डीआरडीओ अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 1 जनवरी 2023 को अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया। डीआरडीओ का स्थापना दिवस हर साल 1 जनवरी को मनाया जाता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने महानिदेशकों और डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भारत के मिसाइल मैन डॉ. कलाम की आवक्ष प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ एस वी कामत ने डीआरडीओ बिरादरी को संबोधित किया। उन्होंने आरएंडडी उत्कृष्टता के प्रति डीआरडीओ की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और रक्षा में आत्मानबीरता के लिए अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के बारे में जानकारी दी।

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बारे में

 

  • यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास एजेंसी है।
  • यह कई अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर काम कर रहा है, जिसमें वैमानिकी, आयुध, लड़ाकू वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन, इंजीनियरिंग सिस्टम, मिसाइल, सामग्री, नौसेना प्रणाली, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन, साइबर, हाइपरसोनिक तकनीक, क्वांटम कंप्यूटिंग और संचार शामिल हैं।
  • भारतीय सेना के लिए DRDO की पहली परियोजना सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) थी जिसे प्रोजेक्ट इंडिगो के नाम से जाना जाता है।
  • स्थापना के बाद से, डीआरडीओ ने प्रमुख प्रणालियों और महत्वपूर्ण तकनीकों जैसे विमान एविओनिक्स, UAVs, छोटे हथियार, आर्टिलरी सिस्टम, EW सिस्टम, टैंक और बख्तरबंद वाहन, सोनार सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सिस्टम और मिसाइल सिस्टम विकसित करने में कई सफलताएँ हासिल की हैं।
  • इसका उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों में आत्मनिर्भर बनाना है।
  • यह साल 1958 में स्थापित किया गया था।

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यूपीआई ने दिसंबर में रिकॉर्ड 7.82 अरब लेनदेन को प्रोसेस किया

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देश में डिजिटल पेमेंट के मोर्चे पर शानदार रुझान देखा जा रहा है और इसकी झलक UPI भुगतान के आंकड़ों को देखकर जानी जा सकती है। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या यूपीआई के जरिए दिसंबर में रिकॉर्ड 12.82 लाख करोड़ रुपये कीमत के पेमेंट किए गए हैं। इस दौरान ट्रांजेक्शन की संख्या 782 करोड़ पर पहुंच गई है। वित्तीय सेवा विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने ट्वीट किया कि देश में डिजिटल भुगतान क्रांति लाने में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का बड़ा योगदान है। दिसंबर 2022 में, यूपीआई लेनदेन 782 करोड़ को पार कर 12.82 लाख करोड़ रुपये रहा है।

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यूपीआई के जरिए भुगतान अक्टूबर में 12 लाख करोड़ रुपये के पार गया था। नवंबर में इस प्रणाली के जरिए 730.9 करोड़ लेनदेन हुए थे और इनका मूल्य 11.90 लाख करोड़ रुपये था। नकदीरहित लेनदेन का यह किफायती माध्यम महीने दर महीने लोकप्रिय हो रहा है और अब 381 बैंक यह सुविधा देते हैं। स्पाइस मनी के संस्थापक दिलीप मोदी ने कहा कि बीते एक साल में यूपीआई लेनदेन संख्या और मूल्य दोनों के लिहाज से बहुत तेजी से बढ़ा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत ही सुविधाजनक है। वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिहाज से भी यह बहुत उपयोगी है।

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सीआरपीएफ ने श्रीनगर में छात्रों के साथ जश्न-ए-चिल्लई कलां मनाया

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कश्मीर घाटी में चिल्लई कलां के अवसर पर, 44 बटालियन सीआरपीएफ ने 26/12/2022 को एचएमटी कॉम्प्लेक्स, ज़ैनकोट, श्रीनगर में “जश्न-ए-चिल्लई कलां” समारोह का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता के दौरान, 54 प्रतिभागियों (12 महिला प्रतिभागियों सहित) ) स्कूलों/कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों से उनके अभिभावकों और शिक्षकों के साथ उपस्थित थे। सभी प्रतिभागियों को प्रशंसा प्रमाण पत्र, पुरस्कार से सम्मानित किया गया और प्रत्येक कार्यक्रम के विजेताओं और उपविजेताओं को ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। ऋषि राज सहाय, कमांडेंट 44 बटालियन, सीआरपीएफ ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

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सीआरपीएफ के बारे में:

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) भारत सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकार के तहत भारत में एक संघीय पुलिस संगठन है। यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है। सीआरपीएफ की प्राथमिक भूमिका कानून और व्यवस्था बनाए रखने और उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए पुलिस संचालन में राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करने में निहित है। यह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (नियमित) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सहायक) से बना है।

 

यह विश्व का सबसे बड़ा अर्द्धसैनिक बल है। जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर के साथ देश के वाम उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में CRPF महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। CRPF का मिशन सरकार को कानून, सार्वजनिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी और कुशलता से बनाए रखने में सक्षम बनाना है। यह बल 246 बटालियन के साथ एक विशाल संगठन के तौर पर विकसित हो चुका है। जिसमें 208 कार्यकारी बटालियन, छह महिला बटालियन, 15 रैपिड एक्शन फोर्स (दंगा विरोधी) बटालियन, 10 कोबरा (विशेष नक्सल विरोधी) बटालियन शामिल हैं। एक बटालियन में लगभग 1000 जवान होते हैं।

 

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सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से बरकरार रखा नोटबंदी का फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया. जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया. बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता. इससे पहले जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे.

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कोर्ट का फैसला

 

  • जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यन ने माना कि केंद्र की 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना वैध थी और आनुपातिकता के परीक्षण से संतुष्ट थी।
  • न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने अपने असहमतिपूर्ण विचार में कहा कि हालांकि विमुद्रीकरण सुविचारित था, इसे कानूनी आधार पर (न कि उद्देश्यों के आधार पर) गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए।
  • न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि 500 रुपये और 100 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला कानून लाकर किया जाना चाहिए था ना कि नोटिफिकेशन के जरिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सरकार की आर्थिक नीति से जुड़े इस फैसले को वापस नहीं लिया जा सकता।
  • इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्णय लेने की इस पूरी प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस विचार को स्वीकार किया कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श हुआ था।

 

पृष्ठभूमि

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा कर दी थी। इस फैसले का मकसद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा, काले धन पर अंकुश लगाने के साथ ही आतंकवाद की फंडिंग को खत्म करना था।

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आयुर्वेद में अनुसंधान एवं विकास को विनियमित करने और बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद पेशेवरों हेतु ‘स्मार्ट’ कार्यक्रम शुरू किया गया

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आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा को विनियमित करने और आयुर्वेद में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 2 जनवरी 2023 को ‘स्मार्ट’ (स्कोप फॉर मेनस्ट्रीमिंग आयुर्वेद रिसर्च इन टीचिंग प्रोफेशनल्स) कार्यक्रम शुरू किया है। स्मार्ट कार्यक्रम को भारतीय चिकित्सा प्रणाली (एनसीआईएसएम) और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया है। दोनों संस्थान केंद्रीय आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं।

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आयुर्वेद कॉलेजों और अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य अनुसंधान क्षेत्रों में नवीन अनुसंधान विचारों की पहचान, समर्थन और प्रचार करने के उद्देश्य से प्रस्तावित पहल की परिकल्पना की गई है। एनसीआईएसएम के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी और सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. रबिनारायण आचार्य ने एनसीआईएसएम के आयुर्वेद बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर बी.एस. प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भारत में हर साल 23 अक्टूबर को आयुर्वेद दिवसके रूप में मनाया जाता है।

 

केंद्रीय आयुष मंत्रालय

 

आयुष मंत्रालय की स्थापना 9 नवंबर 2014 को पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए की गई थी। यह आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान पर केंद्रित है।

 

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क्रोएशिया यूरोजोन में शामिल होने वाला 20वां देश बना

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क्रोएशिया को 1 जनवरी 2023 से पासपोर्ट मुक्त शेंगन क्षेत्र में शामिल हो गया। जिसके बाद उसने यूरो को अपनी मुद्रा के रूप में अपना लिया है। लगभग 40 लाख की आबादी वाले क्रोएशिया ने अपनी कुना मुद्रा को अलविदा कह दिया। इसी के साथ वह यूरोजोन का 20वां सदस्य देश भी बन गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, बाल्कन देश को यूरोपीय संघ में शामिल होने के लगभग एक दशक बाद यूरोप के पासपोर्ट-मुक्त शेंगन क्षेत्र में शामिल किया गया है।

