जम्मू और कश्मीर के चुनावी नक्शे को पुनः तैयार करने वाले तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने अपने दो साल के कार्यकाल के समाप्त होने से बमुश्किल एक दिन पहले अपने अंतिम निर्णय में कश्मीर संभाग के लिए 47 और जम्मू के लिए 43 विधानसभा सीटों का आवंटन किया। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पैनल द्वारा अंतिम फैसले को मंजूरी देने के बाद, एक गजट अधिसूचना ज़ारी की गई की गयी जिसमें जम्मू को छह अतिरिक्त सीटें और कश्मीर को एक और सीट दी गयी। जम्मू में 37 विधानसभा क्षेत्र थे और कश्मीर में पुनर्गठन से पहले 46 थे। अब केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 90 हो गई।
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प्रमुख बिंदु (Key Points):
- आयोग, जिसमें पदेन सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर चुनाव आयुक्त के.के. शर्मा शामिल हैं, ने सिफारिश की है कि केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में कश्मीरी प्रवासी समुदाय के कम से कम दो सदस्य शामिल हों, जिनमें से एक महिला हो।
- आयोग ने एक बयान में कहा कि पुडुचेरी विधानसभा के जिन मनोनीत सदस्यों को वोट देने का अधिकार है उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
- आयोग, जिसे मार्च 2020 में स्थापित किया गया था और 2011 की जनगणना के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों को चित्रित करने का काम सौंपा गया था, ने सरकार को यह भी सिफारिश की है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों को नामांकन के माध्यम से विधानसभा में कुछ प्रतिनिधित्व दिया जाए।
- इसके अलावा, राजनीतिक दलों, निवासियों और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों के साथ परामर्श के बाद, अनुसूचित जनजातियों के लिए पहली बार नौ सीटों का सुझाव दिया गया है – जम्मू में छह और घाटी में तीन।
- कश्मीर में अनंतनाग संसदीय सीट को राजौरी और पुंछ जिलों को शामिल करने के लिए पुन: कॉन्फ़िगर किया गया है।
- केंद्र शासित प्रदेश में पांच संसदीय क्षेत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक में 18 विधानसभा सीटें हैं।
- कुछ विधानसभा सीटों के नाम स्थानीय सांसदों के अनुरोधों तथा आसापास के लोगों की प्रतिक्रिया के बाद बदल दिए गए हैं।
तंगमर्ग का नाम बदलकर गुलमर्ग, ज़ूनीमार का नाम जैदीबल, सोनवार का नाम बदलकर लाल चौक, पद्दर का नाम बदलकर पद्दर-नागसेनी, कठुआ उत्तर का नाम जसरोटा, कठुआ दक्षिण का नाम कठुआ, खुर का नाम छंब, महोरे का नाम बदलकर गुलाब किया गया है। आयोग ने जन सुनवाई में कश्मीरी प्रवासियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों की बात सुनी।




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