सिद्धार्थ शर्मा टाटा ट्रस्ट के सीईओ बनाए गए

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टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों ने सिद्धार्थ शर्मा को ट्रस्ट का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और अपर्णा उप्पलुरी को मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी। टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) की ओर से बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा ग्रुप (Tata Group) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) में 66 फीसदी हिस्सेदारी है।

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लगभग दो दशक तक सिविल सर्वेंट रहे 54 साल के सिद्धार्थ शर्मा टाटा ग्रुप से जुड़ गए थे। वह हाल में बनाए गए सस्टेनिबिलिटी पोर्टफोलियो का अगुवाई कर रहे थे। अभी तक इस ट्रस्ट के सीईओ एन श्रीनाथ थे, जो 2022 के अंत में रिटायर हो गए थे। इसके अलावा टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों ने फोर्ड फाउंडेशन से जुड़ीं अपर्णा उप्पलुरी को कंपनी का सीओओ नियुक्त किया है। टाटा ग्रुप का कारोबार कई क्षेत्रों में फैला हुआ है।

 

सिविल सर्वेंट रहे शर्मा लगभग दो दशक से सरकारी सेवा में थे। उन्होंने सरकार के प्रमुख मंत्रालयों में काम किया है। वह देश के 13वें और 14वें राष्ट्रपतियों के फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में काम कर चुके हैं। ट्रस्ट में पहली बार सीओओ का पद बनाया गया है। उप्पलुरी फोर्ड फाउंडेशन में भारत, नेपाल और श्रीलंका की प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। टाटा ट्रस्ट्स देश के सबसे पुराने चैरिटेबल फाउंडेशंस में से एक है। इसकी स्थापना 1892 में टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा ने किया था।

 

टाटा ट्रस्ट्स 100 साल से भी अधिक समय से समाज के पिछड़े वर्गों के बीच काम कर रहा है। देश के पहले कैंसर केयर हॉस्पिटल की स्थापना इसी ट्रस्ट ने की थी। साथ ही इसने कई प्रमुख संस्थानों को भी सपोर्ट किया है। इनमें आईआईटी बॉम्बे में टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (IISc), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), टाटा मेमोरियल सेंटर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) शामिल है।

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Union Budget 2023: 26 जनवरी को हलवा सेरेमनी होगी

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एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाएगा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट होना वाला है। हर साल बजट पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी मनाई जाती है। 26 जनवरी को, बजट योजना प्रक्रिया के पूरा होने के उपलक्ष्य में एक पारंपरिक “हलवा” अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा।

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हलवा सेरेमनी का आयोजन हमेशा बजट की तैयारी पूरी होने के बाद किया जाता है। इस कारण हलवा सेरेमनी को बजट पूरा होने का भी सूचक माना जाता है। इसमें वित्त मंत्री के साथ वित्त मंत्रालय के सभी बड़े अधिकारी शामिल होते हैं। बजट से जुड़ी जानकारी लीक न जाए, इसके लिए हलवा सेरेमनी पूरी होने के बड़े अधिकारियों समेत 100 कर्मचारी वित्त मंत्रालय के परिसर में ही रहते हैं और वित्त मंत्री की ओर से बजट पेश होने के बाद ही निकलते हैं।

 

क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी?

भारतीय संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत मीठा खाकर ही जाती है। इस वजह से बजट का कार्य पूरा होने पर मनाई जाती है। इससे मंत्रालय के कर्मचारियों की मेहनत को सहारा जाता है।

 

कहां मनाई जाती है हलवा सेरेमनी?

