इराक में एक शिया धर्मगुरु के दर्जनों समर्थकों ने बगदाद के उच्च सुरक्षा वाले ग्रीन जोन में रैली करके संसद को भंग करके शीघ्र चुनाव कराने की मांग की। इराक की राजधानी में सर्वोच्च न्यायिक परिषद और संसद भवन के बाहर प्रदर्शन इस बात को रेखांकित करता है कि इराक का नवीनतम राजनीतिक संकट कितना विकट हो गया है।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
मौलवी मुक्तदा अल-सद्र के अनुयायी और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ईरान समर्थित शिया समूह, के बीच पिछले साल के संसदीय चुनावों के बाद से अनबन है। अल-सद्र ने गत अक्टूबर के चुनाव में सबसे अधिक सीट जीती, लेकिन बहुमत की सरकार बनाने में विफल रहा, जिससे इराक कई दशक बाद सबसे खराब राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। जुलाई के अंत में उनके समर्थकों ने संसद पर कब्जा कर लिया था और वहां आए दिन विरोध प्रदर्शन करते हैं।
भ्रष्टाचार से जंग की अपील
तेजतर्रार मौलवी के समर्थकों ने सर्वोच्च न्यायिक परिषद के बाहर तंबू गाड़ दिए और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के बैनर पर अधिकारियों से संसद भंग करने, जल्द संसदीय चुनाव कराने और भ्रष्टाचार से जंग की अपील की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि न्यायपालिका का राजनीतिकरण किया जा रहा है।
इराक में राजनीतिक संकट
इराक में शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की राजनीति से हटने की घोषणा के बाद हिंसा हो रही है। राजधानी बगदाद के हाई सिक्योरिटी ग्रीन जोन को निशाना बनाया गया है और गोले बरसाए गए। इस हिंसा में उनके 15 से ज्यादा समर्थक मारे गए हैं। इराक में एक बार फिर से राजनीतिक संकट देखने को मिल रहा है। देश में महीनों से नई सरकार नहीं है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक हाई सिक्योरिटी ग्रीन जोन में कम से कम सात गोले बरसाए गए, जो सरकारी भवन और राजनयिक मिशन से जुड़ी बिल्डिंग पर गिरे। इराक में अक्टूबर के संसदीय चुनाव में मुक्तदा अल-सदर की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन वह बहुमत नहीं पा सके थे। शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर पिछले दो दशकों से इराक के एक शक्तिशाली राजनेता हैं।