किसान दिवस 2025, जिसे राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 23 दिसंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिन भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में किसानों के विशाल योगदान को मान्यता देता है और खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने में कृषि के महत्व को रेखांकित करता है। यह तिथि भारत के पांचवें प्रधानमंत्री और किसानों के अधिकारों और ग्रामीण विकास के आजीवन समर्थक चौधरी चरण सिंह की जयंती का प्रतीक है।
23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?
23 दिसंबर की तारीख चौधरी चरण सिंह के जन्म की याद में निर्धारित की गई थी, जिनका जन्म 1902 में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनका जीवन और राजनीतिक सफर किसानों और गांवों के विकास से गहराई से संबंधित था।
भारत सरकार ने 2001 में 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में औपचारिक रूप से घोषित किया ताकि किसानों की विरासत को सम्मानित किया जा सके और देश की अर्थव्यवस्था में उनकी केंद्रीय भूमिका को याद दिलाया जा सके।
राष्ट्रीय किसान दिवस का महत्व
- किसानों को अन्नदाता यानी खाद्य प्रदाता के रूप में मान्यता दें।
- जलवायु परिवर्तन, जल संकट और बाजार अस्थिरता जैसी चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
- टिकाऊ और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना
- तकनीकी नवाचार और आधुनिक कृषि को प्रोत्साहित करें
- यह दिन इस विचार को पुष्ट करता है कि राष्ट्रीय समृद्धि ग्रामीण समृद्धि पर निर्भर करती है।
पूरे भारत में उत्सव से संबंधित गतिविधियाँ
किसान दिवस पर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
- कृषि के भविष्य पर सेमिनार और चर्चाएँ
- कृषि प्रदर्शनियाँ जिनमें नई तकनीकों का प्रदर्शन किया जाता है
- किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम
- नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सामुदायिक अंतःक्रिया
कृषि विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और ग्रामीण संगठन जागरूकता फैलाने और युवाओं को कृषि में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
बदलते विश्व में प्रासंगिकता
आज की तेजी से बदलती दुनिया में, किसानों को जलवायु अनिश्चितता, बढ़ती लागत और बाजार में उतार-चढ़ाव जैसी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान दिवस इन मुद्दों पर विचार करने और उनसे संबंधित समाधानों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।
- सतत कृषि
- ग्रामीण अवसंरचना विकास
- वित्तीय समावेशन और फसल बीमा
- सटीक खेती और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसी तकनीकों का उपयोग
यह दिन किसानों की आय और लचीलेपन में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा की गई हालिया पहलों पर भी प्रकाश डालता है।
चौधरी चरण सिंह: किसानों के मसीहा
चौधरी चरण सिंह ने 1979 से 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। यद्यपि उनका कार्यकाल संक्षिप्त था, लेकिन कृषि नीति पर उनका प्रभाव महत्वपूर्ण था। उन्होंने लगातार यह तर्क दिया कि भारत की वास्तविक शक्ति उसके गांवों में निहित है।
उनके प्रमुख योगदानों में शामिल थे:
- भूमि सुधारों के लिए सशक्त समर्थन
- कृषि उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियां
- किसानों के ऋणग्रस्तता को कम करने के प्रयास
- छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने पर जोर।
कृषि समुदाय के प्रति उनके अटूट समर्थन के कारण, उन्हें व्यापक रूप से ‘किसानों के मसीहा’ के रूप में याद किया जाता है।
चौधरी चरण सिंह के प्रसिद्ध उद्धरण
चौधरी चरण सिंह के कुछ शब्द आज भी किसानों और नीति निर्माताओं को समान रूप से प्रेरित करते हैं।
- “सच्चा भारत उसके गांवों में बसता है।”
- “कोई भी राष्ट्र तभी समृद्ध हो सकता है जब उसका ग्रामीण क्षेत्र उन्नत हो।”
- “किसान इस देश का स्वामी है, लेकिन वह अपनी शक्ति को भूल गया है।”
ये कथन ग्रामीण सशक्तिकरण में उनके गहरे विश्वास को दर्शाते हैं।
प्रमुख तथ्य
- किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है।
- यह चौधरी चरण सिंह (1902-1987) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- वे भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री (1979-1980) थे।
- इस दिन को आधिकारिक तौर पर 2001 में घोषित किया गया था।
- किसान दिवस खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में किसानों की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
- यह सतत कृषि और किसानों के कल्याण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है।
आधारित प्रश्न
प्रश्न: किसान दिवस किसके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है?
A. लाल बहादुर शास्त्री
B. MS स्वामीनाथन
C. चौधरी चरण सिंह
D. BR अम्बेडकर


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