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भारतीय तटरक्षक बल को मिला नया प्रदूषण नियंत्रण पोत

रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक इकाई गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय तटरक्षक बल के लिए अपने दूसरे स्वदेशी डिजाइन वाले प्रदूषण नियंत्रण पोत (पीसीवी) ‘समुद्र प्रचेत’ का जलावतरण किया। जीएसएल अधिकारी के अनुसार पोत में दो भुजाएं हैं जो चलते समय तेल रिसाव को एकत्रित करने में सक्षम हैं और तेल के धब्बों का पता लगाने के लिए एक रडार भी है। यह पोत भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) में तेल रिसाव की स्थिति से निपटने की क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही, यह रणनीतिक समुद्री संसाधनों के स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी सशक्त बनाएगा।

भारतीय महासागर क्षेत्र में बढ़ते समुद्री यातायात और औद्योगिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय चिंताओं के मद्देनज़र विशेष प्रदूषण नियंत्रण पोतों (PCVs) की आवश्यकता महसूस की गई। इस संदर्भ में, रक्षा मंत्रालय ने भारत सरकार के प्रमुख रक्षा सार्वजनिक उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) को दो पीसीवी निर्माण की स्वीकृति दी। पहला पीसीवी अगस्त 2024 में जलावतरण हुआ था, जबकि दूसरा — ‘समुद्र प्रचेत’ — इस रणनीतिक पहल की पूर्णता को दर्शाता है।

महत्व

‘समुद्र प्रचेत’ का सम्मिलन भारत की समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से तेल रिसाव, से निपटने की तैयारियों को काफी मज़बूत करता है। भारतीय महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की रणनीतिक और पर्यावरणीय सुरक्षा काफी हद तक समुद्री आपात स्थितियों से त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता पर निर्भर है। यह पोत भारतीय तटरक्षक बल की Maritime Zones of India Act, 1981 के तहत वैधानिक भूमिका और MARPOL (Marine Pollution) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत दायित्वों को निभाने में सहायक सिद्ध होगा।

उद्देश्य

‘समुद्र प्रचेत’ जैसे प्रदूषण नियंत्रण पोतों की तैनाती के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • भारत के समुद्री क्षेत्रों में तेल रिसाव से निपटने की क्षमताओं को बढ़ाना

  • तटीय और समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को समर्थन देना

  • समुद्री आपात स्थितियों में विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को सुदृढ़ करना

  • स्वदेशी जहाज निर्माण के माध्यम से समुद्री अवसंरचना में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना

‘समुद्र प्रचेत’ की विशेषताएं

  • लंबाई: 114.5 मीटर

  • चौड़ाई: 16.5 मीटर

  • विस्थापन (Displacement): 4,170 टन

  • निर्माण: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा पूर्णतः स्वदेशी रूप से

  • उपकरण: अत्याधुनिक प्रदूषण प्रतिक्रिया प्रणालियों से सुसज्जित

  • सक्रिय क्षेत्र: भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता

  • प्रक्षेपण: भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक परमेश शिवमणि और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में

इन विशेषताओं के चलते यह पोत समुद्री प्रदूषण नियंत्रण अभियानों के लिए पूरी तरह तैयार है और भारतीय तटरक्षक बल की हरित समुद्री रणनीति (Green Maritime Strategy) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।

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