समाधान प्रक्रिया (Insolvency Resolution Process) के तहत विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड (VIPL) के पावर प्लांट का अधिग्रहण पूरा कर लिया है। यह पावर प्लांट महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले के बुटीबोरी में स्थित है और इसमें दो यूनिट हैं, जो प्रत्येक 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती हैं। यह संयंत्र घरेलू कोयले का उपयोग करता है। इस डील को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई पीठ ने 18 जून 2025 को मंजूरी दी थी, और अधिग्रहण की प्रक्रिया 7 जुलाई 2025 को पूरी हो गई। यह सौदा कुल ₹4,000 करोड़ के मूल्य पर संपन्न हुआ।

कंपनी की क्षमता में वृद्धि और भविष्य की योजनाएं साझा

इस अधिग्रहण के साथ ही अडानी पावर की कुल उत्पादन क्षमता अब 18,150 मेगावाट हो गई है, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी निजी थर्मल पावर कंपनी बन गई है। कंपनी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों में थर्मल पावर प्लांट संचालित करती है। इसके अलावा, वह गुजरात में 40 मेगावाट का एक सौर ऊर्जा संयंत्र भी चलाती है।

अडानी पावर लिमिटेड (APL) का लक्ष्य 2029–30 तक अपनी कुल क्षमता को बढ़ाकर 30,670 मेगावाट तक पहुंचाना है। इसके तहत कंपनी वर्तमान में छह ब्राउनफील्ड अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट (USCTPPs) का निर्माण कर रही है, जो सिंगरौली-महान (मध्य प्रदेश), रायपुर, रायगढ़, कोरबा (छत्तीसगढ़), कवाई (राजस्थान) और मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में ग्रीनफील्ड प्लांट शामिल हैं। साथ ही, कंपनी कोरबा में पहले अधिग्रहित 1,320 मेगावाट के सुपरक्रिटिकल प्लांट पर भी निर्माण कार्य फिर से शुरू कर रही है।

भारत की प्रगति को ऊर्जा देने के लिए अडानी की प्रतिबद्धता

अडानी पावर लिमिटेड (APL) के सीईओ एस.बी. ख्यालिया ने कहा कि कंपनी भारत के “सबके लिए बिजली” (Electricity for All) लक्ष्य को साकार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि बेस-लोड पावर प्लांट्स की संख्या बढ़ाकर अडानी का उद्देश्य देश को विश्वसनीय और किफायती बिजली उपलब्ध कराना है, जो विकास के लिए बेहद जरूरी है।

APL न केवल नए प्रोजेक्ट्स के माध्यम से विस्तार करना चाहती है, बल्कि मौजूदा संयंत्रों का आधुनिकीकरण और प्रभावी उपयोग करके भी वृद्धि की दिशा में काम कर रही है। कंपनी की रणनीति यह सुनिश्चित करना है कि ऊर्जा उत्पादन क्षमता का पूर्ण उपयोग हो और देश की बढ़ती मांग को समय पर पूरा किया जा सके।

त्रिनिदाद एंड टोबैगो में भी चलेगा UPI, ऐसा करने वाला 8वां देश

त्रिनिदाद और टोबैगो दुनिया का आठवां देश और कैरेबियाई क्षेत्र का पहला देश बन गया है जहाँ भारतीय यात्रियों के लिए यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सेवाएं शुरू की गई हैं। इस पहल के तहत अब भारतीय पर्यटक अपने मोबाइल यूपीआई ऐप्स का उपयोग करके सीधे भारतीय रुपये में भुगतान कर सकेंगे। इस सेवा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा के दौरान की गई, जो भारत और इस द्वीपीय राष्ट्र के बीच डिजिटल सहयोग और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यूपीआई क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) भारत में विकसित एक तेज़, सुरक्षित और रीयल-टाइम डिजिटल भुगतान प्रणाली है। इसकी मदद से लोग केवल मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन के जरिए तुरंत पैसे भेज या प्राप्त कर सकते हैं—वह भी बिना बैंक विवरण डाले, सिर्फ मोबाइल नंबर या यूपीआई आईडी के माध्यम से।

