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एक राष्ट्र-एक छात्र में 25 करोड़ आईडी तैयार: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि ‘एक राष्ट्र-एक छात्र’ योजना के तहत 25 करोड़ छात्रों की यूनिक आईडी तैयार हो चुकी है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 से बालवाटिका (पूर्व में नर्सरी) से लेकर पीएचडी और कौशल विकास में छात्रों की पहचान इस 12 अंक की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (एपीएएआर) से होगी। यह आईडी भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर पर भी सुविधाएं प्रदान करेगी।

प्रधान ने बताया कि आईडी से बोर्ड परीक्षा, जेईई मेन, नीट, सीयूईटी यूजी, पीजी समेत अन्य राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षा, दाखिला, स्कॉलरशिप, ट्रांसफर सर्टिफिकेट से लेकर नौकरी के दौरान छात्र के सत्यापन करने में आसानी होगी। इससे यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ता है तो उसका पता लगाना आसान होगा। इसके अलावा प्रवेश परीक्षा में कोई भी छात्र किसी अन्य की जगह परीक्षा नहीं दे पाएगा। सर्टिफिकेट और डिग्री की धोखाधड़ी से निजात मिलेगी। योजना में छात्रों का डाटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा, किसी प्रकार की कोई जानकारी किसी से साझा नहीं होगी।

 

आवेदन में डॉक्यूमेंट अपलोड से छुटकारा

जन्म से लेकर बालवाटिका में दाखिला लेने तक छात्र का नाम ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (एपीएएआर) से जुड़ जाएगा। उसमें छात्र और माता-पिता का नाम, जन्मतिथि, लिंग, फोटो, पता और आधार नंबर डाला जाएगा। बालवाटिका दाखिले के समय बनी आईडी पीएचडी, स्कॉलरशिप, रिसर्च और कौशल विकास तक चलेगी। यही आईडी उसकी पहचान होगी। इसके अलावा ट्रांसफर सर्टिफिकेट के लिए भी अभिभावकों को अब नहीं भटकना पड़ेगा।

 

डिजिलॉकर और अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट से भी जुड़ी

यह आईडी डिजिलॉकर और अकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट से भी जुड़ जाएगी। जैसे ही छात्र कोई कोर्स, डिग्री, सर्टिफिकेट, स्किल कोर्स समेत अन्य कोई उपलब्धि हासिल करता है तो उसके सर्टिफिकेट उसमें जुड़ जाएंगे। इससे छात्र की शैक्षणिक योग्यता और सर्टिफिकेट की जांच अलग से नहीं होगी। योजना में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक छात्र देश में कहीं से भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकता है। लेकिन ट्रांसफर सर्टिफिकेट से लेकर अन्य जटिलताओं के कारण अभी सरकारी, निजी स्कूलों और कॉलेजों में यह संभव नहीं हो पाता है। इस यूनिक आईडी में डिजिटली सब सर्टिफिकेट होने से छात्र आसानी से ट्रांसफर ले सकेगा।

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vikash

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