मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया, जिसके दौरान सात समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए और विज्ञान, अंतरिक्ष, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा तथा सुशासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रमुख घोषणाएँ की गईं। यह यात्रा भारत के हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में गहराते जुड़ाव और मॉरीशस जैसे छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
हस्ताक्षरित समझौते न केवल क्षेत्र में भारत की आर्थिक और तकनीकी उपस्थिति को बढ़ाते हैं, बल्कि सतत विकास और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग को भी मजबूत करते हैं।
दौरे के दौरान प्रमुख समझौते (MoUs) पर हस्ताक्षर
विज्ञान और प्रौद्योगिकी – भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और मॉरीशस के तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं अनुसंधान मंत्रालय ने संयुक्त अनुसंधान, नवाचार और वैज्ञानिक सहयोग को मजबूत करने के लिए समझौता किया।
महासागरीय अध्ययन (Oceanography) – सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (भारत) और मॉरीशस ओशनोग्राफी संस्थान के बीच समुद्री संसाधनों और पर्यावरणीय निगरानी पर अनुसंधान हेतु समझौता हुआ।
लोक सेवा सुधार – कर्मयोगी भारत (भारत के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के तहत) और मॉरीशस लोक सेवा एवं प्रशासनिक सुधार मंत्रालय ने सुशासन, ई-लर्निंग और सिविल सेवा प्रशिक्षण में श्रेष्ठ प्रथाओं के आदान-प्रदान हेतु समझौता किया।
ऊर्जा और विद्युत क्षेत्र – बिजली क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए नया समझौता हुआ, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और ऊर्जा प्रबंधन शामिल हैं।
लघु विकास परियोजनाएँ – भारत ने लघु विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण के तहत सामुदायिक बुनियादी ढांचे के लिए अनुदान सहायता प्रदान करने का वचन दिया।
हाइड्रोग्राफी – हाइड्रोग्राफी में सहयोग संबंधी मौजूदा समझौते का नवीनीकरण हुआ, जो हिंद महासागर में नौवहन सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता को समर्थन देगा।
अंतरिक्ष सहयोग – एक ऐतिहासिक समझौते के तहत मॉरीशस में टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और दूरसंचार केंद्र स्थापित किया जाएगा। यह केंद्र भारत के उपग्रह एवं प्रक्षेपण यान मिशनों को सहयोग देगा और अंतरिक्ष अनुसंधान एवं अनुप्रयोगों में व्यापक साझेदारी को प्रोत्साहित करेगा।
प्रमुख घोषणाएँ
शैक्षणिक सहयोग – आईआईटी मद्रास और यूनिवर्सिटी ऑफ मॉरीशस (Réduit) ने शैक्षणिक आदान-प्रदान, अनुसंधान सहयोग और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु समझौता किया। इसके अतिरिक्त, भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु ने भी इसी विश्वविद्यालय के साथ कृषि और बागान विशेषज्ञता साझा करने के लिए समझौता किया।
नवीकरणीय ऊर्जा पहल – भारत मॉरीशस में तामारिंड फॉल्स पर 17.5 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना का समर्थन करेगा। एनटीपीसी लिमिटेड की टीम शीघ्र ही मॉरीशस जाकर वहां के केंद्रीय विद्युत बोर्ड (CEB) के साथ समझौते को अंतिम रूप देगी।
रणनीतिक संदर्भ और व्यापक महत्व
यह दौरा और इसके परिणाम भारत के उस रणनीतिक लक्ष्य से जुड़े हैं, जिसके तहत वह हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी उपस्थिति मजबूत करना, सतत विकास को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सहयोग एवं क्षमता निर्माण के जरिए बाहरी प्रभावों का संतुलन करना चाहता है।
