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लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि 2024: राजनीतिक करियर और प्रेरणादायक उद्धरण

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11 जनवरी, 2024 को भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 58वीं पुण्य तिथि है। सादगी, निष्ठा और समर्पण के धनी शास्त्री के कार्यकाल ने देश के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। जैसा कि हम उनके जीवन और विरासत पर विचार करते हैं, भारत की प्रगति में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान और उन आदर्शों को याद करना आवश्यक है जिनके लिए वे खड़े रहे।

 

लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा जीवन

2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री की यात्रा एक छोटे से शहर से शुरू हुई। मुगलसराय और वाराणसी के पूर्व मध्य रेलवे इंटर कॉलेज में उनकी शिक्षा ने उनके भविष्य के प्रयासों की नींव रखी। 1926 में काशी विद्यापीठ से स्नातक होने के बाद, उन्होंने “शास्त्री” की उपाधि प्राप्त की, जो उनकी विद्वतापूर्ण उपलब्धियों को दर्शाती है।

 

महात्मा गांधी का प्रभाव और स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी

महात्मा गांधी और तिलक से गहराई से प्रभावित शास्त्री ने 1920 के दशक के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह में उनकी भागीदारी के कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें कई बार कारावास में डाला। इस उद्देश्य के प्रति शास्त्री की प्रतिबद्धता के कारण उन्हें कुल नौ साल जेल में बिताने पड़े, जहां उन्होंने उस समय का उपयोग विभिन्न दार्शनिकों और समाज सुधारकों के कार्यों को पढ़ने और उनसे परिचित होने में किया।

 

राजनीतिक यात्रा एवं उपलब्धियाँ

आजादी के बाद लाल बहादुर शास्त्री का राजनीतिक करियर तेजी से आगे बढ़ा। 1947 में पुलिस और परिवहन मंत्री के रूप में उनकी भूमिकाओं ने प्रभावशाली योगदानों की एक श्रृंखला की शुरुआत की। परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने पहली बार महिला कंडक्टरों की शुरुआत की और प्रगतिशील और मानवीय दृष्टिकोण का प्रदर्शन करते हुए भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियों के बजाय पानी की बौछारों के इस्तेमाल का आदेश दिया।

शास्त्री की राजनीतिक यात्रा में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, वाणिज्य और उद्योग मंत्री और गृह मंत्री सहित प्रमुख पदों पर काम करते देखा गया। विशेष रूप से, उन्होंने असम और पंजाब में भाषा आंदोलनों को संबोधित करने के लिए “शास्त्री फॉर्मूला” तैयार किया।

 

प्रधानमंत्रित्व काल और प्रगति का दृष्टिकोण

1964 में लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के प्रधान मंत्री का पद संभाला। प्रगति के समर्थक, उन्होंने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से श्वेत क्रांति और खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने वाली हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया, जिससे उन्हें व्यापक प्रशंसा मिली।

 

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

11 जनवरी, 1966 को लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु राष्ट्र के लिए एक गहरी क्षति थी। मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित, शास्त्री की विरासत सादगी, ईमानदारी और राष्ट्रीय प्रगति के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण के प्रतीक के रूप में कायम है।

 

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