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LIC Q1 Results: सरकारी कंपनी को ₹10987 करोड़ का मुनाफा

देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही की शुरुआत स्थिर प्रदर्शन के साथ की। कंपनी ने अपने Q1 परिणामों में शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 5% की वृद्धि दर्ज की, जो ₹10,461 करोड़ से बढ़कर ₹10,987 करोड़ हो गया। यह वृद्धि नई पॉलिसियों की बिक्री में सुस्ती के बावजूद हुई, जिसका श्रेय एलआईसी के मजबूत नवीनीकरण आधार और बेहतर वित्तीय अनुशासन को जाता है।

प्रीमियम आय और पॉलिसी मिश्रण

एलआईसी की शुद्ध प्रीमियम आय में भी 5% की वृद्धि हुई, जो Q1 FY25 में ₹1.14 लाख करोड़ से बढ़कर चालू तिमाही में ₹1.19 लाख करोड़ हो गई।
हालांकि नई पॉलिसियों की बिक्री अक्टूबर 2024 में लागू नियामकीय बदलावों के कारण धीमी रही—जिनके तहत शुरुआती पॉलिसी समाप्ति पर सरेंडर शुल्क कम कर दिए गए—मजबूत नवीनीकरण प्रीमियम ने आय की स्थिरता बनाए रखी।

इसके अलावा, एलआईसी के इंडिविजुअल बिज़नेस नॉन-पार APE (एनुअलाइज़्ड प्रीमियम इक्विवेलेंट) में 32.6% की बढ़त हुई, जो ₹2,142 करोड़ तक पहुंच गया। यह नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियों की बढ़ती मांग को दर्शाता है, जिनमें मुनाफा पॉलिसीधारकों से साझा नहीं किया जाता, लेकिन गारंटीड लाभ दिए जाते हैं।

बेहतर वित्तीय स्थिति और परिसंपत्ति गुणवत्ता

एलआईसी की वित्तीय स्थिरता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है—

  • सॉल्वेंसी रेशियो 1.99% (पिछले वर्ष) और 2.11% (पिछली तिमाही) से बढ़कर 2.17% हो गया। यह कंपनी की दीर्घकालिक दायित्वों को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि दर्शाता है।

  • सकल एनपीए (Gross NPAs) साल-दर-साल 21% घटकर ₹8,436.5 करोड़ रह गया।

  • शुद्ध एनपीए (Net NPAs) 36% की भारी गिरावट के साथ मात्र ₹4 करोड़ रह गया।

  • सकल एनपीए अनुपात (Gross NPA Ratio) 1.95% से घटकर 1.42% हो गया।

ये सुधार बेहतर जोखिम प्रबंधन और निवेश पोर्टफोलियो में मजबूत अंडरराइटिंग मानकों की ओर इशारा करते हैं।

मजबूत AUM और बाजार स्थिति

एलआईसी की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (AUM) 6.47% साल-दर-साल बढ़कर ₹57.05 लाख करोड़ हो गईं, जिससे यह देश के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में से एक बना रहा।

कंपनी ने यह भी रिपोर्ट किया—

  • इंडिविजुअल बिज़नेस में 38.76% का बाजार हिस्सा

  • ग्रुप बिज़नेस में 76.54% का बाजार हिस्सा (30 जून 2025 को समाप्त तिमाही में)

यह दबदबा एलआईसी की खुदरा और कॉरपोरेट दोनों बीमा क्षेत्रों में गहरी पैठ को दर्शाता है।

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