मध्य प्रदेश ने भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए देश की पहली समर्पित ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) नीति 2025 पेश की है। इस पहल का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करना और इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे टियर-2 शहरों में वैश्विक नवाचार और सहयोग के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। राज्य सरकार व्यापार-अनुकूल माहौल, वित्तीय प्रोत्साहन और आधारभूत ढांचे के विकास के माध्यम से मध्य प्रदेश को GCCs के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनाने की योजना बना रही है।
कैसे GCC नीति मध्य प्रदेश के टियर-2 शहरों को लाभ पहुंचाएगी?
नई GCC नीति का उद्देश्य मेट्रो शहरों से ध्यान हटाकर उभरते शहरी केंद्रों पर केंद्रित करना है, जिससे इंदौर, भोपाल और जबलपुर को वैश्विक संचालन हब के रूप में विकसित किया जा सके। इन शहरों को टियर-1 स्तर की बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी, जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए यह आकर्षक गंतव्य बन सकें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निवेशकों को आश्वासन दिया है कि राज्य विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करेगा ताकि व्यवसायों को विस्तार में कोई कठिनाई न हो।
यह पहल भारत के आर्थिक विकास के विकेंद्रीकरण की बड़ी रणनीति के अनुरूप है, जैसा कि कर्नाटक द्वारा बेंगलुरु से परे GCCs को 2029 तक 1,000 तक बढ़ाने की योजना में देखा गया है। मध्य प्रदेश की यह नीति देश के संतुलित क्षेत्रीय विकास में योगदान देने के लिए अपने शहरों की क्षमता को उपयोग में लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
मध्य प्रदेश की GCC नीति में क्या प्रोत्साहन दिए गए हैं?
निवेश को बढ़ावा देने के लिए इस नीति के तहत कई लाभ दिए गए हैं:
- वित्तीय सहायता: मध्य प्रदेश में GCCs स्थापित करने वाली कंपनियों को 40% तक की पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम ₹30 करोड़ तक) मिलेगी। इसके अतिरिक्त, किराए और पेरोल सब्सिडी पर भी सहायता प्रदान की जाएगी।
- नवाचार और अनुसंधान सहायता: राज्य ने अपस्किलिंग, मार्केटिंग, पेटेंट फाइलिंग और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता आवंटित की है, जिससे व्यवसायों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
- व्यवसाय करने में आसानी: निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए “नो क्वेरी पोर्टल” शुरू किया गया है, जो एक सिंगल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम प्रदान करता है, जिससे व्यवसायों को किसी भी प्रकार की जटिलता का सामना न करना पड़े।
कैसे यह नीति भारत की वैश्विक विकास रणनीति के अनुरूप है?
मध्य प्रदेश की यह पहल भारत की वैश्विक व्यापार केंद्र बनने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। भारत में बढ़ते GCC निवेश को देखते हुए, विभिन्न राज्य बेहतर नीतियाँ और बुनियादी ढाँचा प्रदान करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने की प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
टियर-2 शहरों में GCCs का विस्तार रोजगार के अवसर पैदा करेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और तकनीकी उन्नति को गति देगा। इस पहली विशेष GCC नीति को लागू करके मध्य प्रदेश अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल स्थापित कर रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत की वैश्विक व्यापार उपस्थिति केवल मेट्रो शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि छोटे शहर भी इस विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
क्यों चर्चा में है? | मुख्य बिंदु |
मध्य प्रदेश ने GCC नीति पेश की | मध्य प्रदेश ने भारत की पहली ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) नीति 2025 लॉन्च की। |
टियर-2 शहरों पर ध्यान | इंदौर, भोपाल और जबलपुर को वैश्विक व्यापार हब के रूप में विकसित किया जाएगा। |
प्रोत्साहन | 40% पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम ₹30 करोड़), किराया सहायता, पेरोल सब्सिडी। |
व्यवसाय करने में आसानी | “नो क्वेरी पोर्टल” के माध्यम से सिंगल-विंडो क्लियरेंस। |
नवाचार के लिए सहायता | अनुसंधान एवं विकास, अपस्किलिंग, मार्केटिंग, पेटेंट फाइलिंग के लिए वित्तीय सहायता। |
मुख्यमंत्री | डॉ. मोहन यादव – मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री। |
राज्य की राजधानी | भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है। |
उद्देश्य | बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना। |