प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने आंध्र प्रदेश के नागयालंका में एक नए मिसाइल परीक्षण रेंज की स्थापना को मंजूरी दी है। इस पहल का उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है, विशेष रूप से सामरिक मिसाइल प्रणालियों के परीक्षण के लिए। यह नई सुविधा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, टैंक रोधी मिसाइलों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के तहत अन्य उन्नत परियोजनाओं पर केंद्रित होगी।
मंजूरी के मुख्य विवरण
CCS की बैठक में अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई, जिनमें अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद और परियोजना एटीवी के तहत दो परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है। इसके अलावा, सैन्य बलों के लिए सड़कों के विकास और अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं को बढ़ाने की योजनाओं को भी हरी झंडी मिली। DRDO विभिन्न हथियार प्रणालियों के विकास को भी आगे बढ़ा रहा है, जिनमें बहुत ही छोटी दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली और त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
नई सुविधा का महत्व
यह मिसाइल परीक्षण रेंज DRDO की सामरिक मिसाइल परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करेगी, जो भारत के रक्षा बुनियादी ढांचे को काफी हद तक बढ़ाएगी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि यह क्षेत्र रक्षा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और रोजगार सृजन में योगदान देगा। इस सुविधा में आधुनिक लॉन्च नियंत्रण केंद्र और निगरानी स्टेशन होंगे, और भूमि आवंटन के तीन साल के भीतर इसके पूरा होने की उम्मीद है।
ऐतिहासिक संदर्भ
एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) भारत में मिसाइल परीक्षण क्षमताओं में महत्वपूर्ण निवेश का हिस्सा है। 2012 से विकासाधीन मछलीपट्टनम टेस्ट रेंज परियोजना, एक व्यापक परीक्षण सुविधा स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो छोटी और लंबी दूरी की मिसाइल मिशनों का समर्थन करने में सक्षम होगी। 2019 में इस रेंज के लिए भूमि पूजन हुआ था, और इस नवीनतम मंजूरी के साथ, भारत का रक्षा क्षेत्र आगे की प्रगति के लिए तैयार है।