अब पहली बार कश्मीर घाटी से ताज़ी चेरी ट्रेन के ज़रिए कटरा (जम्मू) से मुंबई भेजी जा रही है। यह नई सुविधा उन छोटे किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो पहले हवाई मार्ग से फल भेजने में सक्षम नहीं थे।
इस ट्रेन सेवा की खासियत क्या है?
जम्मू रेलवे डिवीजन ने एक विशेष सेवा शुरू की है, जिसमें VP इंडेंट (पूर्ण पार्सल वैन बुकिंग) के तहत 24 टन ताज़ी चेरी रेफ्रिजेरेटेड वैन में भेजी जा रही है। यह वैन एक मालगाड़ी के साथ जोड़ी गई है। कटरा से मुंबई की यात्रा में लगभग 30 घंटे लगेंगे।
चेरी उत्पादकों के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण?
अब तक कश्मीर के चेरी उत्पादकों को मुंबई जैसे शहरों में फल भेजने के लिए महंगा हवाई परिवहन इस्तेमाल करना पड़ता था। यह छोटे किसानों के लिए संभव नहीं था, और बहुत से फल बर्बाद हो जाते थे क्योंकि चेरी जल्दी खराब हो जाती है।
अब इस ट्रेन सेवा से गांदरबल के किसान मंजूर भट जैसे लोग उम्मीद से भरे हैं। उन्होंने कहा, “हवाई परिवहन बहुत महंगा था। अब हम ज़्यादा चेरी उगाकर बड़े बाज़ारों में भेज सकेंगे।”
कश्मीर में चेरी की कटाई का समय
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मई से जून तक होता है चेरी का मौसम
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हर साल कश्मीर में 12,000 से 14,000 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है
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यह ट्रेन सेवा कटाई के चरम समय पर शुरू की गई है, जिससे किसानों को तुरंत राहत मिलेगी
कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
ऑल कश्मीर फ्रूट ग्रोअर्स यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने इसे एक “बड़ी सफलता” बताया। उन्होंने कहा कि रेल परिवहन किसानों को सस्ता और व्यवहारिक विकल्प देता है, और अब वे पश्चिम एक्सप्रेस (अमृतसर से) जैसी ट्रेनों में भी पार्सल वैन जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
समस्या जो हल करने की ज़रूरत है
रेलवे पूरे 25 टन वैन का पूरा किराया अग्रिम रूप से मांगती है, भले ही किसान के पास कम चेरी हो।
चूंकि चेरी की कटाई हर दिन अलग-अलग होती है, यह नियम किसानों के लिए मुश्किल खड़ा करता है। रेलवे के साथ इस पर बातचीत चल रही है।
कश्मीरी फलों के लिए उज्ज्वल भविष्य
अगर यह चेरी ट्रेन सेवा सफल रही, तो:
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और भी फलों की ट्रेनें चलाई जाएंगी
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चेरी के साथ सेब, खुबानी, और नाशपाती जैसे फल भी बड़े शहरों और मुंबई पोर्ट से निर्यात के लिए भेजे जा सकेंगे
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इससे कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसानों की आमदनी बढ़ेगी


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