17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले कोलंबिया और उज्बेकिस्तान एनडीबी में शामिल

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले कोलंबिया और उज्बेकिस्तान ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की सदस्यता ग्रहण की है। इस कदम से एनडीबी के कुल सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। यह घोषणा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 10वीं बैठक के बाद की गई, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकास को गति देने के उद्देश्य से हुई थी।

वैश्विक पहुंच को मज़बूती

एनडीबी की स्थापना 2015 में ब्रिक्स के मूल पांच देशोंब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—द्वारा की गई थी। इसके बाद इसमें बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और अल्जीरिया जैसे देश भी शामिल हुए। अब कोलंबिया और उज्बेकिस्तान की सदस्यता के साथ बैंक की पहुंच और भी वैश्विक बन गई है।

एनडीबी का मुख्यालय शंघाई, चीन में है और इसका मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे और सतत विकास के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

दिल्मा रूससेफ़ ने बताई भविष्य की प्राथमिकताएं

एनडीबी की वर्तमान अध्यक्ष दिल्मा रूससेफ़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैंक की आगामी योजनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि बैंक अब चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में विकासशील देशों को डिजिटल परिवर्तन और तकनीकी नवाचार से निपटने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि बैंक का ध्यान विज्ञान, नवाचार और तकनीक को बढ़ावा देने पर होगा। अभी तक एनडीबी ने 120 से अधिक परियोजनाओं को समर्थन दिया है, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वच्छ ऊर्जा

  • परिवहन

  • पर्यावरण संरक्षण

  • जल और स्वच्छता

  • डिजिटल बुनियादी ढांचा

ब्रिक्स और एनडीबी का अगला कदम

17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन शीघ्र ही आयोजित होने वाला है। कोलंबिया और उज्बेकिस्तान की सदस्यता से एनडीबी की वैश्विक स्थिति और विकासशील देशों के साथ सहयोग की क्षमता और मजबूत हुई है।

यह विस्तार पश्चिमी वित्तीय तंत्र पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, और साथ ही वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को और मज़बूती भी प्रदान करता है।

NITI Aayog ने पूर्वोत्तर जिलों के लिए दूसरा एसडीजी सूचकांक जारी किया

नीति आयोग ने 7 जुलाई 2025 को उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (MoDoNER) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ साझेदारी में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र जिला SDG सूचकांक 2023-24 का दूसरा संस्करण नई दिल्ली में जारी किया। यह सूचकांक उत्तर-पूर्व के 8 राज्यों के 121 जिलों की सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति को मापता है।

SDG सूचकांक: उद्देश्य और महत्व

यह सूचकांक यह देखने का एक प्रभावी उपकरण है कि उत्तर-पूर्व भारत के जिले स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल, भूख-मुक्ति, रोजगार और समानता जैसे प्रमुख SDG क्षेत्रों में कितनी प्रगति कर रहे हैं। इसका पहला संस्करण अगस्त 2021 में जारी किया गया था।

यह सूचकांक नीतिगत योजना, संसाधनों के बेहतर उपयोग और लक्षित विकास में मदद करता है।

2023-24 रिपोर्ट की प्रमुख बातें

  • 85% जिलों ने पिछली रिपोर्ट की तुलना में अपने कुल SDG स्कोर में सुधार किया।

  • मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों ने फ्रंट रनर (65–99 अंक) श्रेणी हासिल की।

  • हनाथियाल (मिजोरम) सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला रहा (स्कोर: 81.43)।

  • लोंगडिंग (अरुणाचल प्रदेश) सबसे कम स्कोर करने वाला जिला रहा (स्कोर: 58.71)।

  • नगालैंड के 3 जिले शीर्ष 10 प्रदर्शनकर्ताओं में शामिल रहे।

  • सिक्किम ने सबसे स्थिर और संतुलित प्रदर्शन किया — उसके सभी जिलों के स्कोर एक-दूसरे के क़रीब रहे।

जिलों को 4 श्रेणियों में बांटा गया

अचीवर (स्कोर = 100)
फ्रंट रनर (स्कोर 65-99)
परफॉर्मर (स्कोर 50-65)
आकांक्षी (स्कोर < 50)