मॉरीशस, एक प्रमुख समुद्री पड़ोसी होने के नाते, भारत की SAGAR (Security and Growth for All in the Region) पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नए समझौते न केवल आर्थिक विकास बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा में भी भारत को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करते हैं।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
दौरे की तिथि: 11 सितंबर 2025
हस्ताक्षरित MoUs की संख्या: 7
प्रमुख क्षेत्र: विज्ञान, समुद्र विज्ञान, लोक प्रशासन, ऊर्जा, हाइड्रोग्राफी, अंतरिक्ष
घोषित प्रमुख परियोजना: तामारिंड फॉल्स पर 17.5 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर पीवी
भारत के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जो देश के सबसे प्रख्यात अर्थशास्त्रियों में से एक रहे और 1991 के आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार माने जाते हैं, को मरणोपरांत पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति पुरस्कार (अर्थशास्त्र) से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके भारत की आर्थिक सुधार यात्रा में अमूल्य योगदान और आर्थिक नीतियों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के प्रति उनके आजीवन समर्पण को मान्यता देता है। नई दिल्ली में आयोजित समारोह में डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। यह सम्मान मोंटेक सिंह अहलूवालिया, जो भारत की आर्थिक नीतियों के प्रमुख निर्माता और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष रहे हैं, द्वारा प्रदान किया गया।
सुधारों के शिल्पकार को सच्ची श्रद्धांजलि
पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति फाउंडेशन (PVNMF) द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह को दिया गया यह सम्मान विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इन दोनों नेताओं को संयुक्त रूप से 1991 के आर्थिक सुधारों का सूत्रधार माना जाता है। इन सुधारों ने भारत को गंभीर वित्तीय संकट से उबारकर उदारीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे डॉ. सिंह ने व्यापक सुधार लागू किए, जिनमें शामिल थे –
उद्योगों का लाइसेंस-राज समाप्त करना
आयात शुल्क में कमी
बाजार-आधारित विनिमय दर की शुरुआत
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहन
सार्वजनिक क्षेत्र का पुनर्गठन
इन कदमों ने भारत की अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदल दिया और आने वाले दशकों में सतत विकास की ठोस नींव रखी।
पुरस्कार और उसकी विरासत
हैदराबाद स्थित पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति फाउंडेशन द्वारा स्थापित पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति पुरस्कार (अर्थशास्त्र) उन व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है जिन्होंने भारत के आर्थिक विकास में परिवर्तनकारी योगदान दिया है।
डॉ. मनमोहन सिंह को मरणोपरांत यह पुरस्कार प्रदान करके फाउंडेशन ने भारत के दो सबसे प्रभावशाली आर्थिक नेताओं – डॉ. सिंह और नरसिम्हा राव – की ऐतिहासिक साझेदारी को पुनः स्मरण किया है।
इस अवसर पर पीवीएनएमएफ के अध्यक्ष के. रामचंद्र मूर्ति और महासचिव मदमचेत्ती अनिल कुमार भी उपस्थित रहे। समारोह में नीति-निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और डॉ. सिंह की विरासत के प्रशंसकों ने भाग लिया।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
