फीफा Ranking में भारत 133वें स्थान पर, 2016 के बाद सबसे खराब रैंकिंग

भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम फीफा विश्व रैंकिंग में छह स्थान नीचे खिसककर 133वें स्थान पर आ गई है। यह गिरावट जून में थाईलैंड और हांगकांग के खिलाफ दो हालिया हार के बाद आई है। यह दिसंबर 2016 के बाद से भारत की सबसे निचली रैंकिंग है, जिससे आगामी टूर्नामेंटों में टीम के भविष्य को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

भारत की फीफा रैंकिंग में बड़ी गिरावट

भारत की फीफा रैंकिंग में भारी गिरावट आई है, जो अब 127वें स्थान से फिसलकर 133वें स्थान पर पहुंच गई है। यह नई रैंकिंग गुरुवार, 10 जुलाई को जारी की गई। यह गिरावट जून में खेले गए दो मैचों के बाद हुई—भारत को 4 जून को एक दोस्ताना मुकाबले में थाईलैंड से 0-2 से हार का सामना करना पड़ा, और फिर एशियन कप क्वालिफायर में रैंकिंग में नीचे मौजूद हांगकांग से 0-1 से हार मिली।

इन हारों के बाद भारत के मुख्य कोच मैनोलो मार्केज़ ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) से आपसी सहमति से पद छोड़ दिया। भारत के रेटिंग पॉइंट्स भी घटकर 1132.03 से 1113.22 रह गए हैं। एशियाई देशों में भारत अब 46 में से 24वें स्थान पर है, जबकि जापान एशिया में शीर्ष पर है और विश्व रैंकिंग में 17वें स्थान पर काबिज है।

प्रदर्शन में गिरावट: भारतीय फुटबॉल के लिए चिंताजनक संकेत

भारत की फीफा रैंकिंग में हालिया गिरावट केवल दो हार का नतीजा नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करती है। कोच मैनोलो मार्केज़ के नेतृत्व में भारत ने अपने पिछले आठ अंतरराष्ट्रीय मैचों में से केवल एक ही जीता है — मार्च 2025 में मालदीव के खिलाफ। साल 2025 में अब तक भारत ने कुल चार अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जिनमें एक जीत, एक ड्रॉ और दो हार शामिल हैं।

एशियन कप 2027 की राह मुश्किल

इन कमजोर प्रदर्शनों ने भारत की एएफसी एशियन कप 2027 के लिए क्वालिफाई करने की संभावनाओं को भी खतरे में डाल दिया है। टीम को मजबूती देने के लिए इस साल की शुरुआत में पूर्व कप्तान सुनील छेत्री को फिर से टीम में शामिल किया गया, लेकिन उनका अनुभव भी टीम के हालात सुधारने में काम नहीं आ सका।

आगे क्या?

भारत का अगला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला अक्टूबर 2025 में सिंगापुर के खिलाफ है, जो एशियन कप क्वालिफायर के तीसरे राउंड का हिस्सा होगा। हालिया नाकामी के बाद इस मैच को लेकर उम्मीदें भी अधिक हैं और टीम पर दबाव भी बहुत बड़ा है।

वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर अर्जेंटीना

दुनिया की बात करें तो फीफा रैंकिंग में अर्जेंटीना पहले स्थान पर है, उसके बाद क्रमशः स्पेन, फ्रांस, इंग्लैंड, ब्राज़ील, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, और क्रोएशिया टॉप 10 में हैं।

Prajakta Koli ने TIME100 Creators लिस्ट में शामिल होने वाली पहली भारतीय बनीं

प्राजक्ता कोली, जिन्हें डिजिटल दुनिया में ‘मोस्टलीसेन’ (MostlySane) के नाम से जाना जाता है, को TIME100 क्रिएटर्स लिस्ट 2025 में शामिल किया गया है। यह सूची दुनिया के सबसे प्रभावशाली डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को सम्मानित करती है। जुलाई 2025 में टाइम मैगज़ीन द्वारा घोषित इस सूची में प्राजक्ता एकमात्र भारतीय हैं जिन्हें स्थान मिला है। यह सम्मान उनकी एक क्रिएटर, अभिनेत्री और प्रभावशाली कहानीकार के रूप में वैश्विक पहचान और प्रभाव को दर्शाता है।

यूट्यूब से ग्लोबल मंच तक का सफर

प्राजक्ता कोली ने 2015 में यूट्यूब से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर आधारित मज़ेदार वीडियो बनाकर लाखों दिल जीते। उनके चैनल ‘MostlySane’ को 70 लाख से अधिक लोग यूट्यूब पर और 80 लाख से ज़्यादा लोग इंस्टाग्राम पर फॉलो करते हैं। उनका कंटेंट हास्य और जीवन से जुड़े अनुभवों से भरपूर होता है, जिससे वे लोगों के साथ एक खास जुड़ाव बना पाईं।

डिजिटल क्रिएटर से एक्ट्रेस और लेखिका तक

प्राजक्ता ने डिजिटल कंटेंट से आगे बढ़ते हुए अभिनय में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने नेटफ्लिक्स की सीरीज़ Mismatched, बॉलीवुड फिल्मों जुगजुग जीयो और नीयत में अभिनय किया। साथ ही वे यूट्यूब ओरिजिनल्स शो Pretty Fit की होस्ट भी रही हैं। 2025 की शुरुआत में उन्होंने अपनी पहली किताब Too Good To Be True भी प्रकाशित की।

