भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दिसंबर में श्रीहरिकोटा से यूरोपीय संघ के Proba-3 Solar Observation Mission का प्रक्षेपण करेगा। यह उपग्रह, जो श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है, सूर्य के कमजोर कोराना (Corona) का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो सौर विज्ञान का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह भारत का यूरोपीय संघ के साथ तीसरी अंतरिक्ष सहयोग परियोजना है, इससे पहले Proba-1 और Proba-2 के प्रक्षेपण किए गए थे।
यह मिशन PSLV-XL रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा, जो भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण और वैज्ञानिक अनुसंधान में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ISRO की बढ़ती क्षमताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय उतारने और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करने का है।
Proba-3 सौर मिशन: प्रमुख विशेषताएँ
- Proba-3 उपग्रह सूर्य के कोराना (Corona) की गतिशीलता का मूल्यवान डेटा प्रदान करेगा, जो सौर विज्ञान के ज्ञान को बढ़ावा देगा।
- यह भारत और यूरोपीय संघ के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग का प्रतीक है, और चंद्रयान-3 और पिछले Proba उपग्रह मिशनों की सफलता पर आधारित है।
2040 तक भारत का अंतरिक्ष विज़न
भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में एक बड़ा कदम उठाने का लक्ष्य रखता है, जिसमें 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करना शामिल है। इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका को और बढ़ाना चाहता है और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को 2% से बढ़ाकर 10% तक पहुंचाना चाहता है।
अंतरिक्ष नवाचार में आत्मनिर्भरता की दिशा में ISRO की रणनीति
ISRO का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में “आत्मनिर्भरता” प्राप्त करना है, जिसके लिए रणनीतिक नीतियाँ, निवेश और सहयोग महत्वपूर्ण हैं। ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने अंतरिक्ष अन्वेषण की चुनौतियों, जैसे बड़े प्लेटफार्मों का निर्माण और प्रक्षेपण, पर प्रकाश डाला और उद्योग के सहयोग और निवेश की आवश्यकता पर बल दिया।
भविष्य की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था: सहयोग और विकास
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जिसमें अंतरिक्ष निवेश से उच्च लाभ मिलने की संभावना है। ₹1,000 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड अंतरिक्ष स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए उपलब्ध है, जिससे भारत अंतरिक्ष नवाचार की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए तैयार है और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष कंपनियाँ विकसित हो सकती हैं।
भारत-यूरोपीय संघ का अंतरिक्ष सहयोग: एक मजबूत साझेदारी
यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेलफिन ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत साझेदारी की सराहना की, जिसमें शांतिपूर्ण अंतरिक्ष उपयोग और रणनीतिक स्वायत्तता के साझा लक्ष्य हैं। इस सहयोग का उद्देश्य जलवायु निगरानी, साइबर सुरक्षा और अन्वेषण में संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देना है, ताकि पारस्परिक वृद्धि और जिम्मेदार अंतरिक्ष प्रथाओं को सुनिश्चित किया जा सके।