डॉ. मनमोहन सिंह को मरणोपरांत पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति पुरस्कार (अर्थशास्त्र) से सम्मानित किया गया।
पुरस्कार मोंटेक सिंह अहलूवालिया द्वारा प्रदान किया गया और गुरशरण कौर ने ग्रहण किया।
यह सम्मान 1991 के आर्थिक सुधारों में डॉ. सिंह की भूमिका को मान्यता देता है।
उदारीकरण नीतियों का श्रेय अक्सर मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव दोनों को दिया जाता है।
यह पुरस्कार पी. वी. नरसिम्हा राव स्मृति फाउंडेशन (PVNMF) द्वारा प्रदान किया जाता है।
भारत और मॉरीशस ने एक बार फिर अपनी मित्रता और सहयोग के मजबूत संबंधों को और प्रगाढ़ किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम ने भारत की राजकीय यात्रा की। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। इन वार्ताओं के पश्चात भारत ने मॉरीशस के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जिसमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा तथा सामरिक सहयोग से जुड़े परियोजनाओं को शामिल किया गया है।
अनुदान सहायता के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाएँ
भारत ने लगभग 215 मिलियन अमेरिकी डॉलर (MUR 9.80 बिलियन) मूल्य की अनुदान आधारित परियोजनाओं के माध्यम से मॉरीशस का सहयोग करने का संकल्प लिया है। प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं–
नया सर शिवसागर रामगुलाम राष्ट्रीय अस्पताल – स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना को सुदृढ़ करना।
आयुष उत्कृष्टता केंद्र – पारंपरिक चिकित्सा, आयुर्वेद, योग एवं समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
पशु चिकित्सा विद्यालय एवं पशु अस्पताल – पशु चिकित्सा शिक्षा और पशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना।
हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति – हवाई गतिशीलता और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत बनाना।
अनुदान–सह–ऋण रेखा (LOC) के अंतर्गत परियोजनाएँ
बड़े पैमाने पर अवसंरचना विकास के लिए भारत लगभग 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर (MUR 20.10 बिलियन) की अनुदान–सह–LOC व्यवस्था के माध्यम से सहायता प्रदान करेगा। इसमें शामिल प्रमुख परियोजनाएँ हैं–
एसएसआर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) टावर का समापन – हवाई यातायात प्रबंधन को आधुनिक बनाना।
मोटरवे M4 का विकास – सड़क संपर्क को सुदृढ़ करना।
रिंग रोड चरण–II का विकास – यातायात जाम को कम करना और शहरी गतिशीलता में सुधार लाना।
कार्गो हैंडलिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CHCL) द्वारा बंदरगाह उपकरणों का अधिग्रहण – समुद्री व्यापार क्षमता को बढ़ावा देना।
रणनीतिक सहयोग
आर्थिक और अवसंरचना परियोजनाओं से आगे बढ़ते हुए भारत और मॉरीशस ने रणनीतिक क्षेत्रों में भी सहयोग पर सहमति व्यक्त की है। इनमें प्रमुख हैं–
मॉरीशस में बंदरगाह का पुनर्विकास और पुनर्संरचना – समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ करना।
चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र का विकास और निगरानी – पर्यावरणीय स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
बजटीय सहायता
उपरोक्त परियोजनाओं के अतिरिक्त भारत ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान मॉरीशस को 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बजटीय सहायता प्रदान करने पर भी सहमति जताई है।
पैकेज का महत्व
यह घोषणा हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक प्रमुख साझेदार के रूप में मॉरीशस को समर्थन देने की भारत की दीर्घकालिक नीति को दर्शाती है। यह पैकेज सुदृढ़ करेगा–