अब जब यूपीआई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उपलब्ध हो गया है, तो भारतीय पर्यटकों को विदेश यात्रा के दौरान कैश या फॉरेक्स कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे QR कोड स्कैन कर के सीधे अपने भारतीय बैंक खाते से भुगतान कर सकते हैं, चाहे वह खरीदारी हो या रेस्तरां में खाना।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) यूपीआई का संचालन करता है और अब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर इसे वैश्विक स्तर पर फैलाने की दिशा में काम कर रहा है। इससे न केवल भारतीय यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में आसानी और पारदर्शिता मिलेगी, बल्कि मुद्रा विनिमय शुल्क और क्रेडिट कार्ड चार्जेस से भी राहत मिलेगी, जिससे यात्रा सस्ती और सुविधाजनक बनती है।

यूपीआई किन-किन देशों में उपलब्ध है?

त्रिनिदाद और टोबैगो के जुड़ने के साथ ही अब यूपीआई (Unified Payments Interface) दुनिया के आठ देशों में सक्रिय हो गया है। ये देश हैं:

  1. संयुक्त अरब अमीरात (UAE)

  2. सिंगापुर

  3. फ्रांस

  4. भूटान

  5. नेपाल

  6. श्रीलंका

  7. मॉरीशस

  8. त्रिनिदाद और टोबैगो

इन देशों में भारतीय यात्री BHIM ऐप या किसी अन्य यूपीआई-सक्षम ऐप का उपयोग करके स्थानीय भागीदार दुकानों पर QR कोड स्कैन कर सीधे भारतीय रुपये (INR) में भुगतान कर सकते हैं। व्यापारी को उसकी स्थानीय मुद्रा में भुगतान प्राप्त होता है, और मुद्रा विनिमय (currency conversion) की प्रक्रिया स्वतः प्रणाली द्वारा संभाली जाती है।

इससे भारतीय पर्यटकों को कैश, डेबिट/क्रेडिट कार्ड या फॉरेक्स कार्ड की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे उनकी यात्रा आसान, सुरक्षित और किफायती बनती है।

विदेशों में यूपीआई कैसे इस्तेमाल करें?

विदेश यात्रा के दौरान यूपीआई (UPI) का इस्तेमाल करना अब बेहद आसान हो गया है। इसके लिए आप नीचे दिए गए सरल चरणों का पालन करें:

  1. यूपीआई-सक्षम ऐप इंस्टॉल करें
    जैसे BHIM, PhonePe, Google Pay आदि।

  2. अपने भारतीय बैंक खाते को ऐप से लिंक करें।

  3. अपने मोबाइल में अंतरराष्ट्रीय रोमिंग सक्रिय करें, ताकि आपको OTP (वन टाइम पासवर्ड) मिल सके।

  4. सुनिश्चित करें कि आपका बैंक और ऐप “UPI Global” को सपोर्ट करता है।

  5. खरीदारी या भुगतान के समय,

    • दुकान या सेवा प्रदाता का UPI Global QR कोड स्कैन करें।

    • राशि दर्ज करें और अपना UPI पिन डालकर लेनदेन को सत्यापित करें।

    • भुगतान तुरंत और सुरक्षित तरीके से हो जाएगा।

ऐप्स में आप खर्च की सीमा तय कर सकते हैं या जब जरूरत न हो तो ग्लोबल भुगतान बंद भी कर सकते हैं।

क्या कोई शुल्क लगता है?

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार,

  • छोटे अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर थोड़ा बहुत करेंसी कन्वर्जन शुल्क लग सकता है,

  • लेकिन यह क्रेडिट/डेबिट कार्ड फीस से काफी कम होता है।

इससे यूपीआई विदेशों में सस्ता, सुविधाजनक और पारदर्शी भुगतान विकल्प बन जाता है।

आगे क्या?

