भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) के रखरखाव और निगरानी प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार की दिशा में, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने 3D लेजर आधारित नेटवर्क सर्वे वाहन (Network Survey Vehicles – NSVs) तैनात किए हैं। यह पहल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके देश में सड़क अवसंरचना को अधिक स्मार्ट और टिकाऊ बनाया जा रहा है।
क्या हैं नेटवर्क सर्वे वाहन (NSVs)?
नेटवर्क सर्वे वाहन अत्याधुनिक 3D लेजर तकनीक से सुसज्जित वाहन हैं, जो सड़कों की भौतिक स्थिति का सटीक और स्वचालित मूल्यांकन करने में सक्षम हैं।
ये वाहन स्वतः पहचान करते हैं —
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सड़क की दरारें (Surface Cracks)
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गड्ढे (Potholes)
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पैचिंग या घिसावट (Patches and Wear)
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और अन्य पेवमेंट दोष (Pavement Defects)
पूरी प्रक्रिया मानव हस्तक्षेप के बिना स्वचालित रूप से संचालित होती है, जिससे डेटा संग्रह और विश्लेषण में सटीकता बढ़ती है।
उद्देश्य और कवरेज
इस पहल का मुख्य उद्देश्य है —
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सड़क सुरक्षा में सुधार
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निवारक रखरखाव (Preventive Maintenance) को प्रोत्साहन
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एसेट प्रबंधन (Asset Management) को मजबूत बनाना
एनएचएआई इन वाहनों की मदद से 23 राज्यों में 20,933 किमी राजमार्गों का सर्वेक्षण कर रही है।
इससे सड़कों की वास्तविक स्थिति पर आधारित डेटा-आधारित निर्णय (Data-Driven Decisions) लिए जा सकेंगे — जिससे समय पर मरम्मत, उन्नयन और रखरखाव सुनिश्चित हो सके।
एआई और ‘डेटा लेक’ पोर्टल से एकीकरण
सभी सर्वेक्षणों से एकत्र डेटा एनएचएआई के एआई-आधारित पोर्टल ‘डेटा लेक (Data Lake)’ में अपलोड किया जाएगा।
यहां,
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विशेषज्ञों की टीम द्वारा डेटा का विश्लेषण किया जाएगा
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सड़क मरम्मत और उन्नयन के लिए समय पर हस्तक्षेप योजनाएँ बनाई जाएंगी
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राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का एक डिजिटल इन्वेंट्री (Digital Inventory) तैयार किया जाएगा
इससे सड़क क्षतियों की पहचान और सुधार समय रहते हो सकेगा, जिससे मरम्मत लागत कम होगी और यात्रा अधिक सुगम और सुरक्षित बनेगी।
क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण
यह परियोजना भारत के सड़क प्रबंधन दृष्टिकोण को “प्रतिक्रियात्मक (Reactive)” से “सक्रिय (Proactive)” मॉडल में परिवर्तित करती है।
एआई और 3D इमेजिंग तकनीक के उपयोग से एनएचएआई को सक्षम बनाया जा रहा है कि वह —
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सड़कों की रीयल-टाइम निगरानी कर सके
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मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करे
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वास्तविक स्थिति के आधार पर प्राथमिकता निर्धारण कर सके
इस पहल से पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) में भी सुधार होगा, जिससे भारत की सड़क अवसंरचना अधिक टिकाऊ, स्मार्ट और सुरक्षित बनेगी।


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