आईसीसी ने साल 2022 की सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महिला टी20 टीमों का ऐलान किया

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अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने पुरुष और महिला क्रिकेट दोनों के लिए साल 2022 की टी20I टीम ऑफ द ईयर का एलान कर दिया। इस टीम में दुनियाभर के वह खिलाड़ी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल गेंद और बल्ले के साथ अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। आईसीसी ने पुरुष और महिला दोनों टीमों में 11 खिलाड़ियों को चुना है और दोनों टीमों में भारत के तीन-तीन खिलाड़ी जगह बनाने में सफल रहे हैं। टीम में तीन खिलाड़ियों को जगह मिली है। ये तीन खिलाड़ी विराट कोहली (Virat Kohli), सूर्यकुमार यादव (SuryaKumar Yadav)और हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) हैं वहीं महिला टीम में स्मृति मंधाना, रिचा घोष, दीप्ति शर्मा और रेणुका सिंह को मौका मिला है।

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पुरुषों की टी20 टीम में भारत से तीन, इंग्लैंड और पाकिस्तान से दो-दो और न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, श्रीलंका और आयरलैंड से एक-एक खिलाड़ी शामिल है। जोस बटलर, जिन्होंने पिछले नवंबर में ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप में इंग्लैंड की टीम को चैंपियन बनाया था, उन्हें टीम का कप्तान बनाया गया है।

 

कोहली ने 2022 में फॉर्म में वापसी करते हुए एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया है जहां वह पांच मैच में 276 रन के साथ दूसरे सबसे सफल बल्लेबाज रहे। उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ शतक के साथ अंतरराष्ट्रीय शतक के लगभग तीन साल के सूखे को खत्म किया। मेलबर्न में पाकिस्तान के खिलाफ टी20 विश्व कप में टीम के पहले मैच में उन्होंने नाबाद 82 रन की पारी खेली जो टी20 अंतरराष्ट्रीय के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है।

 

2022 के लिए आईसीसी की पुरुषों की टीम

जोस बटलर (कप्तान-विकेटकीपर), मोहम्मद रिजवान, विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, ग्लेन फिलिप्स, सिकंदर रजा, हार्दिक पांड्या, सैम करन, वनिन्दू हसरंगा, हारिस रऊफ, जोशुआ लिटिल।

 

2022 के लिए आईसीसी की महिलाओं की टीम

 

स्मृति मंधाना, बेथ मूनी, सोफी डिवाइन (कप्तान), ऐश गार्डनर, ताहलिया मैक्ग्राथ, निदा डार, दीप्ति शर्मा, ऋचा घोष (विकेटकीपर), सोफी एक्लेस्टोन, इनोका राणावीरा, रेणुका सिंह।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:

 

  • आईसीसी की स्थापना: 15 जून 1909;
  • आईसीसी अध्यक्ष: ग्रेग बार्कले;
  • आईसीसी सीईओ: ज्योफ एलार्डिस;
  • आईसीसी मुख्यालय: दुबई, संयुक्त अरब अमीरात।

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National Girl Child Day 2023: जानें कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत

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राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है। राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लक्ष्यों के प्रति जागरूकता (Girl Child Day) लाता है। हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग होती है।

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बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य

यह दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश की लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हमारे समाज लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा कम आंका जाता है। उन्हें पढ़ने के अवसर नहीं मिलते, वक्त से पहले शादी करा दी जाती है और फिर बच्चे की जिम्मेदारी। उन्हें अपने सम्मान और अधिकार के लिए भी लड़ना पड़ता है। तो इस दिन को लड़कियों के साथ ही समाज को भी शिक्षित और जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। इस दिन हर साल राज्य सरकारें अपने-अपने प्रदेश में कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन करती हैं।

 

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस ?

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस (Girl Child Day) मनाने का उद्देश्य भारत में लड़कियों को समर्थन और अवसर प्रदान करना है। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य लड़कियों को उनके अधिकारों और शिक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने के साथ-साथ स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों और लोगों को कन्या भ्रूण हत्या और लैंगिक असमानता से लेकर यौन शोषण तक के मुद्दों के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

 

राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार भारत में 24 जनवरी 2008 को मनाया गया था। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की गई थी। इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी। इसलिए, भारतीय इतिहास, महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में चुना गया था।

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जानें क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस, क्या है इसका इतिहास

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वैश्विक शांति और सतत विकास लाने में शिक्षा की भूमिका का जश्न मनाने के लिए हर साल 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (International Day of Education) मनाया जाता है। किसी भी देश के विकास का स्तर उस देश के शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर से मापा जा सकता है। विश्व शिक्षा दिवस की महत्ता को देखते हुए इस दिन को विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। इस अवसर पर तरह-तरह के वैश्विक ग्लोबल इवेंट्स आयोजित किये जाते हैं।

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क्या है उद्देश्य?

