भारत ने पहली इलेक्ट्रिक ट्रक प्रोत्साहन योजना शुरू की

भारत सरकार ने 12 जुलाई 2025 को पीएम ई-ड्राइव (PM E-DRIVE) पहल के तहत अपना पहला इलेक्ट्रिक ट्रक (ई-ट्रक) प्रोत्साहन योजना शुरू की, जिसके तहत प्रति वाहन अधिकतम ₹9.6 लाख की सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना की घोषणा केंद्रीय मंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने की। इसका उद्देश्य प्रदूषण को कम करना और स्वच्छ माल परिवहन (फ्रेट ट्रांसपोर्ट) को बढ़ावा देना है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरित गतिशीलता (ग्रीन मोबिलिटी) और 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ई-ट्रक योजना की प्रमुख विशेषताएं:

  • यह योजना N2 और N3 श्रेणियों के इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिनका सकल वाहन भार (GVW) 3.5 टन से लेकर 55 टन तक है।

  • अधिकतम ₹9.6 लाख प्रति ट्रक की सब्सिडी अग्रिम छूट (upfront discount) के रूप में मिलेगी।

  • निर्माता कंपनियों को यह राशि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर पीएम ई-ड्राइव पोर्टल के माध्यम से वापस मिलेगी।

गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए योजना में सख्त वारंटी नियम भी शामिल हैं:

  • बैटरी के लिए 5 साल या 5 लाख किलोमीटर की वारंटी।

  • वाहन और मोटर के लिए 5 साल या 2.5 लाख किलोमीटर की वारंटी।

इसके साथ ही, खरीदारों को पुराने प्रदूषणकारी डीज़ल ट्रकों को स्क्रैप करना होगा, जिससे पर्यावरण को और लाभ मिलेगा।

भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है:

हालांकि डीज़ल ट्रक कुल वाहनों का केवल 3% हैं, लेकिन ये परिवहन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 42% हिस्सा बनाते हैं। ऐसे में यह योजना वायु गुणवत्ता सुधारने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और भारत के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाएगी।

इस योजना के तहत ₹100 करोड़ के बजट से 5,600 ई-ट्रकों को बढ़ावा देने की योजना है, जिसमें से 1,100 ट्रक दिल्ली में तैनात किए जाएंगे। यह योजना सीमेंट, स्टील, पोर्ट और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जहां भारी ट्रकों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।

उद्योग की भागीदारी और सरकारी प्रयास:

भारत की अग्रणी कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड और वोल्वो-आईशर पहले से ही इलेक्ट्रिक ट्रकों पर काम कर रही हैं। यह योजना आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत घरेलू ईवी उद्योग को गति देगी।

सरकारी उपक्रम सेल (SAIL) ने पहले ही 150 ई-ट्रक खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है और वह अपने किराए के बेड़े का 15% विद्युतीकरण करना चाहता है। यह पहल अन्य सरकारी कंपनियों के लिए भी एक मिसाल बनेगी कि वे हरित परिवहन को बढ़ावा दें।

स्विट्ज़रलैंड ने छोटे बच्चों के लिए पहली मलेरिया दवा को मंज़ूरी दी

स्विट्जरलैंड ने नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए पहली बार मलेरिया के उपचार की दवा ‘Coartem’ को मंजूरी दे दी है। यह दवा नोवार्टिस द्वारा विकसित की गई है। यह दवा उन नवजात शिशुओं के लिए बनाई गई है जिनका वजन 2 से 5 किलोग्राम के बीच है। यह कदम बेहद अहम है, क्योंकि मलेरिया खासकर अफ्रीका में बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण है। यह मलेरिया से होने वाली मौतों को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी, विशेषकर अफ्रीका में जहां वर्ष 2023 में मलेरिया से 5 लाख से अधिक मौतें हुईं, जिनमें अधिकांश बच्चे शामिल थे।

