पर्यावरणीय स्थिरता और नियंत्रित निर्माण गतिविधियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने कृत्रिम रेत (m-sand) के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक नई नीति को मंजूरी दी है। 13 मई 2025 को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकारी और अर्ध-सरकारी निर्माण परियोजनाओं में m-sand का उपयोग अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य नदी रेत के अत्यधिक दोहन को रोकना और स्थायी निर्माण पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
समाचार में क्यों?
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने कृत्रिम रेत को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक नीति को मंजूरी दी।
यह नीति सरकारी परियोजनाओं में m-sand को अनिवार्य बनाती है और इसके उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन उपाय प्रदान करती है, साथ ही अवैध रेत खनन की समस्या को भी संबोधित करती है।
उद्देश्य और उद्देश्य
-
प्राकृतिक रेत खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम करना।
-
सतत निर्माण को बढ़ावा देना।
-
स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना (MSME मान्यता और सब्सिडी के माध्यम से)।
मुख्य नीति बिंदु
| क्षेत्र | विवरण |
|---|---|
| अनिवार्यता | सभी सरकारी/अर्ध-सरकारी निर्माण कार्यों में केवल m-sand का उपयोग |
| क्रशर स्थापना | प्रत्येक जिले में 50 क्रशर की अनुमति, कुल 1,500 राज्यभर में |
| भूमि आवंटन | m-sand क्रशर स्थापित करने हेतु राज्य की भूमि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर पट्टे पर दी जाएगी |
| MSME दर्जा | कृत्रिम रेत उत्पादकों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) का दर्जा मिलेगा |
| रॉयल्टी दर | m-sand के लिए ₹200 प्रति ब्रास, जबकि प्राकृतिक रेत के लिए ₹600 प्रति ब्रास |
| संक्रमण अवधि | वर्तमान स्टोन क्रशरों को 3 वर्षों में m-sand उत्पादन में परिवर्तित करना होगा, अन्यथा लाइसेंस रद्द होंगे |
-
m-sand के उपयोग से नदियों और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा होगी
-
पथरीले इलाकों से पत्थर निकाले जाएंगे और बाद में उन्हें जल संरक्षण कुंड में बदला जाएगा
-
नीति राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के दिशा-निर्देशों और राज्य सरकार की पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है
पृष्ठभूमि
-
2014 में NGT ने तटीय क्षेत्रों में रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया था
-
2016 में कुछ जिलों में यह प्रतिबंध आंशिक रूप से हटाया गया
-
m-sand कठोर चट्टानों (जैसे ग्रेनाइट) को पीसकर बनाई जाती है, जो निर्माण में समानता और मजबूती सुनिश्चित करती है
| सारांश / स्थैतिक तथ्य | विवरण |
| समाचार में क्यों? | महाराष्ट्र ने कृत्रिम रेत के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु नीति शुरू की |
| नीति का नाम | महाराष्ट्र कृत्रिम रेत प्रोत्साहन नीति (2025) |
| घोषणा की तारीख | 13 मई, 2025 |
| अनिवार्य उपयोग | सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी निर्माण परियोजनाओं में m-sand अनिवार्य |
| मंजूरशुदा क्रशर इकाइयाँ | प्रत्येक जिले में 50, कुल 1,500 क्रशर इकाइयाँ |
| m-sand पर रॉयल्टी | ₹200 प्रति ब्रास |
| प्राकृतिक रेत पर रॉयल्टी | ₹600 प्रति ब्रास |
| उद्योगों को लाभ | MSME दर्जा, सब्सिडी, रियायतें |
| पर्यावरणीय लाभ | नदी रेत खनन पर रोक, सतत विकास को बढ़ावा |


कर्नाटक ने ग्रामीण प्रॉपर्टी डिजिटलाइजेश...
तमिलनाडु के पांच और उत्पादों को मिला GI ...
26वां हॉर्नबिल फेस्टिवल नागालैंड में 1 स...

