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Tax Collection: शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 1.39 फीसदी गिरा

इस वित्त वर्ष में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ें के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अब तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.59 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वर्ष की तुलना में 1.39 प्रतिशत कम है। 2024 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.65 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कहा गया कि इस गिरावट का मुख्य कारण अग्रिम कर संग्रह की रफ्तार में आई कमी है।

समाचार में क्यों?

21 जून 2025 को जारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 19 जून 2025 तक की अवधि में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण ₹4.59 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹4.65 लाख करोड़ से 1.39% कम है। यह गिरावट मुख्यतः कॉर्पोरेट अग्रिम कर संग्रहण में मंदी के कारण दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु और आंकड़े

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण (1 अप्रैल – 19 जून 2025):

₹4.59 लाख करोड़ (1.39% की गिरावट)

सकल प्रत्यक्ष कर संग्रहण:

₹5.45 लाख करोड़ (वर्ष दर वर्ष 4.86% की वृद्धि)

अग्रिम कर संग्रहण:

  • ₹1.55 लाख करोड़ (3.87% की वृद्धि)
  • पिछले वर्ष (2024): 27% की बढ़ोतरी
  • कॉर्पोरेट अग्रिम कर: ₹1.22 लाख करोड़ (5.86% वृद्धि)
  • गैर-कॉर्पोरेट अग्रिम कर: ₹33,928 करोड़ (2.68% की गिरावट)
  • व्यक्तिगत आयकर संग्रहण: ₹2.73 लाख करोड़ (0.7% की वृद्धि)
  • कॉर्पोरेट कर संग्रहण (कुल): ₹1.73 लाख करोड़ (5% से अधिक गिरावट)
  • सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT): ₹13,013 करोड़ (12% की वृद्धि)
  • जारी किए गए टैक्स रिफंड: ₹86,385 करोड़ (58% की वृद्धि)

उद्देश्य और निहितार्थ

अग्रिम कर का उद्देश्य:
आय अर्जन के साथ-साथ समय पर कर संग्रह सुनिश्चित करना और वर्ष के अंत में एकमुश्त कर बोझ से बचना।

रिफंड की अधिकता का प्रभाव:
उच्च रिफंड जारी होने के कारण शुद्ध कर संग्रह में गिरावट देखी गई, भले ही सकल संग्रह बढ़ा हो।

आर्थिक संकेत:
शुरुआती संकेत बताते हैं कि कॉर्पोरेट कमाई में गिरावट या कंपनियों द्वारा सतर्कता के साथ कर अनुमान लगाया जा रहा है।

नीतिगत महत्व:
यह आंकड़े राजकोषीय निर्णयों और कर अनुपालन की प्रवृत्तियों की समीक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।

समग्र महत्व

यह वित्तीय संकेत बताता है कि सकल कर संग्रह बढ़ रहा है, लेकिन शुद्ध संग्रह में गिरावट रिफंड और कॉर्पोरेट अग्रिम कर में मंदी के कारण हो रही है। यह कॉर्पोरेट भारत में सतर्क रुख को दर्शाता है और राजकोषीय संतुलन बनाए रखने हेतु सक्रिय नीतिगत समीक्षा की आवश्यकता को इंगित करता है।

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