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सेमीकंडक्टर के लिए भारत-जापान के बीच हुआ समझौता

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सेमीकंडक्टर परिवेश के संयुक्त विकास और अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए जापान ने भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसी के साथ जापान इस क्षेत्र में समझौता करने वाला अमेरिका के बाद दूसरा क्वाड साझेदार बन गया है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्री यासुतोशी निशिमुरा के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत और जापान ने अनुसंधान एवं विनिर्माण सहित सेमीकंडक्टर परिवेश विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, जापान और भारत ने सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण, उपकरण पर अनुसंधान करने, कौशल विकसित करने और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती लाने के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। वैष्णव ने कहा कि दोनों देश एक ‘कार्यान्वयन संगठन’ बनाएंगे जो सरकारों और उद्योगों के बीच सहयोग से काम करेगा।

बता दें कि लगभग 100 सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्रों के साथ जापान सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र वाले शीर्ष पांच देशों में से एक है। वैष्णव ने कहा, सेमीकंडक्टर उद्योग मौजूदा 650 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का उद्योग बन जाएगा। इसके लिए बड़ी मात्रा में प्रतिभाओं की आवश्यकता होगी और दुनिया में कई स्थानों पर महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। जापान भारत को एक साझेदार के रूप में देखता है जहां गुण-संपन्न शक्तियों का उपयोग किया जा सकता है।

जापान में ऐसी कंपनियां हैं जो सेमीकंडक्टर वेफर्स, रसायन और गैसों, लेंस के कच्चे रूप के वैश्विक लीडर हैं, जिनका उपयोग चिप निर्माण उपकरण, डिस्प्ले प्रौद्योगिकियों आदि में किया जाता है। चीन द्वारा महत्वपूर्ण अर्धचालक तत्वों गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात को प्रतिबंधित करने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि इस कदम का बहुत कम प्रभाव है क्योंकि दुनिया में इन महत्वपूर्ण तत्वों के कई और स्रोत हैं।