अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने मोदी सरकार के नेतृत्व में “11 वर्ष – सेवा, सुशासन और कल्याण” की उपलब्धियों को चिह्नित करते हुए एक विशेष समारोह का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मंत्रालय के मुख्यालय में आयोजित हुआ और भारत के अल्पसंख्यक कल्याण में हुए परिवर्तनकारी सुधारों को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित था।
नेतृत्व और उद्देश्यपूर्ण संकल्प
इस समारोह की अध्यक्षता डॉ. चंद्रशेखर कुमार, सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने की। इसमें मंत्रालय और इसके संबद्ध निकायों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित करना था, बल्कि विकसित भारत @2047 की दिशा में मंत्रालय की प्रतिबद्धता को भी दोहराना था।
11 वर्षों की परिवर्तनकारी यात्रा पर एक दृष्टि
डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
मंत्रालय ने सभी योजनाओं को डिजिटल पोर्टलों के माध्यम से संचालित करना सुनिश्चित किया है। इस कदम से:
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पारदर्शिता में वृद्धि हुई है
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लाभार्थियों को त्वरित और रियल-टाइम सेवा उपलब्ध कराई गई है
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मानव हस्तक्षेप में कमी आई है, जिससे प्रक्रिया निष्पक्ष बनी है
थर्ड-पार्टी समीक्षा और ऑडिट प्रणाली
अब सभी योजनाओं के लिए बाहरी समीक्षा और लेखा परीक्षण अनिवार्य किया गया है। इससे:
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फंड उपयोग, लक्ष्य प्राप्ति और योजनाओं के प्रभाव की निगरानी बेहतर हुई है
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सबूत-आधारित शासन (Evidence-Based Governance) को बढ़ावा मिला है
समावेशी नीति निर्माण
नीति निर्माण में राज्यों, हितधारकों और समुदाय प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इससे केंद्र की योजनाएं स्थानीय जरूरतों के अनुरूप अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनी हैं।
महत्वपूर्ण विधायी और तकनीकी उपलब्धियाँ
वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025
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यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और सशक्तिकरण लाने हेतु पारित किया गया।
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संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा विचार-विमर्श के बाद लागू किया गया।
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इससे समुदाय-स्वामित्व वाली संपत्तियों के कल्याणकारी उपयोग को बल मिलेगा।
“उम्मीद” केंद्रीय पोर्टल का शुभारंभ
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6 जून 2025 को लॉन्च किया गया यह पोर्टल अल्पसंख्यकों की विभिन्न योजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाता है।
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यह सुविधा प्रदान करता है:
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पात्रता जांच
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आवेदन सहायता
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स्थिति की निगरानी
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प्रतिक्रिया तंत्र
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वक्फ अधिनियम के अंतर्गत केंद्रीय नियमों का प्रारूप
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मंत्रालय केंद्रीय नियमों के मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
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इनसे एक समान नियामक ढांचा स्थापित होगा, जिससे राज्यों और केंद्र दोनों स्तरों पर बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
2047 तक समावेशी और समतामूलक भारत का संकल्प
कार्यक्रम का समापन एकता और निष्ठा की शपथ के साथ हुआ, जिसमें सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने यह संकल्प लिया कि वे:
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ईमानदारी, नवाचार और समावेशिता के साथ कार्य करेंगे
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2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करेंगे
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यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी समुदाय पीछे न छूटे