जनजातीय युवाओं के विकास के लिए NESTS और UNICEF ने शुरू की ‘तलाश’ पहल

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (नेस्ट्स) और यूनिसेफ इंडिया ने आदिवासी छात्रों की शिक्षा और व्यक्तिगत विकास में सहयोग के लिए एक नया कार्यक्रम, “तलाश” शुरू किया है। यह पहल 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में पढ़ने वाले छात्रों की मदद करेगी। इसका उद्देश्य आत्मविश्वास और जीवन कौशल का विकास करना और छात्रों को सही करियर चुनने में मार्गदर्शन प्रदान करना है।

तलाश क्या है?

‘तलाश’ का पूरा नाम Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub है। यह भारत का पहला राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो विशेष रूप से जनजातीय छात्रों के लिए बनाया गया है। यह कार्यक्रम देशभर के ईएमआरएस (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) में पढ़ने वाले 1.38 लाख से अधिक छात्रों को लाभ पहुंचाएगा। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहाँ छात्र अपने कौशल और रुचियों को जानने के लिए टेस्ट दे सकते हैं, करियर सुझाव प्राप्त कर सकते हैं, जीवन कौशल सीख सकते हैं और प्रशिक्षित शिक्षकों से मार्गदर्शन ले सकते हैं। ‘तलाश’ नाम का अर्थ है खोज — अपनी आंतरिक शक्ति, क्षमताओं और सपनों की खोज। यह कार्यक्रम पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास को भी प्रोत्साहित करता है।

छात्रों और शिक्षकों के लिए उपकरण और समर्थन

‘तलाश’ प्लेटफ़ॉर्म में एनसीईआरटी की तमन्ना पहल पर आधारित साइकोमेट्रिक टेस्ट (मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन) का उपयोग किया गया है, जिससे छात्र यह जान सकें कि वे किन क्षेत्रों में अच्छे हैं। इस टेस्ट के बाद हर छात्र को एक करियर कार्ड मिलता है, जिसमें उसके लिए उपयुक्त करियर विकल्पों का सुझाव दिया जाता है। छात्रों को करियर काउंसलिंग के साथ-साथ जीवन कौशल की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जैसे – समस्या सुलझाने की क्षमता, संवाद कौशल और भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना। ये सभी बातें उन्हें आत्मविश्वासी बनाएंगी और भविष्य के लिए तैयार करेंगी। शिक्षकों को भी एक विशेष ई-लर्निंग सिस्टम के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे छात्रों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकें। अब तक 75 स्कूलों के 189 शिक्षक इस प्रशिक्षण में भाग ले चुके हैं और अपने-अपने विद्यालयों में छात्रों को गाइड करना शुरू कर चुके हैं।

रोलआउट योजना और भविष्य की दिशा

‘तलाश’ को चरणबद्ध तरीके से सभी एकलव्य मॉडल स्कूलों में लागू किया जाएगा ताकि इसे आसानी से अपनाया जा सके। योजना के अनुसार, वर्ष 2025 के अंत तक यह सभी स्कूलों में पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। छात्रों, शिक्षकों और विशेषज्ञों से मिले फीडबैक के आधार पर इस प्लेटफॉर्म में समय-समय पर सुधार भी किए जाएंगे।

एनईएसटीएस के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा: “तलाश हमारे वादे का प्रतीक है कि हम जनजातीय छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने का अवसर देना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य शिक्षा में खाई को पाटना और भविष्य के मजबूत नेता तैयार करना है।” ‘तलाश’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के उद्देश्यों से भी जुड़ा है, जिसका लक्ष्य सभी छात्रों को समान अवसर देना और उनके सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 11 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व जनसंख्या दिवस केवल बढ़ती वैश्विक जनसंख्या की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह एक ऐसा वैश्विक मंच है जो स्वास्थ्य, पर्यावरण, विकास और मानवाधिकारों पर जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों को उजागर करता है। वर्ष 2025 में, जब विश्व की जनसंख्या 8.1 अरब के पार पहुंच चुकी है और भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, इस दिन का केंद्र बिंदु युवाओं का सशक्तिकरण, प्रजनन अधिकार और सतत जीवन शैली को बढ़ावा देना है। यह दिवस 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा शुरू किया गया था। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को फाइव बिलियन डे से मिली थी—जिस दिन वैश्विक जनसंख्या पहली बार 5 अरब तक पहुंची थी। विश्व जनसंख्या दिवस हमें याद दिलाता है कि जनसंख्या केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह हमारे संसाधनों, नीतियों और भविष्य की दिशा को तय करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।

उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्थापनाकर्ता: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
प्रथम आयोजन: 11 जुलाई 1989
प्रेरणा: फाइव बिलियन डे — 11 जुलाई 1987 को जब वैश्विक जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े तक पहुंची थी।

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों की गंभीरता पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया जा सके और उनके लिए सतत एवं दीर्घकालिक समाधान खोजे जा सकें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बढ़ती जनसंख्या केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, रोजगार और संसाधनों पर गहरा प्रभाव डालती है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम

थीम: “युवाओं को सशक्त बनाना ताकि वे एक न्यायसंगत और आशावादी दुनिया में अपनी पसंद के परिवार बना सकें।”

