Tata Group ने सेमीकंडक्टर बनाने के लिए इंटेल के साथ किया समझौता

भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और इंटेल कॉर्पोरेशन ने भारत में चिप निर्माण और पैकेजिंग सहयोग की संभावनाओं को संयुक्त रूप से तलाशने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह MoU गुजरात के ढोलेरा और असम के गुवाहाटी में बन रही टाटा की नई सुविधाओं का उपयोग करके भारत के लिए इंटेल के सेमीकंडक्टर उत्पादों के निर्माण और पैकेजिंग पर केंद्रित है।

यह साझेदारी भारत की सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन को गति देने और वैश्विक चिप सप्लाई नेटवर्क में भारत की भूमिका को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण साबित होगी—विशेषकर ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक बदलावों और AI आधारित कंप्यूटिंग की बढ़ती मांग के कारण चिप बाज़ार तेजी से बदल रहा है।

MoU के प्रमुख बिंदु

इस समझौते में कई संभावित सहयोग क्षेत्रों का उल्लेख है—

1. इंटेल चिप्स का निर्माण

  • ढोलेरा (गुजरात) में बन रही टाटा की चिप फैब्रिकेशन यूनिट में।

2. पैकेजिंग एवं परीक्षण (OSAT)

  • गुवाहाटी (असम) में विकसित हो रही टाटा की OSAT सुविधा में।

3. उन्नत पैकेजिंग तकनीक पर संयुक्त पहल

  • भारत में मल्टी-चिप पैकेजिंग और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग के लिए आधुनिक तकनीक विकसित करना।

4. भारत के लिए AI-आधारित PCs पर सहयोग

  • उपभोक्ता और एंटरप्राइज़ बाज़ार के लिए AI-समर्थित पर्सनल कंप्यूटर समाधान तैयार करना।

इन पहलों का उद्देश्य भारत में एक मज़बूत सेमीकंडक्टर और AI तकनीकी इकोसिस्टम बनाना है, जो देश की घरेलू मांग के साथ-साथ वैश्विक सप्लाई चेन को भी मज़बूती देगा।

उद्योग नेताओं के बयान

एन. चंद्रशेखरन (चेयरमैन, टाटा संस)

“यह साझेदारी भारत के तकनीकी इकोसिस्टम को विस्तार देगी और उन्नत सेमीकंडक्टर एवं सिस्टम समाधान प्रदान करेगी। यह हमें बढ़ते हुए AI अवसरों को पकड़ने में सक्षम बनाएगी।”

लिप-बू टैन (CEO, इंटेल कॉर्पोरेशन)

“भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते कंप्यूट बाज़ारों में से एक है। बढ़ती PC मांग और तेजी से हो रहे AI अपनाने के कारण, हम टाटा के साथ इस सहयोग को एक अत्यंत बड़ा अवसर मानते हैं।”

लिप-बू टैन भारत यात्रा पर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलने की संभावना है, जो इस साझेदारी के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।

टाटा के सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट: पृष्ठभूमि

1. ढोलेरा चिप फैब (गुजरात)

  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत 29 फरवरी 2024 को अनुमोदित

  • संचालन शुरू होने की उम्मीद: 2027 तक

  • अनुमानित रोजगार: लगभग 2,000 लोग

  • भारत का पहला सरकारी-स्वीकृत चिप फैब्रिकेशन प्लांट

2. गुवाहाटी OSAT यूनिट (असम)

  • OSAT: Outsourced Semiconductor Assembly & Testing

  • चिप पैकेजिंग और अंतिम उत्पाद तैयार करने पर केंद्रित

  • यह भारत की डाउनस्ट्रीम सेमीकंडक्टर क्षमताओं को बढ़ाएगा

ये दोनों प्रोजेक्ट भारत को आत्मनिर्भर एवं निर्यात-उन्मुख सेमीकंडक्टर निर्माण हब बनाने की दिशा में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

OSAT और उन्नत पैकेजिंग क्या है?

OSAT (आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्टिंग)

यह चिप उत्पादन की अंतिम प्रक्रिया है, जिसमें—

  • सिलिकॉन वेफर को काटा जाता है

  • पैकेजिंग की जाती है

  • और चिप का परीक्षण होता है

उन्नत पैकेजिंग (Advanced Packaging)

यह कई चिप्स को एक ही पैकेज में जोड़ने की तकनीक है, जिससे—

  • प्रदर्शन बढ़ता है

  • जगह कम लगती है

  • AI और हाई-पावर कंप्यूटिंग में बेहतर दक्षता मिलती है

ये दोनों प्रक्रियाएँ सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और भारत की एंड-टू-एंड मैन्युफैक्चरिंग क्षमता विकसित करने के लिए जरूरी हैं।

मुख्य तथ्य 

  • टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और इंटेल ने भारत में चिप निर्माण और पैकेजिंग सहयोग के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए।

  • सहयोग का मुख्य केंद्र: ढोलेरा चिप फैब और गुवाहाटी OSAT यूनिट

  • साझेदारी में उन्नत पैकेजिंग और AI-आधारित PC समाधान पर भी काम शामिल।

  • ढोलेरा फैब: भारत का पहला सरकारी-अनुमोदित चिप प्लांट, संचालन 2027 में शुरू होने की संभावना।

  • इंटेल के CEO लिप-बू टैन भारत में उच्च स्तरीय सरकारी बैठकों में भाग लेंगे।

स्टारलिंक इंटरनेट: ग्लोबल कनेक्टिविटी में क्रांति

पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट सेवाओं के वितरण में बड़ी क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिले हैं। इन्हीं में से एक है स्टारलिंक, जो एक सैटेलाइट-आधारित ब्रॉडबैंड नेटवर्क है, जिसे दुनिया भर में—विशेषकर दूरदराज़ और पिछड़े क्षेत्रों में—तेज़ और विश्वसनीय इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए विकसित किया गया है। छात्रों, पेशेवरों और सरकारी नौकरी की तैयारी करने वालों के लिए स्टारलिंक को समझना तकनीक और डिजिटल नीति के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है।

स्टारलिंक क्या है?