इस वर्ष कोई भी जिला अचीवर या एस्पिरेंट श्रेणी में नहीं आया।

प्रमुख नेताओं के वक्तव्य

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र जिला SDG सूचकांक 2023-24 को नई दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जारी किया गया, जिनमें शामिल थे:

  • श्री सुमन बेरी, उपाध्यक्ष, नीति आयोग

  • श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सीईओ, नीति आयोग

  • श्री चंचल कुमार, सचिव, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (MoDoNER)

  • डॉ. एंजेला लुसीगी, भारत में UNDP की प्रतिनिधि

सुमन बेरी ने कहा कि 2030 तक SDG लक्ष्य प्राप्त करना भारत को विकसित भारत @2047 के विज़न की ओर ले जाने के लिए आवश्यक है।

बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने उत्तर-पूर्व भारत की भूमिका को “अष्ट लक्ष्मी” (भारत के आठ रत्न) के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चंचल कुमार ने कहा कि यह सूचकांक नीतिगत खामियों को पहचानने और योजनाओं में सुधार के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

डॉ. एंजेला लुसीगी ने कहा कि डेटा तभी सार्थक होगा जब वह लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाए

राज्यवार प्रदर्शन और प्रमुख अवलोकन

  • सिक्किम और त्रिपुरा ने सभी जिलों में संतुलित और उच्च स्तर का प्रदर्शन दिखाया। जिलों के स्कोर के बीच अंतर बहुत कम था।

  • मिजोरम और नगालैंड में कुछ जिलों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि कुछ जिलों के स्कोर अपेक्षाकृत कम रहे, जिससे स्कोर में अधिक विविधता देखने को मिली।

  • असम के सभी जिलों ने Zero Hunger (भूख मुक्त), स्वच्छ जल, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में सुधार किया।

राज्यवार शीर्ष और न्यूनतम प्रदर्शनकर्ता जिले (SDG सूचकांक 2023-24)

  • अरुणाचल प्रदेश

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: लोअर दिबांग वैली73.36 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: लोंगडिंग58.71 अंक

  • असम

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: डिब्रूगढ़74.29 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: साउथ सलमारा-मनकाचर59.71 अंक

  • मणिपुर

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: इम्फाल वेस्ट73.21 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: फेरजॉल59.71 अंक

  • मेघालय

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: ईस्ट खासी हिल्स73.00 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: ईस्ट जयंतिया हिल्स63.00 अंक

यह सूचकांक आकांक्षी जिलों कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) जैसे प्रयासों को समर्थन देता है और आधारित तथ्यों पर आधारित योजना (Evidence-based planning) को बढ़ावा देता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी जिला विकास की दौड़ में पीछे न रह जाए। यह जिलों की वास्तविक स्थिति को दर्शाकर सरकारों और नीति निर्माताओं को लक्षित सुधार करने में मदद करता है, जिससे समावेशी और संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।

विश्व ग्रामीण विकास दिवस 2025: इतिहास और महत्व

संयुक्त राष्ट्र ने 6 जुलाई को पहली बार विश्व ग्रामीण विकास दिवस मनाया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के महत्व को उजागर करना है। यह दिवस दुनिया का ध्यान गरीबी, भूख, कमजोर बुनियादी ढांचे और डिजिटल पहुंच की कमी जैसे मुद्दों की ओर आकर्षित करता है, जिनका सामना ग्रामीण समुदायों को करना पड़ता है। साथ ही, यह अपील करता है कि दूर-दराज और उपेक्षित इलाकों में रहने वाले लोगों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए, ताकि कोई पीछे न छूटे।

यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 जुलाई को विश्व ग्रामीण विकास दिवस घोषित किया है, ताकि वह 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा सके। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों—विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और आदिवासी समुदायों—की मदद करना है, जो अक्सर गरीबी, भूख और बुनियादी सेवाओं की कमी का सबसे अधिक सामना करते हैं। यही समूह कृषि, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह घोषणा सरकारों, नागरिक समाज और वैश्विक संस्थाओं को प्रोत्साहित करती है कि वे इस दिवस को स्थानीय परियोजनाओं, जागरूकता अभियानों और नीतिगत चर्चाओं के माध्यम से सार्थक रूप से मनाएं।

ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख चुनौतियाँ

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के लगभग 80% सबसे गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से कई की दैनिक आय $2.15 से भी कम है। ग्रामीण आबादी का लगभग आधा हिस्सा उचित स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है, और जहां शहरी क्षेत्रों में 83% लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 50% से भी कम है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, खराब सड़कें, और सीमित शिक्षा सुविधाएं ग्रामीण जीवन को और भी कठिन बना देती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं कृषि कार्यबल का 43% हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें भूमि, तकनीक और ऋण जैसी सुविधाओं में समान अवसर नहीं मिलते। इन समस्याओं का समाधान करना समान और सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र की दृष्टि और प्रयास

संयुक्त राष्ट्र का ग्रामीण विकास को लेकर दृष्टिकोण आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सुधारों के संयुक्त प्रयास पर आधारित है। इसमें:

  • महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना

  • डिजिटल पहुंच को प्रोत्साहित करना

  • बेहतर सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं विकसित करना शामिल हैं।

भारत के बिहार राज्य की ‘जीविका परियोजना’ इसका एक सफल उदाहरण है, जहाँ 18 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं और उनकी घरेलू आय में 30% की वृद्धि दर्ज की गई।

हर वर्ष, यह दिवस सरकारों, विश्वविद्यालयों, NGO, निजी कंपनियों और स्थानीय समुदायों को ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने देशों से आग्रह किया है कि वे सफल परियोजनाओं की कहानियां साझा करें और सटीक योजना के लिए डाटा डैशबोर्ड तैयार करें, ताकि विकास योजनाएं अधिक प्रभावी बन सकें।

समावेशी शिक्षा को समर्थन देने के लिए सरकार ने श्री अरबिंदो सोसाइटी के साथ साझेदारी की

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) ने 7 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में श्री अरबिंदो सोसाइटी (SAS) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य शिक्षकों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान कर दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह पहल दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD), 2016 के उद्देश्यों को समर्थन देती है।

‘प्रोजेक्ट इनक्लूज़न’ के अंतर्गत समावेशी शिक्षा

यह MoU श्री अरबिंदो सोसाइटी की ‘रूपांतर’ पहल के अंतर्गत चलाए जाने वाले ‘प्रोजेक्ट इनक्लूज़न’ का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से शिक्षकों, स्कूल काउंसलरों और शिक्षा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे दिव्यांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में बेहतर ढंग से सहयोग दे सकें।

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रतिभागियों को ई-प्रमाण पत्र (e-certificates) दिए जाएंगे और उन्हें नई शिक्षण सामग्री और उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य कक्षाओं को अधिक सहज, समावेशी और सभी बच्चों के लिए अनुकूल बनाना है।

RPwD अधिनियम, 2016 का क्रियान्वयन

यह परियोजना विशेष रूप से RPwD अधिनियम, 2016 की धारा 16, 17 और 47 के प्रावधानों को लागू करने में सहायक होगी, जो दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा प्रदान करने की बात करते हैं।

यह साझेदारी स्कूलों, शिक्षकों और पुनर्वास पेशेवरों को यह समझने में मदद करेगी कि कैसे दिव्यांग बच्चों को सामान्य शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित किया जाए।

दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच: लेह समावेश पहल

यह समझौता ‘लेह समावेश पहल (Leh Inclusion Initiative)’ जैसे विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी पहुंच बनाने की दिशा में एक प्रयास है, जिससे देश के सभी हिस्सों में समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।

शोध और भविष्य की योजनाएं

श्री अरबिंदो सोसाइटी प्रशिक्षण के साथ-साथ शोध एवं विकास कार्य भी करेगी, ताकि समावेशी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। इसमें नई शिक्षण विधियों का अध्ययन और उपयोगी शैक्षणिक सामग्री का निर्माण शामिल होगा।

यह परियोजना लंबे समय में शिक्षकों के लिए एक मजबूत सहायता प्रणाली तैयार करेगी और सुनिश्चित करेगी कि कोई भी बच्चा केवल दिव्यांगता के कारण पीछे न रह जाए

UN ने तालिबान से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार खत्म करने और देश में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव 116 देशों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि अमेरिका और इज़रायल ने इसके खिलाफ मतदान किया। भारत, चीन, रूस और ईरान सहित 12 देशों ने मतदान से परहेज (abstain) किया।

यह प्रस्ताव बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता को दर्शाता है, जो अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के कारण सामने आई है।

प्रस्ताव में क्या कहा गया है?