गौरतलब है कि शेंगन क्षेत्र में अभी तक 26 सदस्य देश थे, जिनके बीच आवाजाही के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं थी यानी इन देशों के लोग एक दूसरे के यहां आ-जा सकते हैं, रह सकते हैं और काम भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें ना वीजा लेना होता है ना किसी परमिट की जरूरत होती है। इसमें अभी तक बुल्गारिया, रोमानिया, क्रोएशिया, आयरलैंड और साइप्रस ही ऐसे यूरोपीय संघ के सदस्य थे जो शेंगन के सदस्य नहीं थे। लेकिन अब क्रोएशिया को शेगन क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। वहीं, आइसलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड और लिष्टनश्टाइन कुछ ऐसे देश हैं जो यूरोपीय संघ के सदस्य नहीं हैं लेकिन शेंगन इलाके में शामिल हैं।

क्रोएशिया द्वारा यूरो मुद्रा अपनाने और शेगन क्षेत्र में शामिल होने को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यूरो को अपनाने से क्रोएशिया की अर्थव्यवस्था को ऐसे समय में मदद मिलेगी जब फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति बढ़ रही है, जिससे ईंधन और खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है। यूरो को अपनाने से क्रोएशिया को इस मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले 19 अन्य देशों और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ गहरे वित्तीय संबंधों से होने वाले लाभ भी मिलेंगे।

 

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अमित शाह ने कर्नाटक में केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान की आधारशिला रखी

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केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 31 दिसंबर 2022 को कर्नाटक के देवनहल्ली में केंद्रीय जासूसी प्रशिक्षण संस्थान (सीडीटीआई) की आधारशिला रखी। यह देश में केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो का छठा सीडीटीआई होगा। सीडीटीआई का देवनहल्ली केंद्र पड़ोसी राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव की फोरेंसिक जरूरतों को पूरा करेगा।

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केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान

 

देश में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के अंतर्गत पांच कार्यरत केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान (सीडीटीआई) हैं। पहला सीडीटीआई कलकत्ता में 1958 में स्थापित किया गया था। अन्य हैदराबाद, चंडीगढ़, जयपुर और गाजियाबाद में स्तिथ हैं। सीडीटीआई का उद्देश्य डिप्टी एसएसपी रैंक तक के पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करना है।

 

सेवाकालीन प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य फोरेंसिक विज्ञान में विभिन्न विकासों के साथ पुलिस जांच अधिकारियों को परिचित कराकर इस देश में अपराध जांच के स्तर में सुधार करना है। उन्हें आधुनिक अपराधी के कौशल और संसाधनों से मेल खाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। पुलिस कर्मियों को वैज्ञानिक तरीकों और नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने और विज्ञान की विभिन्न शाखाओं की सहायता लेने के लिए सिखाया जाता है।

 

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भारत से कॉफी का निर्यात लगभग 2% बढ़कर 4 लाख टन हो गया

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देश का कॉफी निर्यात वर्ष 2022 में 1.66 प्रतिशत बढ़कर चार लाख टन हो गया। कॉफी बोर्ड ने यह जानकारी दी। भारत कॉफी का एशिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। वर्ष 2021 में यह निर्यात 3.93 लाख टन रहा था।मूल्य के लिहाज से कॉफी का निर्यात पिछले साल के 6,984.67 करोड़ रुपये के मुकाबले वर्ष 2022 में बढ़कर 8,762.47 करोड़ रुपये का हो गया।

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भारत इंस्टेंट कॉफी यानी तैयार कॉफी पाउडर के अलावा रोबस्टा और अरेबिका दोनों किस्मों का निर्यात करता है। बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, रोबस्टा कॉफी का निर्यात पिछले वर्ष के 2,20,997 टन से मामूली रूप से घटकर वर्ष 2022 में 2,20,974 टन रह गया। इसी तरह, अरेबिका कॉफी किस्म का निर्यात भी 50,292 टन से 11.43 प्रतिशत घटकर 44,542 टन रह गया।

 

हालांकि, इंस्टेंट कॉफी का निर्यात वर्ष 2022 में 16.73 प्रतिशत बढ़कर 35,810 टन हो गया, जो पिछले वर्ष 29,819 टन था।आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में लगभग 99,513 टन कॉफी का पुन: निर्यात किया गया था, जो पिछले वर्ष के 92,235 टन से अधिक था। इटली, जर्मनी और रूस भारतीय कॉफी के प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं। फसल वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में कॉफी उत्पादन 3,93,400 टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 3,42,000 टन का उत्पादन हुआ था।

 

 

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RBI द्वारा जारी 2021 की घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची

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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 2021 के लिए घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (D-SIB) की सूची जारी की गई। आरबीआई ने 2020 की डी-एसआईबी सूची के अनुसार एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में वर्गीकृत करना जारी रखा है।