सिर्फ कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, सामाजिक बदलाव की प्रेरक भी

प्राजक्ता कोली केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक बदलाव की एक मजबूत आवाज़ भी हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN), गेट्स फाउंडेशन, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम और COP समिट जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम किया है। वे यूट्यूब की Creators for Change सीरीज़ का हिस्सा रही हैं, जिसमें वे मिशेल ओबामा के साथ नजर आईं और यह सीरीज़ Daytime Emmy Award से सम्मानित भी हुई।

प्राजक्ता को Forbes India की 30 अंडर 30 सूची और GQ India की 2025 की सबसे प्रभावशाली युवा भारतीयों की सूची में भी शामिल किया गया है। उनकी ये उपलब्धियां दिखाती हैं कि कैसे दक्षिण एशिया के डिजिटल क्रिएटर्स अब वैश्विक मंच पर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं।

प्राजक्ता ने फैंस को कहा धन्यवाद

इस सम्मान के मिलने के बाद प्राजक्ता कोली ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “सिर्फ दो शब्द ज़हन में आ रहे हैं: धन्यवाद।” उन्होंने अपने दर्शकों, परिवार, टीम और अपनी 21 साल की उस खुद की भी तारीफ की, जिसने बिना किसी ठोस योजना के सिर्फ कहानियाँ सुनाने के जुनून के साथ यह सफर शुरू किया था।

भारत की सौर ऊर्जा में 4,000% की वृद्धि हुई: पीयूष गोयल

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में 4,000% की वृद्धि हुई है। नई दिल्ली में भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह (IESW) में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि देश 227 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन तक पहुँच गया है और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह पर है। यह भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए एक बड़ा कदम है।

भारत की सौर और नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति

IESW 2025 कार्यक्रम में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत शायद पहला G20 देश होगा जो पेरिस समझौते में तय किए गए जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले पूरा कर लेगा। उन्होंने सौर पैनल निर्माण में हुई बड़ी प्रगति की सराहना की और बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत की सोलर मॉड्यूल निर्माण क्षमता 38 गुना और सोलर सेल निर्माण क्षमता 21 गुना बढ़ी है। उन्होंने पीएम सूर्य घर योजना का भी ज़िक्र किया, जिसका लक्ष्य 1 करोड़ घरों को रूफटॉप सोलर पैनल से जोड़ना है। इसके अलावा, पीएम कुसुम योजना की सफलता को भी रेखांकित किया गया, जो किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और हरित ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

भविष्य की वृद्धि के लिए बैटरी भंडारण और नवाचार महत्वपूर्ण

पीयूष गोयल ने नवीकरणीय ऊर्जा को 24×7 सपोर्ट देने के लिए ऊर्जा भंडारण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि बैटरियों, पंप्ड स्टोरेज, और हाइड्रो सिस्टम्स की भूमिका स्वच्छ ऊर्जा को लगातार उपलब्ध कराने में बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने ₹1 लाख करोड़ का नवाचार कोष (Innovation Fund) मंजूर किया है, जो सॉलिड-स्टेट और हाइब्रिड बैटरी जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा। सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) भी शुरू की है, जिसका उद्देश्य एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) के निर्माण को भारत में बढ़ावा देना है।

मजबूत सप्लाई चेन और संपूर्ण वैल्यू चेन विकास की जरूरत

मंत्री ने उद्योगों से आग्रह किया कि वे ऐसी लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाएं जो किसी एक देश या क्षेत्र पर निर्भर न हों। उन्होंने ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र के हर पहलू — जैसे कच्चे माल, बैटरी रीसायक्लिंग, सेमीकंडक्टर, और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर — के विकास की बात कही। उन्होंने कहा कि इस समग्र विकास से भारत ऊर्जा आत्मनिर्भर बनेगा और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में उभरेगा। उन्होंने उद्योग, शोधकर्ता और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रगति का मंच: इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक 

इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक एक वार्षिक आयोजन है जो ऊर्जा, बैटरी, ई-मोबिलिटी, और हरित हाइड्रोजन क्षेत्रों के नेताओं को एक मंच पर लाता है। इस वर्ष का कार्यक्रम यशोभूमि, नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा समाधान, नई तकनीकें, और सरकारी नीतियों को प्रदर्शित किया गया। श्री गोयल ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन सीखने और सहयोग का एक शानदार अवसर प्रदान करता है, जो भारत को 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा।

नेस्ट्स, यूनिसेफ और टाटा मोटर्स ने शुरू किए नए छात्र कार्यक्रम

नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (नेस्ट्स) ने यूनिसेफ इंडिया, टाटा मोटर्स और एक्स-नवोदयन फाउंडेशन के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों का उद्देश्य देशभर के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRSs) में पढ़ने वाले 1.3 लाख से अधिक आदिवासी छात्रों की शिक्षा, जीवन कौशल और रोजगार प्रशिक्षण को मज़बूत करना है। यह पहल आदिवासी युवाओं को एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