मॉरीशस की स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्रणाली।
अवसंरचना विकास, जिससे संपर्क और व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।
रणनीतिक सुरक्षा और समुद्री सहयोग, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
जन–से–जन संबंध, जो भारतीय प्रवासी और मित्र राष्ट्रों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
मुख्य तथ्य / महत्वपूर्ण बिंदु
कुल सहायता : ~680 मिलियन अमेरिकी डॉलर (USD 215 मिलियन + USD 440 मिलियन + USD 25 मिलियन)
शामिल क्षेत्र : स्वास्थ्य, शिक्षा, पशु चिकित्सा सेवाएँ, परिवहन, बंदरगाह और पर्यावरण
रणनीतिक क्षेत्र : बंदरगाह पुनर्विकास एवं चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र
महत्व : भारत–मॉरीशस साझेदारी को गहरा करना, क्षेत्रीय संपर्क और सुरक्षा को बढ़ावा देना
भारत ने नमो भारत (Namo Bharat) ट्रेन के साथ तीव्र क्षेत्रीय परिवहन के नए युग में प्रवेश किया है। यह देश की सबसे तेज़ ट्रेन है, जो 160 किमी/घंटा की गति से चलती है और दिल्ली–मेरठ क्षेत्रीय तीव्र परिवहन प्रणाली (RRTS) पर संचालित होती है। इससे दोनों शहरी केंद्रों के बीच की यात्रा 60 मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है।
यह उपलब्धि न केवल गति का नया मानक स्थापित करती है, बल्कि भारत के परिवहन ढाँचे और अंतर-शहरी कनेक्टिविटी में एक बड़ा कदम भी है।
नमो भारत: गति का नया रिकॉर्ड
पहले गतिमान एक्सप्रेस और वंदे भारत (160 किमी/घंटा) भारत की सबसे तेज़ ट्रेनें थीं।
लेकिन जून 2024 में सुरक्षा कारणों से उनकी गति अधिकांश मार्गों पर 130 किमी/घंटा तक सीमित कर दी गई।
वहीं, नमो भारत विशेष रूप से बने डेडिकेटेड कॉरिडोर पर अब भी 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है।
यह गति आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और उन्नत सुरक्षा प्रणालियों के कारण संभव हुई है, जैसे:
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी)
स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (एटीसी)
स्वचालित ट्रेन संचालन (एटीओ)
दिल्ली–मेरठ RRTS कॉरिडोर
वर्तमान में परिचालन खंड: 55 किमी (नई अशोक नगर, दिल्ली से मेरठ साउथ, उत्तर प्रदेश तक)
पूर्ण कॉरिडोर: 82.15 किमी, 16 स्टेशन (सराय काले खाँ, दिल्ली से मोदिपुरम, मेरठ तक)
यात्रा समय: 60 मिनट से कम
ट्रेनसेट: 36 छह-कोच ट्रेनें, हर 15 मिनट पर संचालन।
डिजाइन: हैदराबाद में, निर्माण: अल्सटॉम, सवली (गुजरात)।
नमो भारत: सिर्फ ट्रेन नहीं, एक नया मॉडल
इसमें आरक्षण (Reservation) की आवश्यकता नहीं।
यह मेट्रो भी नहीं है, बल्कि हाइब्रिड रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है।
उद्देश्य: मध्यम दूरी की शहरी–उपशहरी यात्रा को तेज़ और सुविधाजनक बनाना।
शुभारंभ: 21 अक्टूबर 2023, प्रारंभिक 17 किमी सेक्शन ने ही 1.5 करोड़ यात्रियों को सेवा दी।
मेरठ मेट्रो के साथ एकीकरण
RRTS की खासियत है कि यह मेरठ मेट्रो के साथ एकीकृत है।
23 किमी की मेट्रो लाइन (13 स्टेशन) इन्हीं ट्रैक्स पर चलती है।
यात्री आसानी से स्थानीय यात्रा और तेज़ क्षेत्रीय यात्रा के बीच इंटरचेंज कर सकते हैं।
राष्ट्रीय और राज्य साझेदारी
परियोजना में भागीदारी:
भारत सरकार – 50%
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सरकार – 12.5% प्रत्येक
यह भारत का पहला डेडिकेटेड क्षेत्रीय तीव्र परिवहन मॉडल है।
उद्देश्य: यातायात जाम कम करना, प्रदूषण घटाना, और तेज़ शहरी–ग्रामीण एकीकरण।
भविष्य की योजनाएँ: दिल्ली–पानीपत और दिल्ली–अलवर कॉरिडोर।
महत्वपूर्ण तथ्य (Key Takeaways)