इस वर्ष की थीम का केंद्रबिंदु है — दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी युवा पीढ़ी। यह थीम युवाओं को उनके प्रजनन संबंधी अधिकारों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और समान अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करने की वकालत करती है। संदेश स्पष्ट है: जनसंख्या से जुड़ी नीतियों और चर्चाओं में युवाओं को केंद्र में रखा जाना चाहिए, क्योंकि लैंगिक समानता, बेहतर स्वास्थ्य और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।

मुख्य उद्देश्य

  1. जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना — आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों पर इसके प्रभाव को समझाना।

  2. प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को बढ़ावा देना, विशेषकर युवाओं और महिलाओं के बीच।

  3. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, जिससे महिलाएं परिवार नियोजन से जुड़े निर्णय खुद ले सकें।

  4. सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देना:

    • SDG 3: सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और भलाई

    • SDG 5: लैंगिक समानता और सभी महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाना

वैश्विक जनसंख्या रुझान (2025 और आगे)

  • वर्तमान वैश्विक जनसंख्या (2025): 8.1 अरब से अधिक

  • 2030 तक अनुमानित जनसंख्या: 8.5 अरब

  • 2050 तक अनुमानित जनसंख्या: 9.7 अरब

प्रमुख पड़ाव:

  • 1800 के दशक में: 1 अरब

  • 2011 में: 7 अरब

शहरीकरण:

  • 2007 से, ग्रामीणों की तुलना में अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में रहने लगे हैं

  • 2050 तक, वैश्विक जनसंख्या का 66% हिस्सा शहरी इलाकों में रहेगा

भारत: अब विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश

  • 2025 में भारत की जनसंख्या: लगभग 1.46 अरब

  • चीन से अधिक: चीन की जनसंख्या 2025 में लगभग 1.41 अरब

इस जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण भारत को वैश्विक नीतिगत चर्चाओं में केंद्रीय भूमिका निभानी होगी – खासकर रोज़गार, शिक्षा, शहरी नियोजन और युवा विकास जैसे विषयों पर। यह बदलाव प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं, बुनियादी ढांचे, नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में त्वरित सुधारों की मांग करता है।

2025 में विश्व के 10 सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश

स्थान देश जनसंख्या
1 भारत 1,46,38,65,525
2 चीन 1,41,60,96,094
3 संयुक्त राज्य अमेरिका 34,72,75,807
4 इंडोनेशिया 28,57,21,236
5 पाकिस्तान 25,52,19,554
6 नाइजीरिया 23,75,27,782
7 ब्राज़ील 21,28,12,405
8 बांग्लादेश 17,56,86,899
9 रूस 14,39,97,393
10 इथियोपिया 13,54,72,051

2025 में जनसंख्या घनत्व: भीड़भाड़ और चुनौतियाँ

अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में आवास, परिवहन, पर्यावरण और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर दबाव पड़ता है। नीचे 2025 में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले 5 देश/क्षेत्र दिए गए हैं:

स्थान देश/क्षेत्र जनसंख्या घनत्व (लोग/किमी²)
1 मकाऊ (Macau) 21,946
2 मोनाको (Monaco) 19,171
3 सिंगापुर (Singapore) 8,177
4 हांगकांग (Hong Kong) 7,044
5 जिब्राल्टर (Gibraltar) 5,901

ये क्षेत्र आकार में छोटे होने के बावजूद अत्यधिक जनसंख्या वाले हैं, जिससे शहरी सेवाओं पर बहुत दबाव रहता है।

भारतीय राज्यों की जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार)

स्थान राज्य जनसंख्या (2011)
1 उत्तर प्रदेश 19.98 करोड़
2 महाराष्ट्र 11.24 करोड़
3 बिहार 10.41 करोड़
4 पश्चिम बंगाल 9.12 करोड़
5 मध्य प्रदेश 7.26 करोड़

अनुमान है कि 2025 तक इन राज्यों की जनसंख्या में और वृद्धि हुई है, जिससे रोजगार, आवास और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग भी बढ़ी है।

2025 में सबसे अधिक और सबसे कम जनसंख्या वाले राज्य

  • सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य: उत्तर प्रदेश24.1 करोड़ (241 मिलियन)
  • सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य: सिक्किम – लगभग 7.03 लाख (703,000)

यह जनसंख्या असमानता क्षेत्र-विशेष नीति निर्माण और संसाधनों के संतुलित वितरण की आवश्यकता को दर्शाती है।

2025 में युवाओं के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

हालाँकि वैश्विक प्रजनन दर में गिरावट आई है, लेकिन विकासशील देशों में करोड़ों युवा अब भी प्रजनन स्वायत्तता (Reproductive Autonomy) से वंचित हैं। उनके सामने कई समस्याएँ हैं:

  • आर्थिक अस्थिरता

  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी

  • जलवायु चिंता और मानसिक तनाव

  • सीमित शिक्षा और रोजगार के अवसर

  • सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता

UNFPA के अनुसार, लगभग 20% वयस्कों को लगता है कि वे अपनी पसंद की संख्या में बच्चों का पालन-पोषण नहीं कर पाएंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है विश्व जनसंख्या दिवस 2025?

