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विश्वकर्मा योजना: वित्तीय सहायता के साथ पारंपरिक कारीगरों को सशक्त बनाना

केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से 13,000 करोड़ रुपये की पीएम विश्वकर्मा स्कीम को मंजूरी दे दी गई है। इस स्कीम का सीधा फायदा 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के साथ बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों को होगा।

बात दें, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कल लाल किले से भाषण के दौरान इस योजना को लागू करने की घोषणा की गई थी। पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार 13 हजार से लेकर 15,000 करोड़ की लागत से पीएम विश्वकर्मा स्कीम शुरू करने जा रही है।

 

शिल्पकारों को किस्त

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि इस स्कीम के तहत शिल्पकारों को पहली किस्त में एक लाख रुपये और दूसरी किस्त में दो लाख रुपये का लोन दिया जाएगा और इसकी ब्याज 5 प्रतिशत होगी।

 

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणत्ता, पैमाने और पहुंच में सुधार करना है। इस योजना के जरिए बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा।

 

आम बजट 2023 में इसकी पहली बार घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2023 में इसकी पहली बार घोषणा की थी। बजट में इस योजना पर एलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि शिल्पकार स्वतंत्र और आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस योजना से महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को फायदा मिलेगा।

 

क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना?

यह एक कल्याणकारी योजना है, जिससे पारंपरिक तौर पर कौशल कार्यों से जुड़े समुदाय के लोगों का कौशल विकास के लिए उनकी सहायता की जायेगी। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत निर्माण कार्यों से जुड़े, जैसे सुनार, लोहार, बुनकर समेत अन्य कई शिल्पकारों को तकनीकी विकास और उन्नत पद्धति सीखाने एवं परंपरागत कारीगरी को जिवित रखने के लिए उनकी मदद की जायेगी। इसके लिए उन्हें सरकार की ओर से कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्द्ध कराया जायेगा।

 

राज्य के सहयोग से केंद्र सरकार का वित्तपोषण

विश्वकर्मा योजना के लिए संपूर्ण वित्तीय सहायता केंद्र सरकार से मिलती है। हालाँकि योजना की नींव केंद्रीय समर्थन पर बनी है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन में राज्य सरकारों का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।

 

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vikash

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