छात्रों की क्षमताएं पहचानने में मदद

नए शुरू किए गए प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है TALASH (Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub), जिसे नेस्ट्स ने यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किया है। यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म छात्रों को अपनी प्रतिभाएं पहचानने, आत्मविश्वास बढ़ाने और सही करियर चुनने में मदद करेगा। TALASH में NCERT के ‘तमन्ना’ मॉडल जैसे विशेष परीक्षणों का उपयोग किया जाएगा, जिनके आधार पर हर छात्र के लिए एक कैरियर कार्ड तैयार किया जाएगा। इस कार्ड में छात्र की क्षमताओं के अनुसार उपयुक्त नौकरियों के सुझाव होंगे। इस प्लेटफॉर्म पर करियर काउंसलिंग, जीवन कौशल से जुड़ी कक्षाएं और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण टूल्स भी उपलब्ध होंगे ताकि वे छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन दे सकें। यह कार्यक्रम पहले ही 75 स्कूलों में शुरू हो चुका है और 2025 के अंत तक यह देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के सभी EMRS में लागू कर दिया जाएगा।

टाटा मोटर्स के साथ नौकरी प्रशिक्षण

नेस्ट्स (NESTS) ने टाटा मोटर्स के साथ एक पाँच साल का समझौता किया है, जिसके तहत कक्षा 12 पास ईएमआरएस (EMRS) छात्रों को ‘कौशल्य प्रोग्राम’ से जोड़ा जाएगा। यह एक “सीखो और कमाओ” कार्यक्रम है जिसमें छात्र इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई करेंगे और साथ ही उन्हें वास्तविक कार्य अनुभव भी मिलेगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए छात्रों की आयु 18 से 23 वर्ष के बीच होनी चाहिए और कक्षा 10 में कम से कम 60% अंक प्राप्त होना अनिवार्य है। प्रतिभागियों को मासिक वजीफा, भोजन, परिवहन, यूनिफॉर्म, बीमा, और BITS पिलानी जैसी संस्थाओं के सहयोग से आगे पढ़ाई का अवसर भी मिलेगा। टाटा मोटर्स इन छात्रों को “वन ट्रेनी, वन जॉब” वादे के तहत अपनी फैक्ट्रियों या सर्विस सेंटर्स में रोजगार दिलाने में मदद करेगा।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग

तीसरी पहल में उन मेधावी विज्ञान छात्रों के लिए विशेष कोचिंग दी जाएगी जो IIT-JEE या NEET जैसी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं। यह रिहायशी कोचिंग केंद्र नेस्ट्स (NESTS), टाटा मोटर्स और एक्स-नवोदयन फाउंडेशन के सहयोग से चांकापुर (महाराष्ट्र) और चिंतापल्ली (आंध्र प्रदेश) में चलाए जाएंगे। कक्षा 11 और 12 के छात्रों को केंद्रों में केंद्रित सहायता दी जाएगी, जबकि कक्षा 9 से ऊपर के छात्र जो डिजिटल ईएमआरएस में पढ़ते हैं, उन्हें ऑनलाइन कोचिंग दी जाएगी—जैसे कि ओलंपियाड, एनटीएसई और केवीपीवाई जैसी परीक्षाओं के लिए। इससे छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल करियर की बेहतर तैयारी कर सकेंगे।

आदिवासी युवाओं के लिए सरकार की सोच

नेस्ट्स के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ये साझेदारियाँ आदिवासी छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने का अवसर देने के प्रयास का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि ये कार्यक्रम सीखने की खाई को पाटने, आत्मविश्वास बढ़ाने, और भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को गढ़ने में मदद करेंगे। नेस्ट्स पूरे भारत में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) चलाता है, ताकि आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। अब यूनिसेफ, टाटा मोटर्स और अन्य भागीदारों की मदद से ये प्रयास और अधिक युवाओं तक पहुँचेंगे और उनके जीवन में वास्तविक बदलाव लाएंगे।

जनजातीय युवाओं के विकास के लिए NESTS और UNICEF ने शुरू की ‘तलाश’ पहल

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (नेस्ट्स) और यूनिसेफ इंडिया ने आदिवासी छात्रों की शिक्षा और व्यक्तिगत विकास में सहयोग के लिए एक नया कार्यक्रम, “तलाश” शुरू किया है। यह पहल 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में पढ़ने वाले छात्रों की मदद करेगी। इसका उद्देश्य आत्मविश्वास और जीवन कौशल का विकास करना और छात्रों को सही करियर चुनने में मार्गदर्शन प्रदान करना है।

तलाश क्या है?

‘तलाश’ का पूरा नाम Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub है। यह भारत का पहला राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो विशेष रूप से जनजातीय छात्रों के लिए बनाया गया है। यह कार्यक्रम देशभर के ईएमआरएस (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) में पढ़ने वाले 1.38 लाख से अधिक छात्रों को लाभ पहुंचाएगा। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहाँ छात्र अपने कौशल और रुचियों को जानने के लिए टेस्ट दे सकते हैं, करियर सुझाव प्राप्त कर सकते हैं, जीवन कौशल सीख सकते हैं और प्रशिक्षित शिक्षकों से मार्गदर्शन ले सकते हैं। ‘तलाश’ नाम का अर्थ है खोज — अपनी आंतरिक शक्ति, क्षमताओं और सपनों की खोज। यह कार्यक्रम पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास को भी प्रोत्साहित करता है।