यह दिन हमें नीति निर्माताओं और समाज को निम्नलिखित संदेश देने के लिए प्रेरित करता है:

  • युवाओं को शिक्षा और निर्णय की स्वतंत्रता से सशक्त बनाना
  • सभी के लिए प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करना
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देना
  • शहरीकरण और बुजुर्ग आबादी की तैयारी करना
  • सतत संसाधन प्रबंधन की योजना बनाना

लॉर्ड्स MCC संग्रहालय में सचिन तेंदुलकर के चित्र का अनावरण

लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम स्थित एमसीसी म्यूज़ियम में 10 जुलाई 2025 को सचिन तेंदुलकर का चित्र (पोर्ट्रेट) अनावरण किया गया। यह चित्र प्रसिद्ध ब्रिटिश कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट द्वारा बनाया गया है। यह कार्यक्रम भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे टेस्ट मैच से पहले आयोजित किया गया, और यह पल क्रिकेट के इस महान खिलाड़ी के लिए बेहद भावुक क्षण था। यह सम्मान तेंदुलकर के लिए विशेष है, क्योंकि इंग्लैंड में खेले गए उनके कई मुकाबले उनकी यादों में बसे हुए हैं। लॉर्ड्स में उनका चित्र लगना न केवल उनकी उपलब्धियों की सराहना है, बल्कि यह क्रिकेट इतिहास में उनके योगदान को भी अमर करता है।

लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड: एक गौरवपूर्ण क्षण

क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड स्थित एमसीसी म्यूज़ियम में भारत के क्रिकेट महानायक सचिन तेंदुलकर का चित्र लगना एक गर्वपूर्ण क्षण रहा। यह चित्र प्रसिद्ध ब्रिटिश पोर्ट्रेट कलाकार स्टुअर्ट पियर्सन राइट ने बनाया है। चित्र के अनावरण से पहले तेंदुलकर ने भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच की शुरुआत करने के लिए परंपरागत घंटी भी बजाई।

तेंदुलकर ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कलाकार की प्रशंसा की और कहा, “यह चित्र आपसे संवाद करता है। स्टुअर्ट में कला के माध्यम से भावनाएं व्यक्त करने की अद्भुत प्रतिभा है।” इस समारोह में कई क्रिकेट प्रेमी और गणमान्य अतिथि मौजूद थे, जिससे यह पल और भी यादगार बन गया।

सचिन की इंग्लैंड से जुड़ी यादें

सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड से अपने गहरे जुड़ाव को साझा किया। उन्होंने बताया कि वे पहली बार 1980 के दशक के अंत में किशोरावस्था में कैलाश गट्टानी के स्टार क्रिकेट क्लब के साथ इंग्लैंड आए थे। बाद में, उन्होंने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर अपना पहला टेस्ट शतक भी बनाया था।

लॉर्ड्स से जुड़ी यादें ताज़ा करते हुए तेंदुलकर ने बताया कि 1988-89 में वे पहली बार लॉर्ड्स आए थे और तब उन्होंने लॉर्ड्स पवेलियन के सामने एक तस्वीर खिंचवाई थी। अब सालों बाद उसी पवेलियन के भीतर उनका चित्र लगना उनके लिए एक भावुक क्षण रहा। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा लग रहा है जैसे ज़िंदगी का एक चक्र पूरा हो गया हो।”

शुभमन गिल की कप्तानी की सराहना

समारोह के दौरान तेंदुलकर ने भारतीय टीम के नए कप्तान शुभमन गिल की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि गिल शांत, आत्मविश्वासी और निर्णय लेने में समझदार हैं। तेंदुलकर ने यह भी कहा कि शुभमन की अच्छी बल्लेबाज़ी का उनकी कप्तानी पर सकारात्मक असर पड़ता है।

उन्होंने आगे कहा, “जब कप्तान खुद अच्छा खेल रहा होता है, तो वह टीम के लिए बेहतर फैसले ले पाता है। शुभमन ने टीम को बहुत अच्छे ढंग से संभाला है।”

कौन हैं प्रिया नायर, जो बनीं HUL की पहली महिला CEO

हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने घोषणा की है कि प्रिया नायर 1 अगस्त 2025 से कंपनी की नई सीईओ और प्रबंध निदेशक (एमडी) बनेंगी। वे वर्तमान में यूनिलीवर में ब्यूटी एंड वेलबीइंग की प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत हैं। यह भारत की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों में से एक के लिए एक महत्वपूर्ण नेतृत्व परिवर्तन है। मौजूदा सीईओ रोहित जावा 31 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा देंगे।

प्रिया नायर की यात्रा और नई भूमिका

प्रिया नायर ने 1995 में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने होम केयर, ब्यूटी और पर्सनल केयर जैसे क्षेत्रों में सेल्स और मार्केटिंग की कई भूमिकाएं निभाईं। समय के साथ वे HUL की होम केयर इकाई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनीं और बाद में ब्यूटी एंड पर्सनल केयर विभाग का नेतृत्व किया। वर्ष 2023 में उन्हें यूनिलीवर की ग्लोबल ब्यूटी एंड वेलबीइंग यूनिट की प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया, जो एक तेजी से बढ़ता हुआ वैश्विक व्यवसाय है।

अब प्रिया नायर भारत लौट रही हैं और HUL की नई सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर का पदभार संभालेंगी। साथ ही, वे HUL के बोर्ड में भी शामिल होंगी, जो आवश्यक अनुमोदनों के अधीन है। वे यूनिलीवर लीडरशिप एग्जीक्यूटिव टीम की सदस्य बनी रहेंगी।

रोहित जावा का योगदान

रोहित जावा ने 2023 में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर का पद संभाला था। अपने दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने वॉल्यूम-आधारित विकास को प्राथमिकता दी और ‘ASPIRE’ रणनीति की शुरुआत की। इस रणनीति के ज़रिए कंपनी ने अधिक मांग वाले क्षेत्रों में वृद्धि की और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को मज़बूत किया।

