विश्व गुजराती दिवस 2022: 24 अगस्त

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विश्व गुजराती भाषा दिवस 2022 हर साल 24 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन गुजरात के महान लेखक ‘वीर नर्मद’ की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ‘गुजराती दिवस’ इसलिए मनाया जाता है क्योंकि कवि नर्मद को गुजराती भाषा का निर्माता माना जाता था। उन्होंने गुजराती साहित्य को अंतर्राष्ट्रीय बनाया है।

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वीर नर्मद कौन है?

  • कवि वीर नर्मद का जन्म 24 अगस्त, 1833 को गुजरात के सूरत में हुआ था। वह एक ब्राह्मण परिवार से थे। उनका पूरा नाम नर्मदाशंकर लालशंकर दवे था। नर्मद ने 22 साल में अपनी पहली कविता लिखी।
  • इसके बाद उन्होंने साहित्य की व्याख्या करनी शुरू की। तब वे मुंबई में बतौर शिक्षक कार्यरत थे। नर्मद ब्रिटिश राज के तहत एक नाटककार, निबंधकार, वक्ता, कोशकार और सुधारक थे, जिनकी कविता “जय जय गरवी गुजरात” अब भारतीय राज्य का राज्य गान है।

विश्व गुजराती भाषा दिवस का महत्व

अत्यधिक कष्टों के बीच एक नया गुजराती शब्दकोश बनाकर भाषण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कवि को लोग श्रद्धांजलि देते हैं। शब्दकोश में सभी बोलियों के शब्द उनके विविध उपयोगों के साथ हैं। तब से, ऐतिहासिक नर्मद दर्शन को देखते हुए, भाषा और गुजराती संस्कृति को एक दिन समर्पित करने के लिए विश्व गुजराती दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

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देबासिसा मोहंती नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी का निदेशक नियुक्त

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कार्मिक मंत्रालय ने के आदेश अनुसार, वरिष्ठ वैज्ञानिक देबासिसा मोहंती को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई) के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। बता दें कि मोहंती वर्तमान में संस्थान में स्टाफ साइंटिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। बता दें कि ओडिशा कैडर के 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी राजेश वर्मा को 18 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद इस रिक्ति की आवश्यकता थी।

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मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा, ‘कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने डॉ देबासिसा मोहंती, स्टाफ साइंटिस्ट-VII, NII, नई दिल्ली को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के निदेशक पद पर नियुक्ति को मंजूरी दे रही है। यह उनके पद का कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से और उनकी सेवानिवृत्ति की आयु तक प्रभावी होगा।’ 

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अडानी समूह ने NDTV में 55.18% हिस्सेदारी का लक्ष्य रखा

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अडाणी ग्रुप ने परोक्ष तरीके से नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (एनडीटीवी) में 29.18 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी ग्रुप एनडीटीवी की 55.18 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना चाहता है। यही वजह है कि 26 फीसदी हिस्सेदारी और खरीदने के लिए उसने 294 करोड़ रुपये में एक ओपन ऑफर जारी किया है, जिसका फेस वेल्यू 4 रुपये है।

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एनडीटीवी के 26 प्रतिशत या 16,762,530 इक्विटी शेयरों के लिए अगर प्रस्ताव को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया जाता है तो अडाणी ग्रुप को इसके लिए लगभग 483 करोड़ रुपये चुकाने होंगे।

अडाणी ग्रुप का हिस्सेदारी

अडाणी ग्रुप के मुताबिक, हिस्सेदारी का अधिग्रहण दो तरह से होगा। सबसे पहले, यह वीसीपीएल के माध्यम से होगा और फिर वीसीपीएल, इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली मूल कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क्‍स और अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के जरिए होगा।

मुख्य बिंदु

  • एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी आरआरपीआर के पास थी। वीसीपीएल ने साल 2009-10 में प्रणॉय और राधिका रॉय के साथ एक लोन से जुड़ा समझौता किया। इसी समझौते के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उसने यह डील की है।
  • वीसीपीएल के पास आरआरपीआर होल्डिंग के 1,990,000 वारंट हैं, जो उन्हें बाद में 99.99 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने का अधिकार देता है।
  • वीसीपीएल ने आंशिक रूप से अपने विकल्प का प्रयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप आरआरपीआर होल्डिंग का अधिग्रहण नियंत्रण – 1,990,000 इक्विटी शेयर या 99.50 प्रतिशत है।
  • एनडीटीवी में आरआरपीआर होल्डिंग की 29.18 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसके पास तीन राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल हैं।

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • NDTV के संस्थापक: प्रणय रॉय, राधिका रॉय;
  • एनडीटीवी की स्थापना: 1988;
  • एनडीटीवी मुख्यालय: नई दिल्ली।

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जितेंद्र सिंह ने पहली पूरी तरह से स्वदेशी रूप से निर्मित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का अनावरण किया

