26 नवंबर 2024 को, भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, जम्मू और कश्मीर (J&K) ने पहली बार भव्य तरीके से संविधान दिवस (सम्विधान दिवस) मनाया। यह आयोजन न्याय, समानता, और बंधुत्व जैसे संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल्यों को उजागर करते हुए क्षेत्र के राष्ट्रीय ढांचे में समेकन का प्रतीक था। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन ऐतिहासिक समारोहों का नेतृत्व किया।
प्रमुख विशेषताएँ
समारोह का नेतृत्व
- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा: श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में मुख्य कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय:
- उच्च न्यायालय के प्रत्येक विंग में वरिष्ठ न्यायाधीशों ने प्रस्तावना का पाठ कराया।
- जिला और तालुका अदालतें:
- प्रधान जिला न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों ने विभिन्न जिलों और तालुका अदालतों में समारोहों की अध्यक्षता की।
मुख्य कार्यक्रम: श्रीनगर में आयोजन
- प्रमुख आयोजन SKICC में आयोजित किया गया, जहां प्रस्तावना का पाठ किया गया।
विस्तृत भागीदारी
- सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs), शैक्षिक संस्थानों और ग्रामीण क्षेत्रों में समारोह आयोजित किए गए।
- नागरिकों ने प्रस्तावना का पाठ किया, जो संविधानात्मक मूल्यों के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
दिवस का महत्व
- संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक:
- इस वर्ष की थीम थी: “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान”।
- संवैधानिक मूल्यों को प्रेरित करना:
- नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों को आत्मसात करने और दैनिक जीवन में इन्हें लागू करने के लिए प्रेरित करना।
न्यायपालिका की विशेष भूमिका
- उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल, शाहजाद अज़ीम ने निर्देश दिया कि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी संविधान की प्रस्तावना पढ़कर संविधान के महत्व को सम्मान दें।
समाचार का सारांश
पहलू | विवरण |
---|---|
चर्चा में क्यों? | जम्मू-कश्मीर में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया। |
तारीख | 26 नवंबर 2024 |
नेतृत्वकर्ता | उपराज्यपाल मनोज सिन्हा |
मुख्य स्थल | शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC), श्रीनगर |
थीम | “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” |
महत्व | संविधान के 75 वर्षों का उत्सव; संविधानात्मक मूल्यों का प्रचार |
न्यायपालिका की भूमिका | उच्च न्यायालय और जिला अदालतों में प्रस्तावना पाठ आयोजित |
भागीदारी | सरकारी कार्यालय, पीएसयू, शैक्षिक संस्थान और ग्रामीण क्षेत्र |
उद्देश्य | संविधानात्मक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना और नागरिकों की भागीदारी को प्रेरित करना। |