नमो भारत: भारत की सबसे तेज़ ट्रेन (160 किमी/घंटा)।
दिल्ली–मेरठ RRTS: 82.15 किमी, 16 स्टेशन, यात्रा समय < 60 मिनट।
अन्य ट्रेनें (गतिमान, वंदे भारत): अधिकतर मार्गों पर 130 किमी/घंटा तक सीमित।
भारत में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए टेलीकम्यूनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (TCIL) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने 3 सितम्बर 2025 को एक सहमतिपत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
यह सहयोग PNB के आईटी ढाँचे को सुदृढ़ करने और अधिक सुरक्षित, लचीली तथा ग्राहक-केंद्रित डिजिटल सेवाओं की ओर बैंक के परिवर्तन को तेज करने पर केंद्रित है। समारोह का आयोजन नई दिल्ली स्थित TCIL मुख्यालय में हुआ, जिसमें संजय कुमार (CMD, TCIL) और मनीष अग्रवाल (GM, PNB) समेत वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
PNB की डिजिटल रीढ़ को मज़बूती
इस समझौते के तहत TCIL, PNB को विशेषीकृत आईटी परामर्श (IT Consultancy), प्रोजेक्ट प्रबंधन, और एंड-टू-एंड तकनीकी समाधान प्रदान करेगा।
मुख्य क्षेत्र:
RFP लाइफसाइकिल प्रबंधन – टेक प्रोक्योरमेंट के लिए प्रस्तावों का निर्माण, मूल्यांकन और प्रबंधन।
सिस्टम इंटीग्रेशन – बैंक की विभिन्न डिजिटल प्रणालियों को आपस में समन्वित करना।
आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर रोलआउट – नेटवर्क, सर्वर और अन्य आवश्यक घटकों की तैनाती।
नियामकीय अनुपालन – वित्तीय क्षेत्र के मानकों और साइबर सुरक्षा नियमों का पालन।
TCIL प्रोजेक्ट की आवश्यकता के अनुसार Project Management Consultant (PMC) या Project Implementing Agency (PIA) की भूमिका निभाएगा।
इस साझेदारी का महत्व
PNB के लिए यह सहयोग डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धी बनने और ग्राहक सेवाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर है।
फिनटेक के उदय और ग्राहकों की त्वरित, सुरक्षित बैंकिंग की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए यह समझौता मददगार होगा।
TCIL के लिए यह समझौता उसकी विश्वसनीय तकनीकी साझेदार की भूमिका को और मजबूत करता है।
डिजिटल इंडिया से जुड़ाव
यह समझौता डिजिटल इंडिया मिशन के लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटली सशक्त समाज बनाना है। PNB जैसे सार्वजनिक बैंकों की प्रणालियों को अपग्रेड करके यह साझेदारी अधिक नागरिकों, विशेषकर वंचित क्षेत्रों तक, सुरक्षित और तकनीक-संचालित बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाने में मदद करेगी।
अवसर और चुनौतियाँ
अवसर (Opportunities):
बैंकिंग में तकनीकी नवाचारों का तेज़ रोलआउट
साइबर सुरक्षा मानकों का मजबूत अनुपालन
भविष्य की माँग के अनुसार स्केलेबल इंफ्रास्ट्रक्चर
चुनौतियाँ (Challenges):
समय पर निष्पादन और सिस्टम एकीकरण सुनिश्चित करना
बदलते नियामकीय परिदृश्यों के अनुरूप ढलना
तकनीकी अप्रचलन (obsolescence) के जोखिमों को कम करना
महत्वपूर्ण तथ्य
TCIL: भारत सरकार का उपक्रम, संचार मंत्रालय के अंतर्गत
PNB: भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह कदम सी. पी. राधाकृष्णन के भारत के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उठाया गया, क्योंकि वे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उपराष्ट्रपति पद संभालने के लिए उन्होंने अपना पद छोड़ दिया।
भारत के राष्ट्रपति ने संवैधानिक प्रावधानों के तहत आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है, ताकि राज्य में संवैधानिक और कार्यकारी कार्य बिना रुकावट जारी रह सकें।
बदलाव क्यों आवश्यक था?
