सुरिनाम की संसद ने 6 जुलाई 2025 को जेनिफर गेरलिंग्स-साइमन्स को देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना। यह ऐतिहासिक निर्णय ऐसे समय पर आया है जब दक्षिण अमेरिकी देश सुरिनाम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उनकी नियुक्ति को सुरिनाम के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है और लोगों को उम्मीद है कि वे देश की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद करेंगी।
महिला नेतृत्व की ऐतिहासिक जीत
71 वर्षीय डॉक्टर और सांसद जेनिफर गेरलिंग्स-साइमन्स को सुरिनाम की नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति चुना। यह असेंबली दो-तिहाई बहुमत से राष्ट्रपति का चुनाव करती है। वे बिना विरोध के चुनी गईं, क्योंकि मई 2025 के आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत न मिलने के बाद उनकी पार्टी ने सफलतापूर्वक गठबंधन बनाकर सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त किया था। वे 16 जुलाई 2025 को आधिकारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगी।
अपनी जीत के बाद उन्होंने कहा: “मैं जानती हूं कि यह जिम्मेदारी बहुत भारी है, और यह बोझ इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मैं इस पद पर सेवा देने वाली पहली महिला हूं।”
आर्थिक संकट से जूझता देश
सुरिनाम की अर्थव्यवस्था फिलहाल गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिकापरसाद सन्तोखी को देश की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सहायता लेनी पड़ी थी।
हालांकि, सब्सिडी में कटौती और कर्ज पुनर्गठन जैसे कठोर कदमों से कुछ आर्थिक सुधार हुआ, लेकिन इससे जनता को भारी कष्ट हुआ और विरोध प्रदर्शन भी हुए।
अब नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति ग्रेगरी रूसलैंड के साथ मिलकर जेनिफर ने आर्थिक स्थिरता लाने का वादा किया है।
उनकी योजना में स्वर्ण खनन क्षेत्र में बेहतर कर वसूली के जरिए सरकारी आय बढ़ाना शामिल है।
तेल खोज से जुड़ी उम्मीदें
सुरिनाम को हाल ही में समुद्र के नीचे तेल के बड़े भंडार मिलने की वजह से भविष्य में आर्थिक सुधार की उम्मीद है।
पहला तेल उत्पादन 2028 में शुरू होने की संभावना है, जिससे देश को भारी राजस्व मिल सकता है।
लेकिन अर्थशास्त्री विंस्टन रामौतर्सिंह ने चेतावनी दी है कि तब तक देश को हर साल लगभग $400 मिलियन डॉलर कर्ज और ब्याज के रूप में चुकाने होंगे, जो फिलहाल देश के पास नहीं है।
पिछली सरकार द्वारा कर्ज अदायगी में ली गई मोहलत केवल अस्थायी थी।


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