भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सेना उपप्रमुख (रणनीति) – Deputy Chief of Army Staff (Strategy) के पद पर नियुक्त किया गया है। यह पदभार उन्हें सेना की संचालन और खुफिया निदेशालयों की निगरानी का उत्तरदायित्व सौंपता है – जो भारतीय सेना की सबसे रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शाखाओं में से हैं।
अब दोहरी भूमिका में रहेंगे Lt Gen राजीव घई
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ले. जनरल घई वर्तमान में ‘महानिदेशक सैन्य संचालन’ (DGMO) के पद पर कार्यरत हैं, और वे इस नई नियुक्ति के साथ दोनों पदों की जिम्मेदारी एक साथ निभाएंगे। उन्होंने 25 अक्टूबर 2024 को DGMO का कार्यभार संभाला था।
सेना उपप्रमुख (रणनीति) का कार्यक्षेत्र
यह पद भारतीय सेना की संरचनात्मक सुधार योजना के तहत हाल के वर्षों में सृजित किया गया है। इसका उद्देश्य है:
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रणनीतिक योजना निर्माण को मजबूत करना
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खतरों का समयपूर्व मूल्यांकन और प्रतिक्रिया
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संचालन, खुफिया और सूचना युद्ध जैसे घटकों का समन्वित नियंत्रण
इस पद के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख निदेशालय आते हैं:
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सैन्य संचालन निदेशालय
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सैन्य खुफिया निदेशालय
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सूचना युद्ध और रणनीतिक योजना प्रभाग
इसका उद्देश्य है संकट की घड़ी में तेज़ और समन्वित निर्णय लेना, जो भारत की सुरक्षा संरचना को अधिक प्रभावी बनाता है।
चिनार कोर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक: एक रणनीतिक नेतृत्वकर्ता
ले. जनरल घई भारतीय सेना की प्रतिष्ठित कुमाऊं रेजीमेंट से हैं। DGMO बनने से पहले उन्होंने चिनार कोर (15 कोर, श्रीनगर) का नेतृत्व किया और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों की कमान संभाली।
ऑपरेशन सिंदूर – संयमित पराक्रम का उदाहरण:
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यह अभियान पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचों को निशाना बनाकर किया गया था।
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न तो एलओसी पार की गई, न ही अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन हुआ।
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भारतीय वायुसेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक जैसी हवाई कार्रवाई की गई।
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योजना और संचालन में ले. जनरल घई ने केंद्रीय भूमिका निभाई।
🗣️ उन्होंने एक प्रेस वार्ता में इसे क्रिकेट के अंदाज में समझाते हुए कहा:
“हमने विकेट पर फोकस किया, गेंदबाज़ी सटीक थी, और फील्डिंग तगड़ी – नतीजा स्पष्ट था।”
सम्मानित: उत्तम युद्ध सेवा पदक (UYSM)
4 जून 2025 को रक्षा अलंकरण समारोह (फेज-2) में ले. जनरल घई को “उत्तम युद्ध सेवा पदक” से नवाजा गया।
यह पदक उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक नेतृत्व और रणनीतिक दक्षता के लिए दिया गया।
मणिपुर की यात्रा – सीमा की नब्ज पर नजर
फरवरी 2025 में उन्होंने मणिपुर और भारत-म्यांमार सीमा (IMB) का दौरा किया।
इस दौरे में उन्होंने:
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सीमा पर तैनात सेना की तैयारियों की समीक्षा की
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बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रगति देखी
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राज्य और केंद्र एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया
उन्होंने राज्य के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात की, जिनमें शामिल थे:
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मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला
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राज्य सुरक्षा सलाहकार
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मुख्य सचिव
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पुलिस महानिदेशक (DGP)
उन्होंने “Whole-of-Government Approach” अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, खासतौर से उग्रवाद, तस्करी और जातीय संघर्ष जैसे मुद्दों के समाधान हेतु।
रणनीतिक दूरदृष्टि और परिचालन नेतृत्व का संगम
ले. जनरल राजीव घई का करियर नीतिगत योगदान, युद्धक्षेत्र का अनुभव और संचालन स्तर की समझ का उत्कृष्ट मेल है।
उनकी यह दोहरी भूमिका –
सेना उपप्रमुख (रणनीति)
DGMO
उन्हें लंबी अवधि की रणनीति और तत्काल संचालन, दोनों के केन्द्र में लाती है।
इससे भारतीय सेना को एकीकृत और प्रभावशाली नेतृत्व मिल रहा है, जो वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा खतरों से निपटने में सहायक सिद्ध होगा।