11 पन्नों के इस प्रस्ताव में तालिबान से आग्रह किया गया है कि वे अपने कठोर नियमों को वापस लें, विशेष रूप से वे जो महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा (छठी कक्षा के बाद शिक्षा पर रोक) और स्वतंत्र आवाजाही जैसे अधिकारों को सीमित करते हैं।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान से सभी आतंकी संगठनों — जैसे अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (ISIS) — को समाप्त किया जाना चाहिए।

हालांकि यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह एक मजबूत वैश्विक संदेश देता है कि दुनिया अफगान जनता, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, के साथ खड़ी है। साथ ही यह आर्थिक पुनरुद्धार और मानवीय सहायता को प्रोत्साहित करता है।

देशों की प्रतिक्रियाएं

यह प्रस्ताव जर्मनी द्वारा पेश किया गया था। जर्मनी की संयुक्त राष्ट्र में राजदूत एंटजे लेंडर्टसे ने कहा कि यह मतदान दिखाता है कि दुनिया ने अफगान महिलाओं और बच्चों को नहीं भुलाया, जो गरीबी, भूख और हिंसा का सामना कर रहे हैं।

हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रस्ताव का विरोध किया। अमेरिकी प्रतिनिधि जोनाथन श्रियर ने कहा कि यह प्रस्ताव गलत तरीके से तालिबान को वैश्विक मान्यता की दिशा में बढ़ावा देता है, जबकि वे अभी भी मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

उन्होंने प्रस्ताव के उस हिस्से की आलोचना भी की जिसमें ईरान और पाकिस्तान को अफगान शरणार्थियों को शरण देने के लिए सराहा गया है। श्रियर ने आरोप लगाया कि ईरान अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है, उन्हें बिना उचित सुनवाई के फांसी दे रहा है और उन्हें मिलिशिया में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा है।

अब आगे क्या होगा?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महासचिव एंतोनियो गुटेरेस से एक विशेष समन्वयक (special coordinator) नियुक्त करने का सुझाव दिया है, जो अफगानिस्तान पर वैश्विक प्रयासों और बातचीत को अधिक संरचित, एकजुट और प्रभावी बना सके।

यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब रूस तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने वाला पहला देश बन चुका है, जिससे वैश्विक बहस और तेज़ हो गई है। फिर भी, अधिकांश देशों का मानना है कि यदि तालिबान को वैश्विक स्वीकृति चाहिए, तो उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा करनी होगी और आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से काम करना होगा।

इटरनल ने आदित्य मंगला को फूड डिलीवरी का सीईओ नियुक्त किया

भारत के तेजी से बढ़ते फूड डिलीवरी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में, Eternal ने आदित्य मंगला को अपने फूड ऑर्डरिंग और डिलीवरी डिवीजन का नया CEO नियुक्त किया है। यह नेतृत्व परिवर्तन 6 जुलाई 2025 को हुआ, जो कंपनी की पूर्व-नियोजित रणनीति का हिस्सा था।

फूड डिलीवरी यूनिट की कमान संभालेंगे आदित्य मंगला

आदित्य मंगला अब अगले दो वर्षों के लिए Eternal के फूड डिलीवरी संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगे। वे राकेश रंजन की जगह लेंगे, जो पिछले दो सालों से इस पद पर थे और अब सभी वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाओं से अलग हो रहे हैं।

आदित्य मार्च 2021 से Eternal से जुड़े हुए हैं और उन्होंने कंपनी में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं — जैसे सप्लाई और कस्टमर एक्सपीरियंस टीम का नेतृत्व। उन्होंने रेस्तरां भागीदारी बढ़ाने और डिलीवरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

