केंद्रीय कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार जून 2023 से मई 2024 की अवधि के दौरान देश भर में 116,000 किसानों ने स्वेच्छा से प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत अपना लाभ छोड़ दिया है।
पीएम-किसान योजना 24 फरवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी। यह 100 प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत किसानों को प्रति वर्ष 6000 रुपये मिलते हैं।
स्वेच्छा से छोड़ने वालों में बिहार सबसे आगे
स्वेच्छा से पीएम-किसान योजना छोड़ने वाले 116,000 किसानों में से सबसे अधिक बिहार से हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश और राजस्थान का स्थान है।
पीएम-किसान योजना को स्वेच्छा से छोड़ने का कारण
पिछले साल भारत सरकार ने पंजीकृत किसान को योजना से स्वेच्छा से पंजीकरण रद्द करने की अनुमति देने के लिए पीएम-किसान ऐप और वेबसाइट में एक विकल्प सक्षम किया था।
मंत्रालय के अनुसार किसानों द्वारा पीएम-किसान लाभ छोड़ने का संभावित कारण हो सकता है,
- अनुपस्थित जमींदार जिन्होंने सब्सिडी का लाभ न लेने का निर्णय लिया हो;
- उत्तराधिकार के माध्यम से कर देने वाले वंशजों को भूमि हस्तांतरित की गई हो और
- भूमि-स्वामियों की स्थिति में परिवर्तन।
- पीएम किसान योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी उत्तर प्रदेश
- भारत सरकार द्वारा किसानों को तीन किस्तों में 2000 रुपये का भुगतान किया जाता है। 16वीं किस्त 29 फरवरी 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 9.09 करोड़ किसानों के बैंक खाते में सीधे जारी की गई थी।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (पीएम-किसान)
देश के किसानों को आय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 100 प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना शुरू की। इसे 24 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।
योजना का लाभ
- इस योजना के तहत पात्र किसानों को भारत सरकार द्वारा प्रति वर्ष 6000 रुपये तीन किस्तों में किसानो के बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाता हैं।
- 1 दिसंबर, 2019 को या उसके बाद आने वाली सभी किस्तों का भुगतान केवल लाभार्थियों के आधार प्रमाणित बैंक डेटा के आधार पर किया जा रहा है।