HUL का नेतृत्व संभालने से पहले रोहित जावा यूनिलीवर में कई शीर्ष पदों पर कार्य कर चुके थे, जिनमें नॉर्थ एशिया के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, यूनिलीवर चाइना के चेयरमैन और यूनिलीवर फिलीपींस के चेयरमैन शामिल हैं। अब वे अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में नए अवसरों की ओर अग्रसर होंगे।

आधिकारिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की दिशा

HUL के चेयरमैन नितिन परांजपे ने चुनौतीपूर्ण समय में कंपनी का नेतृत्व करने के लिए रोहित जावा का आभार व्यक्त किया और उनके प्रयासों की सराहना की, जिनसे कंपनी को मजबूती मिली। उन्होंने प्रिया नायर का HUL में फिर से स्वागत किया और विश्वास जताया कि अपनी गहरी बाज़ार समझ और मज़बूत नेतृत्व क्षमता के साथ वे कंपनी को आगे ले जाएंगी।

यह नेतृत्व परिवर्तन HUL के लिए एक नया अध्याय है, क्योंकि कंपनी भारत के तेज़ी से बदलते उपभोक्ता बाज़ार में अपनी विकास यात्रा को जारी रखने की दिशा में अग्रसर है।

उत्तराखंड में पाखंडियों पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन कालनेमि शुरू

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करने की घोषणा की है। यह पुलिस अभियान उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए शुरू किया गया है जो स्वयं को झूठा संत बताकर जनता को धोखा दे रहे हैं। इन फर्जी बाबाओं पर जनता को ठगने और सनातन धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इस कदम का उद्देश्य आस्था के नाम पर हो रहे धोखाधड़ी को रोकना और धार्मिक सौहार्द की रक्षा करना है। सरकार का कहना है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार का शोषण न हो सके।

‘ऑपरेशन कालनेमि’ क्यों?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का नाम हिंदू पौराणिक कथा के एक राक्षस कालनेमि से लिया गया है, जो साधु का वेश धारण कर लोगों को भ्रमित करता था। उसी तरह आज के समय में भी कुछ लोग साधु-संतों का चोला पहनकर मासूम श्रद्धालुओं को धोखा दे रहे हैं, खासकर महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे भेषधारी लोग समाज में धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं और सामाजिक अशांति फैलाते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि ऐसे फर्जी संतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों — किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

सख्त सरकारी कार्रवाई की तैयारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड पुलिस को ‘ऑपरेशन कालनेमि’ को तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है। इस अभियान का उद्देश्य उन फर्जी बाबाओं और ढोंगी साधुओं की पहचान करना और उन्हें गिरफ्तार करना है जो धर्म के नाम पर लोगों को ठगते हैं और व्यक्तिगत लाभ के लिए आध्यात्मिकता का दुरुपयोग करते हैं।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई सच्चे धार्मिक आचरण की गरिमा को बनाए रखने और आस्था की आड़ में हो रहे धोखाधड़ी और शोषण को रोकने के लिए की जा रही है। पुलिस की टीमें राज्यभर में सक्रिय होंगी और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी।

जनता और धार्मिक महत्व

यह अभियान ऐसे समय में शुरू किया गया है जब उत्तराखंड में धार्मिक यात्राओं और तीर्थ यात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हरिद्वार, ऋषिकेश और केदारनाथ जैसे पवित्र स्थलों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड हर साल देशभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। सरकार का उद्देश्य लोगों की आस्था की रक्षा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि केवल सच्चे और योग्य आध्यात्मिक गुरु ही उन्हें मार्गदर्शन दें।

‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करके सरकार उन लोगों पर रोक लगाना चाहती है जो सनातन धर्म की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं।

यूएई गोल्डन वीज़ा 2025: जानें सबकुछ

यूएई गोल्डन वीज़ा एक दीर्घकालिक निवास कार्यक्रम है जो दुनिया भर के निवेशकों, कुशल पेशेवरों, छात्रों और अन्य प्रतिभाशाली व्यक्तियों को आकर्षित करता है। हाल ही में, एक नई वीज़ा योजना पर काफ़ी ध्यान आकर्षित हुआ है, जिसकी कथित लागत 23 लाख रुपये है। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है? आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं।

यूएई गोल्डन वीज़ा क्या है?

यूएई गोल्डन वीज़ा एक विशेष रेजिडेंसी वीज़ा है जो विदेशी नागरिकों को 5 या 10 वर्षों तक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बिना किसी स्थानीय स्पॉन्सर के रहने, काम करने और पढ़ाई करने की अनुमति देता है। यह वीज़ा नवीकरणीय (renewable) होता है और परिवार के साथ यूएई में स्थायी रूप से बसने का एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है।

किन लोगों को यह वीज़ा दिया जाता है?

यूएई गोल्डन वीज़ा के लिए निम्नलिखित पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं:

  • निवेशक (Investors)

  • उद्यमी (Entrepreneurs)

  • विशेषज्ञ पेशेवर जैसे:

    • डॉक्टर

    • इंजीनियर

    • आईटी विशेषज्ञ

  • वैज्ञानिक और शोधकर्ता

  • प्रतिभाशाली छात्र और उत्कृष्ट ग्रेजुएट्स

  • कलाकार, खिलाड़ी और अन्य कुशल व्यक्ति

यह वीज़ा उन लोगों को आकर्षित करने के लिए है जो यूएई की अर्थव्यवस्था, समाज और नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

23 लाख रुपये की गोल्डन वीज़ा योजना क्या है?