शिशु स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम

यह दवा स्विट्ज़रलैंड के बासेल स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी नोवार्टिस द्वारा बनाई गई है। यह बहुत छोटे शिशुओं के लिए अनुमोदित होने वाली पहली मलेरिया की दवा है, जो सबसे कमज़ोर और नवजात बच्चों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। स्विसमेडिक ने इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत मंज़ूरी दी है। इस विशेष प्रक्रिया का उद्देश्य विकासशील देशों में जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता को तेज़ी से सुनिश्चित करना है।

अफ्रीका के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण

साल 2023 में मलेरिया से दुनियाभर में लगभग 5,97,000 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें से 95% मौतें अफ्रीका में हुईं। इनमें से अधिकांश शिकार पांच साल से छोटे बच्चे थे। हालांकि मलेरिया आमतौर पर 3 से 6 महीने के बच्चों में अधिक देखा जाता है, लेकिन नवजात शिशुओं के लिए भी सुरक्षित इलाज के विकल्प बेहद ज़रूरी हैं। अभी तक बच्चों के लिए बनी दवाओं की खुराक को सावधानीपूर्वक शिशुओं के लिए समायोजित करना पड़ता था, जिसे विशेषज्ञों ने “अपर्याप्त समाधान” बताया।

विशेषज्ञों की राय और कंपनी की योजना

आईएसग्लोबल (ISGlobal – बार्सिलोना ग्लोबल हेल्थ संस्थान) के मलेरिया विशेषज्ञ किकी बासट (Quique Bassat) ने कहा कि यह दवा सुरक्षित और प्रभावी दोनों है, और इससे नवजातों का इलाज अधिक आसान और सुरक्षित तरीके से किया जा सकेगा। नोवार्टिस के प्रवक्ता रुइरीड विल्लार (Ruairidh Villar) ने बताया कि आठ अफ्रीकी देश इस दवा की समीक्षा प्रक्रिया में शामिल थे और अगले 90 दिनों में इसके मंज़ूरी देने की उम्मीद है। कंपनी की योजना है कि यह दवा मलेरिया प्रभावित देशों में बिना लाभ (नो प्रॉफिट) के आधार पर उपलब्ध कराई जाए।

उद्योग जगत के समक्ष मक्का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने की योजना

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 7 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली में फिक्की और भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) द्वारा आयोजित 11वें भारत मक्का शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने किसानों की आय में सुधार, मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए “मक्का क्रांति” के लिए सरकार के नए दृष्टिकोण को साझा किया। इस कार्यक्रम में भारत के मक्का क्षेत्र को आकार देने वाले प्रमुख कार्यक्रमों और साझेदारियों पर प्रकाश डाला गया।

मक्का उत्पादन के लिए एक दूरदर्शी योजना

शिखर सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार का प्रमुख ध्यान “किसान पहले” पर है। उन्होंने बेहतर अनुसंधान, किसान शिक्षा और आधुनिक कृषि तकनीकों के माध्यम से मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक विस्तृत रोडमैप साझा किया।

भारत का मक्का उत्पादन 1990 में 1 करोड़ टन से बढ़कर हाल के वर्षों में 4.2 करोड़ टन हो गया है। 2047 तक इसे 8.6 करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है। हालांकि, भारत की औसत मक्का उत्पादकता 3.7 टन प्रति हेक्टेयर है, जो वैश्विक औसत से अभी भी कम है।

प्रयोगशाला से खेत तक: विज्ञान को किसानों से जोड़ना

विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत लगभग 11,000 वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों को 7,000–8,000 गांवों में भेजा गया ताकि वे सीधे किसानों के साथ काम कर सकें। इसका उद्देश्य प्रयोगशालाओं में विकसित वैज्ञानिक समाधानों को खेतों तक पहुंचाना और किसानों को बेहतर तकनीक अपनाने में मदद करना है।

उत्तर प्रदेश में मक्का को बढ़ावा

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्य की तेज मक्का विकास योजना की सफलता साझा की। यह एक पांच वर्षीय राज्य योजना है, जिसमें मक्का को फसल विविधीकरण के हिस्से के रूप में बढ़ावा दिया गया।