आज के दिन को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया में शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता लाना है। मनुष्य के जीवन में शांति और विकास सबसे जरूरी चीजें हैं और इसे हासिल करने का एकमात्र तरीका शिक्षा ही हो सकती है। हर व्यक्ति और बच्चों तक मुफ्त और बुनियादी शिक्षा की पहुंच जल्द से जल्द हो, इस दिन को मनाने का यही उद्देश्य है।

 

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व

दुनियाभर में शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने का लक्ष्य अब भी दूर दिखाई पड़ता है। करोड़ों बच्चों तक अब भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंच नहीं पाई है। ऑनलाइन माध्यम ने इस क्षेत्र में कुछ हद तक मदद तो की है, लेकिन अब भी कई ऐसे स्थान हैं जहां इंटरनेट की पहुंच नहीं हो पाई है। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार अब भी दुनियाभर के करोड़ों बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। करोड़ों बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल तो पहुंचते हैं, लेकिन वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बेहद कमी है। वहीं, बड़ी संख्या में बच्चो की शिक्षा आधे में ही छूट जाती है। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए समाधान के हल को खोजना ही अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के आयोजन का मुख्य मकसद है।

 

International Day of Education:इतिहास

 

3 दिसंबर, 2018 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शांति और विकास के लिए शिक्षा की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए 24 जनवरी के दिन को हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। नाइजीरिया और 58 अन्य सदस्य राष्‍ट्रों द्वारा ‘इंटरनेशनल डे ऑफ एजुकेशन’ को अपनाया गया। इसके बाद से, हर बच्‍चे की मुफ्त और बुनियादी शिक्षा तक पहुंच हो, इस उद्देश्‍य के साथ यह दिन हर वर्ष मनाया जाने लगा।

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राष्‍ट्रपति द्रौप‍दी मुर्मु ने प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार प्रदान किये

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में एक समारोह में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। इस वर्ष, 11 बच्चों को प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिनमें से चार कला और संस्कृति क्षेत्र से, एक बहादुरी के लिए, दो नवाचार के लिए, एक सामाजिक सेवा के लिए और तीन खेल के लिए हैं। देशभर के 11 बच्चों में छह लड़के और पांच लड़कियां हैं।

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PMRBP (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार) के विजेताओं को एक प्रमाण पत्र के साथ एक पदक मिलता है। इसके अलावा उन्हें एक लाख रुपये की राशि भी मिलती है। इसके अलावा, वे हर साल 26 जनवरी को राजपथ में गणतंत्र दिवस परेड में भी हिस्सा लेते हैं।

 

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की शुरुआत कैसे हुई?

 

बहादुरी और साहस के कार्यों के लिए बच्चों को पुरस्कृत करने के लिए, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 1996 में स्थापित किया गया था। सरकार बच्चों की असाधारण उपलब्धि को मान्यता दे रही है और 1990 के दशक से 6 श्रेणियों में प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान कर रही है। 2018 में, इस पुरस्कार का नाम बदलकर ‘बाल शक्ति पुरस्कार’ कर दिया गया है जिसमें पुरस्कार पाने के लिए बहादुर और साहसी कार्य करने वाले बच्चों को भी शामिल किया गया है।

 

निम्नलिखित क्षेत्रों के आधार पर पुरस्कार विजेताओं का चयन किया जाता है:

