केंद्र ने 30 राज्यों में पीडीएस दक्षता बढ़ाने हेतु ‘अन्न-चक्र’ आपूर्ति श्रृंखला उपकरण लागू किया

भारत की खाद्य आपूर्ति प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने “अन्न-चक्र” आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन उपकरण को 31 लक्षित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) में से 30 में लागू कर दिया है। इस डिजिटल पहल का उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को तकनीक आधारित लॉजिस्टिक्स के माध्यम से सुव्यवस्थित करना है। अनुमान है कि इससे हर साल लगभग ₹250 करोड़ की बचत होगी और पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होगा।

“अन्न-चक्र” क्या है?

“अन्न-चक्र” एक रूट ऑप्टिमाइजेशन और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन उपकरण है, जिसे पीडीएस लॉजिस्टिक्स और खाद्यान्न परिवहन की दक्षता बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। यह डाटा-आधारित एल्गोरिद्म का उपयोग कर परिवहन लागत घटाता है, डिलीवरी समय कम करता है और केंद्रीय गोदामों से उचित मूल्य की दुकानों तक व्यवस्थित आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

पारंपरिक मैनुअल योजना की जगह स्वचालित रूट ऑप्टिमाइजेशन अपनाकर यह उपकरण अपव्यय रोकने, ईंधन बचाने और वास्तविक समय निर्णय-निर्माण में मदद करता है।

वर्तमान स्थिति

अगस्त 2025 तक, यह उपकरण निम्नलिखित 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है—पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, मिज़ोरम, बिहार, सिक्किम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, नागालैंड, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, असम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, त्रिपुरा, केरल, कर्नाटक, हरियाणा और ओडिशा। केवल मणिपुर में यह अब तक लागू नहीं हो सका है।

“अन्न-चक्र” के प्रमुख लाभ

  1. लागत में बचत – हर साल लगभग ₹250 करोड़ की बचत, क्योंकि परिवहन लागत, ईंधन खपत और अनावश्यक रूट घटेंगे।

  2. पर्यावरणीय प्रभाव में कमी – ईंधन उपयोग घटने से CO₂ उत्सर्जन कम होगा, जिससे जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान मिलेगा।

  3. आपूर्ति श्रृंखला की पारदर्शिता – डिजिटल डैशबोर्ड और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स से स्टॉक मूवमेंट ट्रैक करना, देरी की आशंका पहचानना और खाद्यान्न लीकेज या डायवर्जन रोकना आसान होगा।

  4. समय पर वितरण – रूट और शेड्यूल ऑप्टिमाइजेशन से राशन समय पर, विशेषकर दूरस्थ और कठिन क्षेत्रों तक, पहुँच सकेगा।

पीडीएस के लिए रणनीतिक महत्व

भारत की पीडीएस प्रणाली लगभग 80 करोड़ से अधिक लोगों को कवर करती है, जो विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा नेटवर्क में से एक है। इस प्रणाली की सफलता के लिए अनाज का प्रभावी और समयबद्ध वितरण अत्यंत आवश्यक है।

“अन्न-चक्र” की शुरुआत से—

  • लॉजिस्टिक व्यय घटाकर बेहतर वित्तीय प्रबंधन,

  • कमजोर वर्गों तक खाद्य पहुँच में सुधार,

  • प्रशासनिक स्तर पर निगरानी और लॉजिस्टिक साझेदारों के साथ तालमेल आसान होगा।

चुनौतियाँ और आगे की राह

हालाँकि यह परियोजना काफी आगे बढ़ चुकी है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं—

  • मणिपुर में पूर्ण एकीकरण अभी बाकी है, संभवतः स्थानीय लॉजिस्टिक कारणों से।

  • स्थानीय अधिकारियों और परिवहन ऑपरेटरों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण जारी है।

  • निरंतर डाटा अपडेट और अवसंरचना समर्थन ज़रूरी है ताकि उपकरण का प्रदर्शन कायम रह सके।

चरणबद्ध विस्तार और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से यह पहल पूरे देश में स्थायी और व्यापक लाभ दे सकती है।

NABL ने ISO 15189:2022 के लिए नया मेडिकल एप्लिकेशन पोर्टल लॉन्च किया

भारत की स्वास्थ्य सेवा गुणवत्ता ढाँचे को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज़ (NABL) ने आईएसओ 15189:2022 मानक के तहत आवेदन करने वाली प्रयोगशालाओं के लिए नया मेडिकल एप्लीकेशन पोर्टल लॉन्च किया है। यह डिजिटल पहल 19 अगस्त 2025 को आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम “गोइंग लाइव” के दौरान पेश की गई। इसका उद्देश्य प्रयोगशाला मान्यता (accreditation) प्रक्रिया में पारदर्शिता, दक्षता और सहजता लाना है।

