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कंबोडिया के खमेर रूज स्थलों को यूनेस्को विरासत सूची में शामिल किया गया

यूनेस्को ने 11 जुलाई 2025 को कंबोडिया के तीन ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया, जो खमेर रूज शासन की क्रूरता से जुड़े हैं। यह निर्णय पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र के दौरान लिया गया, जो इस तानाशाही शासन के उदय की 50वीं वर्षगांठ पर हुआ। इस कदम का उद्देश्य इन स्थलों को त्रासदी की याद के रूप में संरक्षित करना और शांति व शिक्षा को बढ़ावा देना है।

अत्याचार के स्थल अब स्मृति स्थल

यूनेस्को की सूची में शामिल किए गए तीन स्थल हैं:

  • टोल स्लेंग नरसंहार संग्रहालय (S-21), फ्नॉम पेन्ह: एक पुराना स्कूल जिसे जेल में बदला गया था, जहां 15,000 से अधिक लोगों को प्रताड़ित किया गया।

  • M-13 जेल, कंपोंग चनांग प्रांत: खमेर रूज द्वारा संचालित एक प्रारंभिक गुप्त जेल।

  • चोइउंग एक ‘किलिंग फील्ड्स’: फ्नॉम पेन्ह से 15 किमी दूर स्थित यह क्षेत्र सामूहिक हत्याओं और दफन स्थलों के लिए कुख्यात है।

ये स्थल कंबोडिया के इतिहास की सबसे काली घटनाओं के प्रतीक हैं, जब 1975 से 1979 के बीच खमेर रूज शासन के दौरान लगभग 17 लाख लोगों की मौत हुई थी।

अतीत को सम्मान, भविष्य को शिक्षा

कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने इस मान्यता का स्वागत किया और देशवासियों से आह्वान किया कि वे रविवार सुबह ड्रम बजाकर इस अवसर को याद करें। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, “यह नामांकन शांति की रक्षा के लिए एक स्थायी स्मृति के रूप में कार्य करे।” डॉक्यूमेंटेशन सेंटर ऑफ कंबोडिया के प्रमुख यूक चांग ने कहा कि ये स्थल युवाओं को शिक्षा देने और बीते हुए अत्याचारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेंगे। यह पहली बार है जब कंबोडिया ने आधुनिक ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को सूची में नामित किया है, खासकर उन स्थानों को जो हालिया संघर्ष और नरसंहार से जुड़े हैं। इससे पहले कंबोडिया के चार प्राचीन स्थल इस सूची में थे: अंगकोर, प्रेआ विहेयर, सांबो प्रेई कुक और कोह केर।

कंबोडिया के दर्दनाक इतिहास को वैश्विक मान्यता

खमेर रूज 17 अप्रैल 1975 को सत्ता में आया और लाखों लोगों को शहरों से जबरन ग्रामीण इलाकों में भेज दिया गया। लाखों की भूख, यातना या हत्या से मौत हो गई। यह शासन 1979 में वियतनाम के हस्तक्षेप से समाप्त हुआ। 2022 में खमेर रूज ट्राइब्यूनल ने अपना कार्य समाप्त किया, लेकिन 337 मिलियन डॉलर खर्च होने के बावजूद केवल तीन नेताओं को सजा हुई। यूनेस्को द्वारा यह मान्यता एक नया बदलाव दर्शाती है, जहां केवल प्राचीन धरोहरों के बजाय आधुनिक संघर्षों से जुड़े स्थल भी वैश्विक विरासत माने जा रहे हैं।

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