आरबीआई 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में ग्रीन बांड जारी करेगा

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भारतीय रिज़र्व बैंक ने 6 जनवरी को कहा कि पहला सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrB) 25 जनवरी और 9 फरवरी को 8,000 करोड़ रुपये के दो किश्तों में जारी किया जाएगा। आरबीआई 2 फेज में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी। बैंक 8000-8000 करोड़ रुपए की कीमत के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) जारी करने वाला है। बैंक की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि Budget 2022-23 में किए गए घोषणा के मुताबिक, केंद्र सरकार अपने कुल मार्केट बोरोइंग (Market Borrowing) के तौर पर ये सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) जारी करने वाली है।

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मुख्य बिंदु

 

  • ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए ये बॉन्ड जारी किए जा रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2022 को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड का फ्रेमवर्क जारी किया था।
  • केंद्र सरकार इन सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड को अपने कुल बाजार उधार के हिस्से के रूप में जारी कर रही है। ये बांड हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए जारी किए जा रहे हैं।
  • केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2022 को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की रूपरेखा जारी की थी।
  • 25 जनवरी 2023 को 8000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे। इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे।
  • इसके अलावा 9 फरवरी 2023 को अगली किस्त के तौर पर 8000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे। जिसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे।

 

सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड क्या हैं?

 

  • ये ऐसे बॉन्ड होते हैं जिनका उपयोग सरकार ऐसी वित्तीय परियोजनाओं में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है। ग्रीन बॉन्ड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लॉन्च किया था। ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो ग्रीन परियोजनाओं के लिए धनराशि जुटाने में मदद करता है।
  • इन बॉन्ड्स से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक क्षेत्र के उन परियोजनाओं में लगाया जाएगा जिससे कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो। ये बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में होते हैं। इनमें से कुछ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा कुशलता, स्वच्छ परिवहन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स है।
  • सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के जरिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है। एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स के जरिए पैसा जुटाना आसान हो जाता है।

 

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एसजेवीएन की 1000 मेगावाट की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के जयपुर में हाल ही में 1,000 मेगावाट की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की वर्चुअल आधारशिला रखी।यह परियोजना सरकारी स्वामित्व वाली ऊर्जा फर्म SJVN लिमिटेड द्वारा अपनी सहायक कंपनी SJVN ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (SGEL) के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है, और राजस्थान में जिला बीकानेर के बांदरवाला गांव के पास सीधे खरीदी गई 5,000 एकड़ जमीन पर विकसित की जा रही है।

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मुख्य बिंदु

  • इस परियोजना के मार्च 2024 तक चालू होने की उम्मीद है और पहले वर्ष में लगभग 2454.55 मिलियन यूनिट का उत्पादन होगा, जिसमें 25 वर्षों में कुल 56838 एमयू का संचयी उत्पादन होगा।
  • अधिकतम उपयोग शुल्क 2.57 प्रति यूनिट रुपये पर निर्धारित किया गया है। सरकार के 2030 तक 500 GW के अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के अलावा, यह परियोजना 27,85,077 टन कार्बन उत्सर्जन को भी कम करेगी।
  • इस परियोजना से क्रमशः 150-200 और 800-1000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है, और यह परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगी और हरित रोजगार सृजित करेगी।
  • यह परियोजना “मेक इन इंडिया” पहल का समर्थन करते हुए घरेलू स्तर पर निर्मित सौर फोटोवोल्टिक सेल और मॉड्यूल का भी उपयोग करेगी।

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पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी का निधन

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बंगाल के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पूर्व अध्यक्ष पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का निधन हो गया। वह 88 साल के थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें सांस में दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। स्वजन उन्हें घर ले गए थे। केशरीनाथ त्रिपाठी के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी अपने पीछे पुत्र अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं।

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पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी के बारे में

पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी का जन्म 10 नवंबर 1934 को हुआ था। उनकी गिनती बीजेपी के सीनियर नेताओं में होती थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ही साथ वह कई सालों तक यूपी विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी काबिज रहे। वह तीन बार यूपी विधानसभा अध्यक्ष रहे। इसके अलावा वह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी 2014 से 2019 तक पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे इस बीच उन्हें बिहार, मेघालय और मिजोरम राज्यों का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।

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Forex reserves of India: साल 2022 में लगा 70 बिलियन डॉलर का झटका