आईएसओ 15189:2022 क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

आईएसओ 15189:2022 एक अंतरराष्ट्रीय मानक है जो चिकित्सा प्रयोगशालाओं के लिए गुणवत्ता और क्षमता संबंधी आवश्यकताओं को परिभाषित करता है। इस मानक के तहत मान्यता प्राप्त करने से यह सुनिश्चित होता है कि प्रयोगशालाएँ निदान परीक्षणों में सटीकता, विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ कार्य कर रही हैं। यह भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक है।

एनएबीएल द्वारा इस आवेदन प्रक्रिया का डिजिटलीकरण करने से भारत के स्वास्थ्य ढाँचे को कई लाभ होंगे—जैसे तेज़ मंजूरी, मानव-त्रुटियों में कमी और बेहतर अनुपालन।

पोर्टल की प्रमुख विशेषताएँ: दक्षता के लिए डिज़ाइन

नया एनएबीएल मेडिकल एप्लीकेशन पोर्टल चिकित्सा प्रयोगशालाओं के वास्तविक कार्यप्रवाह को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं:

  • पुनर्गठित आवेदन प्रक्रिया, जिससे फॉर्म भरना और स्थिति (status) ट्रैक करना आसान होगा।

  • मानकीकृत दस्तावेज़ टेम्पलेट्स, जो भ्रम और त्रुटियों को कम करेंगे।

  • विस्तृत प्री-रजिस्ट्रेशन चेकलिस्ट, जिससे प्रयोगशालाएँ आवेदन से पहले अपनी तैयारी सुनिश्चित कर सकें।

  • सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस, जिसमें स्पष्ट नेविगेशन होगा।

  • मल्टी-यूज़र एक्सेस सुविधा, जिससे लैब मैनेजर, क्वालिटी हेड जैसे अलग-अलग जिम्मेदार व्यक्ति सुरक्षित रूप से लॉगिन कर अपने कार्य पूरे कर सकेंगे।

क्यूसीआई (QCI) के चेयरपर्सन श्री जक्सय शाह के अनुसार, जिन नियमित गतिविधियों में पहले हफ़्तों या महीनों का समय लगता था, उन्हें अब मात्र 2–3 घंटे में पूरा किया जा सकेगा।

प्रयोगशालाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए लाभ

इस पोर्टल के लॉन्च से कई ठोस लाभ होंगे:

  • तेज़ी: आवेदन प्रक्रिया का शीघ्र निपटारा, जिससे मान्यता चक्र कम समय में पूरा होगा।

  • पारदर्शिता: हर चरण की रीयल-टाइम जानकारी प्रयोगशालाओं तक पहुँचेगी।

  • जवाबदेही: मल्टी-यूज़र एक्सेस के ज़रिए आंतरिक जाँच और दस्तावेज़ सत्यापन आसान होगा।

  • लागत प्रभावशीलता: डिजिटल प्रोसेसिंग से प्रशासनिक और लॉजिस्टिक खर्च घटेंगे।

  • राष्ट्रीय पहुँच: भारत के किसी भी हिस्से से लैब बिना क्षेत्रीय कार्यालयों पर निर्भर हुए सिस्टम का उपयोग कर पाएँगी।

आख़िरकार, इससे देश में मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ेगी, निदान की विश्वसनीयता में सुधार होगा और मरीज़ों के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सामने आएँगे।

World Mosquito Day 2025: जानें डेंगू और मलेरिया से बचाव की जरूरी सावधानियां

विश्व मच्छर दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मच्छरों से फैलने वाले रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना तथा उनसे बचाव एवं नियंत्रण के उपायों को प्रोत्साहित करना है। यह दिन मच्छरों से होने वाली बीमारियों, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है।

World Mosquito Day की थीम

वर्ल्ड मच्छर दिवस 2025 की थीम है “अधिक समतापूर्ण विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को तेज करना” (Accelerating the Fight Against Malaria for a More Equitable World)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल करोड़ों लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं, इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • 20 अगस्त, 1897 को प्रसिद्ध ब्रिटिश चिकित्सक एवं वैज्ञानिक सर रोनाल्ड रॉस ने यह सिद्ध किया कि मादा एनोफिलीज़ मच्छर ही मलेरिया का वाहक है।
  • इस खोज ने चिकित्सा विज्ञान की दिशा ही बदल दी और मलेरिया नियंत्रण की नींव रखी।
  • इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए रोनाल्ड रॉस को वर्ष 1902 में नोबेल पुरस्कार (चिकित्सा/शारीरिकी) से सम्मानित किया गया।
  • उनकी इस ऐतिहासिक खोज की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है।