इस वर्ष राज्य के 24 ज़िलों में 5.4 लाख हेक्टेयर भूमि पर मक्का की बुवाई हुई। सैटेलाइट सर्वेक्षण से इस विस्तार की पुष्टि हुई है।

  • राज्य की औसत उपज अब 34 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है

  • इस वर्ष यह 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पार कर सकती है

  • लगभग 15 कंपनियां मक्का प्रसंस्करण में सक्रिय हैं

  • सरकार रेशा (फाइबर) और पर्यावरण-अनुकूल प्लास्टिक विकल्पों जैसे वैल्यू-एडेड उत्पादों पर काम कर रही है

विशेषज्ञों की राय और बाज़ार की प्रवृत्तियां

डॉ. एच.एस. जाट, निदेशक, ICAR-IIMR ने कहा कि 2030 तक ई30 एथनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए मक्का उत्पादन में हर साल 8–9% की वृद्धि ज़रूरी है। उनका कहना है कि उच्च स्टार्च और किण्वनीय सामग्री वाली नई मक्का किस्में विकसित की जा रही हैं, जिससे एथनॉल उत्पादन बढ़ाया जा सके।

सुब्रतो गीड, सह-अध्यक्ष, FICCI कृषि समिति ने कहा: “मक्का सिर्फ एक फसल नहीं है — यह भारत की खाद्य सुरक्षा, जैव ईंधन, और पशु आहार का एक महत्वपूर्ण आधार है।” उन्होंने बेहतर तकनीक, बीज प्रणाली, और डिजिटल कृषि उपकरणों को अपनाने पर ज़ोर दिया ताकि भारत को जलवायु-स्मार्ट मक्का अर्थव्यवस्था बनाया जा सके।

सुंजय वुप्पुलुरी, यस बैंक से, ने बताया कि मक्का भारत का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ अनाज है।

  • पिछले 10 वर्षों में मक्का क्षेत्रफल में 31% वृद्धि हुई है

  • उत्पादन में 75% वृद्धि दर्ज की गई

  • लेकिन मांग, आपूर्ति से कहीं अधिक तेज़ी से बढ़ रही है

  • पोल्ट्री फीड (51%) और एथनॉल (18%) इसके मुख्य उपयोग हैं

मुंबई में कार्नेक पुल का नाम ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर रखा गया

दक्षिण मुंबई में पुनर्निर्मित कार्नेक रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का नाम बदलकर ‘सिंदूर ब्रिज’ कर दिया गया है। यह नाम पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए मई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई से प्रेरित है। पूर्व को पश्चिम से जोड़ने वाले पुल को पहले कार्नेक ब्रिज के नाम से जाना जाता था। नाम बदलने का उद्देश्य ब्रिटिश गवर्नर जेम्स रिवेट-कार्नाक की औपनिवेशिक विरासत को हटाना भी है, जिन्होंने उत्पीड़न के समय में शासन किया था।

पुल का नामकरण और उद्घाटन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 10 जुलाई 2025 को नव-निर्मित सिंदूर पुल का उद्घाटन किया। पहले यह पुल कार्नेक ब्रिज के नाम से जाना जाता था, जिसका नाम अब ऑपरेशन सिंदूर की वीरता के सम्मान में बदल दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के उस दौर की यादों को मिटाना है, जब गवर्नर कार्नेक जैसे अधिकारी भारतीयों पर दमन करते थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह नामकरण औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने प्रबोधनकार ठाकरे के लेखनों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह कर्नैक ने सातारा के छत्रपति प्रताप सिंह राजे और रंगो बापूजी के खिलाफ षड्यंत्र रचा था।

पुल निर्माण की जानकारी और देरी का कारण

328 मीटर लंबा यह पुल चार लेन का है और यह क्रॉफर्ड मार्केट, कालबादेवी और धोबी तालाओ जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में यातायात को आसान बनाएगा। पुराना दो लेन वाला कार्नेक ब्रिज 1868 में बना था, जिसे 2022 में संरचनात्मक ऑडिट में असुरक्षित पाए जाने के बाद गिरा दिया गया था।

