इराक 1987 के बाद पहली बार देशव्यापी जनगणना कर रहा है, जो कि सद्दाम हुसैन के शासनकाल के दौरान आयोजित हुई थी। इस व्यापक जनसर्वेक्षण में 120,000 शोधकर्ता शामिल हैं। यह जनगणना देश के सभी 18 गवर्नरेट्स (प्रांतों) में घर-घर जाकर डेटा संग्रह करेगी। प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए, गृह मंत्रालय ने दो दिवसीय कर्फ्यू लागू किया है।
परिचय
उद्देश्य:
- जनगणना का उद्देश्य इराक की डेटा संग्रह प्रणाली का आधुनिकीकरण करना, भविष्य की विकास योजनाओं में सहायता करना, और देश की जनसांख्यिकीय, सामाजिक, और आर्थिक स्थिति की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करना है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- पिछली देशव्यापी जनगणना 1987 में हुई थी।
- 1997 की जनगणना में कुर्दिश क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया था।
जनगणना की मुख्य विशेषताएं
शुरुआत:
- नवंबर 2024 में शुरू हुई यह जनगणना दो दिनों तक चलेगी।
तकनीकी उपयोग:
- पहली बार, आधुनिक तकनीकों का उपयोग डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए किया जा रहा है।
दायरा:
- 120,000 जनगणना कर्मी, प्रत्येक दो दिनों में लगभग 160 आवासीय इकाइयों का सर्वेक्षण करेंगे।
पद्धति:
- “डी-ज्यूरे” विधि का उपयोग किया जाएगा, जिसमें व्यक्तियों को उनके वर्तमान निवास स्थान पर गिना जाएगा (अगर वे विस्थापित हैं तो उनके मूल घर पर नहीं)।
- अपवर्जन: विदेशों में रह रहे इराकी या अन्य देशों में विस्थापित व्यक्तियों को शामिल नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक और क्षेत्रीय संवेदनशीलता
विवादित क्षेत्र:
- जनगणना ऐसे विवादित क्षेत्रों में भी आयोजित की जाएगी, जैसे कि किर्कुक, दियाला, और मोसुल, जहां केंद्रीय सरकार और स्वायत्त कुर्दिश क्षेत्र के बीच तनाव है।
समावेशी दृष्टिकोण:
- निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, प्रमुख जातीय समूहों – कुर्द, अरब, तुर्कमेन, और ईसाइयों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
सरकारी सहयोग:
- जनगणना को निष्पक्ष रूप से आयोजित करने के लिए केंद्रीय सरकार और कुर्दिश अधिकारियों के साथ समझौते किए गए हैं।
जातीयता और सांप्रदायिक पहचान
जातीय/सांप्रदायिक प्रश्नों का बहिष्कार:
- संघीय अदालत ने जातीयता और सांप्रदायिक पहचान से संबंधित प्रश्नों को हटाने का आदेश दिया है ताकि तनाव बढ़ने से रोका जा सके।
धार्मिक श्रेणियों पर ध्यान:
- जनगणना में व्यापक धार्मिक श्रेणियों जैसे मुस्लिम और ईसाई पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इराक पर जनगणना के प्रभाव
संसाधन आवंटन:
- यह जनगणना संसाधनों के वितरण, बजट आवंटन और बुनियादी ढांचे के विकास पर निर्णय लेने के लिए अद्यतन डेटा प्रदान करेगी।
- कुर्दिश क्षेत्र के बजट में हिस्सेदारी (वर्तमान में 12%) वास्तविक जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर स्पष्ट होगी।
राजनीतिक प्रभाव:
- अल्पसंख्यक समूहों को आशंका है कि यदि उनकी संख्या कम दर्ज होती है, तो उनके राजनीतिक प्रभाव और आर्थिक लाभ कम हो सकते हैं।
- जनगणना का राजनीतिक और आर्थिक नीतियों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जिससे संसाधनों के वितरण, सार्वजनिक सेवाओं, और भविष्य के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर असर होगा।
भविष्य की योजना पर प्रभाव:
- यह जनगणना सरकार को युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और संसाधन आवंटन की योजना बनाने में मदद करेगी।
- यह कुर्दिश क्षेत्र में सार्वजनिक कर्मचारियों की संख्या पर भी स्पष्टता प्रदान करेगी।
सुरक्षा और निगरानी
कर्फ्यू:
- गृह मंत्रालय ने डेटा संग्रह के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लागू किया।
अंतरराष्ट्रीय निगरानी:
- इस जनगणना की गुणवत्ता और सटीकता का आकलन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा निगरानी की जाएगी।