साल 2025 की शुरुआत में, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में एक नई वीज़ा स्कीम की चर्चा हुई, जो खासकर भारत और बांग्लादेश के नागरिकों के लिए बताई गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार:

  • यूएई एक “लाइफटाइम गोल्डन वीज़ा” ऑफर कर रहा था।

  • इसके लिए एकमुश्त भुगतान AED 100,000 (लगभग ₹23.3 लाख) देना होता।

  • यह वीज़ा केवल “नॉमिनेशन के ज़रिए” उपलब्ध था।

इस खबर के सामने आने के बाद भारत में खासा उत्साह देखने को मिला। कुछ आव्रजन एजेंसियों ने तो ग्राहकों के बीच इस वीज़ा विकल्प का प्रचार भी शुरू कर दिया है।

यूएई सरकार का क्या कहना है?

यूएई की इमिग्रेशन अथॉरिटी — आईसीपी (Federal Authority for Identity, Citizenship, Customs & Port Security) — ने इन रिपोर्ट्स पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी और साफ किया:

  • गोल्डन वीज़ा कोई बिकाऊ योजना नहीं है।

  • AED 100,000 (लगभग ₹23 लाख) कोई “कीमत” नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग फीस के तौर पर मांगा गया था — और वह भी सभी मामलों में लागू नहीं होता।

  • गोल्डन वीज़ा पाने के लिए नॉमिनेशन जरूरी है, और उम्मीदवारों को कड़े सत्यापन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

  • कई एजेंसियों द्वारा किए गए प्रचार और दावे भ्रामक और गलत थे।

यूएई की कुछ एजेंसियां, जैसे कि Rayad Group, ने बाद में माफी मांगी और ऐसी गोल्डन वीज़ा सेवाएं देना बंद कर दिया

2025 में वास्तविक गोल्डन वीज़ा प्रक्रिया क्या है?

नया तरीका: नॉमिनेशन-आधारित गोल्डन वीज़ा

2025 में, यूएई सरकार ने एक नया मार्ग शुरू किया है जिसके तहत भारत और बांग्लादेश जैसे देशों के प्रोफेशनल्स (विशेषज्ञ) आजीवन गोल्डन वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं — लेकिन केवल तभी जब उन्हें किसी यूएई संस्था द्वारा नामांकित किया गया हो।

मुख्य शर्तें और प्रक्रिया:

  1. नॉमिनेशन अनिवार्य:
    उम्मीदवार को किसी सरकारी या अर्ध-सरकारी यूएई संस्था द्वारा नामांकित (nominated) किया जाना चाहिए।

  2. प्रोसेसिंग फीस:
    चयनित होने पर AED 100,000 (लगभग ₹23 लाख) की प्रोसेसिंग फीस जमा करनी होगी।
    (यह वीज़ा की कीमत नहीं है, केवल प्रोसेसिंग के लिए है।)

  3. दस्तावेज़ों की जांच:

    • शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव

    • सोशल मीडिया और ऑनलाइन गतिविधि का मूल्यांकन

    • एंटी-मनी लॉन्डरिंग जांच (AML checks)

    • आपराधिक रिकॉर्ड की क्लियरेंस

यह वीज़ा सभी के लिए नहीं है:

यह विशेष रूप से उनके लिए है जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो — जैसे कि:

  • वैज्ञानिक, डॉक्टर, आईटी प्रोफेशनल्स

  • कलाकार, खिलाड़ी, नवप्रवर्तक (innovators)

  • सामाजिक कार्यकर्ता या उद्यमी जिनकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय हो

गोल्डन वीज़ा के लाभ 

यूएई का गोल्डन वीज़ा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को अनेक विशेष लाभ मिलते हैं, जो उन्हें एक स्थायी और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करते हैं।

मुख्य लाभ:

  1. दीर्घकालिक निवास

    • 5 वर्ष, 10 वर्ष या कुछ मामलों में आजीवन वीज़ा

    • वीज़ा को बार-बार नवीनीकृत कराने की आवश्यकता नहीं

  2. स्थानीय प्रायोजक (Sponsor) की आवश्यकता नहीं

    • पारंपरिक वीज़ा की तरह किसी यूएई नागरिक या कंपनी की स्पॉन्सरशिप नहीं चाहिए

  3. परिवार को साथ लाने की सुविधा

    • पति/पत्नी, बच्चे, और घरेलू स्टाफ को साथ लाकर बस सकते हैं

  4. काम और व्यापार की स्वतंत्रता

    • नौकरी, स्टार्टअप, निवेश या स्वतंत्र पेशेवर गतिविधियाँ करने की आज़ादी

  5. बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा तक पहुँच

    • यूएई की बैंकिंग प्रणाली, सरकारी अस्पताल और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों की सुविधाएँ उपलब्ध