निर्माण कार्य 13 जून 2025 को पूरा हो गया था, लेकिन संकेतक बोर्ड, रेलवे की एनओसी जैसी औपचारिकताओं के कारण उद्घाटन में देरी हुई। 2 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इस देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।

इतिहास और नाम बदलने की पृष्ठभूमि

पुराने पुल का नाम जेम्स रिवेट-कार्नेक, बॉम्बे के गवर्नर (1839–1841) के नाम पर रखा गया था। वह उन औपनिवेशिक प्रशासकों में से एक थे जिनके नाम अब भी भारत के कई सार्वजनिक ढांचों पर हैं। नया नाम ‘सिंदूर’, भारत की सैन्य शक्ति और वर्तमान गौरव का प्रतीक है। सीएम फडणवीस ने कहा कि “सिंदूर” शब्द सिर्फ सैन्य विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह इतिहास के उन काले अध्यायों को मिटाने का प्रतीक भी है, जिन्हें ब्रिटिश राज में लिखा गया था।

केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह 2025 का उद्घाटन किया

भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह 2025 की शुरुआत 10 जुलाई, 2025 को दिल्ली में एक विशेष सत्र के साथ हुई, जहाँ राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने हरित गतिशीलता और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की ओर भारत के बढ़ते कदम पर प्रकाश डाला। यशोभूमि में बोलते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे सरकार की योजनाएँ और नीतियाँ भारत को एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन भविष्य की ओर बढ़ने में मदद कर रही हैं।

भारत स्वच्छ और हरित गतिशीलता के लिए प्रतिबद्ध

वाहन विद्युतीकरण पर आयोजित सत्र की शुरुआत में केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि मोदी सरकार पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को समर्थन देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि पीएम ई-ड्राइव और FAME-II जैसी योजनाएं भारत में एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण इकोसिस्टम के विकास में मदद कर रही हैं। इन पहलों का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना और सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाना है।

भारत की तेज़ प्रगति और ईवी-हितैषी नीतियां

मंत्री ने गर्व से कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और स्वच्छ गतिशीलता के अपने मिशन में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने EV रेट्रोफिटिंग नियमों और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए टोल टैक्स में छूट जैसी नीतियों का भी ज़िक्र किया, जो इलेक्ट्रिक परिवहन को आम लोगों और व्यवसायों के लिए किफायती और सुलभ बना रही हैं।

लॉजिस्टिक्स पार्क और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य

श्री मल्होत्रा ने बताया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित किए जा रहे हैं, जो सड़क, रेल और भंडारण सुविधाओं को एक साथ जोड़ेंगे। अब इन पार्कों में हरित ऊर्जा सुविधाएं और EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी जोड़ा जाएगा। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, प्रदूषण में गिरावट और भारत की छवि एक ग्रीन ट्रांसपोर्ट हब के रूप में मजबूत होगी।

भविष्य की योजनाएं: बैटरी तकनीक और नेट ज़ीरो लक्ष्य

मंत्री ने EV उद्योग को स्थानीय निर्माण, बैटरी रीसायक्लिंग और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के मौसम और सड़क की जरूरतों के अनुसार उपयुक्त बैटरी स्टोरेज सिस्टम विकसित करना बहुत जरूरी है। उन्होंने याद दिलाया कि देश 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। साथ ही, सरकार 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य भी लेकर चल रही है।

उज्जैन में जल्द शुरू होगा आकाशवाणी केंद्र

सरकार ने कहा कि वह क्षेत्रीय प्रसारण को मजबूत करने और मध्यप्रदेश के लोगों को समय पर सूचना प्रसारित करने के लिए उज्जैन में एक आकाशवाणी केंद्र स्थापित करेगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मीडिया संपर्क, सार्वजनिक संचार और प्रसारण अवसंरचना सहित प्रमुख क्षेत्रों में केंद्र और राज्य के बीच सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की।

उज्जैन में नया आकाशवाणी केंद्र

सरकार ने ‘ब्रॉडकास्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड नेटवर्क डेवलपमेंट (BIND)’ योजना के तहत उज्जैन में एक नया आकाशवाणी केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह केंद्र विशेष रूप से मध्यप्रदेश के ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों तक रेडियो के माध्यम से संचार सेवाओं को मजबूत करेगा।