NPCI ने बताया है कि जल्द ही यूरोप और कैरेबियन क्षेत्र के और भी कई देश यूपीआई नेटवर्क से जुड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि भारतीय यात्रियों के लिए दुनिया भर में यूपीआई के ज़रिए भुगतान के और अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे।

प्रसिद्ध नाइजीरियाई फुटबॉल खिलाड़ी पीटर रूफाई का 61 वर्ष की आयु में निधन

नाइजीरिया की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के पूर्व गोलकीपर पीटर रूफाई का 4 जुलाई 2025, गुरुवार को 61 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे नाइजीरिया की 1994 अफ्रीका कप ऑफ नेशंस (AFCON) जीत के महत्वपूर्ण सदस्य थे और उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए दो फीफा विश्व कप में भी हिस्सा लिया था। उनके निधन से पूरे फुटबॉल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है और दुनिया भर से खिलाड़ी व प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

फुटबॉल जगत ने खोया एक सितारा

पीटर रूफाई, जिन्हें प्यार से डोडो मयाना कहा जाता था, नाइजीरिया के फुटबॉल इतिहास के सबसे बेहतरीन गोलकीपरों में से एक थे। उन्होंने 1994 के अफ्रीका कप ऑफ नेशंस (AFCON) में नाइजीरिया की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1994 और 1998 के फीफा विश्व कप में टीम को प्री-क्वार्टर फाइनल (Last 16) तक पहुंचाने में मदद की।

लागोस में जन्मे रूफाई ने 1983 से 1998 के बीच नाइजीरिया के लिए कुल 65 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। 1990 के दशक को नाइजीरिया फुटबॉल का स्वर्ण युग माना जाता है, और उस दौर में उनकी शांत और भरोसेमंद उपस्थिति तथा मजबूत प्रदर्शन ने उन्हें टीम का अहम स्तंभ बना दिया था।

नाइजीरिया फुटबॉल महासंघ ने दी श्रद्धांजलि

नाइजीरिया फुटबॉल महासंघ (NFF) ने पीटर रूफाई के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर भावुक संदेश साझा करते हुए NFF ने लिखा:

“हम सुपर ईगल्स के दिग्गज गोलकीपर पीटर रूफाई के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं – नाइजीरियाई फुटबॉल का एक महान सितारा और 1994 AFCON विजेता। आपका योगदान गोलपोस्ट के बीच और उसके पार हमेशा याद रखा जाएगा।”

पीटर रूफाई का निधन 1994 की ऐतिहासिक सुपर ईगल्स टीम के छठे सदस्य के रूप में हुआ है जिनका अब तक निधन हो चुका है। उनसे पहले स्टीफन केशी, राशिदी येकिनी, विलफ्रेड अगबोनवबारे, थॉम्पसन ओलिहा और उचे ओकाफोर जैसे महान खिलाड़ी भी इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।

पूरा नाइजीरियाई फुटबॉल जगत आज अपने इन सितारों को याद कर रहा है, जिनकी विरासत हमेशा युवा खिलाड़ियों और देश के फुटबॉल इतिहास को प्रेरित करती रहेगी।

नाइजीरियाई फुटबॉल का एक गौरवशाली सितारा

पीटर रूफाई को सिर्फ उनकी प्रतिभा ही नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व, खेलभावना और विनम्रता के लिए भी अत्यधिक सम्मान प्राप्त था। प्रशंसक, खिलाड़ी और उनके पूर्व साथी उन्हें गर्व और पेशेवर खेल भावना के प्रतीक के रूप में याद कर रहे हैं।

1994 में नाइजीरिया की पहली फीफा विश्व कप भागीदारी में उनके प्रदर्शन ने न सिर्फ टीम को मजबूती दी, बल्कि देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मंच पर नया आयाम दिया।

उनका निधन नाइजीरियाई फुटबॉल समुदाय ही नहीं, बल्कि पूरे अफ्रीकी और वैश्विक फुटबॉल जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति के रूप में देखा जा रहा है। उनका योगदान और प्रेरणा हमेशा खिलाड़ियों के दिलों में जीवित रहेगी।