  6. छूट और विशेष सुविधाएं

    • Esaad कार्ड जैसे सरकारी लाभ कार्ड के माध्यम से

    • शॉपिंग, स्वास्थ्य सेवा, होटल, ट्रांसपोर्ट आदि में विशेष छूट

आम मिथक और तथ्य

गोल्डन वीज़ा से जुड़ी भ्रांतियाँ और सच्चाई 

दावा  हकीकत 
कोई भी ₹23 लाख देकर गोल्डन वीज़ा खरीद सकता है गलत – केवल नामांकित पेशेवर ही आवेदन कर सकते हैं
AED 100,000 देने से वीज़ा मिलना तय है गलत – यह केवल चयन के बाद की प्रोसेसिंग फीस है, वीज़ा की गारंटी नहीं
सभी वीज़ा कंसल्टेंट आधिकारिक होते हैं गलत – कई एजेंसियाँ अनाधिकृत थीं और उन पर कानूनी कार्रवाई हुई
अब सभी भारतीयों को आजीवन गोल्डन वीज़ा मिलेगा गलत – केवल चयनित और नामांकित व्यक्तियों को ही आजीवन वीज़ा मिल सकता है

सही तरीके से यूएई गोल्डन वीज़ा के लिए आवेदन कैसे करें

  1. अपनी पात्रता जांचें
    जानें कि आप किस श्रेणी में आते हैं:

    • निवेशक (Investor)

    • पेशेवर (Professional – जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शोधकर्ता)

    • नामांकन प्राप्त व्यक्ति (Nomination-based)

  2. धोखाधड़ी से सावधान रहें

  • उन एजेंटों से बचें जो “शॉर्टकट” या “गारंटीशुदा वीज़ा” का दावा करते हैं।
  • केवल सरकारी और आधिकारिक माध्यमों से ही आवेदन करें।
  1. आधिकारिक चैनल का उपयोग करें
    आवेदन के लिए निम्न सरकारी मंचों का उपयोग करें:

    • आईसीपी (यूएई सरकार की वेबसाइट)

    • आमेर केंद्र (दुबई में)

    • जीडीआरएफए पोर्टल

  2. नामांकन मिलने पर क्या करें
    यदि किसी यूएई सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्था से नामांकन मिलता है:

    • सभी आवश्यक दस्तावेज़ जैसे शिक्षा, अनुभव, सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल, और चरित्र प्रमाण पत्र सावधानीपूर्वक तैयार करें।

    • सभी प्रक्रिया कानूनी तरीके से पूरी करें।

स्टार्ट-अप एक्सेलेरेटर वेवएक्स ने “कला सेतु” नामक एक राष्ट्रव्यापी पहल शुरू की

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपने वेवएक्स स्टार्टअप एक्सेलेरेटर प्लेटफॉर्म के माध्यम से “कला सेतु – भारत के लिए रियल-टाइम लैंग्वेज टेक” चैलेंज लॉन्च किया है। यह राष्ट्रव्यापी पहल देश के अग्रणी एआई स्टार्ट-अप को कई भारतीय भाषाओं के सहयोग के साथ पाठ्य इनपुट से ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक कंटेंट के स्वचालित सृजन के लिए स्वदेशी, स्केलेबल समाधान विकसित करने के लिए आमंत्रित करता है।

चुनौती का उद्देश्य

कला सेतु का उद्देश्य डिजिटल भाषा के बीच की खाई को पाटना है, ताकि सार्वजनिक संचार निकाय आधिकारिक सूचना को गतिशील रूप से क्षेत्रीय रूप से गूंजने वाले प्रारूपों जैसे कि इन्फोग्राफिक विज़ुअल, प्रासंगिक वीडियो एक्सप्लेनर्स और ऑडियो न्यूज़ कैप्सूल में वास्तविक समय में बदल सकें। चाहे वह मौसम की चेतावनी प्राप्त करने वाला किसान हो, परीक्षा अपडेट प्राप्त करने वाला छात्र हो या स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के बारे में जानने वाला कोई वरिष्ठ नागरिक हो, यह पहल इस तरह से जानकारी देने का प्रयास करती है जो न केवल प्रासंगिक हो बल्कि उनकी अपनी भाषाओं में भी उपलब्ध हो।

इस चैलेंज में भाग लेने वाले स्टार्टअप्स को तीन मुख्य क्षेत्रों में टूल्स विकसित करने की अपेक्षा है:

  1. टेक्स्ट-टू-वीडियो जनरेशन (Text-to-Video)
    लिखे गए पाठ से स्वचालित रूप से वीडियो तैयार करना।

  2. टेक्स्ट-टू-ग्राफिक्स जनरेशन (Text-to-Graphics)
    लिखे गए विवरण से ग्राफिकल इमेज या डिजाइन बनाना।

  3. टेक्स्ट-टू-ऑडियो जनरेशन (Text-to-Audio)
    लिखे गए शब्दों को प्राकृतिक आवाज़ में ऑडियो में बदलना।

यह चुनौती भारत में डिजिटल क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने और स्थानीय भाषाओं में कंटेंट निर्माण को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आवेदन कैसे करें