9 सितम्बर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में सी. पी. राधाकृष्णन की जीत हुई।
वे उस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करते ही उन्होंने अपना गवर्नर पद छोड़ दिया।
इससे महाराष्ट्र राजभवन में रिक्ति हो गई।
इस संवैधानिक शून्य से बचने के लिए राष्ट्रपति ने आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी।
ऐसे अंतरिम प्रबंध भारतीय संविधान में सामान्य और स्वीकार्य हैं।
आचार्य देवव्रत: संक्षिप्त परिचय
जन्म: 1959
वर्तमान: 22 जुलाई 2019 से गुजरात के राज्यपाल
पूर्व में: हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल (2015–2019)
विशेष योगदान:
प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्ति अभियान, गौ संरक्षण और वृक्षारोपण जैसी सामाजिक पहलों में सक्रिय भागीदारी
विभिन्न राज्यों में प्रशासनिक अनुभव होने से वे दोहरी जिम्मेदारी निभाने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
संवैधानिक प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।
प्रावधान: एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है, स्थायी या अस्थायी तौर पर।
इसी आधार पर राष्ट्रपति ने आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त किया।
अवसर और चुनौतियाँ
गुजरात और महाराष्ट्र दोनों बड़े राज्य हैं, ऐसे में दोहरी जिम्मेदारी निभाना चुनौतीपूर्ण होगा।
अधिकांश कार्य राजभवन कार्यालय और स्टाफ के जरिए पूरे हो सकते हैं, लेकिन कुछ कार्यों (जैसे विधान पर हस्ताक्षर, औपचारिक कार्यक्रम) के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक हो सकती है।
यह अवसर भी है कि गुजरात और महाराष्ट्र साझा विकास लक्ष्यों (विशेषकर कृषि, जल संरक्षण और ग्रामीण कल्याण) पर मिलकर कार्य कर सकें।
महत्वपूर्ण तथ्य
आचार्य देवव्रत: गुजरात के राज्यपाल, अब महाराष्ट्र के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार।
संविधान में संबंधित अनुच्छेद: अनुच्छेद 153 से 167 (भाग VI – राज्य कार्यपालिका)।
अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए राज्यपाल होगा, परंतु एक ही व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल भी हो सकता है।
उत्तराखंड में बादल फटने, लगातार बारिश और भूस्खलन से हुई भीषण तबाही के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून में स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की और राज्य के लिए ₹1,200 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया। यह सहायता पैकेज आपदा प्रभावित लोगों और बुनियादी ढाँचे के पुनर्निर्माण के लिए जीवनरेखा साबित होगा।
बहुआयामी राहत रणनीति
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को केवल तात्कालिक राहत ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक पुनर्वास और लचीलापन (resilience) सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।
राहत पैकेज की प्रमुख बातें:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत प्रभावित घरों का पुनर्निर्माण
राष्ट्रीय राजमार्गों की बहाली, जो परिवहन और पर्यटन के लिए आवश्यक हैं
प्रभावित क्षेत्रों में स्कूलों और सामुदायिक ढाँचे का पुनर्निर्माण
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से तात्कालिक सहायता
ग्रामीण आजीविका बचाने के लिए पशुपालकों को मिनी किट का वितरण
प्रभावित परिवारों के लिए सीधी आर्थिक सहायता
मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख अनुग्रह राशि (Ex-gratia)
गंभीर रूप से घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता
ये सहायता राशि आपदा से पीड़ित परिवारों को तत्काल वित्तीय स्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से दी जाएगी।
अनाथ बच्चों के लिए PM CARES से सहयोग
आपदा में माता-पिता खो चुके बच्चों के लिए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उनकी देखभाल PM CARES for Children योजना के तहत होगी। इसमें शामिल है:
दीर्घकालिक वित्तीय और शैक्षणिक सहायता
स्वास्थ्य सेवा और आवास की व्यवस्था
सुरक्षित और सहयोगी वातावरण में उनका पुनर्वास
याद रखने योग्य तथ्य
घटना: उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन, पीएम द्वारा समीक्षा
घोषित सहायता: ₹1,200 करोड़ का पैकेज
मुख्य योजनाएँ शामिल:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) – घरों का पुनर्निर्माण
पीएमएनआरएफ (PMNRF) – तात्कालिक राहत
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन – अनाथ बच्चों के लिए सहयोग
भारत के वित्तीय नियामकीय ढाँचे में एक अहम बदलाव करते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्रीनिवास इन्जेटी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के गवर्निंग बोर्ड का चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की मंजूरी से हुई है, जो एशिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक में सुशासन और पारदर्शिता को और मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
विशिष्ट प्रशासनिक करियर
श्रीनिवास इन्जेटी, 1983 बैच के आईएएस अधिकारी, के पास वित्तीय सेवाओं, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, नियामकीय सुधार और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में चार दशकों से अधिक का अनुभव है।
कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव रहते हुए उन्होंने कंपनी कानून, दिवाला समाधान तंत्र और कॉर्पोरेट गवर्नेंस ढाँचे में ऐतिहासिक सुधार लागू किए।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के कार्यान्वयन की अगुवाई करना था, जिसने भारत में संकटग्रस्त कंपनियों के निपटारे का तरीका बदल दिया।
आईएफएससीए के प्रथम चेयरपर्सन
इन्जेटी को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) का पहला चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था।
उनके नेतृत्व में आईएफएससीए ने अहम कदम उठाए:
गिफ्ट सिटी में वैश्विक बैंकिंग और बीमा संचालन को बढ़ावा
फिनटेक नवाचार को प्रोत्साहन
ग्रीन और सस्टेनेबल फाइनेंस की पहल
उनकी दृष्टि ने भारत के गिफ्ट आईएफएससी को एक प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद की।
व्यापक प्रशासनिक और नियामकीय अनुभव
खेल सचिव के रूप में खेल नीति और प्रशासनिक सुधारों की देखरेख की।
राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के चेयरमैन रहते हुए आवश्यक दवाओं की किफायती उपलब्धता सुनिश्चित की।
संयुक्त राष्ट्र (UN) असाइनमेंट में वैश्विक शासन और विकास लक्ष्यों में योगदान दिया।
SEBI, LIC और अन्य प्रमुख संस्थानों के बोर्ड में सदस्य के रूप में कार्य किया।
यह विविध अनुभव उन्हें एनएसई में संतुलित और पारदर्शी निगरानी प्रदान करने में सक्षम बनाता है, जिससे निवेशकों का भरोसा और जनहित दोनों मजबूत होंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य
श्रीनिवास इन्जेटी – एनएसई गवर्निंग बोर्ड के नए चेयरपर्सन।
1983 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, 40 वर्षों से अधिक का अनुभव।
पूर्व में – कॉर्पोरेट कार्य सचिव और आईएफएससीए के प्रथम चेयरपर्सन।
SEBI – भारतीय प्रतिभूति बाजार की नियामक संस्था।
गठन: 1988 (गैर-वैधानिक रूप में)
वैधानिक अधिकार: SEBI अधिनियम, 1992 के तहत प्रदान किए गए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 सितम्बर 2025 को भागलपुर–दुमका–रामपुरहाट रेलवे लाइन (177 किमी) को दोगुना करने की मंज़ूरी दी। बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरने वाली इस परियोजना की लागत लगभग ₹3,169 करोड़ होगी। इसका उद्देश्य रेल संपर्क मज़बूत करना, माल ढुलाई बढ़ाना और पिछड़े व आकांक्षी जिलों में विकास को प्रोत्साहित करना है।
परियोजना के प्रमुख उद्देश्य व लाभ
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बहु-आयामी संपर्क और लॉजिस्टिक्स दक्षता सुनिश्चित करना।