छात्रों और शिक्षकों के लिए उपकरण और समर्थन

‘तलाश’ प्लेटफ़ॉर्म में एनसीईआरटी की तमन्ना पहल पर आधारित साइकोमेट्रिक टेस्ट (मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन) का उपयोग किया गया है, जिससे छात्र यह जान सकें कि वे किन क्षेत्रों में अच्छे हैं। इस टेस्ट के बाद हर छात्र को एक करियर कार्ड मिलता है, जिसमें उसके लिए उपयुक्त करियर विकल्पों का सुझाव दिया जाता है। छात्रों को करियर काउंसलिंग के साथ-साथ जीवन कौशल की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जैसे – समस्या सुलझाने की क्षमता, संवाद कौशल और भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना। ये सभी बातें उन्हें आत्मविश्वासी बनाएंगी और भविष्य के लिए तैयार करेंगी। शिक्षकों को भी एक विशेष ई-लर्निंग सिस्टम के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे छात्रों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकें। अब तक 75 स्कूलों के 189 शिक्षक इस प्रशिक्षण में भाग ले चुके हैं और अपने-अपने विद्यालयों में छात्रों को गाइड करना शुरू कर चुके हैं।

रोलआउट योजना और भविष्य की दिशा

‘तलाश’ को चरणबद्ध तरीके से सभी एकलव्य मॉडल स्कूलों में लागू किया जाएगा ताकि इसे आसानी से अपनाया जा सके। योजना के अनुसार, वर्ष 2025 के अंत तक यह सभी स्कूलों में पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। छात्रों, शिक्षकों और विशेषज्ञों से मिले फीडबैक के आधार पर इस प्लेटफॉर्म में समय-समय पर सुधार भी किए जाएंगे।

एनईएसटीएस के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा: “तलाश हमारे वादे का प्रतीक है कि हम जनजातीय छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने का अवसर देना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य शिक्षा में खाई को पाटना और भविष्य के मजबूत नेता तैयार करना है।” ‘तलाश’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के उद्देश्यों से भी जुड़ा है, जिसका लक्ष्य सभी छात्रों को समान अवसर देना और उनके सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस केवल बढ़ती वैश्विक जनसंख्या की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह एक ऐसा वैश्विक मंच है जो स्वास्थ्य, पर्यावरण, विकास और मानवाधिकारों पर जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को उजागर करता है। वर्ष 2025 में, जब विश्व की जनसंख्या 8.1 अरब के पार पहुंच चुकी है और भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, इस दिन का केंद्र बिंदु युवाओं का सशक्तिकरण, प्रजनन अधिकार और सतत जीवन शैली को बढ़ावा देना है। यह दिवस 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा शुरू किया गया था। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को फाइव बिलियन डे से मिली थी—जिस दिन वैश्विक जनसंख्या पहली बार 5 अरब तक पहुंची थी। विश्व जनसंख्या दिवस हमें याद दिलाता है कि जनसंख्या केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह हमारे संसाधनों, नीतियों और भविष्य की दिशा को तय करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।

उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्थापनाकर्ता: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
प्रथम आयोजन: 11 जुलाई 1989
प्रेरणा: फाइव बिलियन डे — 11 जुलाई 1987 को जब वैश्विक जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े तक पहुंची थी।

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों की गंभीरता पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया जा सके और उनके लिए सतत एवं दीर्घकालिक समाधान खोजे जा सकें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बढ़ती जनसंख्या केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, रोजगार और संसाधनों पर गहरा प्रभाव डालती है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम

थीम: “युवाओं को सशक्त बनाना ताकि वे एक न्यायसंगत और आशावादी दुनिया में अपनी पसंद के परिवार बना सकें।”

इस वर्ष की थीम का केंद्रबिंदु है — दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी युवा पीढ़ी। यह थीम युवाओं को उनके प्रजनन संबंधी अधिकारों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और समान अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करने की वकालत करती है। संदेश स्पष्ट है: जनसंख्या से जुड़ी नीतियों और चर्चाओं में युवाओं को केंद्र में रखा जाना चाहिए, क्योंकि लैंगिक समानता, बेहतर स्वास्थ्य और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।

मुख्य उद्देश्य

  1. जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना — आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों पर इसके प्रभाव को समझाना।

  2. प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को बढ़ावा देना, विशेषकर युवाओं और महिलाओं के बीच।

  3. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, जिससे महिलाएं परिवार नियोजन से जुड़े निर्णय खुद ले सकें।

  4. सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देना:

    • SDG 3: सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और भलाई

    • SDG 5: लैंगिक समानता और सभी महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाना

वैश्विक जनसंख्या रुझान (2025 और आगे)

  • वर्तमान वैश्विक जनसंख्या (2025): 8.1 अरब से अधिक

  • 2030 तक अनुमानित जनसंख्या: 8.5 अरब

  • 2050 तक अनुमानित जनसंख्या: 9.7 अरब

प्रमुख पड़ाव:

  • 1800 के दशक में: 1 अरब

  • 2011 में: 7 अरब

शहरीकरण:

  • 2007 से, ग्रामीणों की तुलना में अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में रहने लगे हैं

  • 2050 तक, वैश्विक जनसंख्या का 66% हिस्सा शहरी इलाकों में रहेगा

भारत: अब विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश

  • 2025 में भारत की जनसंख्या: लगभग 1.46 अरब

  • चीन से अधिक: चीन की जनसंख्या 2025 में लगभग 1.41 अरब

इस जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण भारत को वैश्विक नीतिगत चर्चाओं में केंद्रीय भूमिका निभानी होगी – खासकर रोज़गार, शिक्षा, शहरी नियोजन और युवा विकास जैसे विषयों पर। यह बदलाव प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं, बुनियादी ढांचे, नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में त्वरित सुधारों की मांग करता है।