  • नवोन्मेष: एक बच्चे को विज्ञान और नवोन्मेष के क्षेत्र में कुछ नवोन्मेषी करना चाहिए जो मनुष्यों, जीवित जीवों और पर्यावरण पर प्रभाव पैदा करे।
  • समाज सेवा: बच्चे ने किसी भी सामाजिक मुद्दे जैसे बाल विवाह, यौन उत्पीड़न आदि के खिलाफ कार्रवाई की हो।
  • शिक्षा: एक बच्चा जिसने राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन किया है, वह इस पुरस्कार के लिए पात्र है।
  • खेल: खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चे को इस पुरस्कार के लिए पात्र चुना जाता है।
  • कला और संस्कृति: एक बच्चा जो इस आयु के तहत संगीत, नृत्य और पेंटिंग के क्षेत्र में सफल होता है, उसे पुरस्कार के लिए पात्र माना जाता है।
  • बहादुरी: किसी के जीवन में या पर्यावरण के लिए बदलाव लाने के लिए बहादुरी और साहस दिखाने वाले बच्चे को पुरस्कार के लिए चुना जाता है।

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सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2023 की घोषणा

संस्थागत श्रेणी में ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) और लुंगलेई फायर स्टेशन (एलएफएस), मिजोरम, दोनों का ही वर्ष 2023 के लिए आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2023 के लिए चयन किया गया है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दिए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को मान्‍यता देने तथा उन्‍हें सम्मानित करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार नामक एक वार्षिक पुरस्‍कार की स्‍थापना की है।

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इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। इस पुरस्‍कार में चयनित संस्था को 51 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र तथा व्यक्तिगत मामले में 5 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, देश ने आपदा प्रबंधन प्रथाओं, तैयारी, शमन और प्रतिक्रिया कार्य प्रणाली में काफी सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हताहत होने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

 

वर्ष 2023 के पुरस्कार के लिए 1 जुलाई, 2022 से नामांकन आमंत्रित किए गए थे। वर्ष 2023 की पुरस्कार योजना का प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। पुरस्कार योजना के तहत विभिन्‍न संस्थानों और व्यक्तियों से 274 वैध नामांकन प्राप्त हुए थे।

 

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में 2023 पुरस्कार

 

  • ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) को ओडिशा में आई भारी चक्रवात त्रासदी के बाद 1999 में स्थापित किया गया था। ओएसडीएमए ने ओडिशा आपदा मोचन कार्य बल (ओडीआरएएफ), मल्टी-हैज़र्ड अर्ली वार्निंग सर्विस (एमएचईडब्‍ल्‍यूएस) फ्रेमवर्क और सतर्क (डायनेमिक रिस्क नॉलेज पर आधारित आपदा जोखिम सूचना का आकलन, ट्रैकिंग और चेतावनी सूचक प्रणाली) नामक अत्याधुनिक तकनीक-सक्षम वेब/स्मार्टफ़ोन सहित अनेक पहलों की शुरुआत की थी। ओएसडीएमए ने विभिन्न चक्रवातों, हुदहुद (2014), फानी (2019), अम्फान (2020) और ओडिशा बाढ़ (2020) के दौरान प्रभावी रूप से कार्य किया है। ओएसडीएमए ने समुद्र तट से 1.5 किलोमीटर के दायरे में स्थित 381 सुनामी संभावित गांवों/वार्डों और 879 बहुउद्देश्यीय चक्रवात/बाढ़ आश्रयों में सामुदायिक लचीलापन बनाने के लिए आपदा तैयारी संबंधी पहल आयोजित की थीं।
  • लुंगलेई फायर स्टेशन, मिजोरम ने जंगल में लगी प्रचंड आग को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया था। लुंगलेई शहर से घिरे इन निर्जन वन क्षेत्रों में आग लगने की सूचना 24 अप्रैल 2021 को प्राप्‍त हुई थी जो 10 से अधिक ग्राम परिषद क्षेत्रों में फैल गयी थी। लुंगलेई फायर स्टेशन पर तैनात कर्मियों ने स्थानीय नागरिकों की सहायता से 32 घंटे से अधिक समय तक लगातार काम किया, जिस दौरान उन्होंने नागरिकों को प्रेरित किया और उन्‍हें मौके पर ही आग बुझाने के बारे में प्रशिक्षण दिया। आग बुझाने के इस कार्य में दमकल और आपातकालीन कर्मचारियों की बहादुरी, साहस एवं त्वरित प्रयासों के कारण जान-माल की कोई हानि नहीं हुई और जंगल में लगी आग को राज्य के अन्य हिस्सों में फैलने से रोक दिया गया।

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हिमाचल को 2025 तक पहला ग्रीन राज्य बनाने का लक्ष्य