एकल लाइन पर भीड़भाड़ कम होगी।
माल व यात्रियों की आवाजाही तेज़ और समयनिष्ठ होगी।
उद्योगों के लिए लॉजिस्टिक्स लागत घटेगी।
28.72 लाख लोगों और 441 गाँवों को लाभ
पाँच जिलों के 28.72 लाख लोग और 441 गाँव सीधे लाभान्वित होंगे।
इसमें नीति आयोग द्वारा चिन्हित 3 आकांक्षी जिले भी शामिल : बांका, गोड्डा और दुमका।
मार्ग से जुड़े धार्मिक स्थलों को बढ़ावा मिलेगा :
देवघर (बाबा बैद्यनाथ धाम), झारखंड
तारापीठ शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल
माल ढुलाई क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव
दोगुनीकरण के बाद अतिरिक्त 15 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) माल ढुलाई की क्षमता।
प्रमुख वस्तुएँ : कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट-पत्थर।
हरित अवसंरचना में योगदान :
तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की बचत।
24 करोड़ किग्रा CO₂ उत्सर्जन में कमी।
1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर पर्यावरणीय लाभ।
स्थायी तथ्य एवं मुख्य बिंदु
अनुमोदन तिथि : 10 सितम्बर 2025
दूरी : 177 किमी
कुल लागत : ₹3,169 करोड़
राज्य : बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल
जिले : बांका, गोड्डा, दुमका आदि
धार्मिक स्थल जुड़े : देवघर (झारखंड), तारापीठ (प. बंगाल)
10 सितम्बर 2020 को प्रारम्भ हुई प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) ने पाँच वर्षों में भारत के मत्स्य क्षेत्र को एक पर्यावरणीय रूप से स्थायी, आर्थिक रूप से सशक्त और सामाजिक रूप से समावेशी उद्योग के रूप में पुनर्गठित किया है। इस योजना को 2025–26 तक उसी वित्तीय संरचना के साथ विस्तार दिया गया है, जिससे “नीली क्रांति” को और अधिक गहराई प्रदान की जा सके। योजना का मुख्य उद्देश्य उत्पादन, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी तथा पश्च-फसल अवसंरचना में विद्यमान अंतरालों को दूर करना है।
उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
मत्स्य उत्पादन : 2024–25 में कुल उत्पादन 195 लाख टन, जो 2013–14 की तुलना में 104% अधिक है।
आंतरिक मत्स्य क्षेत्र : इसी अवधि में 142% की वृद्धि।
वैश्विक स्थिति : भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक बन चुका है।
निर्यात : मत्स्य निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि से वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है।
वित्तीय प्रतिबद्धताएँ एवं अवसंरचना विकास
राज्यों व एजेंसियों के लिए अब तक ₹21,274 करोड़ मूल्य की परियोजनाएँ स्वीकृत।
₹9,189 करोड़ केंद्रीय अंश में से ₹5,587 करोड़ व्यय हेतु जारी।
मत्स्य बंदरगाहों, कोल्ड स्टोरेज तथा बाजार अवसंरचना हेतु ₹17,210 करोड़ का आवंटन।
पीएम-मत्य्स किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) वर्ष 2024 में ₹6,000 करोड़ बजट के साथ प्रारम्भ, जिसका उद्देश्य क्षेत्र का औपचारिककरण, बीमा विस्तार और मूल्य श्रृंखला सुदृढ़ करना है।
मछुआरों का सशक्तिकरण एवं डिजिटल आधार
26 लाख मछुआरे, उद्यमी और FFPOs राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (NFDP) पर पंजीकृत।
4.76 लाख किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) मछुआरों व मत्स्य कृषकों को प्रदान।
₹3,214 करोड़ की राशि ऋण एवं वित्तीय सहायता के रूप में वितरित।
प्रशिक्षण, सहकारी संस्थाओं और विपणन अवसरों पर विशेष बल, जिससे क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
स्थायी तथ्य एवं मुख्य बिंदु
योजना प्रारम्भ : 10 सितम्बर 2020
निष्पादन मंत्रालय : मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय
लक्ष्य अवधि : 2025–26 तक विस्तार
स्वीकृत परियोजनाएँ : ₹21,274 करोड़ (2025 तक)
प्रमुख उप-योजना : PM-MKSSY, ₹6,000 करोड़ (2024)
उत्पादन (2024–25) : 195 लाख टन (2013–14 से 104% वृद्धि)
वैश्विक स्थान : विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश