प्रत्येक वर्ष 18 मार्च को आयुध निर्माणी दिवस मनाया जाता है, जो भारत में पहली आयुध निर्माणी की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। यह निर्माणी ब्रिटिश शासन के दौरान 1801 में कोलकाता के पास स्थापित की गई थी। इस दिन भारतीय आयुध निर्माणियों की अनुसंधान, विकास और उत्पादन क्षमताओं को उजागर किया जाता है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत की सबसे पुरानी आयुध निर्माणी, कसिपोर, कोलकाता में स्थित गन एंड शेल फैक्ट्री, 18 मार्च 1802 को संचालन में आई थी। 2021 में, आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) को पुनर्गठित कर सात रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) में विभाजित किया गया, ताकि रक्षा निर्माण क्षेत्र में दक्षता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सके।
भारतीय आयुध निर्माणियों का इतिहास
ब्रिटिश काल में स्थापना और विकास
– भारत में आयुध निर्माणियों की जड़ें 1775 में देखी जाती हैं, जब फोर्ट विलियम, कोलकाता में ब्रिटिश शासन के तहत बोर्ड ऑफ ऑर्डनेंस की स्थापना की गई।
– 1787 में ईशापुर में पहला गनपाउडर कारखाना स्थापित किया गया, जिसमें 1791 से उत्पादन शुरू हुआ।
– 1801 में कसिपोर, कोलकाता में गन कैरिज एजेंसी स्थापित की गई, जिसने 18 मार्च 1802 को उत्पादन शुरू किया।
– पहली बार आयुध निर्माणी दिवस 15 मार्च 1802 को मनाया गया।
स्वतंत्रता के बाद का विस्तार
– 1947 में स्वतंत्रता के समय 18 आयुध निर्माणियां थीं।
– बाद में इनकी संख्या बढ़कर 41 हो गई, जिनमें नालंदा और कोरवा की फैक्ट्रियाँ भी शामिल हैं, जो शस्त्र, गोला-बारूद, वाहन और रक्षा उपकरणों का निर्माण करती हैं।
– मोदी सरकार ने 275 उत्पादों को गैर-मुख्य श्रेणी में रखा, जिससे खुले बाजार से उनकी खरीद को अनुमति दी गई और आयुध निर्माणियों पर निर्भरता घटाई गई।
भारतीय आयुध निर्माणियों का महत्व
भारतीय आयुध निर्माणियों को रक्षा क्षेत्र की चौथी भुजा कहा जाता है, जो थलसेना, वायुसेना और नौसेना को आवश्यक उपकरण प्रदान करती हैं।
ये निर्माणियाँ उत्पादन, परीक्षण, अनुसंधान, लॉजिस्टिक्स और विपणन के माध्यम से थल, जल और वायु रक्षा प्रणालियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
वैश्विक रक्षा उत्पादन में भारत शीर्ष देशों में शामिल है:
– OFB दुनिया का 37वां सबसे बड़ा रक्षा उत्पादक है।
– यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और भारत का सबसे बड़ा रक्षा निर्माता है।
आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) का 2021 में पुनर्गठन
पुनर्गठन का कारण
– अक्टूबर 2021 में OFB को भंग कर सात नई रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) में विभाजित किया गया।
– इसका उद्देश्य दक्षता, प्रतिस्पर्धा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था, जिससे भारत का रक्षा निर्माण क्षेत्र सशक्त हो सके।
भारत में रक्षा निर्माण के सात नए सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSUs)
सरकार ने 2021 में आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) को भंग कर सात नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSUs) स्थापित किए, जो अलग-अलग रक्षा उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञता रखते हैं।
DPSU | विशेषज्ञता |
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एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) | छोटे हथियार, राइफलें और सैन्य ग्रेड के हथियार |
ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (GIL) | पैराशूट और हवाई रक्षा उपकरण |
ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (TCL) | सैन्य वर्दी, जूते और सुरक्षात्मक गियर |
आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) | युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहन |
म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) | गोला-बारूद, विस्फोटक और तोपखाने के गोले |
यंत्र इंडिया लिमिटेड (YIL) | इंजीनियरिंग घटक और यांत्रिक रक्षा उपकरण |
इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) | ऑप्टिक्स, निगरानी प्रणाली और नाइट विजन डिवाइस |
भारत की रक्षा क्षमताएँ और आयुध निर्माणियों की भूमिका
भारत की बढ़ती रक्षा शक्ति
– चीन और पाकिस्तान से लगातार बढ़ते सुरक्षा खतरों के कारण भारत अपनी रक्षा तकनीक को उन्नत कर रहा है।
– भारतीय आयुध निर्माणियाँ हथियार और गोला-बारूद उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
– भारत 30 से अधिक देशों को सैन्य-ग्रेड हथियार, गोला-बारूद और रक्षा उपकरण निर्यात करता है।
– आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) पहल के तहत, भारत रक्षा निर्माण में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है।
आयुध निर्माणियों द्वारा प्राप्त प्रमुख उपलब्धियाँ
– 12.7 मिमी स्टेबलाइज्ड रिमोट-कंट्रोल्ड गन (SRCG) का विकास।
– 14.5/20 मिमी एंटी-मैटेरियल राइफल की शुरुआत।
– स्वदेशी राइफलें, गोला-बारूद और युद्धक टैंकों का निर्माण।
भारतीय आयुध निर्माणियों के मुख्य उद्देश्य
रक्षा उपकरणों का उत्पादन – भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हथियार, गोला-बारूद, टैंक और अन्य सैन्य उपकरणों का निर्माण।
उत्पादन का आधुनिकीकरण – निर्माण प्रक्रियाओं और तकनीक को उन्नत कर गुणवत्ता और दक्षता में सुधार।
अनुसंधान और विकास (R&D) – इन-हाउस अनुसंधान और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) के माध्यम से उन्नत तकनीकों में निवेश।
ग्राहक संतुष्टि और बाजार विस्तार – ग्राहक संबंधों को मजबूत करना और वैश्विक रक्षा बाजारों में विस्तार करना।