2025 में विश्व के 10 सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश

स्थान देश जनसंख्या
1 भारत 1,46,38,65,525
2 चीन 1,41,60,96,094
3 संयुक्त राज्य अमेरिका 34,72,75,807
4 इंडोनेशिया 28,57,21,236
5 पाकिस्तान 25,52,19,554
6 नाइजीरिया 23,75,27,782
7 ब्राज़ील 21,28,12,405
8 बांग्लादेश 17,56,86,899
9 रूस 14,39,97,393
10 इथियोपिया 13,54,72,051

2025 में जनसंख्या घनत्व: भीड़भाड़ और चुनौतियाँ

अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में आवास, परिवहन, पर्यावरण और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर दबाव पड़ता है। नीचे 2025 में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले 5 देश/क्षेत्र दिए गए हैं:

स्थान देश/क्षेत्र जनसंख्या घनत्व (लोग/किमी²)
1 मकाऊ (Macau) 21,946
2 मोनाको (Monaco) 19,171
3 सिंगापुर (Singapore) 8,177
4 हांगकांग (Hong Kong) 7,044
5 जिब्राल्टर (Gibraltar) 5,901

ये क्षेत्र आकार में छोटे होने के बावजूद अत्यधिक जनसंख्या वाले हैं, जिससे शहरी सेवाओं पर बहुत दबाव रहता है।

भारतीय राज्यों की जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार)

स्थान राज्य जनसंख्या (2011)
1 उत्तर प्रदेश 19.98 करोड़
2 महाराष्ट्र 11.24 करोड़
3 बिहार 10.41 करोड़
4 पश्चिम बंगाल 9.12 करोड़
5 मध्य प्रदेश 7.26 करोड़

अनुमान है कि 2025 तक इन राज्यों की जनसंख्या में और वृद्धि हुई है, जिससे रोजगार, आवास और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग भी बढ़ी है।

2025 में सबसे अधिक और सबसे कम जनसंख्या वाले राज्य

  • सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य: उत्तर प्रदेश24.1 करोड़ (241 मिलियन)
  • सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य: सिक्किम – लगभग 7.03 लाख (703,000)

यह जनसंख्या असमानता क्षेत्र-विशेष नीति निर्माण और संसाधनों के संतुलित वितरण की आवश्यकता को दर्शाती है।

2025 में युवाओं के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

हालाँकि वैश्विक प्रजनन दर में गिरावट आई है, लेकिन विकासशील देशों में करोड़ों युवा अब भी प्रजनन स्वायत्तता (Reproductive Autonomy) से वंचित हैं। उनके सामने कई समस्याएँ हैं:

  • आर्थिक अस्थिरता

  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी

  • जलवायु चिंता और मानसिक तनाव

  • सीमित शिक्षा और रोजगार के अवसर

  • सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता

UNFPA के अनुसार, लगभग 20% वयस्कों को लगता है कि वे अपनी पसंद की संख्या में बच्चों का पालन-पोषण नहीं कर पाएंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है विश्व जनसंख्या दिवस 2025?

यह दिन हमें नीति निर्माताओं और समाज को निम्नलिखित संदेश देने के लिए प्रेरित करता है:

  • युवाओं को शिक्षा और निर्णय की स्वतंत्रता से सशक्त बनाना
  • सभी के लिए प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करना
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देना
  • शहरीकरण और बुजुर्ग आबादी की तैयारी करना
  • सतत संसाधन प्रबंधन की योजना बनाना

लॉर्ड्स MCC संग्रहालय में सचिन तेंदुलकर के चित्र का अनावरण

लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम स्थित एमसीसी म्यूज़ियम में 10 जुलाई 2025 को सचिन तेंदुलकर का चित्र (पोर्ट्रेट) अनावरण किया गया। यह चित्र प्रसिद्ध ब्रिटिश कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट द्वारा बनाया गया है। यह कार्यक्रम भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे टेस्ट मैच से पहले आयोजित किया गया, और यह पल क्रिकेट के इस महान खिलाड़ी के लिए बेहद भावुक क्षण था। यह सम्मान तेंदुलकर के लिए विशेष है, क्योंकि इंग्लैंड में खेले गए उनके कई मुकाबले उनकी यादों में बसे हुए हैं। लॉर्ड्स में उनका चित्र लगना न केवल उनकी उपलब्धियों की सराहना है, बल्कि यह क्रिकेट इतिहास में उनके योगदान को भी अमर करता है।

लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड: एक गौरवपूर्ण क्षण

क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड स्थित एमसीसी म्यूज़ियम में भारत के क्रिकेट महानायक सचिन तेंदुलकर का चित्र लगना एक गर्वपूर्ण क्षण रहा। यह चित्र प्रसिद्ध ब्रिटिश पोर्ट्रेट कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट ने बनाया है। चित्र के अनावरण से पहले तेंदुलकर ने भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच की शुरुआत करने के लिए परंपरागत घंटी भी बजाई।

तेंदुलकर ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कलाकार की प्रशंसा की और कहा, “यह चित्र आपसे संवाद करता है। स्टुअर्ट में कला के माध्यम से भावनाएं व्यक्त करने की अद्भुत प्रतिभा है।” इस समारोह में कई क्रिकेट प्रेमी और गणमान्य अतिथि मौजूद थे, जिससे यह पल और भी यादगार बन गया।