कंपनी की दिशा

दीपिंदर गोयल, Eternal के संस्थापक ने इस नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कंपनी को अब ऐसे नेताओं की ज़रूरत है जो ईमानदारी, तेजी और संवेदनशीलता के साथ जटिल परिस्थितियों को संभाल सकें। उन्होंने आदित्य की उस आदत की सराहना की, जिसमें वे सम्मानपूर्वक निर्णयों पर सवाल उठाते और चुनौतियां पेश करते हैं, जिसे उन्होंने नेतृत्व के लिए मूल्यवान गुण बताया।

दीपिंदर ने यह भी कहा कि Eternal अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां स्वतंत्र सोच रखने वाले नेता और नई सोच के साथ संचालन सुधारने वाले लोगों की जरूरत है।

पृष्ठभूमि: हालिया चुनौतियां

अप्रैल 2025 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़ोमैटो और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को एक एंटी-ट्रस्ट केस को लेकर नोटिस भेजा था। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने इस मामले में गोपनीय जानकारियों से बाहर रखे जाने को लेकर आपत्ति जताई थी। यह मामला अभी चल रहा है और इसका ज़ोमैटो के भविष्य के संचालन पर असर पड़ सकता है।

दीपिका पादुकोण को हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम स्टार मिला

दीपिका पादुकोण हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम स्टार से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बन गई हैं। यह घोषणा बुधवार, 3 जुलाई 2025 को हॉलीवुड में की गई। यह उपलब्धि न केवल दीपिका के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है, क्योंकि इससे भारतीय प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है।

दीपिका को मिला हॉलीवुड से सम्मान

हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम मनोरंजन जगत के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है। हर साल फिल्म, संगीत, टेलीविज़न आदि क्षेत्रों से जुड़े चुनिंदा सितारों को अमेरिका के हॉलीवुड बुलेवार्ड की सड़कों पर उनके नाम की एक स्टार दी जाती है। इस साल, दीपिका पादुकोण को 2026 की सूची (Class of 2026) में शामिल 35 नामों में से एक के रूप में चुना गया है।

दीपिका के साथ-साथ माइली साइरस, टिमोथी चालमेट, एमिली ब्लंट, गॉर्डन राम्से, रेचल मैकऐडम्स और मैरियन कोटिलार्ड जैसे अन्य सितारों को भी यह सम्मान मिलेगा।

वॉक ऑफ फेम चयन समिति के अध्यक्ष पीटर रोथ ने कहा,

“इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने मनोरंजन क्षेत्र में शानदार योगदान दिया है। हम उन्हें सम्मानित करके गर्व महसूस कर रहे हैं।”

दीपिका का वैश्विक सफर

दीपिका पादुकोण ने हॉलीवुड में अपनी शुरुआत 2017 में फिल्म ‘XXX: रिटर्न ऑफ ज़ेंडर केज’ से की थी, जिसमें उन्होंने विन डीज़ल के साथ काम किया था। समय के साथ उन्होंने Met Gala और कान्स फिल्म फेस्टिवल जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर वैश्विक पहचान बनाई।

उन्हें टाइम मैगज़ीन की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल किया गया था, जो कि एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मान है।

दीपिका के आने वाले प्रोजेक्ट्स

दीपिका पादुकोण के पास कई बड़े और रोमांचक प्रोजेक्ट्स हैं। वे जल्द ही सुपरहिट फिल्म ‘कल्कि 2898 ए.डी.’ के दूसरे भाग में नजर आएंगी, जिसमें उनके साथ प्रभास, अमिताभ बच्चन और कमल हासन भी होंगे।

इसके अलावा वह निर्देशक एटली की एक नई फिल्म का हिस्सा हैं, जिसमें वह अल्लू अर्जुन के साथ दिखाई देंगी। इस फिल्म का फिलहाल वर्किंग टाइटल AA22xA6 है।

फैंस उन्हें जल्द ही एक बार फिर शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘किंग’ में भी देखेंगे। इन बड़े प्रोजेक्ट्स के साथ दीपिका का करियर भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त ग्राम योजना

राजस्थान सरकार ने 4 जुलाई 2025 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी-मुक्त गांव योजना की शुरुआत की। पहले चरण में यह योजना 5,000 गांवों में गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। इसका उद्देश्य गरीबी कम करना और लोगों को छोटे व्यवसायों व नौकरियों के ज़रिए बेहतर आय अर्जित करने में मदद करना है।

गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर

यह योजना गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन कर रहे परिवारों पर केंद्रित है। चुने गए प्रत्येक परिवार को ₹1 लाख तक की सहायता दी जाएगी ताकि वे कोई काम या छोटा व्यापार शुरू कर सकें। स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं को ₹15,000 प्रति परिवार की अतिरिक्त सहायता मिलेगी ताकि वे अपनी आय बढ़ा सकें। योजना का मकसद है कि लोग दूसरों पर निर्भर न रहें, बल्कि स्वावलंबी बनें।

जो परिवार गरीबी से बाहर निकले, उन्हें मिलेगा इनाम

जो परिवार अपने प्रयासों से गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं, उन्हें सरकार की ओर से ₹21,000 का पुरस्कार दिया जाएगा। यह राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के ज़रिए उनके सत्यापित बैंक खातों में भेजी जाएगी। अभी तक 22,400 पात्र परिवारों में से 17,891 बैंक खातों की पुष्टि हो चुकी है। इन परिवारों को ‘आत्मनिर्भर परिवार कार्ड’ भी दिए जाएंगे, जो यह दर्शाएंगे कि वे अब आत्मनिर्भर बन चुके हैं।

गरीब परिवारों की पहचान और विशेष कार्ययोजनाएं

सरकार ने 2002 के पुराने BPL रिकॉर्ड और नए सर्वेक्षण के आधार पर 5,002 गांवों में 30,631 BPL परिवारों की पहचान की है। साथ ही अब तक 61,000 से अधिक नए आवेदन भी आ चुके हैं, जिनमें परिवारों ने अपनी गरीबी को दर्शाते हुए सहायता की मांग की है। प्रशासन हर गांव के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार कर रहा है, जिसके तहत लोगों को कौशल प्रशिक्षण, रोज़गार सहायता और वित्तीय योजनाओं से जोड़ा जाएगा।

संजोग गुप्ता ICC के नए CEO बने

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने 7 जुलाई 2025 को संजोग गुप्ता को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया। वे ज्योफ एलार्डिस का स्थान लेंगे, जिन्होंने इस वर्ष की शुरुआत में पद से इस्तीफा दे दिया था। खेल प्रसारण और मीडिया उद्योग में संजोग गुप्ता के व्यापक अनुभव को देखते हुए यह नियुक्ति विश्व क्रिकेट के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। उनके नेतृत्व में ICC को डिजिटल नवाचार, वैश्विक विस्तार और फैंस के साथ बेहतर जुड़ाव की दिशा में नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।

वैश्विक भूमिका के लिए वैश्विक चयन प्रक्रिया

ICC ने मार्च 2025 में नए CEO की तलाश शुरू की और इसके लिए एक वैश्विक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। इस पद के लिए 25 देशों के 2,500 से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया। चयन समिति में भारत (BCCI), श्रीलंका (SLC), इंग्लैंड (ECB) के प्रमुखों के साथ-साथ ICC के डिप्टी चेयरमैन इमरान खुाजा भी शामिल थे। समीक्षा की कई चरणों के बाद 12 उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग की गई। अंततः, सभी सदस्यों की सर्वसम्मति से संजोग गुप्ता को चुना गया। इस फैसले को ICC के चेयरमैन जय शाह और पूरी बोर्ड ने मंजूरी दी।

आधिकारिक बयान और विज़न

जय शाह ने कहा कि संजोग गुप्ता “खेल रणनीति में व्यापक अनुभव” लाते हैं और क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में मदद करेंगे। शाह ने यह भी कहा कि गुप्ता की खेल प्रेमियों, तकनीक और वैश्विक रुझानों की समझ से क्रिकेट नए देशों में लोकप्रिय होगा और यह ओलंपिक में एक नियमित खेल भी बन सकता है।

जवाब में, संजोग गुप्ता ने कहा कि आईसीसी का नेतृत्व करना “एक सौभाग्य” है और यह क्रिकेट के लिए एक बेहद रोमांचक समय है—जहां बड़े टूर्नामेंट हो रहे हैं, दर्शकों की रुचि बढ़ रही है, और क्रिकेट 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में शामिल हो रहा है। उन्होंने महिला क्रिकेट के विकास और डिजिटल टूल्स के नए अवसरों को भी रेखांकित किया।