स्टारलिंक, स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा विकसित एक सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट है, जिसे एलन मस्क ने स्थापित किया है।
यह पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में घूमने वाले हजारों छोटे उपग्रहों के माध्यम से इंटरनेट सिग्नल धरती पर भेजता है। ये उपग्रह पारंपरिक दूरस्थ उपग्रहों की तुलना में बहुत पास होते हैं, जिससे स्पीड तेज़ और लेटेंसी कम होती है।

स्टारलिंक के उद्देश्य

1. डिजिटल डिवाइड को खत्म करना

दूरदराज़ गांवों, पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों और ऐसे इलाकों तक इंटरनेट पहुँचाना जहां फाइबर केबल बिछाना मुश्किल या महंगा है।

2. आधुनिक डिजिटल जरूरतों को पूरा करना

ऑनलाइन शिक्षा, ई-गवर्नेंस, टेलीमेडिसिन, स्मार्ट खेती और आपदा प्रबंधन के लिए तेज़ एवं भरोसेमंद इंटरनेट उपलब्ध कराना।

3. वैश्विक स्तर पर इंटरनेट को सार्वभौमिक बनाना

एक ऐसी दुनिया बनाना जहाँ हर व्यक्ति डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़ सके।

स्टारलिंक कैसे काम करता है?

यह सिस्टम तीन हिस्सों पर आधारित है:

  1. उपग्रह (Satellites): हजारों छोटे LEO उपग्रहों का नेटवर्क

  2. ग्राउंड स्टेशन: उपग्रहों को मुख्य इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ते हैं

  3. यूज़र टर्मिनल: घरों/संस्थानों में लगाया जाने वाला छोटा डिश एंटेना

इन सभी के बीच संचार से बिना ज़मीनी केबल के इंटरनेट पहुंचता है—इसीलिए यह दूरस्थ क्षेत्रों के लिए क्रांतिकारी तकनीक है।

स्टारलिंक के लाभ

1. हाई-स्पीड इंटरनेट

कई क्षेत्रों में फाइबर जैसी तेज़ स्पीड।

2. कम लेटेंसी

LEO उपग्रह पृथ्वी के पास होते हैं, जिससे लाइव वीडियो, गेमिंग और ट्रेडिंग जैसी सेवाएँ तेज़ चलती हैं।

3. आसान इंस्टॉलेशन

प्लग-एंड-प्ले टर्मिनल—कहीं भी जल्दी से सेटअप संभव।

4. डिजिटल समावेशन

पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को शिक्षा, जानकारी और सेवाओं से जोड़ने की क्षमता।

स्टारलिंक की चुनौतियाँ

  • उपकरणों की कीमत अभी भी अधिक

  • अंतरिक्ष में बढ़ते उपग्रहों से “स्पेस ट्रैफिक” चिंताएँ

  • विभिन्न देशों में नियामकीय (regulatory) अनुमतियों की आवश्यकता

  • खगोल विज्ञान पर प्रभाव (उपग्रहों की चमक के कारण)

विश्वभर की सरकारें सुरक्षित तकनीकी विकास के लिए नए नियम बना रही हैं।

भारत में स्टारलिंक

स्टारलिंक ने भारत में ग्रामीण क्षेत्रों, स्कूलों और दूरस्थ इलाकों के लिए सेवाएँ शुरू करने में रुचि दिखाई है। इसके लिए ज़रूरी है:

  • सरकारी मंज़ूरी

  • स्पेक्ट्रम आवंटन

  • भारतीय कानूनों के अनुरूप तकनीकी अनुपालन

यदि सेवा शुरू होती है, तो यह डिजिटल इंडिया, ऑनलाइन शिक्षा, ई-हेल्थ और स्मार्ट कृषि के लिए बड़ा बदलाव ला सकती है।

Starlink India (स्टारलिंक इंडिया)

स्टारलिंक इंडिया देश के दूरदराज़ और पिछड़े इलाकों को हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
यह इंटरनेट के लिए फाइबर या मोबाइल टावरों पर निर्भर नहीं है।
परंतु इसका व्यावसायिक संचालन पूरी तरह भारतीय नीतियों, मंजूरी और स्पेक्ट्रम नियमों पर निर्भर करता है।

भविष्य की संभावनाएँ

स्टारलिंक आगामी वर्षों में:

  • कवरेज बढ़ाएगा

  • लागत कम करने का प्रयास करेगा

  • लेज़र-लिंक्ड उपग्रहों और AI आधारित नेटवर्क मैनेजमेंट का उपयोग करेगा

Amazon का Project Kuiper, OneWeb और अन्य देशों के प्रोजेक्ट भी इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा ला रहे हैं।
सैटेलाइट इंटरनेट भविष्य में वैश्विक संचार को पूरी तरह बदल सकता है।

भारत ने पारंपरिक चिकित्सा पर WHO के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन की उल्टी गिनती शुरू की

भारत ने आधिकारिक रूप से WHO ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन (पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक सम्मेलन) की उलटी गिनती शुरू कर दी है। यह सम्मेलन 17–19 दिसंबर 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा।इसका संयुक्त आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और आयुष मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।

यह आयोजन गुजरात में 2023 में सफलतापूर्वक आयोजित पहले सम्मेलन के बाद भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों में वैश्विक नेतृत्व भूमिका को फिर से सुदृढ़ करता है।

थीम और वैश्विक भागीदारी

2025 सम्मेलन की थीम है:

“संतुलन की पुनर्स्थापना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और प्रथाएँ”

मुख्य फोकस क्षेत्र:

  • पारंपरिक चिकित्सा का वैज्ञानिक सत्यापन

  • डिजिटल हेल्थ एवं नवाचार

  • जैव विविधता संरक्षण

  • समग्र (इंटीग्रेटिव) स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वैश्विक सहयोग

सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के मंत्री, नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, उद्योग विशेषज्ञ, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पारंपरिक चिकित्सा के प्रैक्टिशनर भाग लेंगे।

