काकसर पुल का नाम बदलकर कैप्टन अमित भारद्वाज सेतु रखा गया, जिससे कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन अमित भारद्वाज के बलिदान को सम्मानित किया गया। इस भावुक समारोह में प्रमुख सैन्य और नागरिक अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें सीईसी डॉ. मोहम्मद जाफर अखून और मेजर जनरल के. महेश, एसएम शामिल थे। इस अवसर पर भारद्वाज की बहादुरी और देश के प्रति समर्पण की सराहना की गई।
समारोह की मुख्य बातें
डॉ. जाफर अखून ने राष्ट्र की रक्षा करने वाले वीरों के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया और भारतीय सेना की कारगिल में शिक्षा और समर्थन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, विशेष रूप से सद्भावना योजना के तहत। उन्होंने कड़े सर्दियों के दौरान स्थानीय यात्रियों को हवाई मार्ग से ले जाने जैसे मानवीय प्रयासों की भी सराहना की।
श्रद्धांजलि और स्मारक
कैप्टन भारद्वाज की बहन सुनीता ढोंकारिया ने पुल पर उनके भाई की विरासत को और सम्मानित करते हुए एक स्मारक का उद्घाटन किया। कैप्टन अमित भारद्वाज, जो 4 जाट बटालियन में सेवा कर रहे थे, ने 1999 में काकसर में घुसपैठियों के खिलाफ एक बचाव अभियान के दौरान अद्वितीय साहस दिखाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। पुल का यह नया नामकरण उनके साहस और राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को एक स्थायी श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित किया गया है।