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 30 दिसंबर 2022 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 44 मिलियन डॉलर बढ़कर 562.85 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि, आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2022 के दौरान, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 70.1 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। बता दें जिस देश के पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार होता है, उस देश की आर्थिक स्थिति भी अच्छी मानी जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि अगर दुनिया में कोई दिक्कत आ जाए तो देश अपनी जरूरत का सामान कई माह तक आसानी से मंगा सकता है। इसीलिए दुनिया के बहुत से देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार को काफी मजबूत बना कर रखते हैं।

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विदेशी मुद्रा भंडार में अस्थिरता

 

2022 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अस्थिरता को नियंत्रित करने और रुपये को मजबूत करने के लिए मुद्रा बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण गिरावट देखी गई। अक्टूबर 2021 में, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

 

विदेशी मुद्रा के मामले में दुनिया के टॉप 5 देश

 

  • चीन 3.28 ट्रिलियन डॉलर
  • जापान 1.22 ट्रिलियन डॉलर
  • स्विट्जरलैंड 885,057 बिलियन डॉलर
  • रूस 581,700 बिलियन डॉलर
  • भारत 562,851 बिलियन डॉलर

 

जानिए क्यों घटा विदेशी मुद्रा भंडार

 

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 30 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 35.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 41.32 अरब डॉलर हो गई है। 30 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में इसकी विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 30.2 करोड़ डॉलर घटकर 498.19 अरब डॉलर रह गई। आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों की बढ़त या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल किया जाता है।

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सीजेआई चंद्रचूड़ को हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर द्वारा ‘वैश्विक नेतृत्व के लिए पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा

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भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को देश और दुनिया भर में कानूनी पेशे के लिए उनकी जीवन भर की सेवा के लिए हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर द्वारा “वैश्विक नेतृत्व के लिए पुरस्कार” के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार उन्हें 11 जनवरी को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा।

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मुख्य बिंदु

 

  • चंद्रचूड़ ने संयुक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम की डिग्री और ज्यूरिडिकल साइंसेज (एसजेडी) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
  • इस कार्यक्रम में हार्वर्ड लॉ स्कूल के प्रोफेसर डेविड विल्किन्स भी सीजेआई से बातचीत करेंगे।
  • न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, जो अयोध्या भूमि विवाद मामले सहित कई ऐतिहासिक फैसले देने वाली शीर्ष अदालत की बेंच का हिस्सा थे, ने 9 नवंबर, 2022 को 50वें CJI के रूप में शपथ ली। उनके पास हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और एसजेडी है।
  • केंद्र प्रमुख शिक्षाविदों, कानूनी चिकित्सकों और विचारकों को एक साथ लाता है, जिनकी उपलब्धियों का कानूनी पेशे पर प्रभाव पड़ता है।
  • प्रोफ़ेसर विल्किंस ने वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई जैसे मुद्दों पर भारत और जस्टिस चंद्रचूड़ के योगदान की सराहना की है।

 

डॉ डी वाई चंद्रचूड़ के बारे में

 

धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ एक भारतीय न्यायाधीश हैं जो वर्तमान में भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ। उन्होंने सेंट कोलंबस स्कूल से स्कूली शिक्षा ग्रहण की और देश के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में शुमार सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के ही कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी किया और उसके बाद अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। उसके बाद उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को जून 1998 में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया और वह उसी वर्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए।

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जानें क्यों मनाते हैं प्रवासी भारतीय दिवस

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देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस बार 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन 9 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में हो रहा है। इंदौर में तीन दिनों तक चलने वाले प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का 08 जनवरी को आगाज हुआ था।

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17वें प्रवासी भारतीय दिवस की थीम

 

बता दें कि 17वें प्रवासी भारतीय दिवस की थीम “प्रवासी: अमृत काल में भारत की प्रगति में विश्वसनीय भागीदार” है और दुनियाभर से आए प्रवासी भारत की प्रगति के भागीदार बन रहे हैं। देश में सबसे पहले भले ही 2003 में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया लेकिन इसके लिए तारीख 9 जनवरी रखी गई।

 

9 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?

 

बता दें कि इस खास दिन का कनेक्शन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से रहा है। 9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे इसलिए 9 जनवरी की तारीख को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के लिए चुना गया। पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला एलएम सिंघवी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार लिया गया था। 8 जनवरी 2002 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस को व्यापक स्तर पर मनाने की घोषणा की।

 

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन मनाने का उद्देश्य?