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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने जलविद्युत, हाईड्रोजन और सौर ऊर्जा का दोहन करने और हिमाचल को वर्ष 2025 तक देश का पहला हरित राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे औद्योगिक उत्पाद को हरित उत्पादों के रूप में बेहतर मूल्य एवं निर्यात में प्राथमिकता मिलेगी। उन्होंने राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, हिमऊर्जा, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करने और आवश्यकतानुसार नीति में बदलाव करने के निर्देश दिए। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की।

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सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी। वर्ष 2023-24 के दौरान प्रदेश में 500 मेगावाट की सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) की ओर से स्थापित की जाएंगी। इसके दृष्टिगत 70 मेगावाट क्षमता के लिए भूमि चिह्नित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि 150 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं निजी भागीदारी से हिम ऊर्जा की ओर से स्थापित की जाएंगी। इन परियोजनाओं की क्षमता की श्रेणी 250 किलोवाट से एक मेगावाट होगी। सीएम ने हिम ऊर्जा को पांच मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में दस फीसदी हिस्सा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग द्वितीय और तृतीय, शॉंग टांग व कड़छम आदि निर्माणाधीन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने इन परियोजनाओं को 2025 तक पूरा करने को कहा है। एचपीपीसीएल को सौर परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए दस दिन में सलाहकार नियुक्त करने तथा एक माह में रिपोर्ट देने को कहा। बैठक में सीएम ने 660 मेगावाट क्षमता की किशाऊ बांध परियोजना की प्रगति की समीक्षा भी की। इसमें जल घटक भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से 90 और 10 फीसदी अनुपात में वित्तपोषित व ऊर्जा घटक हिमाचल और उत्तराखंड राज्य की ओर से 50-50 फीसदी अनुपात में साझा किया जाएगा।

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Odisha CM Naveen Patnaik Launches 'Football for All'_80.1

FIH ने हॉकी पुरुष विश्व कप के लिए JSP फाउंडेशन के साथ साझेदारी की

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अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) ने हॉकी विकास के लिए JSP फाउंडेशन और पुरुषों के विश्व कप लुसाने, स्विट्जरलैंड के साथ साझेदारी की है। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) यह घोषणा करते हुए रोमांचित है कि उसने अपने विकास कार्यक्रमों के लिए JSP फाउंडेशन के साथ साझेदारी पर हस्ताक्षर किए हैं। एफआईएच आने वाले महीनों में हॉकी के विकास के लिए अपनी कुछ प्रमुख पहलों के लिए जेएसपी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करेगा। यह साझेदारी जेएसपी फाउंडेशन को चल रहे एफआईएच ओडिशा हॉकी मेन्स वर्ल्ड कप 2023 भुवनेश्वर-राउरकेला में ग्लोबल पार्टनर के रूप में शामिल होते हुए भी देखेगी।

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जेएसपी फाउंडेशन के बारे में

 

जेएसपी फाउंडेशन जिंदल स्टील एंड पावर की सामाजिक शाखा है। जेएसपी फाउंडेशन मानवता के लिए समर्पित है और जमीनी स्तर पर सक्रिय विभिन्न सामाजिक परिवर्तन एजेंटों की एक अभिभावक शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करके मानव विकास सूचकांक में सुधार करने पर केंद्रित है। फाउंडेशन जिंदल स्टील एंड पावर द्वारा अपने व्यावसायिक स्थानों पर लागू किए गए सतत सामाजिक विकास पहलों का मार्गदर्शक बल रहा है।

 

अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) के बारे में

 

अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) हॉकी के खेल के लिए विश्व शासी निकाय है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा मान्यता प्राप्त है। 1924 में स्थापित, FIH में आज 140 सदस्यीय राष्ट्रीय संघ हैं।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:

  • अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ का मुख्यालय: लुसाने, स्विट्जरलैंड;
  • अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के सीईओ: थिएरी वेल;
  • अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ की स्थापना: 7 जनवरी 1924, पेरिस, फ्रांस;
  • अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के संस्थापक: पॉल लेओटे;
  • अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ का आदर्श वाक्य: फेयरप्ले फ्रेंडशिप फॉरएवर।

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Airbnb Signs MoU with Goa Govt to Promote Inclusive Tourism_80.1

