समिति ने अपनी घोषणा करते हुए कहा, “2025 का नोबेल शांति पुरस्कार शांति की एक साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक को दिया जाता है, एक ऐसी महिला जो बढ़ते अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ जलाए रखती है।” इस घोषणा से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस पुरस्कार को जीतने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
मारिया कोरिना माचाडो – नोबेल शांति पुरस्कार विजेता
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मारिया कोरिना माचाडो वेनेज़ुएला की प्रमुख राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता हैं।
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वे देश में लोकतंत्र आंदोलन में अपने नेतृत्व और सक्रिय योगदान के लिए जानी जाती हैं।
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उन्होंने दशकों तक तानाशाही का विरोध किया और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा की।
पुरस्कार का कारण
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने माचाडो को शांति पुरस्कार इसलिए प्रदान किया क्योंकि उन्होंने:
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वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए।
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तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण संक्रमण में नेतृत्व किया।
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धमकियों, उत्पीड़न और छुपकर रहने जैसी परिस्थितियों के बावजूद नागरिक प्रतिरोध और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखा।
प्रमुख योगदान
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Súmate की संस्थापक, जो लोकतांत्रिक विकास के लिए समर्पित संगठन है।
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20 वर्षों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए संघर्ष।
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न्यायपालिका की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और जनप्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया।
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वेनेज़ुएला की विभाजित विपक्ष में एकजुटता का योगदान।
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2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहीं, लेकिन शासन द्वारा रोक दी गई।
महत्व
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यह दिखाता है कि शांति और लोकतंत्र आपस में जुड़े हैं।
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यह वैश्विक स्तर पर नागरिकों को अहिंसात्मक तरीके से तानाशाही के खिलाफ प्रतिरोध करने के लिए प्रेरित करता है।
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यह दर्शाता है कि महिला नेताओं की भूमिका दमनकारी शासन में स्वतंत्रता की रक्षा में कितनी महत्वपूर्ण है।
सामना किए गए चुनौतियाँ
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वेनेज़ुएला का लोकतांत्रिक राज्य से तानाशाही में संक्रमण।
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गहरी मानवतावादी और आर्थिक संकट, जिसमें लाखों लोग गरीबी में जी रहे हैं।
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विपक्ष का दमन, कानूनी अभियोजन, जेल और चुनावी हेरफेर के माध्यम से।
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व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता को खतरा होते हुए भी सक्रियता जारी रखना।
वैश्विक प्रभाव
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माचाडो लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस का प्रतीक बन गई हैं।
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उनके कार्य यह दिखाते हैं कि लोकतंत्र लंबे समय तक शांति बनाए रखने की आवश्यकता है।
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अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने उनके पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा देने में योगदान को मान्यता दी।