 

प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को दुनिया के सामने लाना है, जिससे दुनिया को उनकी ताकत का अहसास हो सके। देश के विकास में भारतवंशियों का योगदान अविस्मरणीय है इसलिए साल 2015 के बाद से हर दो साल में एक बार प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित किया जाता है।

 

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत

 

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में की थी। हालांकि इस दिन का इतिहास 1915 से जुड़ा हुआ है। स्वर्गीय लक्ष्मीमल सिंघवी ने पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की संकल्पना की थी। उनकी अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्च समिति की सिफारिशों के अनुसार इस दिन को मनाने का फैसला लिया। फिर 2003 में पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया।

 

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भारत के लिए 1901 के बाद 2022 पांचवां सबसे गर्म साल: IMD

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देश में 1901 के बाद से साल 2022 को पांचवा सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 1901 से ही मौसम संबंधी रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। मौसम विभाग कार्यालय ने 2022 के दौरान भारत की जलवायु पर दिए एक बयान में कहा कि जमीन की सतह का वार्षिक औसत तापमान लंबी अवधि के औसत से 0.51 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो कि 1981-2010 की अवधि का औसत तापमान है।

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हालांकि, यह 2016 में भारत में दर्ज किए गए अधिकतम गर्म दिनों से कम था जब औसत तापमान 0.71 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। वर्ष 2022 की सर्दियों के मौसम – जनवरी से फरवरी के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर औसत तापमान -0.04 डिग्री सेल्सियस की विसंगति के साथ सामान्य था। मॉनसून के पहले मार्च से मई के दौरान तापमान 1.06 डिग्री सेल्सियस की विसंगति के साथ सामान्य से अधिक था।

 

वर्ष 2022 में पूरे देश में हुई वर्षा 1971-2020 की अवधि के आधार पर दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत थी। वर्ष 1965-2021 के आंकड़ों के आधार पर 11.2 के सामान्य के मुकाबले पिछले वर्ष भी 15 चक्रवात संबंधी घटनाएं देखी गईं, जिनमें तीन चक्रवाती तूफान और उत्तर हिंद महासागर के ऊपर बने निम्न दबाव के 12 क्षेत्र शामिल हैं। इनके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक भारी वर्षा, बाढ़, भूस्खलन, बिजली गिरने, आंधी और सूखे जैसी मौसम संबंधी असामान्य घटनाओं का भी अनुभव किया गया।

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इटली के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी जियानलुका वियाली का निधन

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इटली के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी जियानलुका वियाली का 58 साल की उम्र में निधन हो गया है। जियानलुका वियाली को साल 2017 में कैंसर का पता चला था। कैंसर के कारण ही उनकी निधन हुई है। अपने फुटबॉल करियर में उन्होंने कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किए थे। ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले के बाद अब जियानलुका वियाली ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया है। इटली के फुटबॉल महासंघ ने शुक्रवार को जियानलुका वियाली के निधन की खबर दी। जियानलुका वियाली की निधन की खबर मिलने के बाद से ही फुटबॉल फैंस सोशल मीडिया पर अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं। जियानलुका वियाली ने अपने करियर में इटली की नेशनल टीम के लिए कुल 59 मैच खेला था।

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जियानलुका वियाली के बारे में

 

पेनक्रियाज कैंसर के कारण उनका निधन हुआ है। 2017 में पहली बार उन्हें इनकी जानकारी मिली, लेकिन एक साल इलाज के बाद वह काफी हद तक ठीक हो गए थे। पर साल 2021 में एक बार फिर यह जानलेवा बीमारी उन पर हावी हो गई। एक साल तक उन्होंने फिर इससे लड़ाई की, लेकिन अंत में आकर वह इससे हार गए। 6 जनवरी 2023 कोइस बीमारी के कारण वह दुनिया को अलविदा कह गए।

साल 1985 से 1992 तक इटली की टीम के लिए खेलते हुए जियानलुका वियाली ने कुल 16 गोल किए थे। पिछले दिनों जियानलुका वियाली नेशनल टीम के साथ हेड ऑफ डेलिगेशन का रोल निभा रहे थे। लेकिन अपनी बीमारी के कारण एक महीने पहले उन्होंने टीम का साथ छोड़ दिया था। चेल्सी में खिलाड़ी और प्रबंधक की भूमिका निभाने से पहले उन्होंने सम्पदोरिया और जुवेंटस दोनों को सीरी ए और यूरोपीय ट्राफियां जीतने में भी मदद की थीं।

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अनुराग ठाकुर ने किया Y20 समिट के थीम-लोगो और वेबसाइट को लांच

