न्यूयॉर्क में दुर्लभ भूवैज्ञानिक और पुरातात्विक वस्तुओं की एक नीलामी में पृथ्वी पर अब तक पाया गया मंगल ग्रह का सबसे बड़ा टुकड़ा 53 लाख डॉलर में बिक गया। उल्कापिंड की नीलामी का यह एक नया रिकार्ड बनाया है। एनडब्ल्यूए 16788 नामक इस पत्थर की नीलामी में ऑनलाइन और फोन बोलीदाताओं के बीच 15 मिनट तक बोली लगाने की होड़ मची रही। 54 पाउंड (24.5 किलोग्राम) के इस पत्थर की खोज नवंबर 2023 में नाइजर के सहारा रेगिस्तान में एक उल्कापिंड खोजने वाले ने की थी।
पृष्ठभूमि
नवंबर 2023 में नाइजर के अगाडेज़ क्षेत्र (सहारा रेगिस्तान के भीतर स्थित) में एक अनुभवी उल्कापिंड खोजकर्ता द्वारा एक अद्वितीय पत्थर की खोज की गई। स्थानीय लोगों को पहले से ही इसकी विशेषता पर संदेह था, लेकिन इसकी पुष्टि वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद हुई। यह पत्थर वास्तव में मंगल ग्रह से आया हुआ उल्कापिंड निकला और यह अब तक पृथ्वी पर पाया गया सबसे बड़ा ज्ञात मंगल ग्रह का टुकड़ा है। माना जाता है कि करोड़ों साल पहले मंगल पर किसी बड़े क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के टकराव से यह टुकड़ा अंतरिक्ष में फेंका गया था और अंततः पृथ्वी पर पहुंचा।
वैज्ञानिक महत्त्व
इस उल्कापिंड की वैज्ञानिक महत्ता इसके ग्रह-जनित स्रोत में निहित है। लगभग 50 लाख वर्ष पहले मंगल पर एक विशाल टक्कर ने उसकी सतह के कई टुकड़े अंतरिक्ष में भेज दिए। यह विशेष टुकड़ा लगभग 140 मिलियन मील की दूरी तय करते हुए पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर बच गया और खोजे जाने योग्य क्षेत्र में आ गिरा। इसका संरक्षित रह जाना और पहचाना जाना, मंगल की भूगर्भीय संरचना, खनिजीय संघटन और ब्रह्मांडीय टकरावों के इतिहास के अध्ययन के लिए अमूल्य सिद्ध होता है। यह ग्रहों के विकास और अंतरग्रहीय सामग्री के आदान-प्रदान की संभावना को भी दर्शाता है।
रिकॉर्ड तोड़ नीलामी और सार्वजनिक आकर्षण
सोथेबीज़ द्वारा आयोजित इस उल्कापिंड की नीलामी में केवल 15 मिनट के भीतर ऑनलाइन और फोन बोलीदाताओं के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी गई। यह प्राकृतिक इतिहास और अंतरिक्ष से संबंधित वस्तुओं के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाता है। इस बिक्री ने उल्कापिंडों की अब तक की नीलामी का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वैज्ञानिक महत्व की वस्तुएँ अब अनुसंधान के साथ-साथ कीमती संग्रहणीय संपत्ति भी मानी जा रही हैं। सोथेबीज़ में साइंस डिपार्टमेंट की प्रमुख कैसेंड्रा हैटन ने इसे “एक अद्भुत मंगलग्रहीय उल्कापिंड” कहा, जिसकी यात्रा मंगल की सतह से अफ्रीका के रेगिस्तान और फिर एक अंतरराष्ट्रीय नीलामी घर तक बेहद रोमांचक रही है।


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