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केपीआईटी-सीएसआईआर द्वारा विकसित देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस का पुणे में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने अनावरण किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। मंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह पहल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हाइड्रोजन विजन’ के अनुरूप है और भारत के लिए सस्ती और सुलभ स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करने और नए उद्यमियों और नौकरियों के सृजन के लिए आत्मनिर्भर साधन सुनिश्चित करने के लिए अहम है। 

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फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी बस को पावर देने के लिए बिजली पैदा करने के लिए हाइड्रोजन और हवा का इस्तेमाल करती है। और बस से निकलने वाला एकमात्र उत्सर्जन पानी है, इसलिए यह संभवतः परिवहन का सबसे पर्यावरण के अनुकूल साधन है। इसकी तुलना में, लंबी दूरी के मार्गों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर सालाना 100 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है और देश में ऐसी 10 लाख से ज्यादा बसें हैं। 

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First mountain warfare training school established in NE by ITBP_80.1

झारखंड के पूर्व राज्यपाल सिब्ते रजी का निधन

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झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी का निधन हो गया है। उन्होंने वर्ष 2004-2009 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वे कांग्रेस से जुड़े रहे। वे तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे। बाद में उन्हें झारखंड और असम का राज्यपाल बनाया गया। कांग्रेस से जुड़े रहे रजी का जन्म उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में हुआ था। 7 मार्च 1939 को जन्मे, उन्होंने रायबरेली के हुसैनाबाद हायर सेकेंडरी स्कूल से 10 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद शिया कॉलेज में दाखिला लिया।

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रजी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1969 में की। वह छात्र राजनीति में आ गए और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पॉकेट मनी निकालने के लिए कई होटलों में खाते का काम देखते थे। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकॉम किया। वे तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।

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Renowned Ghazal Singer Bhupinder Singh passes away_90.1

भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान समर बनर्जी का निधन

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भारतीय फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी समर बनर्जी का हाल ही में निधन हो गया। 92 साल के इस दिग्गज फुटबॉलर को कोरोना से संक्रमित होने के बाद इस दिगग्ज को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारतीय फुटबॉल टीम अब तक सिर्फ तीन बार ओलिंपिक में जगह बना सकी है। बनर्जी के नेतृत्व वाली 1956 की भारतीय टीम ने ओलिंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। तब भारतीय टीम कांस्य पदक के लिए हुए प्लेऑफ में बुल्गारिया से 0-3 से हारकर चौथे स्थान पर रही थी। उस युग को भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम युग माना जाता है।

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बनर्जी ने कोलकाता के मशहूर फुटबॉल क्लब मोहन बगान को उसका पहला डूरंड कप (1953), रोवर्स कप (1955) सहित कई ट्रॉफियां जीतने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने खिलाड़ी के तौर पर दो बार (1953 व 1955) और कोच (1962) के रूप में एक बार संतोष ट्रॉफी भी जीती। वह भारतीय फुटबॉल टीम के चयनकर्ता भी रहे।

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अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड में भारत तीसरे स्थान पर

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भारत ने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी (आईओएए) पर आयोजित 15वें अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड की पदक तालिका में तीसरा स्थान हासिल किया है। छात्रों के तीन स्वर्ण और दो रजत पदक जीतने के साथ भारत सिंगापुर के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहा। खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी (आईओएए) पर 15वां अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड 14 से 21 अगस्त 2022 तक जॉर्जिया के कुटैसी में आयोजित किया गया।

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मुख्य बिंदु

  • टीम के साथ दो लीडर्स भी थे- प्रो. सरिता विग (भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम), प्रो. अजीत मोहन श्रीवास्तव (भौतिकी संस्थान, भुवनेश्वर) और दो वैज्ञानिक पर्यवेक्षक थे- डॉ. श्रीहर्ष तेंदुलकर (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई) और श्री तेजस शाह (फादर एग्नेल मल्टीपर्पज स्कूल एंड जूनियर कॉलेज, नवी मुंबई)। 
  • डॉ. तेंदुलकर खुद 2002 और 2003 (ओवरऑल टॉपर) में अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इस साल आईओएए में 37 मुख्य और 6 अतिथि टीमों से 209 स्टूडेंट्स शामिल हुए। 
  • इसके अलावा, 6 देशों के 24 छात्रों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया। इस साल की प्रतियोगिता पहले यूक्रेन के कीव में आयोजित होने वाली थी, लेकिन यूक्रेन में युद्ध के कारण मार्च 2022 में इसे जॉर्जिया के कुटैसी में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • पदक तालिका में ईरान की आधिकारिक टीम को 5 स्वर्ण, अतिथि टीम को 4 स्वर्ण और 1 रजत पदक मिले। इसके बाद सिंगापुर के साथ भारत संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहा। 
  • इस आईओएए में कुल मिलाकर 28 स्वर्ण, 38 रजत और 55 कांस्य पदक प्रदान किए गए। राघव गोयल ने सबसे चुनौतीपूर्ण सैद्धांतिक प्रश्न के सर्वश्रेष्ठ समाधान के लिए विशेष पुरस्कार जीता।