वेवएक्स पोर्टल https://wavex.wavesbazaar.com पर स्टार्ट-अप के माध्यम से “कला सेतु” चैलेंजेज श्रेणी के अंतर्गत पंजीकरण और चैलेन्जेज के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्टार्ट-अप को 30 जुलाई, 2025 तक एक कार्यशील मिनिमम विजुअल कंसेप्ट (एमवीसी) प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें प्रोडक्ट का वीडियो डेमो दिखाया जाएगा। अंतिम रूप से चुनी गई टीमें नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय निर्णायक मंडल के समक्ष अपने सेल्युशन प्रस्तुत करेंगी, जिसमें विजेता को पूर्ण पैमाने पर विकास, एआईआर, डीडी और पीआईबी के साथ पायलट सहयोग और वेव्स इनोवेशन प्लेटफ़ॉर्म के अंतर्गत इनक्यूबेशन के लिए एक समझौता ज्ञापन प्राप्त होगा। चैलेंजेज के लिए तकनीकी आवश्यकताओं और अन्य विवरणों को वेव्स पोर्टल से प्राप्त किया जा सकता है। ‘भाषा सेतु’ वास्तविक समय भाषा अनुवाद चैलेंज 30 जून 2025 को वेवएक्स के अंतर्गत शुरू की गई थी। स्टार्ट-अप अभी भी भाषा सेतु चैलेंज श्रेणी के अंतर्गत वेवएक्स पोर्टल के माध्यम से 22 जुलाई 2025 तक आवेदन कर सकते हैं।

वेवएक्स के बारे में

वेवएक्स सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेव्स पहल के अंतर्गत शुरू किया गया समर्पित स्टार्ट-अप एक्सेलेरेटर प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य मीडिया, मनोरंजन और भाषा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है। मई 2025 में मुंबई में आयोजित वेव्स शिखर सम्मेलन में, वेवएक्स ने 30 से अधिक होनहार स्टार्ट-अप को पिचिंग के अवसर प्रदान किए, जिससे सरकारी एजेंसियों, निवेशकों और उद्योगपतियों के साथ सीधा जुड़ाव संभव हुआ। वेवएक्स हैकथॉन, इनक्यूबेशन, मेंटरशिप और राष्ट्रीय प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण के माध्यम से महत्वपूर्ण विचारों का सहयोग करना जारी रखता है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 10 साल: क्या सफल रहा, क्या बदलने की ज़रूरत है?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लगभग 10 वर्ष पूरे होने पर, भारतीय कृषि बीमा कंपनी की प्रमुख डॉ. लावण्या आर. मुंडयूर ने नई दिल्ली में अपने विचार साझा किए। उन्होंने योजना की प्रगति, प्रमुख सीखों और अधिक किसानों की मदद के लिए क्या सुधार किए जा सकते हैं, इस पर बात की। उनके सुझाव भारत की फसल बीमा प्रणाली के भविष्य को आकार देने में मदद कर सकते हैं।

पीएमएफबीवाई का एक दशक: क्या बदला?

डॉ. मुंडयूर ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) आज भी एआईसी (एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी) के व्यवसाय का मुख्य आधार बनी हुई है। योजना से जुड़ने वाले किसानों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, खासकर उन किसानों के बीच जो कृषि ऋण नहीं लेते। उन्होंने यह भी बताया कि अब अधिकांश राज्य प्रीमियम दरों को सीमित करने के नियमों का पालन कर रहे हैं, जिससे बीमा प्रीमियम दरों में कमी आई है। पुराना “ओपन प्रीमियम” मॉडल अब लगभग पूरी तरह समाप्त हो चुका है।

कवरेज विस्तार में चुनौतियाँ

हालांकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) कई मायनों में सफल रही है, फिर भी इसके तहत किसानों और भूमि क्षेत्र का कुल कवरेज अब स्थिर हो गया है। देश में लगभग 8 करोड़ किसान नियमित रूप से खेती करते हैं, लेकिन इनमें से केवल एक हिस्सा ही इस योजना के तहत बीमित है। डॉ. मुंडयूर के अनुसार, इसका कारण योजना का विरोध नहीं है, बल्कि बैंक और बिचौलियों की जटिल प्रणाली है।

उन्होंने योजना की स्वैच्छिक प्रकृति का समर्थन किया और कहा कि यह पूरी दुनिया में एक सामान्य अभ्यास है। भारत जैसे देश, जहाँ अधिकांश किसान छोटे या सीमांत हैं, वहां स्वैच्छिक बीमा व्यवस्था अधिक उपयुक्त है।

राष्ट्रीय बनाम राज्य-स्तरीय योजनाएँ

डॉ. मुंडयूर का मानना है कि बुनियादी जोखिमों को कवर करने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय फसल बीमा योजना अधिक प्रभावी है। इसके बाद राज्य सरकारें अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार अतिरिक्त सुविधाएँ जोड़ सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में केंद्र सरकार लगभग 50% प्रीमियम सब्सिडी का भार उठाती है, लेकिन अगर केंद्र इसकी हिस्सेदारी कुछ और बढ़ाए (हालांकि पूरी 100% नहीं), तो यह योजना और अधिक सस्ती, कुशल और व्यापक कवरेज वाली बन सकती है।

स्वतंत्र समीक्षा की जरूरत

डॉ. मुंडयूर ने सुझाव दिया कि इस योजना की समीक्षा और प्रीमियम निर्धारण का कार्य किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए — जैसे कि अमेरिका में किया जाता है। इससे पूरी प्रणाली अधिक पारदर्शी, वैज्ञानिक और निष्पक्ष हो सकेगी।

आंध्र प्रदेश ने मच्छरों से लड़ने के लिए स्मार्ट एआई सिस्टम लॉन्च किया

आंध्र प्रदेश सरकार ने डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए, खासकर बरसात के मौसम में, एक नई परियोजना शुरू की है। स्मार्ट मॉस्किटो सर्विलांस सिस्टम (SMoSS) नामक यह परियोजना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करती है। यह सबसे पहले छह बड़े शहरों में शुरू होगी। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हर साल हज़ारों लोग इन बीमारियों से बीमार पड़ते हैं।

मच्छरों पर स्मार्ट टेक्नोलॉजी से लगाम

अब मच्छरों की पहचान और नियंत्रण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस SMoSS (Smart Mosquito Surveillance System) लागू किया जा रहा है। इस सिस्टम में AI-संचालित मच्छर सेंसर, ड्रोन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस का उपयोग किया जाएगा, जो यह पता लगाएंगे कि कहां, कितने और किस प्रकार के मच्छर मौजूद हैं। ये स्मार्ट डिवाइस तापमान, आर्द्रता जैसी जरूरी जानकारी भी दर्ज करेंगे। इससे सरकार केवल उन्हीं स्थानों पर दवा का छिड़काव कर सकेगी, जहां वास्तव में जरूरत है — हर जगह नहीं।

यह परियोजना कहां शुरू होगी?

इसका पायलट प्रोजेक्ट छह शहरों के 66 स्थानों पर शुरू किया जा रहा है:

  • विशाखापट्टनम – 16 स्थान

  • विजयवाड़ा – 28 स्थान

  • काकीनाडा – 4 स्थान

  • राजमहेंद्रवरम – 5 स्थान

  • नेल्लोर – 7 स्थान

  • कुरनूल – 6 स्थान

इन शहरों में डेंगू और मलेरिया के कई मामले सामने आए हैं — 2024 में ही 5,500 से अधिक डेंगू के मामले दर्ज किए गए। SMoSS की मदद से अब टीमें केवल मच्छर पाए जाने वाले क्षेत्रों में ही दवा छिड़काव या फॉगिंग कर सकेंगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।

ड्रोन, ऐप और अस्पताल – सब मिलकर काम करेंगे

  • ड्रोन से तेजी से और कम केमिकल का उपयोग करते हुए लार्वीसाइड का छिड़काव किया जाएगा।

  • सेंट्रल डैशबोर्ड पर सभी फील्ड गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।

  • Vector Control और Puramitra जैसे मोबाइल ऐप्स के जरिए स्थानीय लोग और कर्मचारी मच्छर संबंधी शिकायतें दर्ज कर सकेंगे।

  • अस्पताल भी हर दिन डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियों के मामलों की रिपोर्ट भेजेंगे, जिससे हॉटस्पॉट की पहचान कर स्थानीय स्तर पर एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा।

सरकार इस प्रणाली के संचालन की जिम्मेदारी विशेष एजेंसियों को सौंपेगी और उन्हें प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाएगा।

स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा कदम

यह परियोजना नगर प्रशासन एवं शहरी विकास विभाग (MAUD) द्वारा चलाई जा रही है। यह दिखाता है कि कैसे AI और स्मार्ट सिटी टूल्स का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार में किया जा सकता है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आंध्र प्रदेश अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।

आंध्र प्रदेश ने शहरी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए डिजी-लक्ष्मी योजना शुरू की

आंध्र प्रदेश सरकार ने शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल सेवा प्रदाता बनने में मदद करने के लिए 30 जून, 2025 को ‘डिजी-लक्ष्मी’ नामक एक नई योजना शुरू की है। राज्य की योजना सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में 9,034 कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) स्थापित करने की है। यह डिजिटल रोज़गार और महिला-नेतृत्व वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डिजी-लक्ष्मी योजना क्या है?

डिजी-लक्ष्मी योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं को लघु उद्यमी बनाना है। इस योजना के तहत ये महिलाएं डिजिटल कियोस्क (जिसे एटम कियोस्क – ATOM Kiosks कहा जाता है) संचालित करेंगी, जहां लोग 250 से अधिक सरकारी सेवाएं जैसे बिल भुगतान, प्रमाणपत्र, और विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन जैसी सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। यह योजना ‘एक परिवार, एक उद्यमी’ (One Family, One Entrepreneur – OF-OE) पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है।

कौन चला सकता है ये केंद्र?

इन सेवा केंद्रों को चलाने के लिए महिलाओं को निम्नलिखित योग्यताएं पूरी करनी होंगी:

  • उम्र 21 से 40 वर्ष के बीच हो

  • स्थायी रूप से विवाहित और उसी क्षेत्र में निवासित हों

  • कम से कम 3 वर्षों से सक्रिय SHG सदस्य रही हों

  • स्नातक डिग्री प्राप्त हो और बुनियादी तकनीकी ज्ञान हो

इन महिलाओं को MEPMA (Mission for Elimination of Poverty in Municipal Areas) द्वारा प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जाएगी। उन्हें ₹2 लाख से ₹2.5 लाख तक का ऋण लेकर कियोस्क शुरू करने की सुविधा भी दी जाएगी।

सरकारी भूमिका और भविष्य की योजना

इस योजना को नगर प्रशासन एवं शहरी विकास विभाग (MA&UD) द्वारा लॉन्च किया गया है। इसका सरकारी आदेश G.O. MS. No. 117 एस. सुरेश कुमार, प्रमुख सचिव द्वारा जारी किया गया। योजना के संचालन की जिम्मेदारी MEPMA के मिशन निदेशक को सौंपी गई है।

ये केंद्र न केवल जनता को सेवाएं देंगे, बल्कि शहरी गरीब महिलाओं के लिए डिजिटल रोजगार के अवसर भी सृजित करेंगे। इसका उद्देश्य है कि SHG की महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और महिला-नेतृत्व वाले लघु व्यवसायों को शहरों और कस्बों में बढ़ावा मिले।

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