उपराज्यपाल आर के माथुर ने लद्दाख में ULPIN लॉन्च किया, इसे ‘गेम चेंजर’ बताया

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उपराज्यपाल आर के माथुर ने केंद्र शासित प्रदेश में विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) का शुभारंभ किया, जिसमें कारगिल और लेह की दोनों पहाड़ी परिषदों ने पहल का स्वागत किया। 14 अंकों का यूएलपीआईएन भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण में मदद करेगा और एक निर्णायक भूमि शीर्षक तक भी पहुंचेगा।

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भूमि राजस्व रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कम्प्यूटरीकरण के लिए ULPIN को “गेम चेंजर” और ‘SVAMITVA’ में अगला कदम बताया। आर के माथुर ने लद्दाख में भू-राजस्व रिकॉर्ड के 100 प्रतिशत कवरेज और जल्द से जल्द अभ्यास पूरा करने के महत्व की जानकारी दी।

 

प्रमुख बिंदु

 

  • आरके माथुर ने न केवल ‘आबादी देह’ (बसे हुए) क्षेत्रों बल्कि प्रशासन द्वारा दोनों पहाड़ी परिषदों की मदद से अपनी योजनाओं और निधियों के माध्यम से पूरे लद्दाख के संतृप्ति कवरेज की आवश्यकता पर बल दिया।
  • माथुर ने लद्दाख में आबादी देह क्षेत्र को बढ़ाने की योजना का उल्लेख किया, जिसमें लद्दाख में वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में आबादी देह क्षेत्रों को तराशना भी शामिल है।
  • उन्होंने यह भी बताया कि यूटी में बढ़ी हुई आबादी-देह क्षेत्रों को कवर करने के लिए प्रशासन, दोनों पहाड़ी परिषदों के साथ, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के साथ काम करेगा।
  • UPLIN योजना कई मायनों में फायदेमंद साबित होगी, जिसमें भूमि संबंधी विवादों को अदालत में निपटाना और तेज करना और भूमि राजस्व रिकॉर्ड में किसी भी अवांछित परिवर्तन पर रोक लगाने जैसे विरासत के मुद्दों को संबोधित करना शामिल है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना किसानों को बैंकों से ऋण लेने और किसानों की पंजीकृत भूमि पर कीटनाशकों और कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने में भी फायदेमंद साबित होगी।
  • भूमि के ऊर्ध्वाधर आयाम को रिकॉर्ड करने के लिए पहाड़ी भूमि के लिए सटीक भूमि रिकॉर्ड और भूमि क्षेत्रों को इकट्ठा करने के लिए यह योजना फायदेमंद साबित होगी।
  • उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना उद्योगपतियों और उद्यमियों के लिए एक आशीर्वाद होगी और लद्दाख के समग्र विकास में मदद करेगी।

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10th Edition of North East Festival Begins at Jawaharlal Nehru Stadium_80.1

अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ने चेन्नई में पहले एसटीईएम इनोवेशन एंड लर्निंग सेंटर का उद्घाटन किया

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अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (एआईएफ) ने स्कूल शिक्षा मंत्री, थिरु अंबिल महेश पोय्यामोझी की उपस्थिति में भारत के पहले एसटीईएम इनोवेशन एंड लर्निंग सेंटर (एसआईएलसी) का उद्घाटन किया। एसटीईएम इनोवेशन एंड लर्निंग सेंटर का उद्घाटन वनाविल मंद्रम योजना के तहत गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, एमएमडीए कॉलोनी, चेन्नई में किया गया।

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प्रमुख बिंदु

 

  • एआईएफ के पुरस्कार विजेता प्रमुख शिक्षा कार्यक्रम- डिजिटल इक्वलाइजर ने केंद्र को छात्रों और शिक्षकों के बीच एसटीईएम के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में डिजाइन किया है।
  • केंद्र छात्रों को रोबोटिक्स, एआई, स्पेस टेक्नोलॉजी और एसटीईएम इनक्यूबेशन वर्कस्टेशन के माध्यम से एक ट्रांसडिसिप्लिनरी लर्निंग दृष्टिकोण से परिचित कराएगा।
  • इसका उद्देश्य उन्नत एसटीईएम पाठ्यक्रमों में उनकी जिज्ञासा का पोषण करना है, साथ ही उन्हें अपने नवीन विचारों को प्रोटोटाइप में विकसित करने और राज्य, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान करने में सहायता करना है।
  • केंद्र में शिक्षकों के लिए एक प्रौद्योगिकी कोना भी है।
  • टेक कॉर्नर एक स्मार्ट लैब से सुसज्जित है, और यह शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए तकनीकी-शिक्षण-सक्षम कक्षाएं संचालित करने के साथ-साथ डिजिटल इक्वलाइज़र वे ऑफ टीचिंग (DEWoT) पर प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।
  • उच्च गुणवत्ता वाली DE Edu रील बनाने में शिक्षकों की सहायता के लिए केंद्र में एक स्टूडियो सेटअप भी है।

