नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रकाश मान सिंह राउत को देश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया। पौडेल ने राउत को शीतल निवास, राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक विशेष समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
समारोह में उपस्थिति
शपथ ग्रहण समारोह में कई शीर्ष अधिकारी मौजूद थे, जिनमें शामिल हैं:
- उप राष्ट्रपति रामसहाय प्रसाद यादव
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली
- अध्यक्ष देवराज घिमिरे
- राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण प्रसाद दाहाल
संसदीय समर्थन
राउत को 2 अक्टूबर को आयोजित बैठक में संसदीय सुनवाई समिति से सर्वसम्मत समर्थन प्राप्त हुआ। उनकी नियुक्ति नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 129, धारा 2 के अनुरूप है।
संविधान परिषद की सिफारिश
संविधान परिषद ने 16 सितंबर को बैठक कर राउत को मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए सिफारिश की थी।
बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ का उत्तराधिकारी
राउत की नियुक्ति बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ के द्वारा छोड़ी गई जगह को भरती है, जो 65 वर्ष की अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु तक पहुंचने के बाद 5 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हुए।
कानूनी पृष्ठभूमि
- राउत ने 1983 से 2016 तक कानून का अभ्यास किया और 2006 में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।
- वे 1 अगस्त 2016 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।
- राउत के पास त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री है और उन्होंने नागरिक, आपराधिक और संवैधानिक कानून में विशेषज्ञता हासिल की है।
भविष्य की भूमिका
मुख्य न्यायाधीश के रूप में, राउत से अपेक्षा की जाती है कि वे न्याय और कानून के शासन को बनाए रखें, और नेपाल की न्यायिक प्रणाली को सुधारने के लिए अपने व्यापक कानूनी अनुभव का लाभ उठाएं। उनके कानूनी ज्ञान और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता नेपाल की न्यायिक प्रणाली के लिए एक आशाजनक भविष्य का संकेत देती है।