केंद्र-राज्य सहयोग से बेहतर संचार

यह निर्णय केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया। दोनों नेताओं ने राज्य में मीडिया की पहुंच, सार्वजनिक संचार और प्रसारण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग पर चर्चा की।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों सरकारें मिलकर प्रदेश की जनता को अधिक सशक्त और सटीक जानकारी प्रदान करने हेतु बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगी।

BIND योजना क्या है?

‘ब्रॉडकास्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड नेटवर्क डेवलपमेंट’ (बीआईएनडी) योजना केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य देशभर में आकाशवाणी और दूरदर्शन जैसे सार्वजनिक प्रसारण माध्यमों की आधारभूत संरचना को आधुनिक बनाना है ताकि सरकारी योजनाओं, समाचारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जानकारी देश के सबसे दूरस्थ गांवों तक भी पहुंच सके।

स्थानीय संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा

उज्जैन में बनने वाला नया आकाशवाणी केंद्र न केवल सरकार की सूचनाएं और योजनाएं लोगों तक पहुंचाएगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति के संरक्षण, शिक्षा, मनोरंजन और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

असम ने हाथियों की रक्षा के लिए ‘गज मित्र’ योजना शुरू की

असम मंत्रिमंडल ने राज्य में मनुष्यों और हाथियों के बीच बढ़ते संघर्षों को कम करने के लिए ‘गज मित्र’ नामक एक नई योजना को मंज़ूरी दी है। यह कदम पिछले कुछ वर्षों में मनुष्यों और हाथियों दोनों की सैकड़ों मौतों के बाद उठाया गया है। इस योजना का उद्देश्य वन्यजीवों की रक्षा करना, हाथियों के लिए सुरक्षित स्थान बनाना और गाँवों को ऐसी स्थितियों से शांतिपूर्ण तरीके से निपटने में मदद करना है।

शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए नई योजना

‘गज मित्र’ योजना असम सरकार की मानव-हाथी संघर्ष की गंभीर समस्या से निपटने की एक बड़ी पहल है। यह योजना राज्य के 80 ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जहाँ हाथियों और लोगों के बीच अक्सर आमना-सामना होता है। योजना के तहत बांस और नैपियर घास जैसी हाथियों की पसंदीदा फसलों को उगाया जाएगा ताकि उन्हें गाँवों में घुसने से रोका जा सके। साथ ही, इन क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया दल (रैपिड रिस्पॉन्स टीम) तैनात किए जाएंगे जो सुरक्षित और अहिंसक तरीकों से हाथियों को दूर भगाने में ग्रामीणों की मदद करेंगे।

योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी

वन्यजीव संस्थान (WII) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से 2023 के बीच 1,400 से अधिक लोग और 1,209 हाथियों की मौत इस संघर्ष के चलते हुई है। इनमें से 626 हाथियों की मौत अवैध या असुरक्षित बिजली की बाड़ के कारण हुई, जो किसान अपनी फसलों की रक्षा के लिए लगाते हैं, लेकिन ये बाड़ अक्सर जानवरों के लिए जानलेवा साबित होती हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि यह स्थिति अब नियंत्रण से बाहर हो चुकी है और सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी ताकि इंसानों और हाथियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

प्रभावित क्षेत्र और बढ़ती मौतें

नगांव, सोनितपुर पश्चिम, धनसिरी और कार्बी आंगलोंग पूर्व जैसे जिलों में हाथियों की मौतों की संख्या सबसे अधिक रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 527 गाँव इन संघर्षों से प्रभावित हुए हैं, जिनमें गोलपारा सबसे ज़्यादा प्रभावित है। कुछ हाथियों की मौत आपसी संघर्ष (81 मौतें) या प्राकृतिक कारणों (158 मौतें) से हुई, लेकिन अधिकांश मौतें भोजन की कमी और पारंपरिक आवागमन मार्गों के बाधित होने के कारण होती हैं, जिससे हाथी खेतों और गाँवों में घुस आते हैं और टकराव होता है।