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डॉ अश्विन फर्नांडीस द्वारा लिखित पुस्तक “इंडियाज नॉलेज सुप्रीमेसी: द न्यू डॉन” का विमोचन किया गया

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अंतर्राष्ट्रीय भारतीय प्रवासी डॉ. अश्विन फर्नांडीस द्वारा लिखित एक नई प्रकाशित विचारोत्तेजक पुस्तक “इंडियाज नॉलेज सुप्रीमेसी: द न्यू डॉन” को आज लॉन्च किया गया। भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के हाथों डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में एक कार्यक्रम में विश्व स्तर पर ये पुस्तक लॉन्च की गई। भारत की ज्ञान श्रेष्ठता यात्रा पर नई पुस्तक का विमोचन नए उभरते भारत में बदलते रुझानों को प्रदर्शित करेगा।

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पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय भारतीय प्रवासी, डॉ अश्विन फर्नांडीस द्वारा लिखी गई है, जो मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में क्यूएस रैंकिंग के प्रमुख हैं। डॉ अश्विन कहते हैं कि यह पुस्तक उच्च शिक्षा में उन बदलावों को दर्शाती है, जिनका भारत ने प्राचीन काल से सामना किया है। ये पुस्तक भारत की बढ़ती महाशक्ति स्थिति के एक बौद्धिक उपचार के साथ दिलचस्प पढ़ने को उजागर करती है और इसे सभी आयु के लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

 

डॉ फर्नांडीस कहते हैं, “प्राचीन विश्वविद्यालयों, तक्षशिला और नालंदा ने दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित किया और उन्हें सबसे प्रतिभाशाली बनने के लिए तैयार किया। लेकिन हमारी समृद्ध संस्कृति के लिए नियति का अलग रास्ता था, और आक्रमणों, विलय, लूट और उपनिवेशीकरण ने हमारी ज्ञान पूंजी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। शिक्षाओं में परिवर्तन ने मूल और समृद्ध भारतीय शिक्षा प्रणाली को दफन कर दिया। हमने आखिरकार 1947 में ब्रिटिश ताज की बेड़ियों को तोड़ दिया, लेकिन गेम-चेंजर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जारी होने तक अंग्रेजी शिक्षा को जारी रखा।

 

प्रकाशक के बारे में:

 

यह पुस्तक ब्लूम्सबरी पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित की गई है, जो एक प्रमुख स्वतंत्र प्रकाशन हॉउस है, जिसकी स्थापना 1986 में हुई थी, जिसमें ऐसे लेखक थे, जिन्होंने नोबेल, पुलित्जर और बुकर पुरस्कार जीते हैं, और हैरी पॉटर सीरीज के मूल प्रकाशक और संरक्षक हैं। यह अब अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है। ब्लूम्सबरी के कार्यालय लंदन, न्यूयॉर्क, नई दिल्ली, ऑक्सफोर्ड और सिडनी में हैं। ब्लूम्सबरी के शैक्षणिक प्रभाग के भीतर, यह ब्लूम्सबरी के साथ-साथ कई प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक नामों के तहत प्रकाशित होता है।

 

लेखक के बारे में

लेखक उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हैं। डॉ अश्विन फर्नांडीस उच्च शिक्षा में वैश्विक गुणवत्ता आंदोलन के एक राजदूत हैं और उन्होंने उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र मूल्यांकन तंत्र की आवश्यकता की वकालत की है। अश्विन QS Quacquarelli Symonds में अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक हैं – दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा नेटवर्क जो QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग तैयार करता है। डॉ फर्नांडीस ने क्यूएस आई-गेज नामक भारत के पहले राष्ट्रव्यापी निजी क्षेत्र के मूल्यांकन ढांचे की स्थापना की। उनके पास डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी (डी.फिल) के साथ-साथ मार्केटिंग में एमबीए और वित्तीय लेखा, लेखा परीक्षा और कराधान में बी.कॉम की डिग्री है। वह 5 देशों में रहे और काम किया और 300 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया।

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