सचिन की इंग्लैंड से जुड़ी यादें

सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड से अपने गहरे जुड़ाव को साझा किया। उन्होंने बताया कि वे पहली बार 1980 के दशक के अंत में किशोरावस्था में कैलाश गट्टानी के स्टार क्रिकेट क्लब के साथ इंग्लैंड आए थे। बाद में, उन्होंने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर अपना पहला टेस्ट शतक भी बनाया था।

लॉर्ड्स से जुड़ी यादें ताज़ा करते हुए तेंदुलकर ने बताया कि 1988-89 में वे पहली बार लॉर्ड्स आए थे और तब उन्होंने लॉर्ड्स पवेलियन के सामने एक तस्वीर खिंचवाई थी। अब सालों बाद उसी पवेलियन के भीतर उनका चित्र लगना उनके लिए एक भावुक क्षण रहा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा लग रहा है जैसे ज़िंदगी का एक चक्र पूरा हो गया हो।”

शुभमन गिल की कप्तानी की सराहना

समारोह के दौरान तेंदुलकर ने भारतीय टीम के नए कप्तान शुभमन गिल की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि गिल शांत, आत्मविश्वासी और निर्णय लेने में समझदार हैं। तेंदुलकर ने यह भी कहा कि शुभमन की अच्छी बल्लेबाज़ी का उनकी कप्तानी पर सकारात्मक असर पड़ता है।

उन्होंने आगे कहा, “जब कप्तान खुद अच्छा खेल रहा होता है, तो वह टीम के लिए बेहतर फैसले ले पाता है। शुभमन ने टीम को बहुत अच्छे ढंग से संभाला है।”

कौन हैं प्रिया नायर, जो बनीं HUL की पहली महिला CEO

हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने घोषणा की है कि प्रिया नायर 1 अगस्त 2025 से कंपनी की नई सीईओ और प्रबंध निदेशक (एमडी) बनेंगी। वे वर्तमान में यूनिलीवर में ब्यूटी एंड वेलबीइंग की प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत हैं। यह भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों में से एक के लिए एक महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तन है। मौजूदा सीईओ रोहित जावा 31 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा देंगे।

प्रिया नायर की यात्रा और नई भूमिका

प्रिया नायर ने 1995 में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने होम केयर, ब्यूटी और पर्सनल केयर जैसे क्षेत्रों में सेल्स और मार्केटिंग की कई भूमिकाएं निभाईं। समय के साथ वे HUL की होम केयर इकाई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनीं और बाद में ब्यूटी एंड पर्सनल केयर विभाग का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में उन्हें यूनिलीवर की ग्लोबल ब्यूटी एंड वेलबीइंग यूनिट की प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया, जो एक तेजी से बढ़ता हुआ वैश्विक व्यवसाय है।

अब प्रिया नायर भारत लौट रही हैं और HUL की नई सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर का पदभार संभालेंगी। साथ ही, वे HUL के बोर्ड में भी शामिल होंगी, जो आवश्यक अनुमोदनों के अधीन है। वे यूनिलीवर लीडरशिप एग्जीक्यूटिव टीम की सदस्य बनी रहेंगी।

रोहित जावा का योगदान

रोहित जावा ने 2023 में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर का पद संभाला था। अपने दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने वॉल्यूम-आधारित विकास को प्राथमिकता दी और ‘ASPIRE’ रणनीति की शुरुआत की। इस रणनीति के ज़रिए कंपनी ने अधिक मांग वाले क्षेत्रों में वृद्धि की और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मज़बूत किया।

HUL का नेतृत्व संभालने से पहले रोहित जावा यूनिलीवर में कई शीर्ष पदों पर कार्य कर चुके थे, जिनमें नॉर्थ एशिया के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, यूनिलीवर चाइना के चेयरमैन और यूनिलीवर फिलीपींस के चेयरमैन शामिल हैं। अब वे अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में नए अवसरों की ओर अग्रसर होंगे।

आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की दिशा

HUL के चेयरमैन नितिन परांजपे ने चुनौतीपूर्ण समय में कंपनी का नेतृत्व करने के लिए रोहित जावा का आभार व्यक्त किया और उनके प्रयासों की सराहना की, जिनसे कंपनी को मजबूती मिली। उन्होंने प्रिया नायर का HUL में फिर से स्वागत किया और विश्वास जताया कि अपनी गहरी बाज़ार समझ और मज़बूत नेतृत्व क्षमता के साथ वे कंपनी को आगे ले जाएंगी।

यह नेतृत्व परिवर्तन HUL के लिए एक नया अध्याय है, क्योंकि कंपनी भारत के तेज़ी से बदलते उपभोक्ता बाज़ार में अपनी विकास यात्रा को जारी रखने की दिशा में अग्रसर है।

उत्तराखंड में पाखंडियों पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन कालनेमि शुरू

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करने की घोषणा की है। यह पुलिस अभियान उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए शुरू किया गया है जो स्वयं को झूठा संत बताकर जनता को धोखा दे रहे हैं। इन फर्जी बाबाओं पर जनता को ठगने और सनातन धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इस कदम का उद्देश्य आस्था के नाम पर हो रहे धोखाधड़ी को रोकना और धार्मिक सौहार्द की रक्षा करना है। सरकार का कहना है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार का शोषण न हो सके।