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जानें कौन है अन्ना मणि, जिन्हें गूगल ने दिया सम्मान

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गूगल ने भारत की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि की 104वीं जयंती के अवसर पर एक खास डूडल बनाया है। गूगल ने इस डूडल के जरिए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने अपने होम पेज पर अन्ना मणि के रंग बिरंगा और सांकेतिक चित्र के माध्यम से अन्ना मणि को सम्मान दिया है। ‘भारत की मौसम महिला’ के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मणि का मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में योगदान काफी ज्यादा है।

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कौन है अन्ना मणि?

  • अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त 1918 को केरल में हुआ था। उन्होंने एक भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी के रूप में अपनी पहचान बनाई। 
  • आज उन्हीं के बदौलत भारतीय एजेंसियों के लिए देश की मौसम की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना संभव हो पाया है।
  • मणि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के शुरुआती पैरोकार थे। 1950 के दशक में, उन्होंने सौर विकिरण निगरानी स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित किया और स्थायी ऊर्जा माप पर कई पत्र प्रकाशित किए।
  • अन्ना मणि ने प्रेसीडेंसी कालेज मद्रास से भौतिकी और रसायन विज्ञान में स्नातक तक की पढ़ाई की। 
  • उन्होंने एक वर्ष के लिए डब्ल्यूसीसी में पढ़ाया और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की।
  • अन्ना मणि ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1942 और 1945 के बीच पांच पत्र प्रकाशित किए और उन्होंने लंदन में इंपीरियल कालेज में स्नातक कार्यक्रम का अध्ययन किया।
  • वह 1948 में भारत लौट आईं और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के लिए काम करना शुरू कर दिया, जहां उन्होंने देश को अपने मौसम उपकरणों के डिजाइन और निर्माण में मदद की।

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65वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की मेजबानी कनाडा करेगा

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कनाडा के हैलिफैक्स में 20 से 26 अगस्त तक 65 वां राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। सम्मेलन का थीम ‘ इंक्लूसिव, एक्सेसिबल ,अकॉउंटेबल एंड स्ट्रांग पार्लियामेंट, द कार्नर स्टोन ऑफ डेमोक्रेसी एंड एसेंशियल फ़ॉर डेवलोपमेन्ट’ है। सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर 08 कार्यशालाएं आयोजित हो रही हैं। 


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भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कर रहे हैं। इस शिष्टमंडल में उनके अलावा सांसद और सीपीए कार्यकारी समिति के सदस्य अनुराग शर्मा, संतोष कुशवाहा,सुनीता दुग्गल, नीरज शेखर, अनुभव मोहंती, डॉ कनिमोझी एनवीएन सोमू के अलावा लोकसभा महासचिव उत्प्पल कुमार सिंह शामिल हो रहे हैं।


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बिहार के मिथिला मखाना को मिला जीआई टैग

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केंद्र सरकार ने मिथिला मखाना को जीआई टैग प्रदान किया है। इससे उत्‍पादकों को मखाना उत्‍पाद का अधिकतम मूल्य मिलेगा। इस फैसले से बिहार के मिथिला क्षेत्र के पांच लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा। इस बारे में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट में कहा है कि मिथिला मखाना के जीआई टैग के साथ पंजीकृत होने से किसानों को लाभ मिलेगा और उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। 

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बता दें कि किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलने पर कोई भी व्यक्ति या कंपनी इसी तरह की सामग्री को उसी नाम से नहीं बेच सकती। इस टैग की मान्‍यता दस वर्षों के लिए है और बाद में इसका नवीनीकरण किया जा सकता है।बिहार मखाना का प्रमुख उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत हिस्सा है। बिहार का मखाना पूरे भारत के अलावा चीन, जापान और थाईलैंड में बहुत लोकप्रिय है।

 जीआई टैग क्या होता है?

 

जीआई टैग यानि जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographic Indication tag) ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। ऐसा उत्पाद जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्ठा मुख्य रूप से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है।

जीआई टैग कौन देता है?

वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की ओर से जीआई टैग दिया जाता है। किसी उत्पाद के लिए के लिए जीआई टैग हासिल करने के लिए चेन्नई स्थित जीआई डेटाबेस में अप्लाई करना पड़ता है। ये इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के अधीन है, जो पूरे देश में सिर्फ चेन्नई में ही होता है।

जीआई टैग का महत्व

अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे टूरिज्म एवं निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है। इसके अतिरिक्त भारत में अधिकता वाले उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार प्रसार करने में आसानी होती है।

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