
तमिलनाडु स्थित मदुरै के अवनियापुरम गांव में 15 जनवरी से जल्लीकट्टू 2023 का आयोजन शुरू हो गया है। मदुरै के तीन गांवों में इसका आयोजन किया जाना है। 16 जनवरी को पलमेडु और 17 जनवरी को अलंगनाल्लुर में जल्लीकट्टू खेला जाएगा। इससे पहले 7 जनवरी को मदुरै जिला प्रशासन ने इसी महीने होने वाले ‘जल्लीकट्टू’ के लिए गाइडलाइंस जारी की थी। 15 जनवरी सुबह ही अवानियापुरम में बैलों के साथ खेले जाने वाले इस खेल को शुरू कर दिया गया।
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प्रमुख बिंदु
- कई उत्सुक युवकों ने खेल में भाग लिया, जिसे तालियों की गड़गड़ाहट मिली।
- बता दें, जल्लीकट्टू एक लोकप्रिय खेल है।
- विजेता इस बात से निर्धारित होता है कि टैमर बैल के कूबड़ पर कितने समय तक रहता है।
- जल्लीकट्टू पोंगल त्योहार के साथ शुरू होता है और इसे मट्टू पोंगल भी कहा जाता है।
- ये त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान जल्ली कट्टू खेल का आयोजन भी किया जाता है।
- जल्लीकट्टू तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों का एक परंपरागत खेल है जो हर साल पोंगल त्यौहार पर आयोजित होता है। जल्लीकट्टू खेल में सभी एहतियात बरतने के बावजूद भी कई लोग घायल हो गए हैं।
- खेल के दौरान किसी भी बड़ी घटना या अनहोनी से बचने के लिए अवनियापुरम में हाईकोर्टने भी दिशा- निर्देश जारी किए हैं। जिला कलेक्टर अनीश शेखर ने कहा कि खेल में केवल 25 खिलाड़ी ही एक समय में भाग लेंगे।
क्या है जल्लीकट्टू?
पोंगल के त्योहार के दौरान, विशेष रूप से तमिलनाडु में, मवेशियों की पूजा की जाती है, जिसमें जल्लीकट्टू के नाम से एक आयोजन किया जाता है। जल्लीकट्टू के खेल में एक सांड को भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है। इस खेल में वहां मौजूद खिलाड़ी अधिक से अधिक समय तक सांड के कूबड़ को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं। जल्लीकट्टू खेल में बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है।



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