अगले कदम

सरकार अब हाथियों के लिए स्थायी आवास विकसित करने और उन्हें पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में काम करेगी ताकि वे मानव बस्तियों की ओर न जाएं। इस योजना में सामुदायिक भागीदारी को भी प्रमुखता दी जाएगी — जागरूकता फैलाकर और त्वरित सहायता प्रदान करके। अधिकारियों को उम्मीद है कि ‘गज मित्र’ योजना इंसानों और वन्यजीवों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का एक प्रभावी मॉडल साबित होगी।

महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव को राज्य उत्सव घोषित किया

महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को आधिकारिक राज्य उत्सव घोषित कर दिया है। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने विधानसभा सत्र के दौरान यह घोषणा की। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राज्य के सबसे बड़े सांस्कृतिक उत्सवों में से एक को सरकारी सहायता और धन प्राप्त होगा।

गणेशोत्सव को मिला राज्योत्सव का दर्जा

महाराष्ट्र विधानमंडल में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए राज्य के सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को राज्योत्सव का दर्जा देने की घोषणा की। इसका मतलब यह है कि अब महाराष्ट्र सरकार प्रदेश भर में शहरों और गांवों में होने वाले बड़े गणेशोत्सव आयोजनों का खर्च वहन करेगी।

यह कदम महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। सार्वजनिक गणेशोत्सव राज्य के सबसे बड़े और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है, जो समाज को एकजुट करने और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ाने का माध्यम बन चुका है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सांस्कृतिक महत्व

मंत्री आशीष शेलार ने सभी को यह याद दिलाया कि स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने 1893 में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य था कि ब्रिटिश शासन के दौरान लोगों को एकजुट किया जाए और आज़ादी व राष्ट्रवाद की भावना को जागृत किया जाए।

शेलार ने कहा कि यह उत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एकता का प्रतीक, मराठी भाषा के अभिमान और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा, “गणेशोत्सव सिर्फ एक त्योहार नहीं है – यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक शान का प्रतीक है।”

भविष्य के लिए क्या है इसका मतलब

सरकार द्वारा सार्वजनिक गणेशोत्सव को राज्य उत्सव घोषित किए जाने का अर्थ यह है कि अब महाराष्ट्र सरकार इस पर्व से जुड़ी प्रचार-प्रसार, व्यवस्थापन और खर्चों की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में लेगी। इसमें स्थानीय मंडलों को सहायता, सजावट और सार्वजनिक आयोजनों के लिए सहयोग शामिल होगा।

इस घोषणा को विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों और गणेश मंडलों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इससे उम्मीद है कि 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान पारंपरिक कला, संगीत और सामुदायिक एकता को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

तेलंगाना ने बैटरी निर्माण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता

तेलंगाना ने राज्य नेतृत्व – बैटरी निर्माण श्रेणी में भारत ऊर्जा भंडारण गठबंधन (IESA) उद्योग उत्कृष्टता पुरस्कार 2025 जीता है। यह पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित 11वें भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह (IESW) 2025 के दौरान प्रदान किया गया। यह सम्मान बैटरी निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने में तेलंगाना के प्रयासों को दर्शाता है।

बैटरी निर्माण में नेतृत्व के लिए पुरस्कार

IESA इंडस्ट्री एक्सीलेंस अवॉर्ड 2025 तेलंगाना सरकार को दिया गया, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी एवं ईएसएस के निदेशक एस. के. शर्मा ने प्राप्त किया। यह सम्मान तेलंगाना राज्य द्वारा बैटरी उत्पादन और नई ऊर्जा तकनीकों के लिए मजबूत प्रणाली विकसित करने के प्रयासों को मान्यता देने के लिए दिया गया। यह पुरस्कार समारोह नई दिल्ली में आयोजित 11वें इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक (IESW) के दौरान हुआ, जो ऊर्जा और क्लीन-टेक क्षेत्र का एक प्रमुख आयोजन है।