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डी-एसआईबी के लिए अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर1 (सीईटी1) की अपेक्षाएं, 1 अप्रैल 2016 से ही चरणबद्ध की गई थी और 1 अप्रैल 2019 से पूर्ण रूप से प्रभावी हो गई। अतिरिक्त सीईटी1 की अपेक्षाएं पूंजी संरक्षण बफर के अलावा होगी।

 

डी-एसआईबी की सूची निम्नानुसार है-

 

बकेट बैंक जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टियर 1 अपेक्षाएं
5 1%
4 0.80%
3 भारतीय स्टेट बैंक 0.60%
2 0.40%
1 आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक 0.20%

 

पृष्ठभूमि:

 

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआईबी) से निपटने के लिए फ्रेमवर्क जारी किया था। डी-एसआईबी फ्रेमवर्क के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को 2015 से शुरू होने वाले डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों को प्रकट करने की आवश्यकता है और इन बैंकों को उनके प्रणालीगत रूप से महत्व के स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना है।

 

बकेट के आधार पर जिसमें डी-एसआईबी को रखा गया है, एक अतिरिक्त सामान्य इक्विटी अपेक्षा को इसके लिए लागू किया जाना है। यदि कोई विदेशी बैंक, जिसकी शाखा भारत में मौजूद है और वह एक प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण विदेशी बैंक (जी-एसआईबी) है, तो उसे भारत में उसकी जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के अनुपात में जी-एसआईबी के रूप में लागू, अतिरिक्त सीईटी1 पूंजी अधिभार को बनाए रखना होता है, अर्थात् गृह नियामक द्वारा निर्धारित अतिरिक्त सीईटी1 बफर (राशि) को, समेकित वैश्विक समूह बुक्स के अनुसार भारत आरडब्ल्यूए द्वारा गुणा करके कुल समेकित वैश्विक समूह आरडब्ल्यूए से विभाजित करना।

 

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2015 और 2016 में भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी घोषित किया था। 31 मार्च 2017 तक बैंकों से एकत्र आंकड़ों के आधार पर, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के साथ एचडीएफ़सी बैंक को भी डी-एसआईबी घोषित किया गया था। यह अद्यतन जानकारी 31 मार्च 2022 तक बैंकों से एकत्र आंकड़ों पर आधारित है।

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आरबीआई ने महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों की लिस्ट जारी की, एचडीएफसी समेत इन बैंकों ने बनाई जगह

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आरबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआइ और निजी क्षेत्र के आइसीआइसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को फिर से प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों (डी-एसआइबी) के रूप में चुना है। एसआईबी ऐसे बैंक को कहा जाता है जो टू बिग टू फेल (टीबीटीएफ) की श्रेणी में आता है। यानी इस बैंक के फेल होने का असर व्यापक होता है। टीबीटीएफ दर्जा के चलते फेल होने पर सरकार ऐसे बैंकों की मदद करती है। एसआईबी दर्जा की वजह से ऐसे बैंक वित्त पोषण बाजार में भी कुछ फायदा उठाते हैं। इससे पहले 2021 में भी आरबीआई ने इन तीनों बैंकों को डी-एसआइबी के रूप में चुना था।

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आरबीआई ने 31 मार्च 2022 तक बैंकों से मिले डाटा के आधार पर इन तीनों बैंकों का चयन किया है। केंद्रीय बैंक ने 22 जुलाई 2014 को प्रणालीगत रूप से डी-आरबीआई के संबंध में फ्रेमवर्क जारी किया था। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि ‘एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक को उसी बकेटिंग ढांचे के तहत व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंकों (डी-एसआईबी) के रूप में पहचाना जाता है, जैसा कि 2021 की डी-एसआईबी की सूची में था।

 

क्या है ये योजना

 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2015 और 2016 में SBI और ICICI बैंक को D-SIB के रूप में घोषित किया था। 31 मार्च, 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर, HDFC बैंक को भी D-SIB के रूप में वर्गीकृत किया गया था। मौजूदा अपडेट 31 मार्च, 2022 तक बैंकों से जुटाए गए डेटा पर आधारित है। डी-एसआईबी से निपटने के लिए ढांचा जुलाई 2014 में जारी किया गया था। ढांचे के लिए आरबीआई को 2015 से शुरू होने वाले डी-एसआईबी के रूप में नामित बैंकों के नामों का खुलासा करना होगा और इन उधारदाताओं को उनके प्रणालीगत महत्व स्कोर (एसआईएस) के आधार पर उपयुक्त बकेट में रखना होगा।

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