वी. एस. रवि ने हैदराबाद में शेक्सपियर पर आधारित पुस्तक का किया विमोचन

सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी वी. एस. रवि ने 7 जुलाई 2025 को हैदराबाद में अपने नई पुस्तक “Confessions of a Shakespeare Addict” का विमोचन किया। यह कार्यक्रम एक गरिमामय और बौद्धिक माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, विद्वान और साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल हुए। यह पुस्तक विलियम शेक्सपियर के प्रति श्री रवि के आजीवन प्रेम और लगाव को दर्शाती है। इसमें उन्होंने शेक्सपियर के नाटकों और कविताओं से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत व्याख्याएं, अनुभव और विचार साझा किए हैं, जो पाठकों को साहित्य की गहराइयों में ले जाते हैं।

शेक्सपियर को समर्पित एक जीवन

वी. एस. रवि की नई पुस्तक शेक्सपियर के अमर रचनाकर्म पर आधारित विचारों, स्मृतियों और आत्मचिंतन का संग्रह है। उन्होंने कार्यक्रम में साझा किया कि शेक्सपियर के प्रति उनका झुकाव किशोरावस्था में ही शुरू हो गया था, जो धीरे-धीरे एक आजीवन जुनून में बदल गया। उन्होंने याद किया कि कैसे उन्होंने शेक्सपियर के जन्मस्थान स्ट्रैटफ़ोर्ड-अपन-एवन का दौरा किया था और दुनिया के अलग-अलग स्थानों पर हैमलेट के संवादों का पाठ किया। एक बार तो उन्होंने यह पंक्तियाँ कार में सफर करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता सी. एफ. पॉवेल के सामने प्रस्तुत की थीं, जिससे वे भी प्रभावित हो गए।

रवि ने भावुकता से कहा, “शेक्सपियर का हर शब्द प्रकाश से चमकता है। मैंने उनकी पंक्तियाँ उन जगहों पर भी पढ़ी हैं, जहाँ शायद किसी और ने कभी नहीं पढ़ीं।” उनकी यह पुस्तक न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए एक उपहार है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे कोई रचनात्मक जुनून एक पूरी ज़िंदगी को दिशा और प्रेरणा दे सकता है।

सराहना की गूंज

हैदराबाद में आयोजित इस साहित्यिक कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने हिस्सा लिया और वी. एस. रवि के साहित्यिक ज्ञान की सराहना की। पूर्व तमिलनाडु राज्यपाल और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पी. एस. राममोहन राव ने कहा कि रवि ने शेक्सपियर के शब्दों को आम जीवन का हिस्सा बना दिया है। वहीं, पूर्व आंध्र प्रदेश मुख्य सचिव एस. चक्रवर्ती ने भावुक होकर कहा, “रवि सिर्फ शेक्सपियर को पढ़ते नहीं हैं—वे उसे जीते और महसूस करते हैं।”

हिंदू समूह की चेयरपर्सन निर्मला लक्ष्मण, जो स्वयं कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकीं, ने एक संदेश भेजकर रवि की साहित्यिक कॉलम लेखन की सराहना की और कहा कि उन्होंने शेक्सपियर की रचनाओं को आधुनिक पाठकों के लिए सुलभ और जीवंत बना दिया है।

एक आत्मीय साहित्यिक संध्या

कार्यक्रम का संचालन पूर्व आईपीएस अधिकारी बी. कृष्णा राव ने किया। अन्य प्रमुख अतिथियों में हैदराबाद के पूर्व पुलिस आयुक्त ए. के. ख़ान, श्री रवि की पत्नी जयंती, और पुस्तक के प्रकाशक दिवाकर शामिल थे। सभागार में उपस्थित श्रोताओं में अधिकतर वे पाठक थे जो शेक्सपियर की रचनात्मकता और कहानियों के दीवाने हैं, और जिन्होंने श्री रवि के साथ इस जुनून को साझा किया।

वी. एस. रवि वर्षों से ‘द हिंदू’ के संडे मैगज़ीन में साहित्य पर लेख लिखते आ रहे हैं और उन्हें जटिल साहित्य को सरलता से प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। उनकी नई पुस्तक विशेष रूप से छात्रों, साहित्य प्रेमियों और शेक्सपियर की दुनिया में प्रवेश करने के इच्छुक पाठकों के लिए उपयोगी साबित होगी।

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