गुप्ता का करियर सफर

संजोग गुप्ता ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की और 2010 में स्टार इंडिया से जुड़े। वर्षों में उन्होंने खेल प्रसारण में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं, जिनमें डिज़्नी और स्टार इंडिया में हेड ऑफ स्पोर्ट्स शामिल है।

नवंबर 2024 में, Viacom18 और Disney Star के विलय के बाद वे JioStar Sports के सीईओ बने। उन्होंने आईपीएल, आईसीसी टूर्नामेंट्स, प्रो कबड्डी लीग (PKL) और इंडियन सुपर लीग (ISL) जैसे प्रमुख खेल आयोजनों के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। गुप्ता को रचनात्मक सोच, महिला खेलों को बढ़ावा देने और डिजिटल-प्रथम कवरेज के नेतृत्व के लिए जाना जाता है।

एलन मस्क ने अमेरिका में नई राजनीतिक पार्टी शुरू की

दुनिया के मशहूर अरबपति और टेक्नोलॉजी उद्यमी एलन मस्क ने “अमेरिका पार्टी” नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की घोषणा की है। यह घोषणा उन्होंने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर की। उनका कहना है कि यह पार्टी अमेरिका की टू-पार्टी सिस्टम (दो दलों वाली व्यवस्था) का एक वैकल्पिक रास्ता बनेगी। यह कदम ऐसे समय में आया है जब मस्क का अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सार्वजनिक विवाद हुआ है।

एलन मस्क का नया राजनीतिक कदम

एलन मस्क ने X पर पोस्ट कर कहा कि “अमेरिका पार्टी” का गठन हो चुका है और इसका उद्देश्य लोगों को “उनकी स्वतंत्रता वापस देना”, सरकारी भ्रष्टाचार और बेवजह खर्च के खिलाफ लड़ना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक प्रणाली केवल शक्तिशाली लोगों को लाभ देती है और आम जनता की आवाज़ नहीं सुनी जाती। उन्होंने पहले एक पोल भी चलाया था, जिसमें बड़ी संख्या में यूज़र्स ने नए राजनीतिक दल की मांग का समर्थन किया था।

डोनाल्ड ट्रंप से बढ़ी नाराज़गी क्यों?

पहले मस्क, ट्रंप के करीबी माने जाते थे। वे उनके चुनाव प्रचार में शामिल हुए थे और मई 2025 तक ट्रंप प्रशासन में एक भूमिका में थे। लेकिन उन्होंने ट्रंप के नए खर्च और टैक्स प्लान की कड़ी आलोचना की। मस्क का कहना है कि ये नीतियां अमेरिका का बजट घाटा $3 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ा देंगी।

सबसे बड़ी वजह यह रही कि नए कानून में इलेक्ट्रिक वाहनों और हरित ऊर्जा को कोई लाभ नहीं दिया गया — जबकि ये क्षेत्र मस्क की कंपनी टेस्ला के लिए बेहद अहम हैं।

ट्रंप की प्रतिक्रिया और तकरार

मस्क के इस्तीफे के बाद, ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट Truth Social पर मस्क पर निशाना साधा। उन्होंने मस्क को सरकारी सब्सिडी पर निर्भर बताया और उनके कारोबार की जांच कराने की बात कही। ट्रंप के नए “बिग, ब्यूटीफुल बिल” में ग्रीन सब्सिडी को हटा दिया गया, जिससे मस्क और नाराज़ हो गए।

अब आगे क्या होगा?

  • अमेरिका की फेडरल इलेक्शनल कमीशन (FEC) ने अब तक अमेरिका पार्टी के रजिस्ट्रेशन की पुष्टि नहीं की है।

  • अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी किसे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएगी या वह 2026 या 2028 के चुनावों में भाग लेगी या नहीं।

  • अमेरिका में नई पार्टी बनाकर चुनाव जीतना बहुत कठिन होता है, लेकिन एलन मस्क की लोकप्रियता और आर्थिक ताकत पार्टी को मीडिया कवरेज और जनता का ध्यान दिला सकती है।

Recent Posts

about | - Part 199_12.1