भारत ने हाई-टेक नेविगेशन प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने थिरुवनंतपुरम में अनंत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर नेविगेशन (ACEN) का उद्घाटन किया। यह भारत का पहला निजी क्षेत्र का नेविगेशन नवाचार केंद्र है, जिसे अनंत टेक्नोलॉजीज़ ने स्थापित किया है।
नेविगेशन तकनीक मिसाइलों, विमानों, जहाजों, उपग्रहों और आधुनिक मशीनों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत ने अतीत में अनुभव किया है कि विदेशी GPS प्रणालियों पर निर्भरता, विशेषकर संघर्ष के समय, जोखिमपूर्ण हो सकती है।
ACEN का उद्देश्य इस समस्या का समाधान करना है—भारत के लिए मजबूत, विश्वसनीय और स्वदेशी नेविगेशन प्रणालियों का निर्माण सुनिश्चित करना।
स्थापना: 1992
कंपनी ने इसरो और DRDO की कई महत्वपूर्ण मिशनों में सहयोग दिया है।
यह प्रिसिशन सेंसर, एयरवर्थिनेस सर्टिफिकेशन, और सैटेलाइट व लॉन्च व्हीकल इंटीग्रेशन के कार्यों के लिए जानी जाती है।
भारत के कई रक्षा नेविगेशन सिस्टम अब भी विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित और मरम्मत योग्य हैं।
जब कोई नेविगेशन यूनिट खराब होती है, तो उसे विदेश भेजना पड़ता है, जिससे:
मरम्मत में देरी
रक्षा तैयारी पर प्रभाव
जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
नया केंद्र निम्न क्षेत्रों पर काम करेगा:
नेविगेशन सेंसर का पूर्ण स्वदेशी विकास
AI आधारित नेविगेशन फ्यूजन तकनीक
भारत की अपनी NavIC प्रणाली का उन्नत उपयोग
सभी प्रकार का MRO (Maintenance, Repair, Overhaul) कार्य देश के भीतर
इससे:
भारी लागत की बचत
समय की बचत
तकनीकी आत्मनिर्भरता
हासिल होगी।
भारत का विजन 2035 रक्षा, अंतरिक्ष और नागरिक क्षेत्रों में पूर्ण नेविगेशन क्षमता विकसित करने पर केंद्रित है।
ACEN इस लक्ष्य को समर्थन देता है और बढ़ावा देता है:
उद्योग
वैज्ञानिक समुदाय
विश्वविद्यालय
रक्षा और अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच सहयोग को।
मजबूत, स्वदेशी नेविगेशन प्रणालियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं।
भारत का लक्ष्य है कि 2035 तक विश्व-स्तरीय, विश्वसनीय नेविगेशन प्रणालियाँ तैयार की जाएँ।
ACEN:
आयात में कमी
घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी
तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करेगा।
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने कहा कि अनंत टेक्नोलॉजीज़ जैसी निजी कंपनियाँ भारत की नेविगेशन तकनीक को तेज गति से आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने विश्वास जताया कि ऐसे प्रयास भारत को 2047 तक उन्नत तकनीक में वैश्विक नेतृत्व दिलाने में मदद करेंगे।
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