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भारत इस साल जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने बाली में वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रभावशाली समूह जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। ये अध्यक्षता 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक भारत के पास है। G20 के अंतर्गत कुल 11 एंगेजमेंट ग्रुप है। इस महीने से G20 के एंगेजमेंट ग्रुप की बैठकें भी शुरू होंगी। इससे पहले छह जनवरी को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राजधानी दिल्ली में Y20 समिट इंडिया के कर्टेन रेजर इवेंट में Y20 समिट की थीम, लोगो और वेबसाइट लॉन्च की।

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इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन युवाओं और विश्व को हमारे विकास के तरीके को आकार देने के लिए समान रूप प्रदान करता है। मुझे आशा है कि आप हमें शिक्षित करने के लिए Y20 अवसर का उपयोग करेंगे। गौरतलब है कि भारत पहली बार Y20 समिट की मेजबानी कर रहा है। दिल्ली में Y20 समिट इंडिया के कर्टेन रेजर इवेंट को दो सत्रों में बांटा गया है। पहले सत्र में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने Y20 के लोगो, वेबसाइट और थीम का विमोचन किया। वहीं, दूसरे सत्र में पैनल डिस्कशन हुआ।

 

Y20 क्या है?

 

गौरतलब है कि Y20 एक ऐसा मंच है जो युवाओं को G20 प्राथमिकताओं पर अपने दृष्टिकोण और विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है। इसके साथ ही ये अनेक सिफारिशों को सामने लाता है जो G20 देशों के नेताओं को प्रस्तुत की जाती हैं। इस एंगेजमेंट ग्रुप की शुरुआत 2010 में हुई थी। इस यूथ20 इंगेजमेंट ग्रुप में भारत का मुख्य फोकस G20 सहित विश्व के युवा लीडरों को एक मंच प्रदान करना है, जहाँ से वह अपने विचारों का आदान प्रदान कर सके।

 

Y20 समिट का उद्देश्य

Y20 समिट का मुख्य उद्देश्य विश्वस्तर पर यूथ इंगेजमेंट को बढ़ावा देना है। इस मंच से G20 देशों के यूथ सहित भारत द्वारा आमंत्रित गेस्ट कंट्री के यूथ भी अपने विचारों और अनुभवों को साझा कर सकेंगे। ऐसे कार्यक्रमों के योजना से यूथ जनरेशन में लीडरशिप का विकास होगा, जो उन्हें आगे चलकर अपने देश या किसी बड़े संगठन के नेतृत्व के लिए तैयार करेंगे।

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1st G20 Central Bank Deputies Meet in Bengaluru Under India's Presidency_80.1

 

भारत विश्व स्तर पर बन गया है तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार

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भारत में तेजी से बढ़ते ऑटो सेक्टर (Auto Sector) की चमक अब विश्व स्तर पर दिखने लगी है। निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल गाड़ियों की बिक्री में जापान को पीछे छोड़ दिया है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन गया है। इस लिस्ट में सबसे ऊपर चीन है, जबकि दूसरे स्थान पर अमेरिका है।

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निक्केई एशिया के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा गाड़ियां चीन में बिकी हैं। चीन में कुल 26.27 मिलियन वाहनों की बिक्री हुई है। वहीं, दूसरे नंबर पर आने वाला अमेरिका 15.4 मिलियन वाहनों की बिक्री के साथ है। शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर भारत में नए वाहनों की कुल बिक्री लगभग 4.25 मिलियन यूनिट रही, जबकि जापान में बेची गई गाड़ियों की संख्या 4.2 मिलियन यूनिट है।

 

निक्केई एशिया ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत के ऑटो बाजार में उतार-चढ़ाव आया है। अगर सालाना रिपोर्ट को देखें तो 2018 में मोटे तौर पर लगभग 4.4 मिलियन वाहन बेचे गए, जो 2019 में 4 मिलियन यूनिट से भी कम हो गया था। 2020 में लॉकडाउन के बाद वाहन बिक्री 30 लाख यूनिट तक पहुंच गई थी। वहीं, 2021 में स्थिति में थोड़ा सुधार आया और बिक्री 4 मिलियन यूनिट तक पहुंची। हालांकि, इसके बाद से सेमीकंडक्टर चिप की कमी शुरू हो गई थी।

 

निक्केई एशिया ने कहा कि पिछले साल भारत में बिकने वाले ज्यादातर नए ऑटो में हाइब्रिड वाहनों सहित पेट्रोल इंजन वाले वाहन शामिल थे, जिसमें कहा गया था कि इलेक्ट्रिक वाहनों की मौजूदगी शायद ही हो। एडवांस्ड अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय बाजार में बेचे जाने वाले के वाहनों में सेमिकंडक्टरों की मात्रा कम देखी जाती है।

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