‘ऑपरेशन कालनेमि’ क्यों?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का नाम हिंदू पौराणिक कथा के एक राक्षस कालनेमि से लिया गया है, जो साधु का वेश धारण कर लोगों को भ्रमित करता था। उसी तरह आज के समय में भी कुछ लोग साधु-संतों का चोला पहनकर मासूम श्रद्धालुओं को धोखा दे रहे हैं, खासकर महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे भेषधारी लोग समाज में धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं और सामाजिक अशांति फैलाते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि ऐसे फर्जी संतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों — किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

सख्त सरकारी कार्रवाई की तैयारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड पुलिस को ‘ऑपरेशन कालनेमि’ को तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है। इस अभियान का उद्देश्य उन फर्जी बाबाओं और ढोंगी साधुओं की पहचान करना और उन्हें गिरफ्तार करना है जो धर्म के नाम पर लोगों को ठगते हैं और व्यक्तिगत लाभ के लिए आध्यात्मिकता का दुरुपयोग करते हैं।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई सच्चे धार्मिक आचरण की गरिमा को बनाए रखने और आस्था की आड़ में हो रहे धोखाधड़ी और शोषण को रोकने के लिए की जा रही है। पुलिस की टीमें राज्यभर में सक्रिय होंगी और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी।

जनता और धार्मिक महत्व

यह अभियान ऐसे समय में शुरू किया गया है जब उत्तराखंड में धार्मिक यात्राओं और तीर्थ यात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हरिद्वार, ऋषिकेश और केदारनाथ जैसे पवित्र स्थलों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड हर साल देशभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। सरकार का उद्देश्य लोगों की आस्था की रक्षा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि केवल सच्चे और योग्य आध्यात्मिक गुरु ही उन्हें मार्गदर्शन दें।

‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करके सरकार उन लोगों पर रोक लगाना चाहती है जो सनातन धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं।

यूएई गोल्डन वीज़ा 2025: जानें सबकुछ

यूएई गोल्डन वीज़ा एक दीर्घकालिक निवास कार्यक्रम है जो दुनिया भर के निवेशकों, कुशल पेशेवरों, छात्रों और अन्य प्रतिभाशाली व्यक्तियों को आकर्षित करता है। हाल ही में, एक नई वीज़ा योजना पर काफ़ी ध्यान आकर्षित हुआ है, जिसकी कथित लागत 23 लाख रुपये है। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है? आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं।

यूएई गोल्डन वीज़ा क्या है?

यूएई गोल्डन वीज़ा एक विशेष रेजिडेंसी वीज़ा है जो विदेशी नागरिकों को 5 या 10 वर्षों तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बिना किसी स्थानीय स्पॉन्सर के रहने, काम करने और पढ़ाई करने की अनुमति देता है। यह वीज़ा नवीकरणीय (renewable) होता है और परिवार के साथ यूएई में स्थायी रूप से बसने का एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है।

किन लोगों को यह वीज़ा दिया जाता है?

यूएई गोल्डन वीज़ा के लिए निम्नलिखित पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं:

  • निवेशक (Investors)

  • उद्यमी (Entrepreneurs)

  • विशेषज्ञ पेशेवर जैसे:

    • डॉक्टर

    • इंजीनियर

    • आईटी विशेषज्ञ

  • वैज्ञानिक और शोधकर्ता

  • प्रतिभाशाली छात्र और उत्कृष्ट ग्रेजुएट्स

  • कलाकार, खिलाड़ी और अन्य कुशल व्यक्ति

यह वीज़ा उन लोगों को आकर्षित करने के लिए है जो यूएई की अर्थव्यवस्था, समाज और नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

23 लाख रुपये की गोल्डन वीज़ा योजना क्या है?

साल 2025 की शुरुआत में, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में एक नई वीज़ा स्कीम की चर्चा हुई, जो खासकर भारत और बांग्लादेश के नागरिकों के लिए बताई गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार:

  • यूएई एक “लाइफटाइम गोल्डन वीज़ा” ऑफर कर रहा था।

  • इसके लिए एकमुश्त भुगतान AED 100,000 (लगभग ₹23.3 लाख) देना होता।

  • यह वीज़ा केवल “नॉमिनेशन के ज़रिए” उपलब्ध था।

इस खबर के सामने आने के बाद भारत में खासा उत्साह देखने को मिला। कुछ आव्रजन एजेंसियों ने तो ग्राहकों के बीच इस वीज़ा विकल्प का प्रचार भी शुरू कर दिया है।

यूएई सरकार का क्या कहना है?

यूएई की इमिग्रेशन अथॉरिटी — आईसीपी (Federal Authority for Identity, Citizenship, Customs & Port Security) — ने इन रिपोर्ट्स पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी और साफ किया:

  • गोल्डन वीज़ा कोई बिकाऊ योजना नहीं है।

  • AED 100,000 (लगभग ₹23 लाख) कोई “कीमत” नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग फीस के तौर पर मांगा गया था — और वह भी सभी मामलों में लागू नहीं होता।

  • गोल्डन वीज़ा पाने के लिए नॉमिनेशन जरूरी है, और उम्मीदवारों को कड़े सत्यापन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

  • कई एजेंसियों द्वारा किए गए प्रचार और दावे भ्रामक और गलत थे।

यूएई की कुछ एजेंसियां, जैसे कि Rayad Group, ने बाद में माफी मांगी और ऐसी गोल्डन वीज़ा सेवाएं देना बंद कर दिया

2025 में वास्तविक गोल्डन वीज़ा प्रक्रिया क्या है?