उद्देश्य

  • मच्छरजनित रोगों के बारे में जनसाधारण को जागरूक करना।
  • रोग-नियंत्रण हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान एवं चिकित्सा प्रयासों को प्रोत्साहन देना।
  • मच्छरों की रोकथाम एवं उन्मूलन संबंधी उपायों को लोकप्रिय बनाना।
  • वैश्विक स्तर पर मलेरिया उन्मूलन की दिशा में सहयोग सुनिश्चित करना।

भारत और मच्छरजनित रोग नियंत्रण

  • भारत लंबे समय से मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से प्रभावित रहा है।
  • इसके नियंत्रण हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) संचालित है।
  • भारत सरकार ने राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा 2016-2030 के अंतर्गत 2030 तक मलेरिया-मुक्त राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है।

रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय

  • घर एवं आसपास पानी एकत्रित न होने देना।
  • मच्छरदानी, रिपेलेंट व जालीदार खिड़कियों का उपयोग।
  • जल-स्रोतों (कूलर, टंकी, गमले) की नियमित सफाई एवं जल-परिवर्तन।
  • सामुदायिक स्तर पर स्वच्छता अभियान तथा कीटनाशी छिड़काव।
  • जन-जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा। 

डेंगू और मलेरिया से बचाव के आसान घरेलू नुस्खे

  • नीम का तेल और कपूर – नीम के तेल को पानी में मिलाकर कमरे में छिड़काव करने से मच्छर भागते हैं। कपूर जलाकर कमरे में रखने से भी मच्छर नहीं आते।
  • तुलसी का पौधा – घर में तुलसी लगाने से मच्छरों की संख्या कम होती है, क्योंकि इसकी खुशबू मच्छरों को पसंद नहीं आती।
  • लहसुन और पुदीना – लहसुन की गंध और पुदीने का तेल दोनों ही मच्छरों को दूर रखने में असरदार हैं।
  • सरसों और नारियल तेल – इन तेलों को मिलाकर शरीर पर लगाने से मच्छर काटने से बचते हैं।
  • नींबू और लौंग – नींबू के टुकड़ों में लौंग लगाकर कमरे में रखने से मच्छर पास नहीं आते।

मच्छरों से होने वाली बीमारियां

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, वेक्टर बोर्न डिजीज को मच्छरजनित रोग कहा जाता है। इसका मतलब है मच्छरों से होने वाले बुखार। ये एक संक्रामक रोग होता है जो हर साल दुनियाभर में 7,00,000 से ज़्यादा मौतों का कारण बनता है। इनमें सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला बुखार मलेरिया है। मलेरिया से प्रतिवर्ष 608,000 से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें भी 5 साल से कम आयु के बच्चे शामिल होते हैं। वहीं, डेंगू भी 132 देशों में लोगों को प्रभावित करने वाला बुखार है। डेंगू से हर साल लगभग 40,000 मौतें होती हैं। इसके अलावा, चिकनगुनिया, जीका फीवर, पीला बुखार, वेस्ट नाइल फीवर, जापानी एन्सेफलाइटिस और ओरोपोचे बुखार भी मच्छरों से होने वाले रोग हैं।

रूस 2036 तक शुक्र ग्रह के लिए वेनेरा-डी मिशन प्रक्षेपित करेगा

रूस ने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की है कि वह 2034 से 2036 के बीच वेनेरा-डी मिशन के माध्यम से शुक्र ग्रह (Venus) की खोज में वापसी करेगा। इस बहुप्रतीक्षित मिशन में एक लैंडर, ऑर्बिटल यान और गुब्बारा जांच यान (Balloon Probe) शामिल होंगे। यह रूस की दशकों बाद अंतरग्रहीय अन्वेषण (Interplanetary Exploration) में वापसी होगी और सोवियत काल के ऐतिहासिक वेनेरा कार्यक्रम को पुनर्जीवित करेगी।

यह पहल रूस के नए राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा है। स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IKI) के ओलेग कोराबलेव के अनुसार, जनवरी 2026 से इस मिशन की प्रारंभिक डिज़ाइन पर काम शुरू होगा।

वेनेरा-डी मिशन क्या है?

वेनेरा-डी में “डी” का अर्थ है “डोल्गोज़िवुशाया” (लॉन्ग-लिव्ड / दीर्घजीवी)। इसका उद्देश्य शुक्र ग्रह के वातावरण, सतह और जलवायु तंत्र पर गहन वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना है। यह सोवियत युग के वेनेरा और वेगा कार्यक्रमों के बाद रूस का सबसे बड़ा शुक्र अन्वेषण प्रयास होगा।

मिशन के घटक

  • लैंडर: सतह की संरचना, तापमान, दाब (Pressure) और संभव हो तो मिट्टी का विश्लेषण करेगा।

  • ऑर्बिटल यान: उच्च-रिज़ॉल्यूशन चित्र, वातावरण संबंधी अध्ययन और अन्य यंत्रों से डेटा एकत्र करेगा।

  • गुब्बारा जांच यान: शुक्र ग्रह के ऊपरी वातावरण में तैरता रहेगा और तापमान, हवाओं तथा रासायनिक संरचना को लंबे समय तक मापेगा।

समयरेखा और विकास

  • प्रारंभिक डिज़ाइन चरण: जनवरी 2026 से, अवधि 2 वर्ष

  • सहयोग: लावोच्किन एसोसिएशन (रूसी एयरोस्पेस कंपनी)

  • प्रक्षेपण खिड़की: 2034 से 2036 के बीच

  • लॉन्च वाहन: रूसी रॉकेट से प्रक्षेपण

शुक्र ग्रह की कठोर परिस्थितियों को देखते हुए यह डिज़ाइन और योजना चरण अत्यंत चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।

वैज्ञानिक लक्ष्य

  • वातावरण की गति (Atmospheric Dynamics) और बादलों की रसायन प्रक्रिया को समझना

  • ज्वालामुखीय गतिविधि (Volcanism) के वर्तमान या पूर्व संकेतों की जांच

  • जलवायु विकास का अध्ययन और पृथ्वी से तुलना

  • संभावित प्राचीन जीवन के संकेत या निवास योग्य परिस्थितियों का पता लगाना

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

हाल के वर्षों में शुक्र ग्रह के प्रति रुचि बढ़ी है, खासकर फॉस्फीन गैस (संभावित जैव-चिह्न) की खोज संबंधी बहस के बाद।

  • NASA: VERITAS और DAVINCI+ मिशन

  • ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी): EnVision मिशन (2030 के शुरुआती दशक में)

  • रूस: वेनेरा-डी (2034–36)

इस तरह वेनेरा-डी विश्व स्तर पर शुक्र अन्वेषण की नई दौड़ में रूस की वापसी को दर्शाता है।

जुलाई में भारत की बेरोजगारी दर घटकर 5.2% हुई

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, भारत की बेरोज़गारी दर जुलाई 2025 में घटकर 5.2% पर आ गई। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि ग्रामीण भारत रोजगार वृद्धि का मुख्य चालक रहा, जहाँ कृषि सबसे बड़ा नियोक्ता बनी हुई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में सेवाक्षेत्र (Services Sector) रोजगार में अग्रणी रहा।

यह नतीजे नीति-निर्माताओं के लिए सकारात्मक संकेत हैं, जो अब ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समावेशी रोजगार सृजन पर ज़ोर दे रहे हैं।

प्रमुख श्रम बल संकेतक

PLFS की त्रैमासिक बुलेटिन (अप्रैल–जून 2025) और मासिक बुलेटिन (जुलाई 2025) में भारत के रोजगार परिदृश्य की विस्तृत तस्वीर सामने आई।

त्रैमासिक रुझान (अप्रैल–जून 2025)

  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)

    • कुल: 55%

    • ग्रामीण: 57.1%

    • शहरी: 50.6%

  • कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR)

    • कुल: 52%

    • ग्रामीण: 54.4%

    • शहरी: 47.1%

  • बेरोज़गारी दर (UR)

    • कुल: 5.4%

    • ग्रामीण: 4.8%

    • शहरी: 6.8%

मासिक रुझान (जुलाई 2025)

  • LFPR: 54.9% (जून के 54.2% से थोड़ा सुधार)

  • बेरोज़गारी दर: 5.2% (जून के 5.6% से कम)

रोजगार संरचना – ग्रामीण बनाम शहरी

ग्रामीण क्षेत्र

  • स्वरोज़गार का दबदबा: पुरुषों में 55.3% और महिलाओं में 71.6% स्वरोज़गार में।

  • कृषि: अब भी सबसे बड़ा नियोक्ता, जो ग्रामीण निर्भरता को दर्शाता है।

शहरी क्षेत्र

  • नियमित वेतनभोगी/तनख्वाहदार नौकरियों का वर्चस्व: पुरुषों में 47.5% और महिलाओं में 55.1% इस श्रेणी में।

  • सेवाक्षेत्र अग्रणी: वित्त, आईटी, व्यापार और आतिथ्य (Hospitality) सबसे प्रमुख।

रोजगार में लैंगिक असमानताएँ

सर्वेक्षण ने रोजगार भागीदारी में लगातार लैंगिक अंतर को रेखांकित किया –

  • महिला WPR: 31.6%

  • पुरुष WPR: 73.1%

यह अंतर संरचनात्मक चुनौतियों को दर्शाता है, जैसे – औपचारिक नौकरियों तक सीमित पहुँच, सांस्कृतिक बाधाएँ और महिलाओं के लिए असमान अवसर।

नया PLFS पद्धति (2025 से लागू)

  • प्रारंभ: जनवरी 2025

  • विशेषता: मासिक, त्रैमासिक और वार्षिक स्तर पर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के आँकड़े।

  • सर्वेक्षण कवरेज (अप्रैल–जून 2025): 1.34 लाख से अधिक परिवार और 5.7 लाख व्यक्ति।

  • उद्देश्य: उच्च-आवृत्ति श्रम आँकड़े प्रदान करना ताकि वास्तविक समय में रोजगार बदलावों को ट्रैक किया जा सके और लक्षित हस्तक्षेपों के ज़रिये रोजगार सृजन की नीति बनाई जा सके।

नीतिगत महत्व और प्रभाव

  • ग्रामीण लचीलापन: रोजगार वृद्धि कृषि व स्वरोज़गार की महत्ता को दर्शाती है।

  • शहरी सेवाक्षेत्र पर निर्भरता: वैश्विक बाजार उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करती है।

  • लैंगिक समावेशन: महिलाओं की कम भागीदारी को बढ़ाने के लिए विशेष नीतियों की आवश्यकता।

  • डेटा-आधारित प्रशासन: मासिक और त्रैमासिक आँकड़े श्रम बाज़ार में बदलावों पर त्वरित नीति-निर्माण को संभव बनाएँगे।

विश्व मानवतावादी दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस मनाया जाता है ताकि दुनिया भर के मानवतावादी कार्यकर्ताओं के साहस, त्याग और अथक प्रयासों को सम्मान दिया जा सके। 2025 की थीम“वैश्विक एकजुटता को सशक्त बनाना और स्थानीय समुदायों को सशक्त करना” — करुणा की सामूहिक शक्ति और मानवीय प्रयासों में स्थानीय समुदायों की भूमिका पर विशेष प्रकाश डालती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संघर्षों से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक संकटों के समय में एकता और सहानुभूति ही हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।

विश्व मानवतावादी दिवस क्या है?

विश्व मानवतावादी दिवस की शुरुआत 2003 में बगदाद स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हुए बम विस्फोट की स्मृति में हुई थी, जिसमें 22 सहायता कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। तब से यह दिवस सहायता कार्यकर्ताओं और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा, गरिमा और कल्याण के लिए वैश्विक मंच बन चुका है।

विश्व मानवतावादी दिवस 2025 के मुख्य तथ्य

  • तारीख: हर साल 19 अगस्त को मनाया जाता है।

  • थीम 2025: “वैश्विक एकजुटता को सशक्त बनाना और स्थानीय समुदायों को सशक्त करना”

  • इस वर्ष का विषय इस बात पर जोर देता है कि मानवीय प्रयासों में स्थानीय समुदायों को केवल लाभार्थी के रूप में नहीं बल्कि सक्रिय भागीदार के रूप में शामिल किया जाए।

विश्व मानवतावादी दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?

  • मानवतावादी कार्यकर्ताओं का सम्मान
    उन लोगों का जश्न मनाना जो आपदा और संघर्ष क्षेत्रों में अपनी जान जोखिम में डालकर मदद पहुँचाते हैं।

  • वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा
    यह दिखाता है कि मानवीय चुनौतियों का समाधान एकता और सहयोग से संभव है।

  • वैश्विक संकटों पर जागरूकता
    युद्ध, जलवायु आपदाओं और विस्थापन जैसी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है।

  • कार्रवाई के लिए प्रेरणा
    लोगों को दान, स्वयंसेवा या जनजागरूकता अभियानों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।

विश्वभर में कैसे मनाया जाता है?

  • संयुक्त राष्ट्र एवं एनजीओ पहलें: वैश्विक अभियान, कहानियों पर आधारित कार्यक्रम, और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि।

  • समुदाय स्तर पर आयोजन: शैक्षिक व्याख्यान, स्कूल प्रोजेक्ट, फंडरेज़र और स्वयंसेवी कार्यक्रम।

  • डिजिटल अभियान: सोशल मीडिया पर वास्तविक मानवीय कहानियाँ साझा की जाती हैं।

  • व्यक्तिगत योगदान: लोग दान, जागरूकता फैलाने या स्थानीय स्तर पर मदद करके योगदान देते हैं।

जानें क्या है AI टूल ‘सभासार’, जो ग्राम पंचायतों के काम को बना देगा आसान?

भारत सरकार ने ग्राम सभाओं की कार्यप्रणाली को सशक्त और आधुनिक बनाने के लिए एआई-आधारित टूल ‘सभासार’ की शुरुआत की है। इसे पहले त्रिपुरा में लागू किया गया है और धीरे-धीरे पूरे देश में विस्तार किया जाएगा। इसका उद्देश्य है—ग्राम स्तरीय शासन को डिजिटल, मानकीकृत और लोकतांत्रिक बनाना।

क्या है ‘सभासार’?

‘सभासार’ एक एआई-सक्षम डॉक्यूमेंटेशन टूल है, जो ग्राम सभा बैठकों की वीडियो और ऑडियो कार्यवाही को संरचित Minutes of Meeting (MoM) में बदलता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • एआई जनरेटेड मिनट्स: बैठक के वीडियो/ऑडियो को स्वतः संक्षिप्त कार्यवृत्त में परिवर्तित करता है।

  • भाषा समर्थन: भाषिणी प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित—हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती और अंग्रेज़ी सहित सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध।

  • एकरूपता: पूरे भारत में समान प्रकार का दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करता है।

  • सुलभता: e-GramSwaraj लॉगिन से अधिकारी सीधे अपलोड कर सकते हैं।

  • पारदर्शिता: ग्रामवासी तुरंत संक्षेपित कार्यवृत्त देख सकेंगे, जिससे जवाबदेही बढ़ेगी।

ग्राम सभा का डिजिटल इकोसिस्टम

‘सभासार’ अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर कार्य करता है:

  1. पंचायत निर्णय (NIRNAY) पोर्टल

    • ग्राम सभा की बैठकों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग।

    • बैठक का शेड्यूल, सार्वजनिक सूचना और एजेंडा पूर्व-प्रसारित।

    • FY 2024–25 में 10,000+ बैठकें इस प्लेटफ़ॉर्म पर आयोजित।

  2. ई-ग्रामस्वराज पोर्टल

    • पंचायत स्तर की योजनाएँ, बजट और खातों की निगरानी।

    • ‘सभासार’ से जुड़ा हुआ, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित।

  3. भाषिणी प्लेटफ़ॉर्म

    • एआई आधारित भाषा अनुवाद पहल।

    • डिजिटल और भाषाई खाई को पाटता है।

    • ‘सभासार’ का भाषा-आधारित आधार।

भारतीय राजनीति में ग्राम सभा का महत्व

  • संवैधानिक आधार: 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1993।

  • अनिवार्य बैठकें: वर्ष में कम से कम 4 (26 जनवरी, 1 मई, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर)।

  • संरचना: ग्राम के सभी पंजीकृत मतदाता।

ग्राम सभा के कार्य

  • विकास योजनाओं की स्वीकृति।

  • कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी।

  • पंचायत की जवाबदेही सुनिश्चित करना।

आँकड़े (2025)

  • 2,55,397 ग्राम पंचायतें

  • 6,742 मध्यवर्ती पंचायतें

  • 665 जिला पंचायतें

  • 16,189 पारंपरिक स्थानीय निकाय
    ये सभी प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से ग्राम सभा से जुड़े हुए हैं।

UPSC दृष्टिकोण से प्रासंगिकता

  • 73वाँ संशोधन (Panchayati Raj)

  • ई-गवर्नेंस पहलें

  • लोकतंत्र का गहनकरण और citizen participation

  • प्रशासन में प्रौद्योगिकी का उपयोग

कार्लोस अल्काराज ने जीता अपना पहला सिनसिनाटी ओपन का खिताब

स्पेनिश टेनिस स्टार कार्लोस अल्काराज़ ने अपना पहला सिनसिनाटी ओपन खिताब जीता, जब उनके प्रतिद्वंद्वी जैनिक सिनर को फाइनल में केवल 23 मिनट में ही रिटायर होना पड़ा। इस जीत से अल्काराज़ को 2025 का छठा खिताब, उनके करियर की 22वीं टूर-स्तरीय ट्रॉफी और आठवां एटीपी मास्टर्स 1000 का ताज मिला – जो नोवाक जोकोविच के अलावा सक्रिय खिलाड़ियों में सबसे अधिक है।

फाइनल का घटनाक्रम

  • मैच की शुरुआत में ही अल्काराज़ 5-0 से आगे थे।

  • तेज़ गर्मी और अस्वस्थता के कारण सिनर मेडिकल टाइमआउट के बाद भी नहीं खेल पाए और मैच छोड़ दिया।

  • सिनर का बयान: “कल से ही तबियत ठीक नहीं थी… कोशिश की पर और नहीं खेल सका।”

  • अल्काराज़ की प्रतिक्रिया: “मैं इस तरह जीतना नहीं चाहता, आप सच्चे चैंपियन हैं और मज़बूती से लौटेंगे।”

प्रतिद्वंद्विता और रिकॉर्ड

  • हेड-टू-हेड: अल्काराज़ 9–5 से आगे।

  • 2025 में दोनों की लगातार चौथी फाइनल भिड़ंत (रोम, रोलां गैरो, विंबलडन, सिनसिनाटी)।

  • सिनर की 26 मैचों की हार्ड-कोर्ट जीत श्रृंखला टूटी।

  • अल्काराज़ ने इस साल अब तक 3 मास्टर्स 1000 खिताब (मोंटे-कार्लो, रोम, सिनसिनाटी) जीते।

एटीपी रैंकिंग पर असर

  • अल्काराज़ अब Year-End No. 1 की दौड़ में बढ़त पर।

  • PIF ATP Live Race to Turin में सिनर से 1,890 अंक आगे

  • यूएस ओपन 2025 में वर्ल्ड नंबर 1 रैंकिंग दांव पर होगी।

ऐतिहासिक उपलब्धियां

सिर्फ 22 साल की उम्र में अल्काराज़ ने:

  • 22 करियर खिताब जीते।

  • 8 ATP Masters 1000 ट्रॉफी हासिल की।

  • 2025 में टूर-लीडिंग 54 जीत दर्ज कीं।

  • सक्रिय खिलाड़ियों में सिर्फ जोकोविच (40) उनसे आगे।

आगे की राह

  • अल्काराज़ यूएस ओपन में जोरदार फॉर्म के साथ उतरेंगे, लक्ष्य: Year-End No. 1 दोबारा पाना।

  • वहीं, सिनर की फिटनेस पर सवाल, उनका यूएस ओपन खिताब बचाव और मिक्स्ड डबल्स में खेलना अनिश्चित है।

इगा श्वियातेक ने जीता सिनसिनाटी ओपन, यूएस ओपन से पहले दिया कड़ा संदेश

गर्मियों की एक तपती शाम को मेसन, ओहायो में, इगा श्वियातेक ने टेनिस जगत को याद दिलाया कि वह अब भी दौरे की सबसे प्रबल प्रतिस्पर्धियों में से एक हैं। पोलैंड की स्टार ने जैस्मिन पाओलिनी को 7-5, 6-4 से हराकर 2025 सिनसिनाटी ओपन खिताब जीता। यह उनका एक साल से अधिक समय बाद पहला हार्ड-कोर्ट खिताब है। इस जीत से न केवल उनका करियर 24वें खिताब तक पहुंचा, बल्कि यह उनके प्रतिद्वंद्वियों को भी एक मजबूत संदेश देता है—वह यूएस ओपन के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

फाइनल: पाओलिनी के खिलाफ कड़ा मुकाबला

श्वियातेक की जीत आसान नहीं थी। पाओलिनी, जो अपने जुझारू स्वभाव और हिम्मत के लिए जानी जाती हैं, ने दोनों सेटों में उन्हें कड़ी टक्कर दी:

  • पहला सेट: पाओलिनी ने 3-0 की बढ़त बना ली, लेकिन श्वियातेक ने लगातार पांच गेम जीतकर वापसी की। पाओलिनी ने 5-5 की बराबरी कर ली, मगर श्वियातेक ने अपनी मजबूत डिफेंस और सर्विस के दम पर सेट 7-5 से जीता।

  • दूसरा सेट: श्वियातेक ने अच्छी शुरुआत की, लेकिन पाओलिनी ने दो बार उनकी सर्विस तोड़ी। हर बार श्वियातेक ने धैर्य और सटीकता से वापसी की और अंततः एक ऐस (Ace) के साथ चैंपियनशिप प्वॉइंट पर मैच समाप्त किया।

श्वियातेक की प्रतिक्रिया—रैकेट जमीन पर पटकना, अपने सिर की ओर इशारा करना और खुशी से उछलना—दर्शाती है कि यह जीत उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी।

जीत का महत्व

यह सिनसिनाटी खिताब श्वियातेक के करियर और WTA टूर दोनों के लिए कई मायनों में अहम है:

  • 2024 इंडियन वेल्स के बाद पहला हार्ड-कोर्ट खिताब – यह साबित करता है कि उन्होंने क्ले और ग्रास से परे भी अपना फॉर्म वापस पा लिया है।

  • 24वां करियर खिताब और 11वां WTA 1000 – उन्हें अपनी पीढ़ी की सबसे सफल खिलाड़ियों में और मजबूत बनाता है।

  • यूएस ओपन 2025 के लिए रफ्तार – साल के आखिरी ग्रैंड स्लैम से पहले दो खिताब तीन टूर्नामेंटों में।

  • दूसरे स्थान पर वापसी – अब वह वर्ल्ड नंबर 1 की पोजिशन वापस पाने के बेहद करीब हैं।

2025 में श्वियातेक की वापसी

पिछले साल उन्होंने अपना टॉप रैंकिंग खो दिया था और फ्रेंच ओपन 2024 से लेकर विंबलडन 2025 तक एक खिताबी सूखा झेला। कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या उनका दबदबा खत्म हो रहा है।

लेकिन उनका जवाब दमदार रहा है:

  • विंबलडन 2025 चैंपियन (उनका पहला ग्रास-कोर्ट ग्रैंड स्लैम)

  • सिनसिनाटी 2025 चैंपियन (हार्ड-कोर्ट)

  • पिछले 20 मैचों में 18 जीत

  • चार टूर्नामेंटों में तीन फाइनल

उनकी यह वापसी उनके खेल में बदलाव दर्शाती है—ज्यादा धैर्य, विविधता और रणनीतिक लचीलापन—जो उन्हें न्यूयॉर्क में फेवरिट के रूप में स्थापित करता है।

पाओलिनी की चुनौती

हालांकि हार के बावजूद, जैस्मिन पाओलिनी ने दौरे पर एक दमदार चुनौतीकर्ता के रूप में अपनी छवि मजबूत की है। उन्होंने कई बार श्वियातेक की लय तोड़ी और उनकी कमियों को उजागर किया, जिन्हें यूएस ओपन में अन्य खिलाड़ी भुना सकते हैं। फिर भी, श्वियातेक की लगातार स्थिरता और मानसिक मजबूती आखिरकार भारी पड़ी।

असम राइफल्स और आईआईटी मणिपुर ने ड्रोन प्रशिक्षण के लिए किया समझौता

भारत की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए असम राइफल्स ने इंफाल के मण्ट्रिपुखरी स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) मणिपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग सुरक्षा, निगरानी और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए ड्रोन तकनीक को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है, जो रक्षा और अकादमिक संस्थानों के बीच साझेदारी में एक मील का पत्थर साबित होगा।

समझौते का विवरण

यह समझौता मेजर जनरल रवरोप सिंह, आईजी असम राइफल्स (दक्षिण) और IIIT मणिपुर के निदेशक की उपस्थिति में औपचारिक रूप से संपन्न हुआ। दोनों पक्षों ने अकादमिक विशेषज्ञता और रक्षा आवश्यकताओं को जोड़कर अत्याधुनिक तकनीकी समाधान विकसित करने के महत्व पर बल दिया।

MoU के प्रमुख उद्देश्य

  • निगरानी और टोही (Reconnaissance) के लिए उन्नत ड्रोन सिस्टम विकसित करना।

  • असम राइफल्स के जवानों को ड्रोन उड़ान संचालन और रखरखाव का प्रशिक्षण देना।

  • DGCA-प्रमाणित ड्रोन प्रशिक्षण की क्षमता का निर्माण करना।

  • कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में लॉजिस्टिक सपोर्ट को ड्रोन के माध्यम से मजबूत करना।

ड्रोन प्रशिक्षण पहल

इस सहयोग के तहत एडवांस्ड ड्रोन ट्रेनिंग और रिफ्रेशर कोर्स शुरू किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल है:

  • ड्रोन उड़ान संचालन – व्यावहारिक पायलटिंग और नेविगेशन कौशल।

  • तकनीकी रखरखाव – ड्रोन प्रणालियों की मरम्मत और देखभाल।

  • प्रमाणीकरण – DGCA मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण, ताकि राष्ट्रीय विमानन नियमों का पालन हो सके।

इसकी उद्घाटन सत्र में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें असम राइफल्स के जवान और IIIT के संकाय सदस्य शामिल थे। यह क्षमता निर्माण और तकनीकी नवाचार के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

रक्षा में ड्रोन का सामरिक महत्व

आधुनिक युद्ध और सुरक्षा अभियानों में ड्रोन फ़ोर्स मल्टीप्लायर बन चुके हैं। इनके उपयोग में शामिल हैं:

  • निगरानी – सीमा क्षेत्रों, उग्रवाद-प्रभावित इलाकों और उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों की मॉनिटरिंग।

  • टोही (Reconnaissance) – वास्तविक समय में खुफिया जानकारी जुटाना।

  • लॉजिस्टिक सपोर्ट – पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में सामग्री पहुँचाना।

  • आपदा प्रबंधन – बाढ़, भूस्खलन या भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान राहत कार्यों में सहायता।

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