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IRDAI ने वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य प्रीमियम में सालाना 10% की बढ़ोतरी को सीमित किया

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में तेज़ वृद्धि से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नई अधिसूचना के तहत, बीमाकर्ताओं को 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले व्यक्तियों के लिए वार्षिक प्रीमियम में 10% से अधिक वृद्धि करने से पहले IRDAI से पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह कदम तुरंत प्रभाव से लागू हुआ है और इसका उद्देश्य वृद्ध लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा को किफायती और सुलभ बनाना है, जो अक्सर सीमित आय पर निर्भर रहते हैं।

IRDAI ने प्रीमियम वृद्धि पर क्यों रोक लगाई?

IRDAI का यह निर्णय तब लिया गया जब रिपोर्टों में यह सामने आया कि वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में रिन्यूअल के दौरान काफी तेज़ वृद्धि हो रही थी, जो कभी-कभी एक ही वर्ष में 10% से अधिक हो जाती थी। ऐसी अचानक बढ़ोतरी से कई वृद्ध व्यक्तियों के लिए अपने बीमा कवरेज को जारी रखना मुश्किल हो जाता था। चूंकि वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर उच्च चिकित्सा खर्चों का सामना करना पड़ता है और उनकी आय सीमित होती है, इसलिए नियामक ने हस्तक्षेप करना आवश्यक समझा। इसका उद्देश्य वृद्ध पॉलिसीधारकों पर अचानक वित्तीय दबाव को रोकना और उनके स्वास्थ्य खर्चों में स्थिरता बनाए रखना है।

नई नियमों के तहत बीमाकर्ताओं के लिए क्या है?

नई नियमों के अनुसार:

  • बीमा कंपनियों को 60 वर्ष और उससे ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में 10% से अधिक वृद्धि करने से पहले IRDAI से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी।
  • यदि कोई बीमाकर्ता वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए किसी स्वास्थ्य बीमा उत्पाद को समाप्त करना चाहता है, तो उन्हें पहले नियामक से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।
  • बीमाकर्ताओं को अस्पतालों के साथ मानकीकरण दरों पर बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जैसे कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) में किया जाता है, ताकि अस्पताल में भर्ती खर्चों को नियंत्रित किया जा सके।
  • नियामक ने यह भी निर्देश दिया है कि बीमाकर्ता वरिष्ठ नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए किसी भी उपायों की व्यापक प्रचार-प्रसार करें, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

यह नियम वरिष्ठ नागरिकों और बीमा उद्योग पर कैसे प्रभाव डालेगा? वरिष्ठ नागरिकों के लिए, यह नियम अप्रत्याशित प्रीमियम वृद्धि से राहत प्रदान करेगा, जिससे स्वास्थ्य बीमा अधिक अनुमानित और प्रबंधनीय हो जाएगा। प्रीमियम सीमा यह सुनिश्चित करती है कि उन्हें अपनी कवरेज लागत में अचानक और अव्यवहारिक वृद्धि का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, अस्पताल दरों का मानकीकरण उनके जेब खर्च को कम करने में मदद कर सकता है।

बीमा उद्योग के लिए, इस परिवर्तन का मतलब है कि वे अपनी मूल्य निर्धारण रणनीतियों और जोखिम गणना को फिर से परखें। हालांकि बीमाकर्ताओं को अपनी वित्तीय योजनाओं को समायोजित करना पड़ सकता है, लेकिन यह कदम उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि स्वास्थ्य बीमा वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्थिर और सुलभ बना रहे।

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