मनोज कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्देशक और लेखक थे जो अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे। 24 जुलाई 1937 को जन्मे, उन्हें भारत के प्रति उनके प्रेम के कारण “भारत कुमार” उपनाम मिला, जो उनकी फिल्मों में झलकता था। उन्होंने पद्म श्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।
मनोज कुमार एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्देशक और लेखक थे जो अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे। 24 जुलाई 1937 को जन्मे, उन्हें भारत के प्रति उनके प्रेम के कारण “भारत कुमार” उपनाम मिला, जो उनकी फिल्मों में झलकता था। उन्होंने पद्म श्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते। उनकी फिल्म ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया, और वे भारतीय सिनेमा में एक महान व्यक्ति बने रहे।
मनोज कुमार – प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मनोज कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) के एबटाबाद में हरिकिशन गिरी गोस्वामी के रूप में हुआ था। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहाँ उन्होंने हिंदू कॉलेज में अपनी शिक्षा पूरी की। दिलीप कुमार से प्रेरित होकर, उन्होंने अपना नाम बदलकर महान अभिनेता द्वारा निभाए गए किरदार के नाम पर मनोज कुमार रख लिया।
मनोज कुमार – फ़िल्में
मनोज कुमार एक महान अभिनेता और निर्देशक थे जो देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे। जानिए उनके फिल्मी करियर के बारे में:
प्रारंभिक वर्ष (1957-1964)
मनोज कुमार ने 1957 में फैशन ब्रांड से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की । उनकी पहली बड़ी हिट हरियाली और रास्ता (1962) थी, उसके बाद वो कौन थी? (1964) आई, जिसने उन्हें एक पहचाना सितारा बना दिया।
स्टारडम का शिखर (1965-1981)
1965 में उन्होंने शहीद में भगत सिंह की भूमिका निभाई, जिससे उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली। उनकी सबसे बड़ी सफलता 1967 में बनी उपकार से मिली, जो लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान जय किसान से प्रेरित एक देशभक्ति फिल्म थी। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार मिले।
उन्होंने पूरब और पश्चिम (1970), शोर (1972), रोटी कपड़ा और मकान (1974) और क्रांति (1981) जैसी क्लासिक फिल्में देना जारी रखा। उनकी फिल्में अक्सर मजबूत राष्ट्रवादी विषयों को लेकर चलती थीं।
बाद का कैरियर (1987-1999)
क्रांति (1981) के बाद उनकी सफलता में गिरावट आई। क्लर्क (1989) और जय हिंद (1999) जैसी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर असफल रहीं। उनकी आखिरी अभिनय भूमिका मैदान-ए-जंग (1995) में थी।
मनोज कुमार का राजनीतिक करियर
मनोज कुमार फिल्मों से संन्यास लेने के बाद 2004 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए। हालाँकि उन्होंने सक्रिय रूप से चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उन्होंने पार्टी के देशभक्ति के आदर्शों का समर्थन किया। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान ने उन्हें राजनीतिक हलकों में सम्मान दिलाया।
मनोज कुमार की मृत्यु
मनोज कुमार का 4 अप्रैल 2025 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में हृदय और यकृत संबंधी जटिलताओं के कारण निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे।
मनोज कुमार – पुरस्कार और सम्मान
मनोज कुमार द्वारा प्राप्त पुरस्कारों की सूची इस प्रकार है:
- पद्म श्री (1992)
- दूसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म (1968)
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2016)
- लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1999)
- सरदार पटेल लाइफटाइम अचीवमेंट इंटरनेशनल अवार्ड (2008)
- लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2010)
- भारत गौरव पुरस्कार (2012)
- लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2019)
मनोज कुमार की विरासत
मनोज कुमार को भारत कुमार के नाम से याद किया जाता है, वह अभिनेता जिन्होंने भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की भावना को जगाया। उनकी फ़िल्में जैसे उपकार, पूरब और पश्चिम और क्रांति ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। उन्होंने दादा साहब फाल्के पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते। बॉलीवुड, खासकर देशभक्ति फ़िल्मों पर उनका प्रभाव उनके जाने के बाद भी मज़बूत बना हुआ है।