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NeGD ने देश भर में 2,000 ई-गवर्नेंस सेवाओं को एकीकृत किया

भारत की डिजिटल इंडिया पहल को बड़ी बढ़त देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) ने देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 1,938 ई-गवर्नमेंट सेवाओं का सफलतापूर्वक एकीकरण डिजीलॉकर (DigiLocker) और ई-डिस्ट्रिक्ट (e-District) जैसे प्लेटफॉर्म पर कर लिया है। यह उपलब्धि नागरिकों को आसान, समान और पारदर्शी तरीके से सरकारी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

पूरे भारत में डिजिटल गवर्नेंस का विस्तार

नागरिकों के लिए सहज पहुँच

अब भारतीय नागरिक 24×7 डिजिटल माध्यम से विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे:

  • जन्म और जाति प्रमाण पत्र

  • कल्याणकारी योजनाओं के आवेदन

  • बिजली और पानी के बिल भुगतान

  • आय, निवास और विवाह प्रमाण पत्र

इससे लोगों को शारीरिक रूप से सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत कम होगी, कागजी कार्यवाही घटेगी और सेवा वितरण की दक्षता बढ़ेगी।

राज्यवार सेवा एकीकरण में अग्रणी

कुल 1,938 सेवाओं में से सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य हैं:

  • महाराष्ट्र – 254 सेवाएँ

  • दिल्ली – 123 सेवाएँ

  • कर्नाटक – 113 सेवाएँ

  • असम – 102 सेवाएँ

  • उत्तर प्रदेश – 86 सेवाएँ

यह व्यापक अपनापन राज्यों की डिजिटल तत्परता और सार्वजनिक सेवा सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ई-गवर्नेंस को सशक्त बनाने वाले प्लेटफॉर्म

डिजीलॉकर (DigiLocker)

  • एक सुरक्षित क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म

  • नागरिकों को सरकारी विभागों और निजी संस्थानों द्वारा जारी दस्तावेज़ों को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने और प्राप्त करने की सुविधा

  • शिक्षा, परिवहन और कानूनी सत्यापन में पेपरलेस गवर्नेंस को बढ़ावा देता है।

ई-डिस्ट्रिक्ट (e-District)

  • जिला-स्तरीय प्रशासनिक सेवाओं को डिजिटाइज करने के लिए तैयार

  • ग्रामीण और शहरी दोनों नागरिकों को योजनाओं के लिए आवेदन करने और आधिकारिक दस्तावेज़ प्राप्त करने में मददगार

  • स्थानीय स्तर पर डिजिटल गवर्नेंस का लाभ पहुँचाता है।

ई-गवर्नमेंट सेवाओं का भविष्य

NeGD उभरती हुई तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनाकर डिजिटल सेवाओं का विस्तार और परिष्करण करने की योजना बना रहा है। इसके माध्यम से:

  • नागरिकों को स्मार्ट सार्वजनिक सेवा अनुशंसा मिलेगी

  • पूर्वानुमान और व्यक्तिगत इंटरैक्शन संभव होंगे

  • स्वचालन (Automation) से अनुमोदन प्रक्रियाएँ सरल होंगी

  • हाशिए पर मौजूद समुदायों को सरकारी सहायता तक अधिक प्रभावी पहुँच मिलेगी

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