हलवा सेरेमनी वित्त मंत्रालय के 10 नार्थ ब्लॉक स्थित परिसर में मनाई जाती है। हलवा सेरेमनी के बाद बजट छापने वाले कर्मचारी बजट पेश होने तक परिसर में रहते हैं।

 

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ओप्पो इंडिया और सीएससी अकादमी साइबर कौशल में 10 हजार महिलाओं को करेगी प्रशिक्षित

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ओप्पो इंडिया और सरकार के कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) अकादमी ने घोषणा की है कि वे देश में साइबर सुरक्षा और साइबर वेलनेस में 10,000 महिलाओं को प्रशिक्षित करेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा समर्थित साइबर संगिनी कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल का उद्देश्य उन्हें प्रमाणित साइबर संगिनी बनने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करना है।

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सीएससी एसपीवी के एमडी और सीईओ, संजय कुमार राकेश ने कहा, साइबर संगिनी कार्यक्रम के माध्यम से ओप्पो के साथ हमारी साझेदारी व्यक्तियों को साइबर सुरक्षा एंबेसडर बनने के लिए सशक्त करेगी, जो इन चुनौतियों का एक शक्तिशाली समाधान प्रदान करते हुए लगातार प्रशिक्षित और समर्थित हैं।

 

मुख्य बिंदु

 

  • 45-दिवसीय पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद, प्रतिभागियों को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) से एक प्रमाण पत्र प्राप्त होगा, जो उनके इलाकों में रोजगार और आजीविका के अवसरों के द्वार खोलेगा।
  • साइबर संगिनियों को ऐसी साइबर घटनाओं से बचाने के लिए प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध मौजूदा कानूनों और रूपरेखाओं के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • कुशल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए साइबर सुरक्षा और साइबर कल्याण मुद्दों को संबोधित करने में उनके समर्थन के लिए नागरिकों से मामूली शुल्क लेने की अनुमति दी जाएगी।
  • साइबर संगिनी कार्यक्रम का उद्देश्य विशेष रूप से सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग और डिजिटल भुगतान को तेजी से अपनाने के साथ नागरिकों में ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए जागरूकता बढ़ाना है।

 

ओप्पो इंडिया में पब्लिक अफेयर्स के वाइस प्रेसिडेंट, विवेक वशिष्ठ ने कहा कि भारत अपनी ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था क्षमता तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ओप्पो सीएससी एकेडमी के साथ साझेदारी कर एक अभियान शुरू करने में गर्व महसूस कर रहा है, जो न केवल ऑनलाइन जोखिम और सुरक्षा उपायों के बारे में सभी उम्र के उपयोगकर्ताओं को संवेदनशील बनाता है, बल्कि साइबर स्वच्छता को भी सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है।

 

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गायिका प्रभा अत्रे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित

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प्रसिद्ध हिंदुस्तानी गायिका डॉ. प्रभा अत्रे को रविवार को पंडित हरिप्रसाद चौरसिया लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। यह सम्मान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने डॉक्टर अत्रे को मुंबई के निकट ठाणे में रामगणेश गडकरी रंगायातन में एक समारोह में प्रदान किया। डॉक्टर अत्रे को एक प्रशस्ति पत्र और एक लाख रूपये दिए गए। इस अवसर पर उनके 90वें जन्मदिन पर 90 बांसुरी वादकों ने प्रस्तुति दी। इस अवसर पर श्री शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है और शास्त्रीय संगीत को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

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प्रभा अत्रे के बारे में

 

प्रभा अत्रे (जन्म 13 सितंबर 1932) किराना घराने की एक भारतीय शास्त्रीय गायिका हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा तीनों पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनका संगीत प्रशिक्षण गुरु-शिष्य परंपरा में था। उन्होंने किराना घराने के सुरेशबाबू माने और हीराबाई बडोडेकर से शास्त्रीय संगीत सीखा। वह अपनी गायकी पर दो अन्य दिग्गजों, ख्याल के लिए आमिर खान और ठुमरी के लिए बड़े गुलाम अली खान के प्रभाव को स्वीकार करती हैं। उन्होंने कथक नृत्य शैली में औपचारिक प्रशिक्षण भी लिया है।

 

पुरस्कार और सम्मान:

  • 1976 – संगीत के लिए आचार्य अत्रे पुरस्कार।
  • जगतगुरु शंकराचार्य ने “गण-प्रभा” की उपाधि प्रदान की
  • 1990 – पद्म श्री
  • 1991 – संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • जायंट्स इंटरनेशनल अवार्ड, राष्ट्रीय कालिदास सम्मान
  • 2011 में संगीत नाटक अकादमी से टैगोर अकादमी रत्न पुरस्कार की घोषणा की गई
  • दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार
  • हाफिज अली खान पुरस्कार
  • ग्लोबल एक्शन क्लब इंटरनेशनल द्वारा अभिनंदन
  • गोविंद-लक्ष्मी पुरस्कार
  • गोदावरी गौरव पुरस्कार
  • डागर घराना पुरस्कार
  • आचार्य पंडित राम नारायण फाउंडेशन अवार्ड मुंबई
  • उस्ताद फैयाज अहमद खान मेमोरियल अवार्ड (किराना घराना)
  • ‘कला-श्री 2002’
  • 2002 – पद्म भूषण
  • पी.एल. देशपांडे बहुरूपी सन्मान
  • संगीत साधना रत्न पुरस्कार
  • पुणे विश्वविद्यालय द्वारा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार
  • शिव सेना मुंबई द्वारा माहिम रत्न पुरस्कार
  • मुंबई के महापौर द्वारा अभिनंदन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जीवनी कार्यों में शामिल नाम।
  • उनकी पुस्तक स्वर्णमयी को राज्य सरकार पुरस्कार।
  • वर्ष 2011 से तात्यासाहेब नाटू ट्रस्ट और गणवर्धन पुणे द्वारा स्थापित “स्वरायोगिनी डॉ. प्रभा अत्रे राष्ट्रीय शास्त्री संगीत पुरस्कार”।
  • कई सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक संस्थानों के लिए एक समिति के सदस्य के रूप में कार्य करना।
  • रास्ता पेठ एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष – पिछले 12 वर्षों से पुणे में एक प्रमुख शैक्षिक संघ।
  • 2022 – पद्म विभूषण

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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने महाबाहु ब्रह्मपुत्र पर कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले क्रूज को झंडी दिखाकर रवाना किया

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केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, आवास और शहरी मामलों के मंत्री, हरदीप एस पुरी ने 24 जनवरी को मेथनॉल मिश्रित डीजल (एमडी15) द्वारा संचालित अंतर्देशीय जल पोत के डेमो-रन का उद्घाटन किया। ‘एसबी गंगाधर’ नामक 50-सीटर मोटर लॉन्च समुद्री जहाज पर नौकायान किया गया। यह जहाज रस्टन निर्मित दो डीजल इंजनों (प्रत्येक इंजन 105 अश्व-शक्ति वाला) से लैस है। जहाज एमडी-15 (15 प्रतिशत मिश्रित एचएसडी) से चलता है।

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मेथोनॉल कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले हाइड्रोजन ईंधन है, जिसे हाई ऐश कोल, पराली, ताप बिजली संयंत्रों से निकलने वाले सीओ2 तथा प्राकृतिक गैस से तैयार किया जाता है। यह कॉप-21 के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के मद्देनजर सबसे अच्छा उपाय है। हालांकि मेथेनॉल, पेट्रोल और डीजल की तुलना में यह शक्ति में थोड़ा कम है, लेकिन वह परिवहन क्षेत्र (सड़क, रेल और समुद्री), ऊर्जा क्षेत्र (डीजी सेट, बॉयलर, प्रोसेस हीटिंग मॉड्यूल, ट्रैक्टर और वाणिज्यिक वाहन शामिल हैं) और खुदरा क्षेत्र में इन दोनों ईंधनों की जगह ले सकता है। साथ ही यह आंशिक रूप से रसोई गैस, मिट्टी के तेल और लकड़ी के कोयले का स्थान भी ले सकता है।

मेथेनॉल क्या है?

 

मेथेनॉल एक लागत प्रभावी वैकल्पिक ईंधन है। जहाजों में इस्तेमाल होने वाले अन्य ईंधनों की तुलना में यह कम खर्चीला है और तट के किनारे भंडारण तथा बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में किफायती है। मेथेनॉल पर चलने वाले जहाजों को बदलने की लागत अन्य वैकल्पिक ईंधन रूपांतरणों की तुलना में काफी कम है। तरल ईंधन के रूप में, मेथेनॉल के रख-रखाव के लिए मौजूदा भंडारण और बुनियादी ढांचे में केवल मामूली संशोधनों की आवश्यकता है।

डीजल-पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथेनॉल के सम्मिश्रण से डीजल-पेट्रोल/कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15 प्रतिशत की कमी हो सकती है। इसके अलावा, यह प्रदूषण फैलाने वाले तंतुओं, एनओएक्स और एसओएक्स के संदर्भ में ग्रीन हाउस उत्सर्जन में 20 प्रतिशत की कमी लाएगा, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।

 

भारत ऊर्जा सप्ताह के बारे में:

 

भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत आईईडब्लू 2023 पहली बड़ी घटना है, जो 2070 तक भारत के उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य करने के लिए कॉप-26 में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के संकल्प का अनुपालन करती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्त्वावधान में आयोजित, भारत ऊर्जा सप्ताह एकमात्र और सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की भागीदारी के साथ, भारत सरकार के उच्चतम स्तर पर समर्थित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम है। इसे आधिकारिक तौर पर फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (फीपी) का समर्थन भी हासिल है।

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Person Of The Year: Dr. Subramaniam Jaishankar, Foreign Minister Of India_70.1

गणतंत्र दिवस 2023 इतिहास, महत्व और समारोह

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भारत 26 जनवरी 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। इस दिन, भारत के संविधान को वर्ष 1950 में अपनाया गया था। गणतंत्र दिवस भारत में सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 26 जनवरी 1950 भारतीय संविधान की स्थापना संविधान सभा के सदस्यों द्वारा तैयार की गई थी जो क्रूर औपनिवेशिक अतीत के बाद उभरा था।

 

गणतंत्र दिवस हर साल पूरे देश में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस 2023 परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, रैलियां आदि कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। कर्तव्य पथ पर सैन्य परेड और अन्य गतिविधियों सहित कई रंगारंग कार्यक्रम होंगे। इन गतिविधियों में स्कूली बच्चे भी हिस्सा लेते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।

 

गणतंत्र दिवस का इतिहास

 

गणतंत्र दिवस भारत के संविधान को अपनाता है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में घोषित किया गया था क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को ब्रिटिश सरकार के प्रभुत्व को खारिज करते हुए पूर्ण स्वराज या भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा प्रकाशित की थी। भारत ने 15 अगस्त 1947 को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की और कुछ दिनों के बाद, 29 अगस्त को एक स्वतंत्र भारत के लिए एक दीर्घकालिक संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति की स्थापना की गई।

 

समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर समिति द्वारा संविधान का मसौदा तैयार किया गया था और 4 नवंबर 1947 को संविधान सभा को दिया गया था। प्रारूप को अंतिम रूप देने से पहले विधानसभा ने दो साल तक कई सत्र आयोजित किए। कई बैठकों और चर्चाओं के बाद, 308 विधानसभा सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दो हस्तलिखित प्रतियों पर एक हिंदी और एक अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया और प्रभावी हुआ। उस दिन, डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने।

 

गणतंत्र दिवस 2023: भारत के संविधान का अनुकूलन

 

भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था। पहला सत्र 9 दिसंबर 1946 को आयोजित किया गया था और इसमें नौ महिलाओं सहित 207 सदस्यों ने भाग लिया था। विधानसभा में 389 सदस्य हैं और स्वतंत्रता और विभाजन के बाद यह संख्या घटाकर 299 कर दी गई थी।

 

प्रारूप समिति का नेतृत्व डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और जिन्हें संविधान के पिता के रूप में भी जाना जाता है। चर्चा के दौरान समिति ने 7,600 संशोधनों में से 2,400 संशोधनों को संविधान से अलग कर दिया। संविधान सभा का अंतिम सत्र 26 नवंबर 1949 को आयोजित किया गया था जब भारत के संविधान को अपनाया गया था, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ जिसे भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

गणतंत्र दिवस 2023 का महत्व

 

26 जनवरी 1930 को, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की और ब्रिटिश सरकार के शासन को खारिज कर दिया। इसलिए, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और इसे भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया गया। गणतंत्र दिवस ब्रिटिश सरकार के कारण वर्षों की यातनाओं से गुजरने के बाद स्वतंत्र और स्वतंत्र भारत का प्रतीक है।

 

गणतंत्र दिवस 2023 परेड

 

गणतंत्र दिवस 2023 कार्तव्य पथ, जिसे पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था, से शुरू होगा। कई सैन्य और सांस्कृतिक परेड प्रदर्शित किए जाएंगे। गणतंत्र दिवस 2023 की परेड को टीवी पर भी दिखाया जाता है ताकि लाखों लोग इसे अपने घरों में टीवी पर देख सकें। गणतंत्र दिवस 2023 परेड को आम जनता 26 जनवरी 2023 को कर्तव्य पथ पर भी देख सकती है।

 

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वायु सेना पूर्वोत्तर में पूर्वी आकाश अभ्यास करेगी

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भारतीय वायु सेना अपनी परिचालन तत्परता का आकलन करने के लिए बड़े पैमाने पर वायु अभ्यास प्रलय चलाएगी। महत्वपूर्ण अभ्यास भारत के पूर्वोत्तर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास होगा, जिसमें वायु सेना की सभी महत्वपूर्ण इकाइयां शामिल होंगी।

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प्रमुख बिंदु

 

  • भारतीय वायु सेना विशाल कमांड-स्तरीय अभ्यास के लिए आने वाले दिनों में राफेल और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हेलीकॉप्टर, परिवहन विमान और अन्य विमानों जैसे महत्वपूर्ण युद्धक संसाधनों को तैनात करेगी।
  • हाल ही में पूर्वोत्तर में स्थानांतरित किए गए ड्रोन स्क्वाड्रन भी इस अभ्यास में भाग लेंगे।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारतीय वायु सेना के ड्रोन स्क्वाड्रन की हालिया तैनाती ने सिलीगुड़ी और सिक्किम कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक कॉरिडोर के रूप में भी जाना जाता है। इन कॉरिडोर के साथ दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी करने की अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है।

 

अभ्यास का आयोजन फरवरी के पहले सप्ताह में आयोजित होने वाले ‘पूर्वी आकाश’ नाम के एक अन्य वायु सेना अभ्यास की तैयारी के बीच हुआ है। भारतीय वायु सेना ने एक बयान में कहा, अभ्यास पूर्वी आकाश एक वार्षिक कमांड-स्तरीय अभ्यास है और COVID-19 महामारी के कारण दो साल के बाद आयोजित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में आयोजित होने वाले दोनों अभ्यास चल रहे सीमा तनाव के बीच भारत-चीन सीमा पर भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों का परीक्षण करेंगे।

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बीएसएफ ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘ऑपरेशन अलर्ट’ अभ्यास का आयोजन किया

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बीएसएफ ने आगामी गणतंत्र दिवस के मद्देनजर गुजरात के कच्छ जिले से राजस्थान के बाड़मेर तक भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए शनिवार से ‘आपरेशन अलर्ट’ अभ्यास शुरू किया है। यह अभ्यास गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान ”राष्ट्र-विरोधी तत्वों के किसी भी नापाक मंसूबे को विफल करने” के लिए किया जा रहा है। ‘आपरेशन अलर्ट’ अभ्यास 28 जनवरी तक सर क्रीक (दलदली क्षेत्र) में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ गुजरात में कच्छ के रण और राजस्थान के बाड़मेर जिले तक जारी रहेगा। इसके तहत गहराई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ खाड़ी और ‘हरामी नाला’ में विशेष अभियान चलाया जाएगा।

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बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर ने अपने इस अभियान को लेकर एक विज्ञप्ति जारी की। इसमें बल ने बताया है कि शनिवार से शुरू हुई यह कवायद गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्र-विरोधी तत्वों के किसी भी बुरे मंसूबे को बेकार करने के लिए की जा रही है। गौरतलब है कि ऑपरेशन अलर्ट अभ्यास 21 जनवरी को शुरू हुआ था और 28 जनवरी तक सर क्रीक (दलदली क्षेत्र) से भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ गुजरात में कच्छ के रण और राजस्थान के बाड़मेर जिले तक जारी रहेगा। बीएसएफ इस अभ्यास के तहत आगे और गहराई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ खाड़ी और ‘हरामी नाला’ में विशेष अभियान चलाएगा।

 

गौरतलब है कि गुजरात में कच्छ जिले से लगती भारत-पाक सीमा बेहद संवेदनशील है। पूर्व में इस सीमा पर कई पाकिस्तानी मछुआरे भारतीय जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए नावों सहित पकड़े गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीएसएफ ने 2022 में गुजरात के इस क्षेत्र से 22 पाकिस्तानी मछुआरों को पकड़ा है। इसके साथ ही मछली पकड़ने की 79 नावें और 250 करोड़ रुपये की हेरोइन और 2.49 करोड़ रुपये की चरस जब्त की है।

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मशहूर आर्किटेक्चर और पद्म भूषण से सम्मानित बालकृष्ण दोशी का निधन

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प्रतिष्ठित प्रित्जकर पुरुस्कार के विजेता और मशहूर आर्केिटेक्ट बालकृष्ण दोशी (Balkrishna Doshi) का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर साझा करते हुए आर्किटेक्टर डाइजेस्ट ऑफ इंडिया ने इंस्टाग्राम पर लिखा “रुप और प्रकाश के मास्टर दोशी ने एक अमित विरासत छोड़ी है। एक प्यार करने वाला पति, पिता, दादा, परदादा और इस देश के लोगों के लिए एक सच्ची प्रेरणा। वास्तुकला, कला, जीवन, संस्कृति और दर्शन में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”

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मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी को मई 2022 में रॉयल गोल्ड से सम्मानित किया गया था। बीवी दोशी उस कुछ चुनिंदा लोगों में से थे जिन्हें गोल्ड मेडल और प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार दोनों से सम्मानित किया गया था। जिसे वास्तुकला के क्षेत्र में नोबल भी कहा जता है। उन्हें अहमदाबाद की कुछ सबसे प्रतिष्ठित इमारतों को डिजाइन करने का भी गौरव हासिल है।

 

कौन हैं बालकृष्ण दोशी’

बालकृष्ण दोशी का जन्म 1927 को महाराष्ट्र के पुणे में फर्नीचर बनाने वाले परिवार में हुआ था। जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने ले कॉर्बूसियर के साथ पेरिस में एक सीनियर डिजाइनर के रुप में लगभग 4 सालों कर काम किया। उन्होंने गुजरात और अहमदाबाद में कई प्रोजेक्ट को भी लीड किया है। दोशी ने इंडियन मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट अहमदाबाद के निर्णाण प्रोजेक्ट में एक सहयोगी के रुप में लुइस कान के साथ काम किया है।

इसके बाद साल 2018 में, उन्हें वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाने वाला प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार मिला, जो सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वास्तुकार बन गए। इसके बाद साल 2020 में उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

उन्होंने अहमदाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, सीईपीटी यूनिवर्सिटी और कनोरिया सेंटर फॉर आर्ट्स, बैंगलोर में भारतीय प्रबंधन संस्थान और इंदौर में निम्न से मध्यम आय वाले परिवारों के लिए एक टाउनशिप अरन्या लो कॉस्ट हाउसिंग जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उनके कामों के लिए 1995 में उन्हें वास्तुकला के लिए प्रतिष्ठित आगा खान पुरस्कार से नवाजा गया था।

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हिमाचल प्रदेश ने मनाया अपना 53वां स्थापना दिवस, सीएम ने राज्य की जनता को दी बधाई

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हिमाचल प्रदेश 25 जनवरी 2023 को पूरे राज्य में अपना 53वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मना रहा है। 1971 में इसी दिन हिमाचल प्रदेश भारत का 18वां राज्य बना था। पूर्ण राज्यत्व दिवस का राज्य स्तरीय समारोह हमीरपुर जिले में आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और विभिन्न टुकड़ियों द्वारा प्रस्तुत मार्च पास्ट की सलामी ली।

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प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार के कुशल नेतृत्व में राज्य के लोगों के निरंतर प्रयासों से पूर्ण राज्य का दर्जा संभव हो पाया है।
  • उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने राज्य की विकास यात्रा में लोगों के योगदान को याद करते हुए बताया कि वर्तमान राज्य सरकार राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल प्रदेश के लोगों को उसके 53वें स्थापना दिवस पर बधाई दी।

 

हिमाचल प्रदेश का इतिहास

  • सिंधु घाटी सभ्यता के लोग 2250 और 1750 ईसा पूर्व के बीच हिमाचल प्रदेश के आधुनिक राज्य की तलहटी के पास रहते थे।
  • प्रागैतिहासिक युग के दौरान कोली, हाली, साही, धौगरी, दासा, खासा, कनौरा और किराता जैसी जनजातियाँ यहाँ रहती थीं।
  • सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान मूल आवास कोल और मुंडा थे, उसके बाद भोटा और किरात थे।
  • वैदिक काल के दौरान जनपद के रूप में जाने जाने वाले कई छोटे गणराज्यों को बाद में गुप्त साम्राज्य ने जीत लिया था।
  • राजा हर्षवर्धन के पास बाद में इस क्षेत्र की शक्ति थी और उन्होंने इसे सरदारों के नेतृत्व वाली कई स्थानीय शक्तियों और कुछ राजपूत रियासतों में विभाजित किया।
  • इस क्षेत्र ने बड़ी मात्रा में स्वतंत्रता का आनंद लिया और दिल्ली सल्तनत द्वारा कई बार आक्रमण किया गया।
  • 11वीं शताब्दी के प्रारंभ में महमूद गजनवी ने कांगड़ा पर अधिकार कर लिया। बाद में, तैमूर और सिकंदर लोदी ने राज्य की निचली पहाड़ियों को जीत लिया और कई किलों पर कब्जा कर लिया।
  • स्वतंत्रता के बाद, पश्चिमी हिमालय के प्रांतों में 28 छोटी रियासतों के एकीकरण के परिणामस्वरूप 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य आयुक्त प्रांत का गठन किया गया था।
  • हिमाचल प्रदेश आदेश, 1948 के तहत अतिरिक्त प्रांत क्षेत्राधिकार अधिनियम 1947 की धारा 3 और 4 के तहत, इन राज्यों को शिमला पहाड़ी राज्यों और चार पंजाब दक्षिणी पहाड़ी राज्यों के रूप में जाना जाता था।
  • 1 जुलाई, 1954 को बिलासपुर राज्य को हिमाचल प्रदेश और बिलासपुर अधिनियम 1954 के तहत हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया था।
  • 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ, तो हिमाचल एक पार्ट सी राज्य बन गया।
  • 1 नवंबर 1956 को हिमाचल प्रदेश एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
  • हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम 18 दिसंबर 1970 को संसद द्वारा पारित किया गया था और नया राज्य 25 जनवरी 1971 को अस्तित्व में आया।

 

हिमाचल प्रदेश के बारे में

 

हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी भाग में स्थित है और पश्चिमी हिमालय में स्थित है। यह भारत के उन तीन पर्वतीय राज्यों में से एक है, जहाँ चरम परिदृश्य, कई चोटियाँ और नदी प्रणालियाँ हैं। यह जम्मू और कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमाओं को साझा करता है।

हिमाचल प्रदेश को आम तौर पर देव भूमि या भगवान की भूमि और वीर भूमि के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ है भारत में बहादुरों की भूमि। हिमाचल प्रदेश की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए कृषि, बागवानी, जल विद्युत और पर्यटन का अभ्यास करती है।

 

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