नया तरीका: नॉमिनेशन-आधारित गोल्डन वीज़ा

2025 में, यूएई सरकार ने एक नया मार्ग शुरू किया है जिसके तहत भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के प्रोफेशनल्स (विशेषज्ञ) आजीवन गोल्डन वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं — लेकिन केवल तभी जब उन्हें किसी यूएई संस्था द्वारा नामांकित किया गया हो।

मुख्य शर्तें और प्रक्रिया:

  1. नॉमिनेशन अनिवार्य:
    उम्मीदवार को किसी सरकारी या अर्ध-सरकारी यूएई संस्था द्वारा नामांकित (nominated) किया जाना चाहिए।

  2. प्रोसेसिंग फीस:
    चयनित होने पर AED 100,000 (लगभग ₹23 लाख) की प्रोसेसिंग फीस जमा करनी होगी।
    (यह वीज़ा की कीमत नहीं है, केवल प्रोसेसिंग के लिए है।)

  3. दस्तावेज़ों की जांच:

    • शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव

    • सोशल मीडिया और ऑनलाइन गतिविधि का मूल्यांकन

    • एंटी-मनी लॉन्डरिंग जांच (AML checks)

    • आपराधिक रिकॉर्ड की क्लियरेंस

यह वीज़ा सभी के लिए नहीं है:

यह विशेष रूप से उनके लिए है जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो — जैसे कि:

  • वैज्ञानिक, डॉक्टर, आईटी प्रोफेशनल्स

  • कलाकार, खिलाड़ी, नवप्रवर्तक (innovators)

  • सामाजिक कार्यकर्ता या उद्यमी जिनकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय हो

गोल्डन वीज़ा के लाभ 

यूएई का गोल्डन वीज़ा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को अनेक विशेष लाभ मिलते हैं, जो उन्हें एक स्थायी और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करते हैं।

मुख्य लाभ:

  1. दीर्घकालिक निवास

    • 5 वर्ष, 10 वर्ष या कुछ मामलों में आजीवन वीज़ा

    • वीज़ा को बार-बार नवीनीकृत कराने की आवश्यकता नहीं

  2. स्थानीय प्रायोजक (Sponsor) की आवश्यकता नहीं

    • पारंपरिक वीज़ा की तरह किसी यूएई नागरिक या कंपनी की स्पॉन्सरशिप नहीं चाहिए

  3. परिवार को साथ लाने की सुविधा

    • पति/पत्नी, बच्चे, और घरेलू स्टाफ को साथ लाकर बस सकते हैं

  4. काम और व्यापार की स्वतंत्रता

    • नौकरी, स्टार्टअप, निवेश या स्वतंत्र पेशेवर गतिविधियाँ करने की आज़ादी

  5. बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक पहुँच

    • यूएई की बैंकिंग प्रणाली, सरकारी अस्पताल और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों की सुविधाएँ उपलब्ध

  6. छूट और विशेष सुविधाएं

    • Esaad कार्ड जैसे सरकारी लाभ कार्ड के माध्यम से

    • शॉपिंग, स्वास्थ्य सेवा, होटल, ट्रांसपोर्ट आदि में विशेष छूट

आम मिथक और तथ्य

गोल्डन वीज़ा से जुड़ी भ्रांतियाँ और सच्चाई 

दावा  हकीकत 
कोई भी ₹23 लाख देकर गोल्डन वीज़ा खरीद सकता है गलत – केवल नामांकित पेशेवर ही आवेदन कर सकते हैं
AED 100,000 देने से वीज़ा मिलना तय है गलत – यह केवल चयन के बाद की प्रोसेसिंग फीस है, वीज़ा की गारंटी नहीं
सभी वीज़ा कंसल्टेंट आधिकारिक होते हैं गलत – कई एजेंसियाँ अनाधिकृत थीं और उन पर कानूनी कार्रवाई हुई
अब सभी भारतीयों को आजीवन गोल्डन वीज़ा मिलेगा गलत – केवल चयनित और नामांकित व्यक्तियों को ही आजीवन वीज़ा मिल सकता है

सही तरीके से यूएई गोल्डन वीज़ा के लिए आवेदन कैसे करें

  1. अपनी पात्रता जांचें
    जानें कि आप किस श्रेणी में आते हैं:

    • निवेशक (Investor)

    • पेशेवर (Professional – जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शोधकर्ता)

    • नामांकन प्राप्त व्यक्ति (Nomination-based)

  2. धोखाधड़ी से सावधान रहें

  • उन एजेंटों से बचें जो “शॉर्टकट” या “गारंटीशुदा वीज़ा” का दावा करते हैं।
  • केवल सरकारी और आधिकारिक माध्यमों से ही आवेदन करें।
  1. आधिकारिक चैनल का उपयोग करें
    आवेदन के लिए निम्न सरकारी मंचों का उपयोग करें:

    • आईसीपी (यूएई सरकार की वेबसाइट)

    • आमेर केंद्र (दुबई में)

    • जीडीआरएफए पोर्टल

  2. नामांकन मिलने पर क्या करें
    यदि किसी यूएई सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था से नामांकन मिलता है:

    • सभी आवश्यक दस्तावेज़ जैसे शिक्षा, अनुभव, सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल, और चरित्र प्रमाण पत्र सावधानीपूर्वक तैयार करें।

    • सभी प्रक्रिया कानूनी तरीके से पूरी करें।

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