प्रतिष्ठित लेखिका, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता पी. शिवकामी को फिल्म निर्माता पा. रणजीत द्वारा स्थापित नीलम सांस्कृतिक केंद्र की ओर से “वेरचोल दलित साहित्य पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार समारोह चेन्नई में आयोजित हुआ, जिसमें उन्हें ₹1 लाख की नकद राशि भी प्रदान की गई। यह आयोजन न केवल साहित्यिक उत्कृष्टता का उत्सव था, बल्कि दलित अस्मिता, बौद्धिक स्वायत्तता और साहित्य के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की संभावनाओं की सशक्त पुष्टि भी था।
पुरस्कार समारोह की मुख्य झलकियाँ
पुरस्कार प्राप्तकर्ता: पी. शिवकामी – सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, लेखिका और राजनेता
पुरस्कार राशि: ₹1 लाख और वेरचोल दलित साहित्य पुरस्कार
आयोजक संस्था: नीलम सांस्कृतिक केंद्र, जिसकी स्थापना फिल्म निर्माता पा. रणजीत ने की
स्थान: चेन्नई, तमिलनाडु
तारीख: 13 अप्रैल 2025
पी. शिवकामी का संबोधन – मुख्य संदेश
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दलित पहचान पर: “यह मुख्यधारा में होने की बात है… हम हाशिये पर नहीं हैं।”
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दलित साहित्य पर विचार:
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यह प्रभावशाली वर्गों में विवाद और असहजता पैदा करता है।
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यह सौंदर्यशास्त्र की प्रचलित मान्यताओं को चुनौती देता है और मुख्यधारा साहित्य में अपनी वैध जगह बनाता है।
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लेखन पर दृष्टिकोण:
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शुरुआत में लेखन को केवल एक कला के रूप में देखा, बाद में यह समझा कि यह प्रतिरोध का भी माध्यम है।
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अंग्रेज़ी में लेखन:
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व्यापक पहुंच के लिए अंग्रेज़ी में लेखन के महत्व और प्रभाव को पहचाना।
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सामुदायिक सशक्तिकरण:
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दलित कवियों और लेखकों की बढ़ती उपस्थिति को एक सकारात्मक संकेत के रूप में सराहा।
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