भारत की पारंपरिक चिकित्सा में नेतृत्व भूमिका

श्री जाधव ने भारत की सदियों पुरानी आयुष प्रणालियों—
आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी—की वैश्विक लोकप्रियता को रेखांकित किया।

भारत-WHO साझेदारी से विकसित WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (Jamnagar, Gujarat) भारत की ज्ञान परंपराओं में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।

अश्वगंधा पर विशेष फोकस — परंपरा से विज्ञान तक

सम्मेलन के दौरान अश्वगंधा पर एक विशेष साइड ईवेंट आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक अनुसंधान के बीच सेतु बनाना है।

मुख्य बिंदु:

  • तनाव-नियमन (Adaptogenic) गुण

  • तंत्रिका-तंत्र संरक्षण एवं प्रतिरक्षा-समर्थन प्रभाव

  • सुरक्षा और मानकीकरण की आवश्यकता

अकादमिक, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग और वैश्विक संगठनों के विशेषज्ञ इसमें भाग लेंगे, जिससे अश्वगंधा की अंतरराष्ट्रीय पहचान और बाज़ार क्षमता मजबूत होगी।

सम्मेलन का महत्व

WHO महानिदेशक के सलाहकार डॉ. पूनम खेतरपाल ने कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक स्वास्थ्य शासन के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव होगा।
सम्मेलन अगले दशक के लिए पारंपरिक एवं स्वदेशी चिकित्सा को स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने की रूपरेखा तैयार करेगा।

उन्होंने ज़ोर दिया:

  • साक्ष्य-आधारित अनुसंधान की आवश्यकता

  • सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए नवाचार

  • जनता के बढ़ते भरोसे को देखते हुए नियामक ढांचे को मजबूत करना

यह वैश्विक मांग के अनुरूप है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का संतुलित एकीकरण बढ़ रहा है।

पारंपरिक चिकित्सा क्या है?

पारंपरिक चिकित्सा उन स्वास्थ्य प्रणालियों को संदर्भित करती है जो सांस्कृतिक ज्ञान, जड़ी-बूटी आधारित उपचार, आध्यात्मिक चिकित्सा, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूपंक्चर और स्वदेशी उपचार पद्धतियों पर आधारित होती हैं।

विश्व स्तर पर 80% से अधिक लोग प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में किसी न किसी रूप में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करते हैं।

वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य प्रवृत्तियाँ केंद्रित हैं:

  • बायोमेडिसिन के साथ एकीकरण

  • अनुसंधान एवं मानकीकरण

  • जैव विविधता का सतत उपयोग

  • डिजिटल निगरानी और विश्लेषण

WHO सम्मेलन इन सभी पहलुओं पर वैश्विक स्तर पर चर्चा का मंच प्रदान करेगा।

राजनीतिक और संस्थागत सहभागिता

कर्टन-रेज़र कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय, प्रेस सूचना ब्यूरो और WHO के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
यह कार्यक्रम नवंबर 2025 में आयोजित राजदूतों के स्वागत समारोह पर आधारित था, जहाँ भारत-WHO सहयोग के बारे में जानकारी दी गई थी।

सम्मेलन के समापन समारोह में प्रधानमंत्री के शामिल होने की संभावना है, जो भारत की वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु 

  • भारत 17–19 दिसंबर 2025 को दूसरा WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन समिट आयोजित करेगा।

  • थीम: “संतुलन की पुनर्स्थापना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और प्रथाएँ”

  • 100 से अधिक देशों की भागीदारी की उम्मीद।

  • अश्वगंधा पर एक प्रमुख साइड कार्यक्रम आयोजित होगा।

  • आयुष प्रणालियाँ और जामनगर स्थित WHO केंद्र भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को मजबूत करते हैं।

3 साल का बच्चा बना दुनिया का सबसे कम उम्र का FIDE रैंकिंग वाला खिलाड़ी

भारत ने दिसंबर 2025 में वैश्विक शतरंज जगत में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की, जब मध्य प्रदेश के 3 वर्षीय सर्वज्ञ सिंह कुशवाहा दुनिया के सबसे कम उम्र के आधिकारिक रेटेड शतरंज खिलाड़ी बन गए। सिर्फ 3 वर्ष, 7 महीने और 20 दिन की उम्र में सर्वज्ञ ने 1572 की FIDE रैपिड रेटिंग हासिल की—जो आधिकारिक मान्यता के लिए आवश्यक 1400 अंकों से काफी अधिक है। यह उपलब्धि न केवल उनकी प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि भारत की बढ़ती शतरंज शक्ति का भी संकेत है।

FIDE और शतरंज रेटिंग क्या है?

FIDE (International Chess Federation) शतरंज की वैश्विक शासी संस्था है, जो आधिकारिक टूर्नामेंट, रैंकिंग और नियमों की देखरेख करती है।

FIDE रेटिंग एक अंतरराष्ट्रीय पैमाना है जो खिलाड़ी की क्षमता को दर्शाता है। रेटिंग पाने के लिए:

  • खिलाड़ी को आधिकारिक FIDE टूर्नामेंट में खेलना होता है

  • कम से कम 5 रेटेड खिलाड़ियों के साथ मुकाबला जरूरी है

  • शुरुआती स्तर पर 1400 की प्रदर्शन क्षमता आवश्यक होती है

यह रेटिंग आगे चलकर FIDE मास्टर (FM), इंटरनेशनल मास्टर (IM) और ग्रैंडमास्टर (GM) जैसे प्रतिष्ठित खिताबों के लिए आधार बनती है।

सर्वज्ञ की शुरुआती यात्रा और तेज प्रगति

सर्वज्ञ का जन्म 2022 में मध्य प्रदेश के सागर जिले में हुआ।
सिर्फ ढाई साल की उम्र में उनके माता-पिता ने उनकी असाधारण सीखने की क्षमता को पहचाना। उन्हें खेल से परिचित कराने के एक सप्ताह के भीतर ही वे सभी शतरंज के मोहरों को पहचानने लगे।

2025 तक—

  • वे रोज़ लगभग 4–5 घंटे ट्रेनिंग करते थे

  • 1 घंटा कोचिंग

  • बाकी समय ऑनलाइन गेम और पज़ल्स

छोटी उम्र और कद के बावजूद, बड़े खिलाड़ियों के सामने वे लंबी बाज़ियां ध्यान से खेलते थे।

FIDE रेटिंग पाने के लिए उन्होंने कई वयस्क खिलाड़ियों को हराया, जिनमें शामिल हैं:

  • योगेश नामदेव — 20 वर्ष — रेटिंग 1696

  • अभिजीत अवस्थी — 22 वर्ष — रेटिंग 1542

  • शुभम चौरसिया — 29 वर्ष — रेटिंग 1559

उनकी 1572 की रैपिड रेटिंग न केवल उन्हें सबसे कम उम्र का रेटेड खिलाड़ी बनाती है, बल्कि यह उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता भी दिखाती है।

भारत और वैश्विक शतरंज पर इसका प्रभाव

भारत अब तेजी से वैश्विक शतरंज महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
आर. प्रज्ञानानंदा, डी. गुकेश जैसे दिग्गजों की पंक्ति में अब सर्वज्ञ जैसे नन्हे प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी शामिल हो रहे हैं।

भारत में इस तेज़ वृद्धि के कारण:

  • बेहतर ग्रासरूट कोचिंग

  • ऑनलाइन शतरंज का प्रसार

  • प्रोफेशनल शतरंज का बढ़ता आकर्षण

  • बच्चों में बढ़ती भागीदारी

5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का इस स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना शतरंज की बदलती वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

आगे की राह

सर्वज्ञ की उपलब्धि अद्वितीय है, परंतु विशेषज्ञों के बीच शुरुआती उम्र में अत्यधिक प्रशिक्षण को लेकर बहस भी है।
बचपन के संतुलित विकास के साथ प्रतिस्पर्धी खेल को संतुलित रखना बेहद ज़रूरी होगा।

फिर भी, इतनी कम उम्र में FIDE रेटिंग मिलना उन्हें लंबी अवधि का अवसर देता है—जहाँ वे कौशल को निखारकर भविष्य में सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टरों में शामिल हो सकते हैं।

स्टैटिक जानकारी: FIDE-रेटेड खिलाड़ी कैसे बनते हैं?

FIDE रेटिंग प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी को:

  • FIDE मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट में भाग लेना होता है

  • 5 या अधिक रेटेड खिलाड़ियों से मुकाबला करना होता है

  • न्यूनतम 1400 प्रदर्शन स्तर दिखाना आवश्यक है

  • टूर्नामेंट के बाद रेटिंग परिणामों के आधार पर बदलती रहती है

सर्वज्ञ की शुरुआती रेटिंग रैपिड फॉर्मेट में प्राप्त हुई है।

मुख्य बिंदु 

  • सर्वज्ञ सिंह कुशवाहा (3 वर्ष 7 माह) दुनिया के सबसे कम उम्र के FIDE-रेटेड शतरंज खिलाड़ी बने

  • उन्होंने 1572 की रैपिड रेटिंग हासिल की

  • 20–29 वर्ष के कई वयस्क रेटेड खिलाड़ियों को हराया

  • रोज़ 5 घंटे तक अभ्यास—ढाई साल की उम्र से शतरंज की शुरुआत

  • भारत की तेजी से बढ़ती शतरंज प्रतिभा को दर्शाता है

  • विशेषज्ञ शुरुआती उम्र में संतुलित प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हैं

ऑपरेशन सागर बंधु — भारतीय नौसेना ने श्रीलंका में चार और युद्धपोत भेजे

चक्रवात ‘दित्वाह’ से श्रीलंका में हुई भारी तबाही के बीच भारत ने मानवीय सहायता अभियान ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत अपनी राहत कार्रवाई को और तेज़ कर दिया है। भारतीय नौसेना ने चार अतिरिक्त युद्धपोत भेजकर राहत कार्यों का विस्तार किया है, जिससे संकटग्रस्त आबादी को तत्काल सहायता पहुँचाई जा सके। यह कदम भारत की क्षेत्रीय जिम्मेदारी और मानवीय नेतृत्व को मजबूत करता है।

चक्रवात दित्वाह: भारी तबाही और राहत की ज़रूरत

नवंबर 2025 के अंत में आए चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में:

  • भीषण बाढ़

  • भूस्खलन

  • सड़क व पुल सहित बुनियादी ढांचे को नुकसान

  • पानी, आश्रय और चिकित्सा सुविधा की गंभीर कमी

जैसी चुनौतियाँ पैदा कर दीं। इसी स्थिति में भारत ने व्यापक मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) अभियान शुरू किया।

ऑपरेशन सागर बंधु क्या है?

ऑपरेशन सागर बंधु भारत का तेज़ मानवीय सहायता मिशन है, जिसे चक्रवात दित्वाह से प्रभावित श्रीलंका की मदद के लिए शुरू किया गया है। यह मिशन भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और MAHASAGAR विज़न के अनुरूप भारतीय महासागर क्षेत्र में सहयोग और मानवीय सहायता पर केंद्रित है।

इसमें शामिल हैं:

  • भारतीय नौसेना के जहाज और LCU (लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी)

  • भारतीय वायुसेना और NDRF द्वारा निकासी, चिकित्सा एवं राहत

  • भोजन, पानी, तंबू, दवाइयाँ और बचाव उपकरण जैसी आवश्यक सामग्री की आपूर्ति

हालिया नौसेना तैनाती

8 दिसंबर 2025 को भारतीय नौसेना ने राहत कार्य मजबूत करने के लिए चार और जहाज भेजे:

  • INS Gharial (अम्फीबियस युद्धपोत)

  • LCU 54

  • LCU 51

  • LCU 57

इन जहाजों में लगभग 1,000 मीट्रिक टन मानवीय सहायता सामग्री लदी हुई है।

  • तीनों LCU जहाज 7 दिसंबर को कोलंबो पहुँच चुके हैं

  • INS Gharial 8 दिसंबर को त्रिंकोमाली पहुँचकर पूर्वी श्रीलंका में राहत पहुँचाएगा

मिशन का महत्व

1. भारत–श्रीलंका संबंधों को मज़बूती

यह अभियान दोनों देशों के बीच:

  • मानवीय सहयोग

  • पारस्परिक विश्वास

  • आपदा के समय त्वरित सहायता

जैसे गहरे रिश्तों को दर्शाता है।

2. भारतीय महासागर क्षेत्र में मानवीय नेतृत्व

भारत ने दिखाया है कि वह:

  • तेज़ प्रतिक्रिया

  • बड़े पैमाने पर तैनाती

  • बहु-सेवाओं के समन्वय

के साथ क्षेत्र में अग्रणी HADR प्रदाता है।

3. लचीला और प्रभावी राहत मॉडल

शांतिपूर्ण अभियानों में लगे नौसैनिक जहाजों को तुरंत राहत मिशन में लगाया गया — यह भारत की सैन्य संपत्तियों की लचीलापन क्षमता दर्शाता है।

मुख्य तथ्य 

विषय विवरण
ऑपरेशन की शुरुआत 28 नवंबर 2025
प्रभावित क्षेत्र श्रीलंका के पश्चिमी, दक्षिणी और मध्य हिस्से
प्रारंभिक राहत IAF और नौसेना द्वारा 53 टन सहायता
निकासी 2,000 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला
चिकित्सा सहायता फील्ड अस्पतालों में 2,000+ मरीजों का इलाज

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस 2025

हर वर्ष 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू की गई एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के बारे में जागरूकता बढ़ाना और शासन, विकास तथा समाज पर इसके हानिकारक प्रभाव को उजागर करना है।

2025 में इसका फोकस युवाओं को सशक्त बनाना है, और थीम है — “Uniting with Youth Against Corruption: Shaping Tomorrow’s Integrity” अर्थात “युवाओं के साथ मिलकर भ्रष्टाचार विरोध — कल की ईमानदारी का निर्माण।”

भ्रष्टाचार क्या है?

भ्रष्टाचार का अर्थ है — सौंपे गए अधिकार का व्यक्तिगत लाभ के लिए दुरुपयोग। यह संस्थाओं को कमजोर करता है, विकास को रोकता है और सार्वजनिक व्यवस्था में लोगों के भरोसे को कम करता है। यह दिन याद दिलाता है कि पारदर्शिता और जवाबदेही एक न्यायपूर्ण समाज की नींव हैं।

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस क्या है?

संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस घोषित किया। यह दिन UN Convention Against Corruption (UNCAC) को समर्पित है, जो भ्रष्टाचार रोकने और उससे लड़ने के लिए एक वैश्विक कानूनी ढांचा है।

छात्रों, प्रशासकों, व्यवसायों और नागरिकों के लिए यह दिन याद दिलाता है कि ईमानदारी कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। इस मौके पर विभिन्न देशों में कार्यशालाएँ, रैलियाँ, निबंध प्रतियोगिताएँ, वाद-विवाद और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस 2025 — तिथि

यह दिवस हर वर्ष 9 दिसंबर को मनाया जाता है। 2025 में यह मंगलवार को पड़ेगा। यह स्थायी तिथि वैश्विक एकजुटता का संकेत है — यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार सभी को नुकसान पहुंचाता है और इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है।

2025 का थीम

“Uniting with Youth Against Corruption: Shaping Tomorrow’s Integrity.”

यह थीम युवाओं, छात्रों, टेक-इन्वेंटर्स, स्टार्टअप नेटवर्क और युवा-नेतृत्व वाली पारदर्शिता पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है। युवाओं में नैतिकता और ईमानदारी को बढ़ावा देकर भविष्य के नेतृत्व को मजबूत बनाया जा सकता है।

यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है? — महत्व और संदर्भ

भ्रष्टाचार का सीधा प्रभाव पड़ता है:

  • आर्थिक विकास पर

  • न्याय प्रणाली पर

  • सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता पर

  • शासन में भरोसे पर

यह असमानता बढ़ाता है, कानून व्यवस्था कमजोर करता है और विकास के लिए निर्धारित धन का दुरुपयोग होता है।
यह दिन जागरूकता, रोकथाम और नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देता है।

विश्व भ्रष्टाचार सूची 2025 (CPI 2024 के आधार पर)

Corruption Perceptions Index (CPI) कुल 180 देशों को सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की धारणा के आधार पर रैंक देता है।
स्कोर: 100 (बहुत साफ) से 0 (बहुत भ्रष्ट)।

सबसे कम भ्रष्ट देश (सबसे ईमानदार देशों की सूची 2025)

  • डेनमार्क — 90

  • फ़िनलैंड — 88

  • सिंगापुर — 84

  • न्यूज़ीलैंड — 83

  • लक्ज़मबर्ग — 81

  • नॉर्वे — 81

  • स्विट्ज़रलैंड — 81

  • स्वीडन — 80

  • नीदरलैंड — 78

  • ऑस्ट्रेलिया — 77

  • आइसलैंड — 77

  • आयरलैंड — 77

सबसे अधिक भ्रष्ट देश 2025

  • दक्षिण सूडान — 8

  • सोमालिया — 9

  • वेनेज़ुएला — 10

  • सीरिया — 12

  • इक्वेटोरियल गिनी — 13

  • इरिट्रिया — 13

  • लीबिया — 13

  • यमन — 13

  • निकारागुआ — 14

  • उत्तर कोरिया — 15

  • सूडान — 15

भारत की स्थिति — CPI रैंक

  • भारत का स्कोर: 38/100 (CPI 2024)

  • भारत की रैंक: 180 देशों में 96वाँ स्थान

भारत में चिंताएँ:
ब्यूरोक्रेसी की जटिलता, प्रक्रियाओं की अस्पष्टता, अधिकारों का दुरुपयोग।

सुधारों के सकारात्मक कदम:

  • डिजिटल शासन

  • DBT

  • ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था

  • भ्रष्टाचार विरोधी कानून और सतर्कता तंत्र

CPI — स्थिर जानकारी (Static GK)

  • प्रकाशित करता है: ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल

  • पहली बार जारी: 1995

  • पुराना स्केल: 10 (साफ) से 0 (भ्रष्ट)

  • नया स्केल 2012 से: 100 (बहुत साफ) से 0 (बहुत भ्रष्ट)

  • विशेषज्ञ विश्लेषण और सर्वेक्षण आधारित

  • परीक्षाओं में सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक

देश इस दिन को कैसे मनाते हैं?

  • ईमानदारी शपथ

  • स्कूल-कॉलेज अभियान

  • निबंध, वाद-विवाद, रैलियाँ

  • सरकारी विभागों द्वारा सेमिनार

  • NGO जागरूकता अभियान

  • अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम

मकसद — दोषारोपण से जिम्मेदारी की ओर बढ़ना।

2025 में युवाओं की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

  • युवा नैतिक शासन के वाहक हैं

  • स्कूल-कॉलेज स्तर पर जागरूकता बढ़ाना

  • लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना

  • पारदर्शिता, व्हिसिल-ब्लोइंग और सामुदायिक निगरानी को बढ़ावा देना

  • डिजिटल युग में युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत प्रहरी बन सकते हैं

मुख्य बिंदु 

  • अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार-रोध दिवस: 9 दिसंबर

  • 2025 थीम: “युवाओं के साथ मिलकर भ्रष्टाचार विरोध।”

  • सबसे कम भ्रष्ट: डेनमार्क, फ़िनलैंड, सिंगापुर

  • सबसे अधिक भ्रष्ट: दक्षिण सूडान, सोमालिया, वेनेज़ुएला

  • भारत की रैंक: 96वीं, स्कोर 38/100

  • उद्देश्य: जागरूकता, पारदर्शिता, युवा शक्ति और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देना

  • CPI: हर वर्ष Transparency International द्वारा प्रकाशित

नरसंहार अपराध के पीड़ितों की स्मृति और सम्मान का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2025

अंतरराष्ट्रीय नरसंहार अपराध के पीड़ितों की स्मृति और गरिमा का दिवस हर वर्ष 9 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन नरसंहार (Genocide) की भयावह घटनाओं को याद करने, पीड़ितों को सम्मान देने और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए वैश्विक संकल्प को दोहराने का एक गंभीर अवसर होता है। साल 2025 इस दिवस की दसवीं वर्षगांठ है, जो पिछले दशक की प्रगति की समीक्षा और नई चुनौतियों पर चर्चा का अवसर भी प्रदान करती है।

एक दशक की जागरूकता और स्मरण

यह दिवस 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य—

  • 1948 के Genocide Convention के प्रति जागरूकता बढ़ाना

  • याद दिलाना कि नरसंहार अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक अपराध है

  • और सभी देशों का दायित्व है कि वे नरसंहार को रोकें और दोषियों को दंडित करें

सितंबर 2025 में UN ने Resolution A/RES/79/328 अपनाया, जिसमें यह चिंता जताई गई कि अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद नरसंहार का खतरा बरकरार है।
इस प्रस्ताव के अनुसार—

  • हर राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह अपनी आबादी को नरसंहार से बचाए

  • इससे जुड़े उत्तेजनाओं को रोकना, न्याय सुनिश्चित करना और कानूनी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है

  • दण्ड-मुक्ति (impunity) के खिलाफ लड़ना अत्यंत आवश्यक है

उच्च-स्तरीय वैश्विक बैठक: एक नया आह्वान

10वीं वर्षगांठ पर UN महासभा एक पूर्ण-दिवसीय उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित कर रही है। इसमें शामिल होंगे—

  • UN सदस्य देश

  • अंतरराष्ट्रीय संगठन

  • सिविल सोसाइटी

  • नरसंहार पीड़ित/बचे हुए लोग

  • शैक्षणिक जगत और मीडिया

बैठक में निम्न विषयों पर चर्चा होगी—

  • नरसंहार रोकथाम के बेहतरीन वैश्विक अभ्यास

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती नफरत, भड़काऊ भाषण और जातीय हिंसा

  • Early Warning Systems की जरूरत

  • 1994 के रवांडा नरसंहार और 1995 के स्रेब्रेनेचा नरसंहार से सीख

  • शांति-निर्माण में शिक्षा की भूमिका

नरसंहार रोकथाम के प्रमुख तत्व

UN के अनुसार प्रभावी रोकथाम के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण जरूरी है—

  • 1948 Genocide Convention का कड़ाई से पालन

  • शुरुआती चेतावनी तंत्र और जोखिम मूल्यांकन

  • नफरत, भेदभाव और नरसंहार से इनकार के खिलाफ सार्वजनिक शिक्षा

  • पीड़ितों और बचे लोगों के समर्थन व स्मारक पहल

  • क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोहराया है कि— “नरसंहार को रोकने और अपराधियों को दंडित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है।”

स्थैतिक जानकारी: नरसंहार क्या है?

UN Genocide Convention (1948) के अनुसार, नरसंहार वह कृत्य है जिसमें किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने का इरादा शामिल हो। इसमें शामिल हो सकते हैं—

  • समूह के सदस्यों की हत्या

  • शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाना

  • जीवन की ऐसी परिस्थितियाँ थोपना जिससे समूह समाप्त हो जाए

  • जन्म रोकना

  • बच्चों को जबरन एक समूह से दूसरे समूह में स्थानांतरित करना

नरसंहार को सबसे गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों में गिना जाता है।

मुख्य बिंदु 

  • 9 दिसंबर को हर वर्ष नरसंहार पीड़ितों की स्मृति और गरिमा का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

  • 2025 इस दिवस का दसवां वर्ष है, जिसमें UN उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित कर रहा है।

  • प्रस्ताव A/RES/79/328 में देशों से नरसंहार रोकने, भड़काऊ भाषण रोकने और अपराधियों को दंडित करने की अपील की गई है।

  • रवांडा (1994) और स्रेब्रेनेचा (1995) जैसे नरसंहार यह दिखाते हैं कि समय पर कार्रवाई न होने के क्या परिणाम हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री जन धन खातों में कुल जमा राशि 2.74 लाख करोड़ के पार, जानें सबकुछ

भारत की फाइनेंशियल इंक्लूजन यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर, जन धन खातों में कुल जमा राशि ₹2.75 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत यह उपलब्धि, खासकर ग्रामीण इलाकों और महिलाओं के बीच, कम सुविधा वाले लोगों तक बैंकिंग पहुँच के विस्तार का संकेत देती है। हर घर को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए 2014 में शुरू की गई यह योजना, एक दशक से ज़्यादा समय बाद भी प्रभावशाली नतीजे दिखा रही है।

PMJDY क्या है?

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन है, जिसका उद्देश्य देश के सभी नागरिकों — विशेषकर जिनके पास पहले कोई बैंक खाता नहीं था — को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत दिए जाते हैं:

  • ज़ीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट

  • रूपे डेबिट कार्ड

  • सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) सुविधा

  • ओवरड्राफ्ट सुविधा और बीमा कवरेज

यह योजना आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर तथा बिना बैंक सुविधाओं वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने का लक्ष्य रखती है।

नवीनतम जमा राशि अपडेट

नवंबर 2025 तक, जन धन खातों में कुल जमा राशि ₹2.75 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। अब तक 56 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। औसतन प्रत्येक खाते में लगभग ₹4,815 की राशि मौजूद है, जो दर्शाता है कि ये खाते लगातार उपयोग में हैं और लोगों में बचत की आदत बढ़ी है।

ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं की भागीदारी

PMJDY की सबसे बड़ी सफलताओं में शामिल हैं:

  • 78.2% जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में

  • 50% खाते महिलाओं के नाम

ये आँकड़े दिखाते हैं कि यह योजना महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और ग्रामीण वित्तीय समावेशन का प्रमुख साधन बन चुकी है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

यह उपलब्धि केवल आँकड़ा नहीं है, बल्कि दर्शाती है:

  • कम आय वर्ग में बढ़ती वित्तीय साक्षरता और बचत संस्कृति

  • सरकारी लाभ योजनाओं की DBT प्रणाली की मज़बूती

  • ग्रामीण और महिला जनसंख्या की आर्थिक भागीदारी में वृद्धि

  • देश के औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र का विस्तार

PMJDY अब केवल खाते खोलने की योजना नहीं रही, बल्कि खाते सक्रिय रूप से इस्तेमाल हो रहे हैं और उनमें वास्तविक बचत दिखाई देती है।

वर्षों में जन धन खातों की वृद्धि

  • 2022: जन धन जमा राशि ₹1.5 लाख करोड़ पार

  • 2024: जमा राशि ₹2.6 लाख करोड़ से अधिक

  • 2025: जमा राशि ₹2.75 लाख करोड़ पार

यह लगातार बढ़ोतरी दिखाती है कि जन धन खाते अब भारत की वित्तीय व्यवस्था का एक मज़बूत और स्थायी हिस्सा बन चुके हैं।

मुख्य तथ्य 

  • कुल जन धन जमा: ₹2.75 लाख करोड़

  • खाते खुले: 56 करोड़ से अधिक

  • औसत बैलेंस: ₹4,815 प्रति खाता

  • ग्रामीण/अर्ध-शहरी खाते: 78.2%

  • महिला खाता धारक: 50%

  • महत्त्व: वित्तीय समावेशन में वृद्धि, बचत आदत मज़बूत, कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर लाभ वितरण

मतदाता सूची वाले SIR में राजस्थान सबसे आगे, डिजिटाइजेशन में रिकॉर्ड उपलब्धि

भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राजस्थान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण-2026 का कार्य तीव्र गति से जारी है। राज्य ने इस प्रक्रिया में सटीकता, पारदर्शिता और डिजिटल दक्षता का नया मानदंड स्थापित किया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन के अनुसार, प्रदेश के कुल 5 करोड़ 46 लाख 56 हजार 215 गणना प्रपत्रों में से 5 करोड़ 46 लाख 24 हजार से अधिक दस्तावेज ECI-Net पर अपलोड किए जा चुके हैं। निर्धारित समय से पहले 99.94 प्रतिशत प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन पूर्ण करना राजस्थान के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

राजस्थान ने एक महत्वपूर्ण चुनावी उपलब्धि हासिल करते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम के तहत अपने मतदाता सूचियों का 100% डिजिटलीकरण पूरा कर लिया है। यह घोषणा 6 दिसंबर 2025 को मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) नवीन महाजन ने की। यह कदम चुनावी पारदर्शिता, दक्षता और मतदाताओं की सुविधा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) क्या है?

SIR, भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा समय-समय पर चलाया जाने वाला एक विशेष चुनावी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन, शुद्ध और अधिक सटीक बनाना होता है। इसके अंतर्गत निम्न कार्य किए जाते हैं—

  • मतदाता पहचान का सत्यापन

  • पते का मिलान

  • डुप्लीकेट या पुराने नाम हटाना

  • नए मतदाताओं को जोड़ना

  • विवरण में त्रुटियों का सुधार

इस कार्यक्रम में मतदाता सूची का डिजिटलीकरण सुनिश्चित करता है कि सभी प्रविष्टियाँ इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज, मैप और सत्यापित हों, जिससे डेटा की सटीकता बढ़ती है और मैन्युअल त्रुटियाँ कम होती हैं।

राजस्थान की उपलब्धि: प्रमुख आँकड़े

  • 100% मतदाता सूची का डिजिटलीकरण पूरा

  • 97% मतदाता मैपिंग, देश में सर्वाधिक

  • केवल 3% मतदाताओं को दावे-आपत्तियाँ चरण में दस्तावेज़ जमा कराने की आवश्यकता

  • औसतन प्रति बूथ सिर्फ 30 मतदाताओं को सत्यापन की आवश्यकता

यह प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से काफी बेहतर है और अन्य राज्यों के लिए एक मानक स्थापित करता है। मैपिंग से प्रत्येक मतदाता का सही बूथ और वार्ड से जुड़ाव सुनिश्चित होता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया सरल और सुव्यवस्थित होती है।

डिजिटल मतदाता सूची के लाभ

CEO नवीन महाजन के अनुसार, डिजिटलीकरण से सत्यापन प्रक्रिया—

  • सरल हो गई है—कागजी कार्यवाही कम

  • अधिक पारदर्शी हुई—रीयल-टाइम अपडेट और त्रुटि जांच

  • अधिक कुशल—बार-बार दस्तावेज़ जमा करने या सुधार की ज़रूरत कम

  • सुलभ—मतदाता आसानी से ऑनलाइन अपना डेटा जांच सकते हैं

यह कदम चुनावी धोखाधड़ी को कम करेगा, मतदाता सहभागिता बढ़ाएगा और भविष्य के चुनावों में अधिक समावेशी और सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा।

मैदान स्तर के कर्मचारियों की भूमिका

राजस्थान में SIR डिजिटलीकरण की सफलता बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs), पंचायत कर्मचारियों, सहायक अधिकारियों और पर्यवेक्षकों के सामूहिक प्रयास से संभव हुई। महाजन ने कहा कि टीमवर्क और समर्पण का यह उदाहरण पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है।

राजस्थान में आगामी चुनावी समय-सारणी

SIR चक्र के तहत—

  • ड्राफ्ट मतदाता सूची: 16 दिसंबर 2025

  • दावे और आपत्तियाँ: 16 दिसंबर 2025 से 15 जनवरी 2026

  • सुनवाई और सत्यापन: 16 दिसंबर 2025 से 7 फरवरी 2026

  • अंतिम मतदाता सूची: 14 फरवरी 2026

मुख्य बिंदु

  • राज्य: राजस्थान

  • उपलब्धि: SIR के तहत 100% मतदाता सूची का डिजिटलीकरण करने वाला पहला राज्य

  • मतदाता मैपिंग: 97% से अधिक पूरी

  • ड्राफ्ट सूची जारी: 16 दिसंबर 2025

  • अंतिम सूची जारी: 14 फरवरी 2026

11वां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) 2025 पंचकूला में शुरू

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) के 11वें संस्करण की शुरुआत 6 से 9 दिसंबर 2025 तक हरियाणा के पंचकूला में हुई। यह महोत्सव विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति का उत्सव मनाने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आयोजन है। 2015 में शुरू हुए IISF ने आज देश के सबसे बड़े विज्ञान जन-जागरूकता कार्यक्रमों में स्थान बना लिया है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक सोच को सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बनाना और युवाओं को वैज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से सशक्त करना है।

IISF 2025 का विषय और दृष्टि

IISF 2025 का थीम है— “विज्ञान से समृद्धि: फॉर आत्मनिर्भर भारत”। यह संदेश देता है कि देश के आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उन्नति में विज्ञान को केंद्र में रखा जाए।
महोत्सव का उद्देश्य है—

  • विज्ञान और नवाचार को आत्मनिर्भरता के चालक के रूप में बढ़ावा देना

  • भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक अनुसंधान से जोड़ना

  • जनता में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जिज्ञासा विकसित करना

मुख्य फोकस क्षेत्र

महोत्सव पाँच प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है—

  1. पारिस्थितिकी और हिमालयी विज्ञान: उत्तर-पश्चिम भारत में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास।

  2. समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान: सामुदायिक भागीदारी और STEM शिक्षा को बढ़ावा देना।

  3. विज्ञान-तकनीक से आत्मनिर्भरता: स्थानीय उद्योगों और स्टार्टअप्स को सशक्त करने वाली तकनीकें।

  4. बायोटेक्नोलॉजी और बायो-इकोनॉमी: जीवन विज्ञान में नवाचार और सतत संसाधन विकास।

  5. पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान: भारतीय विरासत-आधारित ज्ञान को अत्याधुनिक शोध से जोड़ना।

महोत्सव में 150 से अधिक तकनीकी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI)

  • क्वांटम टेक्नोलॉजी और स्पेस साइंस

  • जीन एडिटिंग और जलवायु विज्ञान

  • एडवांस्ड मटेरियल्स और एग्री-टेक

भागीदारी और सहयोग

कार्यक्रम में 40,000 से अधिक प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है, जिनमें—

  • वैज्ञानिक और शोधकर्ता

  • स्टार्टअप्स व उद्योग नेता

  • विद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थी

  • महिला वैज्ञानिक व शिक्षाविद

  • नीति निर्माता और सामुदायिक नवाचारकर्ता

यह विविध भागीदारी विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग बढ़ाती है और नवाचार एवं ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को मजबूत करती है।

आयोजन और संस्थागत सहयोग

IISF 2025 का नेतृत्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है और IITM पुणे इसका समन्वय कर रहा है। सहयोग देने वाले संस्थान हैं—

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST)

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT)

  • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)

  • अंतरिक्ष विभाग

  • परमाणु ऊर्जा विभाग

महोत्सव का जन-संपर्क साझेदार विज्ञान भारती है, जो भारतीय समाज में विज्ञान को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित संगठन है।

IISF 2025 का महत्व

  • भारत के विज्ञान-आधारित विकास मॉडल को मजबूत बनाता है।

  • युवा नवाचारकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है और छात्रों में भविष्य की तकनीक के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।

  • वैज्ञानिक संस्थानों और समाज के बीच पुल बनाता है, जिससे विज्ञान अधिक सुलभ होता है।

  • AI, बायोटेक और क्वांटम रिसर्च जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।

  • नई शिक्षा नीति (NEP) के लक्ष्य— कक्षाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा— को समर्थन देता है।

मुख्य तथ्य (Key Takeaways)

  • कार्यक्रम: 11वां इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल

  • तारीखें: 6–9 दिसंबर 2025

  • स्थान: पंचकूला, हरियाणा

  • थीम: विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए

  • प्रतिभागी: 40,000+

  • सत्र: 150+

  • केन्द्र: वैज्ञानिक नवाचार, शिक्षा, बायोटेक, जलवायु, पारंपरिक ज्ञान

  • उद्देश्य: एक आत्मनिर्भर, ज्ञान-आधारित, नवाचार-प्रधान भारत का निर्माण

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