तेलंगाना की ऊर्जा रणनीति

तेलंगाना उन्नत ऊर्जा निर्माण का एक उभरता हुआ केंद्र बन गया है, जिसमें बैटरी उत्पादन, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) असेंबली, और ऊर्जा भंडारण प्रणाली (Energy Storage Systems) शामिल हैं। इस विकास के पीछे राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियाँ हैं, जैसे कि:

  • तेलंगाना ईवी और एनर्जी स्टोरेज पॉलिसी

  • तेलंगाना अक्षय ऊर्जा नीति 

राज्य सरकार ने बैटरी और ईवी क्षेत्रों में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए विशेष औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Zones) भी स्थापित किए हैं। इन पहलों के चलते तेलंगाना ने बड़े निवेश आकर्षित किए हैं और बैटरी निर्माण व ईवी कंपोनेंट्स के लिए एक पूर्ण सप्लाई चेन विकसित करने में सफलता पाई है।

आधिकारिक बयान और भविष्य की दिशा

तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग (IT, Electronics, and Communications Department) ने कहा कि यह पुरस्कार राज्य की नवाचार, बुनियादी ढांचे के विकास और हरित ऊर्जा (Green Energy) को दिए जा रहे सशक्त समर्थन का प्रमाण है। सरकार का लक्ष्य है कि तेलंगाना को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में राष्ट्रीय अग्रणी राज्य बनाया जाए, विशेष रूप से एनर्जी स्टोरेज और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उद्योग में। यह सम्मान आने वाले समय में और अधिक उद्योगों और निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे तेलंगाना की नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था (New Energy Economy) में स्थिति और भी मजबूत होगी।

भारत 2027 में ISSF विश्व कप और 2028 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप की मेज़बानी करेगा

भारत 2027 में शूटिंग विश्व कप और 2028 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा, इसकी घोषणा 10 जुलाई 2025 को नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने की। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (ISSF) द्वारा लिया गया। ये आयोजन भारत को वैश्विक निशानेबाजी प्रतियोगिताओं का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माने जा रहे हैं।

भारतीय निशानेबाजी को बड़ी मजबूती

NRAI के अनुसार, भारत को जिन प्रमुख प्रतियोगिताओं की मेजबानी का जिम्मा सौंपा गया है, वे इस प्रकार हैं:

  • जूनियर वर्ल्ड कप – सितंबर 2025

  • एशियन राइफल और पिस्टल चैंपियनशिप – फरवरी 2026

  • शूटिंग वर्ल्ड कप – 2027

  • वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप – 2028

इन आयोजनों से भारत के जूनियर और सीनियर निशानेबाजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घरेलू मैदान पर अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, इस तरह की वैश्विक प्रतियोगिताओं की मेजबानी भारत में निशानेबाजी खेल को अंतरराष्ट्रीय पहचान और विकास प्रदान करेगी।

नई शूटिंग लीग की घोषणा

भारत नवंबर 2025 में दिल्ली में पहली बार शूटिंग लीग ऑफ इंडिया की शुरुआत करेगा। इस लीग में दुनिया के शीर्ष निशानेबाज एक अनोखे और रोमांचक फॉर्मेट में हिस्सा लेंगे। इसका उद्देश्य युवाओं के बीच शूटिंग को लोकप्रिय बनाना, खेल में नए प्रशंसक जोड़ना और देशभर में प्रतिभा को प्रोत्साहित करना है।

आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और उद्देश्य

NRAI के अध्यक्ष कलिकेश सिंह देव ने कहा कि 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक तक हर साल अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मेजबानी भारतीय निशानेबाजों को उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा में प्रशिक्षण का अवसर देगी। उन्होंने कहा कि शूटिंग लीग इस खेल में एक नया और आकर्षक पहलू जोड़ेगी।

NRAI के महासचिव सुल्तान सिंह ने भारत सरकार, खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण का समर्थन के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय शूटिंग कैलेंडर में एक प्रमुख गंतव्य बन चुका है।

Recent Posts

about | - Part 195_12.1